वर्ल्ड वाइड वेब का परिचय
वर्ल्ड वाइड वेब सर्वर की एक श्रृंखला है जो हायपरटैक्स्ट के माध्यम से आपस में संयोजित होता है। हायपरटैक्स्ट सूचना को पेश करने का वैसा तरीका है जिसमें कुछ खास आइटम हाइलाइटेड होते हैं। उस हाइलाइटेड टैक्स्ट को चुनने (क्लिक करने) पर आप उससे सम्बन्धित विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं। यह हाइलाइटेड आइटम आपस में लिंक होते हैं जो आपको एक डॉक्यूमेंट से दूसरे डॉक्यूमेन्ट में जाने में मदद करते हैं एवं जो इंटरनेट पर किसी भी सर्वर में उपलब्ध हो सकते हैं। वेब को विशेष वनाने में प्रमुख यह है कि आप इंटरनेट पर इसके माध्यम से कहीं भी भ्रमण कर सकते हैं जैसे आप किसी एफ.टी.पी. साइट, गोफर मेन्यू अथवा किसी अन्य दस्तावेज में जा सकते हैं। इसके अलावा वेब आपको यू.आर.एल (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) की विशेषता प्रदान करता है जिसके माध्यम से विश्व में कहीं से भी किसी विशेष वेब पेज को एक्सैस कर सकते है।
वेब को भ्रमण करने हेतु आप ब्राउजर सॉफ्टवेयर जैसे मोजैक, नेटस्केप नेवीगेटर अथवा इंटरनेट एक्स्प्लोरर का प्रयोग करते हैं। वेब हायपर टैक्स्ट के साथ उच्च स्तरीय ग्राफिक्स का उत्तम प्रयोग करता है। एफ.टी.पी. एवं टेलनेट जैसी टैक्स्ट आधारित सेवाओं के साथ ही वेब में अच्छी मात्रा में ग्राफिक्स का प्रयोग होता है। आज हम वेब पेजों में चित्र एवं ध्वनि का समावेश आसानी से बहुतायत में देख सकते हैं।
वेब पेज के अविष्कार ने सामान्य नागरिकों को भी इंटरनेट का प्रयोक्ता बनने में सहायता की है जो इसके अविष्कार से पहले जटिल कमाण्डों के कारण अत्यंत मुश्किल था।
वर्ल्ड वाइड वेब की विशेषताएँ
वर्ल्ड वाइड वेब विभिन्न प्रोटोकॉल्स से संचालित होता है। यह किसी विशेष रूप से नियंत्रित सर्वर कम्प्यूटर को इन्टरनेट के द्वारा डॉक्यूमेन्टस को एक मानक तरीके से भेजता है। वेब के मानक विभिन्न कम्प्यूटर प्लेटफार्म (जैसे UNIX, Window 95, Window 98 तथा Windows NT, Window 2000, Window XP आदि) पर प्रोग्राम को ऐसी सुविधा प्रदान करते हैं कि वह कम्प्यूटर सर्वर से आने वाली सूचना को एक अच्छे फॉर्मेट में दिखा सकें। इस तरह के प्रोग्राम को वेब ब्राउजर कहते हैं।
वेब ब्राउजर को काम में लेकर WWW ने किसी वेबसाइड हेतु यह संभव कर दिया कि वह अपने पास कई सारे पैजेस् में इन्फॉर्मेशन रख सके। जिसमें टैक्स्ट, साउंड, पिक्चर तथा यहाँ तक कि वीडियों के साथ में दूसरे पेजेस् को जोड़ने वाले लिंक पर क्लिक करने पर यूजर के सामने उस लिंक से जुड़ा हुआ पेज तुरन्त ही आ जाता है। उदाहरणस्वरूप, किसी कम्पनी की वेबसाइट के होम पेज पर उत्पाद सूचना, मूल्य-सूची तकनीकी सहायता के अलावा employees, directors इत्यादि की सूचना से संबंधित लिंक्स हो सकते है।
(1) ग्राफिकल सुविधा
यह ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस की सुविधा देता है, जिससे रंगीन स्क्रीन एवं विकल्पों को चुनने में सरलता रहती है। वेब प्रयोग से पूर्व यूजर इन्टरनेट के द्वारा केवल टैक्स्ट आधारित सूचना ही देख पाते थे। यह कार्य ज्यादा सरल नहीं होता था।
