कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या : Sterilization and Sanitization- NCVT ITI

परिचय Introduction

एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को स्वयं के साथ-साथ अपने कार्य करने के स्थान अर्थात् ब्यूटी पार्लर सैलून की सफाई का भी ध्यान रखना अति आवश्यक है। उन्हें साफ-सफाई के साथ-साथ समय-समय पर कार्य सम्बन्धी स्थान को कीटाणु रहित बनाने के लिए भी हर सम्भव प्रयास करने चाहिए। बैक्टीरिया एक कोशीय सजीव जन्तु है जोकि वातावरण में प्रत्येक स्थान पर उपस्थित रहते हैं। इन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी (microscope) की सहायता से ही देखा जाना सम्भव है। बैक्टीरिया पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं एवं मनुष्यो आदि सभी में पाए जाते हैं।

कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या : Sterilization and Sanitization- NCVT ITI
मानव शरीर में रोग अथवा बीमारी हो जाने पर वैक्टोरिया का आभास मनुष्य को होता है। मनुष्य के शरीर में उपस्थित विभिन्न वैक्टीरिया में से कुछ वैक्टीरिया शरीर को रोगों से बचाते हैं तथा भोजन पचाने में सहायता भी प्रदान करते हैं। बैक्टीरिया को जीवित रहने के लिए अन्य किसी स्रोत की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात् वह अकेले भी जीवित रहने की सामर्थ्य रखता है। बैक्टीरिया उन मनुष्यों पर शीघ्र असर डालते है, जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति (immunity power) निम्न स्तर को होती है। अतः मनुष्य को अपने खान-पान एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा आसपास के वातावरण को कीटाणुरहित बनाना चाहिए।

कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या का उद्देश्य

मनुष्य के जीवन का एक मुख्य उ‌द्देश्य स्वयं को स्वस्थ रखना भी है। इसलिए वह सदैव इस उ‌द्देश्य को पूर्ण करने के लिए तत्पर रहता है। मनुष्य के शरीर में उपस्थित रोग प्रतिरोधक शक्ति उसे रोगों से बचाती है। व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति का स्तर उसके आस-पास के वातावरण एवं मौसम पर निर्भर करता है। कुछ व्यक्तियों में यह रोग प्रतिरोधक क्षमता जन्मजात उच्च कोटि की होती है, जिससे वह विभिन्न रोगों से ग्रसित होने से बचे रहते हैं। इसके विपरीत जिन व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता निम्न कोटि की होती है, उन्हें अपने स्वास्थ्य, खान-पान एवं रहन-सहन का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योकि उनकी थोड़ी-सी लापरवाही भी उन्हें आसानी से रोग ग्रस्त बना सकती है। मनुष्य अपने कुछ प्रयासों के द्वारा अपने अन्दर उपस्थित रोग प्रतिरोधक शक्ति को आसानी से बढ़ा सकते हैं। 

अतः इसके लिए उन्हें अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखना चाहिए तथा खाने-पीने की वस्तुओं को भी सफाई के साथ पकाकर खाना चाहिए, जिससे उनमें उपस्थित कौटाणु समाप्त हो जाएँ और उन्हें एक स्वस्थ शरीर मिल सके। मनुष्य को प्रयोग में लाने वाली वस्तुओं को भी कीटाणु रहित कर लेना चाहिए। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट के लिए कीटाणुहनन एवं आरोग्य विद्या की जानकारी होना अति आवश्यक है. क्योंकि इसके ज्ञान होने के फलस्वरूप ही वह अपना, ग्राहक का एवं सैलून/ब्यूटी पार्लर का उचित प्रकार ध्यान रख सकता है और उन्हें स्वस्थ बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

 कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या की परिभाषा

कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है

कीटाणुहनन Sterilization

कीटाणुहनन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सभी प्रकार के कीटाणुओं को मारा अथवा समाप्त किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी प्रकार के कीटाणु, जैसे- वायरस, फंगस (fungi), बैक्टीरिया इत्यादि आते हैं। कीटाणुहनन प्रक्रिया हीट, केमिकल, उच्च दाब (high pressure), फिल्टरेशन एवं विकिरण (radiation) चिकित्सा में से एक अथवा अधिक प्रक्रियाओं को सम्पन्न करके पूर्ण की जा सकती है।

आरोग्यविद्या Sanitization

आरोग्यविद्या एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सूक्ष्मजीवों (micro organisms) की संख्या को उस अवस्था तक कम किया जाता है, जोकि एक सतह (surface) के सुरक्षा स्तर (safe level) के अन्तर्गत आती है। सुरक्षा स्तर को रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों की संख्या को 99.99% तक कम किये जाने के रूप में व्यक्त किया जाता है।

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कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या की विधियाँ

कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या को सम्पन्न करने की विभिन्न विधियाँ है, जिनका वर्णन निम्नवत् है-

