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यहां पर UP TGT-PGT कॉमर्स 2024 की दैनिक प्रैक्टिस के लिए प्रश्नों का सेट दिया गया है। ये प्रश्न विभिन्न कॉमर्स विषयों से संबंधित हैं, जैसे कि अकाउंटिंग, बिजनेस स्टडीज, इकोनॉमिक्स, और फाइनेंस।
UP TGT PGT परीक्षा 2024 के सभी विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे परीक्षा को अच्छे number से पास करने के लिए नियमित रूप से UP TGT PGT अभ्यास सेट का अध्ययन तथा अभ्यास करें और किसी भी प्रकार की गलतियों से बचने के लिये और अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए उसके अनुरूप तैयारी करें।
अतः सभी विद्यार्थियों से विनम्र अनुरोध है कि अभ्यास प्रश्नों उत्तरों का विवेकपूर्ण चयन के साथ अभ्यास करें, विश्लेषण करें और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है और आप खूब मेहनत और लगन के साथ अध्ययन करें और सफल हों।
*** UP TGT Commerce Previous Year Paper ***
Ans. लागत मूल्य अथवा बाजार मूल्य दोनों में जो कम हो।
व्याख्या- परंपरागत विधि के तहत रहतिए का मूल्यांकन लागत एवं बाजार मूल्य में जो भी कम हो, पर किया जाता है। ऐसा स्पष्टवादिता की अवधारणा के तहत किया जाता है जिसके तहत भावी लाभ का लेखा तो नहीं करना चाहिए, पर भावी हानि का लेखा अवश्य करना चाहिए।
Qus. सम्भाव्य दायित्वों को लेखा विवरणों में टिप्पणी के रूप में जोड़ने की प्रथा निम्न के अनुसरण है-
Ans. प्रकटीकरण की प्रथा का।
व्याख्या- संभाव्य दायित्वों को चिट्ठे में टिप्पणी के रूप में दिखाया जाता है। ऐसा पूर्ण प्रकटीकरण की प्रथा के तहत किया जाता है ताकि भविष्य में संस्था से व्यवहार करने वाले संभावित पक्षकारों को व्यवसाय की वस्तुस्थिति की रचनात्मक सूचना दिया जा सके।
Qus. वह व्यवस्था जिससे रहतिया की मात्रा एवं मूल्य की लगातार सूचना प्राप्त होती रहती है, कहलाती है-
Ans. सतत रहतिया विधि।
व्याख्या- सतत रहतिया विधि या सतत गणना प्रणाली में रहतिया के मूल्य एवं मात्रा की निरंतर गणना होती रहती है जिससे मूल्य एवं मात्रा की निरंतर उपयोगी एवं वास्तविक सूचना मिलती रहती है।
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Qus. रहतिया का 'लागत अथवा बाजार मूल्य' दोनों में से जो कम हो' पर मूल्यांकन करने की प्रक्रिया एक उदाहरण है-
Ans. रूढ़िवादिता की अवधारणा की।
व्याख्या- 'स्टाक का मूल्यांकन बाजार एवं लागत मूल्य में जो कम हो' रूढ़िवादिता की अवधारणा का उदाहरण है जिसके तहत भावी हानि की व्यवस्था की जानी चाहिए, लाभ की नहीं।
Qus. लेखांकन का वसूली सिद्धान्त लागू नहीं होता है-
Ans. दीर्घकालीन निर्माणी ठेका प्रसंविदाओं में।
व्याख्या- लेखांकन का वसूली सिद्धान्त दीर्घकालीन ठेका कार्यों में लागू नहीं होता इनमें कार्य का एक निर्धारित अंश (प्रायः 1/4) पूरा होने पर लाभ के एक भाग को वसूल मानना शुरू कर दिया जाता है।
Qus. कौन-सा एक सामान्यतः स्वीकृत लेखांकन सिद्धान्त नहीं है-
Ans. दीर्घकालिक प्रतिभूतियों में निवेश को सामान्यतः उनके बाजार निर्ख पर आगे ले जाना चाहिये।