यह अब टैक्स्ट के साथ ग्राफिक्स, साउंड एवं वीडियो को दिखाने की क्षमता भी रखता है। अधिक नवीन ब्राउजर तो मल्टीमीडिया से जुड़ी हुई एप्लिकेशन्स भी दिखा देते हैं। सबसे ज्यादा खास बात यह है कि यह सब कार्य अत्यधिक सरल होता है केवल आपसे एक क्लिक दूर। आप क्लिक करते जाइए तथा यह आपको एक लिंक से दूसरे लिक, एक पेज से दूसरे पेज एवं अलग-अलग साइट्स और सर्वर्स तक मूव करा सकता है।
(2) हायपर टैक्स्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम
WWW के हायपर टैक्स्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम, में टैक्स्ट को एक आम पुस्तक की भाँति एक रिजिड तथा लिनीयर स्ट्रक्चर में पढ़ने की बजाय आप एक स्थान से दूसरे स्थान तक सरलता से जा सकते हैं। आपकों इसमें ज्यादा जानकारी मिलती है। आप आसानी से पीछे जा सकते हैं, दूसरे टॉपिक्स पर जा सकते हैं एवं उस टैक्स्ट को पढ़ सकते हैं जिसे आप उस समय पढ़ना चाहते हैं।
अगर साइट् की सूचना अधिक डिस्क स्पेस नहीं ले रही है एवं वह आसानी से उपलब्ध है और अगर आप उस सूचना को जब भी चाहें तुरन्त देख सकते हैं तो आपके लिए यह सब बहुत मनोरंजक होगा।
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(3) डिस्ट्रिब्यूटेड
वेब इतनी ज्यादा मात्रा में सूचना इसलिए प्रदान करती है क्योकि वह सूचना हजारों वेबसाइट्स पर बिखरी हुई रहती हैं। हर वेबसाइट अपने पास उपलब्ध सूचना के लिए स्पेस रखती है, बाकी सूचना उसे दूसरी वेबसाइट को लिक करके मिल जाती है। किसी भी इन्फॉर्मेशन चाहने वाले को मात्र उस वेबसाइट पर जाना होता है जिसकी सूचना वह देखना चाहता है। जब आपका कार्य पूरा हो जाता है तो आप किसी और वेबसाइट या लिक पर चले जाते हैं। सूचना देखने हेतु आपको उसे बार-बार इंस्टॉल करने की या बार- बार डिस्क बदलने की आवश्यकता नहीं होती वरन् सिर्फ साइट पर पॉइन्ट करने की जरूरत होती है।
(4) क्रॉस प्लेटफॉर्म
इन्टरनेट से जुड़ने के बाद World Wide Web-WWW को भी खोला जा सकता है। यह बात कोई मायने नहीं रखती कि आप किसी सस्ते PC पर कार्य कर रहे हैं या एक बहुत महँगे ग्राफिकल वर्कस्टेशन पर। WWW किसी एक ही तरह की मशीन अथवा किसी एक ही कम्पनी द्वारा बनाई गई मशीन से बँधा हुआ नहीं है। वेब पूर्ण रूप से क्रॉस प्लेटफॉर्म होता है।
क्रॉस प्लेटफॉर्म होने का अर्थ है कि आप वेब को किसी भी कम्पनी के हार्डवेयर पर किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ एवं किसी भी तरह के डिस्प्ले के साथ एक्सैस कर सकते हैं।
(5) अन्य सेवाएँ
इन्टरनेट पर अनेक सेवाएँ उपलब्ध होती हैं, जैसे- FTP, Gopher, Usenet News, WAIS databases, Telnet एवं इन्टरनेट e-mail। ई- मेल के आज के बराबर प्रसिद्धि पाने से पूर्व भिन्न-भिन्न तरह की सूचना प्राप्त करने हेतु अलग-अलग टूल्स यूजर को अपने कम्प्यूटर पर डालने पड़ते थे। इन सभी टूल्स के काम में आने वाले कमान्ड्स भी अलग-अलग होते थे। वेब ब्राउजर (जैसे इन्टरनेट एक्स्प्लोरर) ने यह सब बदल दिया है। अब हमें इन टूल्स को कम्प्यूटर में इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि अब ये सभी टूल्स वेब ब्राउजर अपने पास ही रखते हैं। वेब के पास स्वयं का इन्फॉर्मेशन सिस्टम होता है, साथ ही उसके स्वयं के इन्टरनेट प्रोटोकॉल्स जैसे-HTTP भी होते हैं। वेब ब्राउजर आपको अन्य तरह की इन्टरनेट सर्विस वाली फाइल पढ़ने की सुविधा भी प्रदान करते हैं। अपने ब्राउजर को इन्टरनेट पर विभिन्न तरह की सूचनाओं को दिखाने हेतु आपको अलग-अलग तरह के URL देने होते हैं। ज्यादातर URLs की शुरूआत http:// से होती है जो यह बताती है कि आप किसी वेब साइट की फाइल देखना चाहते हैं। FTP की मदद से फाइल देखने हेतु निम्न URL का प्रयोग किया जाता है-