कीटाणुहनन की विधियाँ Methods of Sterilization

कीटाणुहनन के लिए प्रयुक्त एजेण्टों को भौतिक (physical) एवं रासायनिक (chemical) एजेण्टों में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसमे भौतिक एजेण्ट के अन्तर्गत पराबैंगनी किरणे (ultraviolet rays), नमी बैगनी किरणें (moisture violet rays) एवं शुष्क ताप आते हैं, जबकि रासायनिक एजेण्ट के अन्तर्गत भाप (vapour) एवं एण्टीसेप्टिक (antiseptic) आते हैं। एक अच्छा कॉस्मेटोलॉजिस्ट सामान्यतया पराबैगनी किरणों का प्रयोग करके औजारों को कीटाणुरहित बनाता है जबकि कभी-कभी भाप अथवा उबालने की प्रक्रिया का भी प्रयोग किया जाता है। पराबैंगनी किरणों में चार मिनट के लिए औजारों को रखकर सरलता से साफ अथवा कीटाणुरहित बनाया जाना सम्भव है। ये किरणे सभी प्रकार के कीटाणुओं को समाप्त कर देती हैं। ये धातु अथवा प्लास्टिक के सामान को हानि भी नहीं पहुंचाती है। 

तौलिया, हेयर बैण्ड आदि सामानों को कीटाणुरहित बनाने हेतु कैबिनेट को 100' पर गर्म करें तथा गर्म स्टीम अथवा भाप को उसके अन्दर बनने दें। अब कैबिनेट में सभी औजारों को रख दें तथा कुछ समय के पश्चात् निकाल लें। ये सभी औजार अब कीटाणुरहित हो जाते हैं। एण्टीसेप्टिक एक ऐसा पदार्थ (substance) है, जोकि कीटाणुओं को मारकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक देता है। यह त्वचा के लिए सुरक्षित होता है तथा बिना किसी नुकसान के अपना कार्य सम्पन्न करता है। सामान्यतया ब्यूटी पार्लर अथवा सैलून में निम्नलिखित केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है-

अमोनिर मिश्रण Amonir Compound

यह मिश्रण अमोनिया आधारित होता है तथा यह औजारों को कीटाणु रहित बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

फॉर्मेल्डिहाइड Formaldehyde

फॉर्मेल्डिहाइड भी अमोनिर मिश्रण के समान ही औजारों को कीटाणु रहित बनाने हेतु प्रयोग में लाया जाता है।

एल्कोहॉल Alcohol

एल्कोहॉल का प्रयोग तेज धार वाले औजारों को कीटाणु रहित बनाने के लिए किया जाता है।

साबुन Soap

साबुन का प्रयोग समय-समय पर हाथों को धोकर कीटाणु समाप्त करने के लिए करते हैं। यह कीटाणुहनन का एक सरल साधन है।


आरोग्यविद्या की विधियाँ Methods of Sanitization 

आरोग्यविद्या के द्वारा सतह को सुरक्षा स्तर (safe level) के अन्तर्गत लाने के लिए निम्न विधियों का उपयोग किया जाता है-
आरोग्यविद्या की विधियाँ Methods of Sanitization

ताप Heat

ताप के द्वारा सतह को रोगरहित बनाने के लिए मुख्यतः तीन प्रकारों का प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन निम्नवत् है-

  • 15 मिनट के लिए 170° F ताप पर अचवा 5 मिनट के लिए 200° F ताप पर सतह को भाप में रखे।
  • गर्म पानी में सतह को रखें। पानी का तापमान जितना अधिक होगा, उतना ही कम समय कीटाणुओं को समाप्त होने में लगेगा। 
  • 20 मिनट तक 180° F की गर्म हवा को रोगरहित बनाने के लिए प्रयोग करें।

विकिरण Radiation

आरोग्य हेतु पराबैगनी विकिरण (ultraviolet radiation) का प्रयोग किया जाता है, परन्तु इन्हें खानपान की वस्तुओं के लिए प्रयोग में नहीं लाया जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से फूड प्रोसेसिंग सुविधाओं वाले पैकेजिंग एरिया में किया जाता है। इसका कॉन्टैक्ट समय कम-से-कम दो मिनट होना चाहिए। यह प्रकाश के सीधे सम्पर्क में आने वाले माइक्रोअऑर्गनिज्म को नष्ट करता है।

रसायन Chemical 

ये केमिकल क्लोरीन (chlorine), आयोडीन (Iodine) एवं क्वॉटरनरी अमोनियम (quaternary ammonium) के उचित मिश्रण द्वारा माइक्रोआर्गेनिज्य को नष्ट करते हैं।

 कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या का प्रक्रम

ब्यूटी पार्लर सैलून में प्रतिदिन मेकअप ब्रशत व अन्य औजार (tools) बार-बार प्रयोग होते हैं। मेकअप बुश अलग-अलग तरह के कॉस्मेटिक्स का प्रयोग करने में संक्रमित हो जाते हैं। ये संक्रमित बशज, टूल्स (फाइलर, क्यूटिकल कटर आदि), मेनीक्योर व पेडिक्योर किट आदि ग्राहक के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए इन्हें संक्रमण रहित करना अनिवार्य हो जाता है। प्रशज, टूल्स व अन्य संक्रमित सामानों को संक्रमण रहित करने के लिए सामान्यतया ब्यूटी पार्लर सैलून में प्रयुक्त होने वाली विधियों का वर्णन निम्नवत् है-.