व्याख्या- दीर्घकालीन प्रतिभूतियों में निवेश को सामान्यतः उनके बाजार निर्ख पर आगे ले जाना चाहिए, यह लेखांकन का स्वीकृत सिद्धान्त नहीं है।
Qus. 'लाभों को प्रत्याशित न करो तथा सभी सम्भाव्य हानियों के लिए प्रावधान करो' के सिद्धान्त का उदय हुआ है-
Ans. रूढ़िवादिता अवधारणा।
व्याख्या- लेखांकन की रूढ़िवादिता अवधारणा के अनुसार "लाभों को प्रत्याशित नहीं किया जाता तथा सभी सम्भाव्य हानियों के लिए प्रावधान किया जाता है।"
Qus. स्थायी परिसम्पत्तियाँ आर्थिक चिट्ठे में ऐतिहासिक लागत के आधार पर दर्शायी जाती हैं। ऐसा निम्नलिखित लेखांकन सिद्धान्त की अनुपूर्ति हेतु किया जाता है-
Ans. चालू व्यवस्था सिद्धान्त।
व्याख्या- चालू व्यवस्था सिद्धान्त के अंतर्गत हम यह मानकर चलते हैं कि व्यवसाय भविष्य में अनिश्चित काल तक चालू रहेगा। इसलिए स्थायी सम्पत्ति आर्थिक चिट्ठे में ऐतिहासिक लागत के आधार पर दिखाई जाती है। इसी सिद्धान्त के आधार पर हम सम्पत्तियों को उनको बाजार मूल्य पर नहीं दिखाते।
Qus. 'लेखांकन की तुलना परम्परा' का आशय होता है-
Ans. एक समय अवधि के व्ययों की उसी अवधि के आगम से तुलना।
व्याख्या- लेखांकन की तुलना परम्परा से आशय उस वर्ष या वह निश्चित अवधि के अंतर्गत होने वाले समस्त व्ययों की तुलना उस वर्ष या अवधि के आगम अर्थात प्राप्ति की तुलना में करने से है।
Qus. मुद्रा मापन की अवधारणा के अनुसार लेखा पुस्तकों में निम्नलिखित का लेखा किया जायेगा-
Ans. विक्रय प्रतिनिधि को देय कमीशन।
व्याख्या- मुद्रा मापन की अवधारणा के अनुसार लेखा पुस्तकों में विक्रय प्रतिनिधि को देय कमीशन को अभिलेख किया जाएगा।
Qus. रूढ़िवादिता की प्रथा का अभिप्राय है क्या है ?
व्याख्या- रूढ़िवादिता प्रथा का निम्न दो अभिप्राय होता है पहला संभावित भावी हानियों की व्यवस्था अवश्य की जाये तथा दूसरा जब तक उपार्जित न हो जाये आगम को मान्यता न दी जाए।
Qus. लेखांकन की ऐसी परिपाटी कौन सी है जिसके अंतर्गत परिसम्पत्तियों एंव आय का अतिमूल्यांकन नहीं होता-
Ans. रूढ़िवादिता।
व्याख्या- लेखांकन की रूढ़िवादिता परम्परा के अनुसार सम्पत्तियों एवं आय का अतिमूल्यांकन नहीं होता है।
Qus. सामान्यतः आय अर्जित मानी जाती है, उस समय जबकि-
Ans. माल की सुपुर्दगी कर दी जाती है।
व्याख्या- सामान्यतः आय अर्जित मानी जाती है, जब माल की सुपुर्दगी कर दी जाती है।
Qus. सिद्धान्त "लेखाकार को लाभों को प्रत्याशित नहीं करना चाहिये, किन्तु सभी हानियों के लिए प्रावधान अवश्य करना चाहिये" को कहते हैं-
Ans. रूढ़िवादिता की अवधारणा।
व्याख्या- रूढ़िवादिता की अवधारणा के तहत लेखांकन करते समय भावी लाभ को तो उपेक्षित किया जाता है पर हानि हेतु व्यवस्था की जाती है। तभी सम्पत्ति को हासित (कम) मूल्य पर व स्कन्ध को बाजार व लागत जो कम हो, पर दिखाया जाता है।
Qus. लेखांकन का वसूली का सिद्धान्त लागू नहीं होता-
Ans. दीर्घकालीन ठेका कार्यों में।
व्याख्या- लेखांकन का वसूली सिद्धान्त दीर्घकालीन ठेका कार्यों में लागू नहीं होता। इसमें एक निर्धारित प्रतिशत से ज्यादा (1/4th) कार्य पूरा होने पर ये लाभ का एक निर्धारित प्रतिशत को वसूल मानते हैं।
