रूपराम जी बहुत पुराने कवि है तथा उनकी ये बहुत पुरानी कविता है ये मन और ह्रदय को झकझोर देने वाली है जिसमें कबूतर और कबूतरी का प्रसंग है ! कृपया एक बार इसे जरूर पढ़ें - जगत में जिसका जगत पिता रखवाला ! उसे मारने वाला कोई हमने नहीं निहारा !! एक बहेलिया अप…