जैन धर्म के उदय के कारण छठी शताब्दी ई. पू. एक बौद्धिक और आध्यात्मिक क्रान्ति का युग था जिसमें विश्व के विभिन्न भागों में मनुष्य की जिज्ञासा युग-युग की संचित धारणाओं, कर्मकाण्ड, अन्धविश्वास एवं अंध श्रद्धा के आवरण को हटाकर प्रत्येक मान्यता के अन्तर्निह…