gopher://name-of-gopher-server/file-name
(6) डायनामिक
वेव डिजाइनर वेब साइट को किसी भी कम्प्यूटर एवं स्थान से परिवर्तित व संशोधित कर सकता है। वेब पर जाने वाली सूचना उसी साइट पर होती है, जिसने वह सूचना प्रकाशित की है। अगर आप उस सूचना को ब्राउज कर रहे हैं तो आपको उस सूचना का कोई नया वर्जन लोड करने की जरूरत नहीं है एवं न ही अपडेट इन्फॉर्मेशन माँगने हेतु तकनीकी सहायता की जरूरत है। इसके लिए आपको सिर्फ अपना ब्राउजर खोलकर उस साइट का एड्रैस ही डालना है। आपके पास स्वतः ही सारी अपडेट इन्फॉर्मेशन आ जाती है।
(7) मल्टीमीडिया की सुविधा
मल्टीमीडिया इन्टरैक्टिविटी में वेब सर्वर से बातचीत करने की क्षमता होती है। वेब इन्टरैक्टिविटी होता है, हमें वेब पर जाने हेतु अथवा किसी दूसरे पेज को खोलने हेतु सिर्फ लिंक को सिलैक्ट करना होता है। इस साधारण इन्टरैक्टिविटी के अलावा आप देखे जा रहे पेजेस के प्रकाश से भी कम्यूनिकेट कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पेजों के साथ इन्टरैक्टिविटी करवाने वाले फॉर्म भी हो सकते हैं जिन्हें आप भर सकते हैं। फॉर्म में टैक्स्ट बॉक्स हो सकते हैं जहाँ आप कुछ टाइप कर सकते हैं, रेडियो बटन्स हो सकते हैं जिससे आप कई ऑप्शन्स में से एक ऑप्शन चुन सकते हैं अथवा फिर मेन्यू आइटम हो सकते है जिनमें से आप आइटम चुन सकते हैं। जब यह फॉर्म सबमिट किया जाता है तो यह समस्त इन्फॉर्मेशन उस सर्वर तक चली जाती हैं जहाँ पर वो पेजेस् बनाए गए हैं। आप निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु फॉम्स का उपयोग कर सकते हैं-
- अपने पाठकों द्वारा सूचना प्राप्त करने हेतु (सर्वे, वोट आदि)
- पेजेस् के बारे में प्रश्नों के उत्तर लेने हेतु।
- वेब पर उपलब्ध वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए।
उपर्युक्त बिन्दुओं से स्पष्ट होता है कि वेब दुनिया भर के लोगों तक पहुँचने एवं उनसे कम्यूनिकेट करने का एक आसान और प्रभावशाली माध्यम है।
वेब टर्मिनोलोजी ब्राउजर
यह एक क्लाइंट सॉफ्टवेयर है जो हायपर टैक्स्ट को प्रदर्शित करने एवं इसके साथ संवाद स्थापित करने के काम आता है। यह दो तरह का होता है। केवल टैक्स्ट तथा टैक्स्ट एवं ग्राफिकल। शेल अकाउन्ट के माध्यम से सिर्फ टैक्स्ट आधारित ब्राउजर का प्रयोग किया जा सकता है।
वेब सर्वर- यह प्रोग्राम वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने के अनुरोध को पूरा करता है एवं उसके अनुरोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। यह वैसे कम्प्यूटरों को भी कहते हैं जिन पर सर्वर प्रोग्राम क्रियान्वित किया जा रहा होता है।
होम पेज- यह किसी साइट का सर्वप्रथम प्रदर्शित होने वाला वेब पेज होता है। हायपर टैक्स्ट मार्कअप भाषा-यह वेब दस्तावेज तैयार करने हेतु प्रयोग में लायी जाने वाली एनकोडिंग स्कीम है।
