hindi poem

जगत में जिसका जगत पिता रखवाला बहुत ही सुन्दर कविता

रूपराम जी बहुत पुराने कवि है तथा उनकी ये बहुत पुरानी कविता है ये मन और ह्रदय को झकझोर देने वाली है जिसमें कबूतर और कबूतरी का प्रसंग है ! कृपया एक बार  इसे जरूर पढ़ें - जगत में जिसका जगत पिता रखवाला ! उसे मारने वाला कोई हमने नहीं निहारा !! एक बहेलिया अप…

CLASS 7th - Poem - [Daffodils] - LET'S WARM UP A LITTLE

I wandered lonely  as a cloud  That floats on high o'er vales and hill's When all at once I saw a crowd, A host , of golden daffodils; Beside the lake , beneath the trees, Fluttering and dancing in the breeze. Continuous as the stars that shi…

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