Qus. भारत में लेखांकन मापदण्डों का प्रतिपादन होता है-
Ans. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया।
व्याख्या- भारत में लेखांकन मापदण्डों हेतु इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया ने 1977 में Accounting Standard Board का गठन किया (एक काउंसिल) जिसने अब तक 32 लेखा मानक तय किए हैं।
Qus. लाभ हानि के सही निर्धारण में सहायता हेतु लेखांकन अवधारणाएं हैं-
व्याख्या- वसूली तथा मिलान अवधारणाएँ लाभ-हानि के सही निर्धारण में सहायता हेतु लेखांकन अवधारणा है।
Qus. वसूली अवधारणा लागू होती है जब-
Ans. वसूली तथा मिलान।
व्याख्या- वसूली अवधारणा लागू होती है जब माल ग्राहक को सुपुर्द कर दिया जाता है।
Qus. रूढ़िवादिता परिपाटी के अनुसार, स्टॉक का मूल्यांकन किया जाना चाहिए-
Ans. लागत या बाजार मूल्य में से, जो कम हो।
व्याख्या- रूढ़िवादिता परिपाटी के अनुसार, स्टॉक का मूल्यांकन किया जाना चाहिए लागत या बाजार मूल्य में से, जो कम हो।
Qus. भारत में लेखांकन मापदण्डों का प्रतिपादन होता है-
Ans. indian standard board (ISB) द्वारा किया जाता है।
व्याख्या- भारत में लेखांकन मानदण्डों का प्रतिपादन indian standard board (ISB) द्वारा किया जाता है।
Qus. तुलन-पत्र से संबंधित अवधारणायें होती हैं-
Ans. वसूली अवधारणा।
व्याख्या- वसूली अवधारणाएँ तुलन-पत्र से सम्बन्धित अवधारणाएँ होती हैं।
Qus. रूढ़िवादिता की अवधारणा का लेखांकन में प्रयोग-
Ans. रूढ़िवादिता अवधारणा लेखाकार से अपेक्षा करता है कि वह लाभों को प्रत्याशित न करे, किन्तु सभी सम्भाव्य हानियों के लिए प्रावधान करे।
Qus. भारत में लेखांकन मानकों का निर्धारण इनके द्वारा होता है-
Ans. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट ऑफ इण्डिया
व्याख्या- भारत में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट ऑफ इण्डिया ने लेखांकन मानक को कार्यान्वित करने के लिए अप्रैल, 1977 में लेखांकन मानक बोर्ड का गठन किया, जिससे भारत की परिस्थितियों के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन प्रमाप समिति द्वारा निर्दिष्ट प्रमापों को भारत में कार्यान्वित करने के संबंध में यथासमय लेखांकन प्रमापों की सिफारिश कर सके।
Qus. उत्तरदायित्व लेखांकन आयोजन और नियंत्रण के बीच संबंध स्थापित करता है-
Ans. लाभ आयोजन तथा नियंत्रण के लिये संगठनात्मक उत्तरदायित्वों के निर्धारण के द्वारा।
व्याख्या- उत्तरदायित्व लेखांकन आयोजन और नियंत्रण के बीच लाभ आयोजन तथा नियंत्रण के लिये संगठनात्मक उत्तरदायित्वों के निर्धारण के द्वारा संबंध स्थापित करता है।
Qus. चालू संपत्तियों का मूल्यांकन निम्न आधार पर होता है-
Ans. लागत मूल्य या बाजार मूल्य में से जो भी कम हो।
व्याख्या- चालू सम्पत्ति के अन्तर्गत Book Debts, B/R, Cash, Raw Materials, Clossing Stock, Semi-manufacturing goods आते हैं जिनका मूल्यांकन लागत मूल्य या बाजार मूल्य में से जो भी कम हो, पर किया जाता है।
Qus. पूँजी बराबर होती है-
अर्थात् सम्पत्ति = पूँजी + बाह्य दायित्व या
पूँजी = सम्पत्ति - बाह्य दायित्व