हायपर टैक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल- यह वह प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग वेब पर हायपर टैक्स्ट दस्तावेजों एवं दूसरे वेब संसाधनों के स्थानांतरण में किया जाता है।
यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर- यह वेब पर किसी विशेष सूचना को एक्सैस करने हेतु एक विशेष एड्रेस कोड होता है जैसे http://www.yahoo.com/mail वेब पेज-वेब पेज वेब दस्तावेज की एक इकाई होता है। जब हम किसी हायपरलिक को क्लिक करते हैं तब हम एक वेब पेज प्रदर्शित कर रहे होते हैं।
वेब साइट- वेब साइट वेब पेजों का एक पूर्ण संकलन होता है जिसमें टैक्स्ट, ध्वनि एवं चित्रों का समावेश होता है और वेब साइट के सभी तथ्य परस्पर जुड़े होते हैं।
वेब साइट बनाम वेब पेज
वेब साइट एवं वेब पेज एक पूरी पुस्तक और उसके एक पृष्ठ की तरह है। आपके हाथ में जो पुस्तक है उसे वेब साइट के रूप में देखा जा सकता है एवं जिस पृष्ठ पर अभी आप की दृष्टि है उसे एक वेब पेज कहा जा सकता है। अर्थात् वेब पेज वेब साइट की एक इकाई है एवं वेब साइट परस्पर जुड़े वेब पेजों का एक संकलन होता है।
वेब का इतिहास
वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार से पहले इन्टरनेट का प्रयोग बहुत ही कठिन था। इस पर उपलब्ध सूचनाओं को खोजना एवं इसको प्रयोग में लाना और कठिन था। इन्टरनेट पर उपलब्ध फाइलों को ढूँढना एवं उसे डाउनलोड करने हेतु यूनिक्स स्कील्स एवं विशिष्ट टूल्स की जरूरत पड़ती थी।
टीम बर्नर्स ली को वर्ल्ड वाइड वेब का जनक कहा जाता है। बर्नर्स यूरोपियन आरगेनाइजेशन फॉर न्यूक्लिअर रिसर्च स्विटरजरलैण्ड में कार्य कर रहे थे। वह इन्टरनेट का प्रयोग करने की जटिल विधि से बिल्कुल निराश हो चुके थे एवं सदैव उन्हें आसानी से प्रयोग किये जाने वाले इन्टरफेस प्रोग्राम की आवश्यकता का एहसास होता था ताकि इन्टरनेट पर उपलब्ध सूचना को आसानी से एकत्र किया जा सके।
सर्न में उनके कार्य के लिए सदैव इन्टरनेट की जरूरत पड़ती थी। इन्टरनेट का उपयोग वह शोध, एवं अपने शोधकर्ता मित्रों के साथ सम्पर्क करने में करते थे। उन्हें इन्टरनेट को उपयोग किये जाने में आने वाली कठिनाइयों ने इस बात के लिए उनके भीतर ऐसे प्रणाली का विकास करने पर प्रेरित किया जो उनके काम को आसान बना सके। 1989 में, उन्होंने वर्ल्ड वाइड वेब के विकास हेतु सर्न के इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्प्यूटिंग फॉर फिजिक्स विभाग को एक प्रस्ताव दिया पर इस प्रस्ताव को बहुत ज्यादा स्वीकृति नहीं मिली। फिर जब दोबारा उन्होंने अपने मित्र रॉबर्ट कैलियो के साथ, प्रस्ताव की अस्वीकृति के कारणों पर विचार करने के बाद जमा किया, तब जाकर वह प्रस्ताव मंजूर किया गया तथा वर्ल्ड वाइड वेब की परियोजना की अधिकारिक तौर पर शुरूआत हुई। वेब हेतु उपयुक्त धन भी प्रदान किया गया। 1991 में, इसके बारे में इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं को सूचना मिली फिर भी शायद ही लोगों ने सोचा होगा कि अब इन्टरनेट इतना सरल हो जायेगा।