डीप क्लीनिंग Deep Cleaning

मेकअप ब्रशज को बैक्टीरिया से बचाने के लिए ब्रशज की डीप क्लीनिंग करना उस समय अति आवश्यक हो जाता है, जब आप मेकअप ब्रशज का प्रयोग लिक्विड कॉस्मेटिक्स में करते हैं। अतः प्रत्येक प्रयोग के बाद इनकी डीप क्लीनिंग अवश्य करनी चाहिए। इनकी डीप क्लीनिंग के लिए एक पाउच बेबी शैम्पू को एक ग्लास गर्म पानी में मिलाकर उसमें मेकअप ब्रशज को डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। कुछ समय के पश्चात् ब्रस को निकालकर सूखे साफ तौलिए से हल्के हाथों से पोंछकर सूखने के लिए रख दें। अब वह संक्रमण रहित हो गया है। बेबी शैम्पू बहुत कठोर (hani) नहीं होता है। इसलिए यह ब्रश बालों को बिना नुकसान पहुंचाये अच्छी तरह साफ कर देता है।

उबालना Boiling

किसी भी प्रकार के मेटल टूल्स को उबालने को प्रक्रिया के द्वारा आसानी से कीटाणु रहित या संक्रमण रहित किया जा सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम एक साफ बर्तन में पानी भरकर उसे उबलने के लिए रख दें। दूल्स को साबुन के झाग से साफ करें। जब पानी उबल जाए तो चिमटे (tong) की सहायता से टूल्स को एक-एक करके पानी में डाल दें। 15 मिनट बाद चिमटे की मदद से टूल्स को बाहर निकाल लें और साफ तौलिए पर रखकर सुख्खा ले। अब यह दूल्स संक्रमण रहित होकर पुनः उपयोग में लाने के लिए तैयार हो गए है।

एल्कोहॉल Alcohol

एल्कोहॉल की सहायता से बहुत आसानी से टूल्स का संक्रमण दूर किया जा सकता है। इसके लिए पहले अपने टूल्स को झाग वाले पानी से साफ कर ले। फिर एक बर्तन में एल्कोहॉल डालें और एक-एक करके सभी टूल्स एल्कोहॉल में डाल दें। 20-25 मिनट के लिए उन्हें ऐसे ही छोड़ दें। फिर टूल्स को निकालकर साफ कपड़े से पोछ लें। यह औजारों को कीटाणु रहित बनाने का आसान तरीका है।

आवश्यकतानुसार एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट उपरोक्त में किसी एक विधि को अपनाकर औजारों एवं अन्य सामानों को कीटाणुरहित बना सकता है। कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या का उपयोग ध्यानपूर्वक करना चाहिए, क्योकि यह ग्राहकों के स्वास्थ्य से सम्बन्धित है तथा एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट के व्यवसाय की तरक्की में अति सहायक है। आज के समय में ग्राहक साफ-सफाई एवं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है और वह उस ब्यूटी पार्लर सैलून में जाना पसन्द करता है जहाँ पर उचित प्रकार के साफ-सफाई एवं स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है।

कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या की सुरक्षा एवं सावधानियाँ 

एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को कीटाणुहनन एवं आरोग्यविद्या सम्बन्धी कार्यों को सम्पन्न करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए- 

  1. केमिकल खरीदते समय उसको मात्रा (quantity) कम रखनी चाहिए।
  2. केमिकल को लेबल लगाकर ताले में बन्द करके रखना चाहिए, जिससे अन्य व्यक्ति उसका गलत उपयोग न कर सकें।
  3. केमिकल ठण्डी और सूखी जगह पर संभाल कर रखना चाहिए।
  4. इन्हें ठण्डी मात्रा में ही मापना चाहिए।
  5. केमिकल को मिलाते समय बाहर नहीं मिराना चाहिए।
  6. अपने पास फर्स्ट एड बॉक्स अवश्य रखना चाहिए।
  7. केमिकल के तेज होने के कारण इन्हें ब्यूटीपार्लर सैलून में इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। 
  8. कीटाणुहनन की प्रक्रिया के लिए सदैव तापमान को नियन्त्रित रखना चाहिए।
  9. औजारों को संक्रमणरहित बनाने हेतु प्रयोग में आने वाले एजेण्टों को उचित प्रकार ढक्कन लगाकर बन्द कर देना चाहिए।
  10. गर्म औजारों को सीधे हाथ से नहीं पकड़ना चाहिए।

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