इस काल में शूद्रों की गुप्तकाल से भी अधिक अंश में उनके सामाजिक तथा धार्मिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया। पाराशर (लगभग 600 ई. से 900 ई. तक) के अनुसार तेजस्वी पुरुष भी यदि शूद्र का भोजन कर ले, उसके साथ सम्पर्क रखे, उसी आसन पर बैठ जाये जिस पर शूद्र बैठा…