फरवरी 1993 में, नेशनल सेन्टर फॉर सुपरकम्प्यूटिंग एप्लिकेशन ने मौजैक का पहला संस्करण विण्डो हेतु बाजार में उपलब्ध कराया। यह वर्ल्ड वाइड वेब के लिए वरदान था जिसने वेव को सफलता के शिखर पर पहुँचा दिया। इसमें एक यूजर फ्रेन्डली ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस का प्रयोग किया गया था जिसने उस समय के इन्टरनेट प्रयोक्ता को इन्टरनेट के प्रयोग की जटिलता से मुक्त कराया। इसके अलावा, मोजैक को माउस के द्वारा भी संचालित किया जा सकता था। अब प्रयोक्ता बगैर की-बोर्ड के भी इन्टरनेट का आनन्द उठा सकते थे जोकि इन्टरनेट के क्षेत्र की एक अद्भुत प्रगति थी। वेब अब सिर्फ हायपरटैक्स्ट नहीं था।
वर्ल्ड वाइड वेब के अविष्कार के बाद प्रयोक्ता को इन्टरनेट के विभिन्न संसाधनों को एक्सैस् करने हेतु विभिन्न टूलों की जरूरत नहीं थी एवं वर्ल्ड वाइड वेब को हायपरमीडिया भी कहा जाने लगा क्योंकि ये प्रोटोकॉल परस्पर संयोजित टैक्स्ट, वीडियो, ध्वनि एवं ग्राफिक्स एक साथ सूचना की एक इकाई के रूप में प्रदान करते थे। वेब अब वैश्विक प्रणाली बन गया जिसे दुनियाभर में कहीं से भी एक्सैस किया जा सकता था।
मोजैक के आने के बाद तो वेब ने सफलता के आकाश को ही मानो छू लिया हो। 1994 में, मोजैक के पहले संस्करण के रिलीज के बाद वेब ने नेशनल साइंस फाउन्डेशन बैकबोन पर गोफर से ज्यादा ट्रैफिक बना लिया था।
वेब की कार्यविधि
वर्ल्ड वाइड वेब क्लाइंट-सर्वर संवाद का प्रयोग करता है। ब्राउजर प्रोग्राम एक क्लाइंट की तरह कार्य करता है जो इंटरनेट का प्रयोग कर वंछित सूचना प्राप्त करने के लिए दूरस्थ सर्वर से अनुरोध करता है। दूरस्थ सर्वर अनुरोध की गई सूचना को कुछ अन्य सूचना के साथ एक ब्राउजर को लौटाता है जिसके लिए आवेदन किया गया था।
अतिरिक्त सूचना जो आवेदन किये गये पेज के साथ होती है, प्रयोक्ता को उस पेज के बारे में दो बातें बताता है-पहला, आप प्राप्त की गई सूचना को कैसे प्रदर्शित करें एवं दूसरा उस पेज पर सभी हायपरलिंक का यू.आर.एल. (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) प्रदान करता है।
ब्राउजर उस विशेष पेज को दूरस्थ सर्वर से प्राप्त करने के बाद इसे प्रदर्शित करता है तथा प्रयोक्ता के द्वारा इसके हाइलाइटेड आइटम को क्लिक करने की प्रतीक्षा करता है। एक बार जब प्रयोक्ता उस हाइलाइटेड आयटम का चुनाव करता है तब ब्राउजर उसमें छिपे हुए सूचना को सम्पर्क करता है तो उस पृष्ठ के साथ प्राप्त किया गया था तथा उसमें से वह उस यू.आर.एल. को प्राप्त करता है जिससे आगे के पृष्ठों को प्रदर्शित कराया जाता है।
वेब की कार्यविधि को निम्न चित्र के माध्यम से समझा जा सकता है।
जब आप सबसे पहली बार ब्राउजर के एड्रेस बार में World Wide Web Consortium का साइट यू.आर.एल. प्रविष्ट करते हैं जब ब्राउजर उस एड्रेस पर दूरस्थ कम्प्यूटर पर चल रहे प्रोग्राम को सम्पर्क करता है एवं उसे यू.आर. एल के अनुसार साइट प्रदर्शित करने का आग्रह करता है। जब एक बार वह साइट प्रदर्शित होती है तो उसमें सामान्य टैक्स्ट के अलावा हायपर टैक्स्ट भी होते हैं जिसको इंगित करने पर उसमें छिपा यू.आर.एल. प्रदर्शित होता है। जब प्रयोक्ता उस लिंक को क्लिक करता है तब फिर ब्राउजर उस विशेष यू.आर.एल. पर उपस्थिति पेज को प्रदर्शित करवाने के लिए सर्वर को आग्रह करता है जिसकी पूर्ति सर्वर करता है एवं उस विशेष वेब पेज को प्रदर्शित करता है जो ब्राउजर इसे प्रयोक्ता के लिए प्रदर्शित करता है जो आप चित्र में देख सकते हैं। इस तरह प्रयोक्ता के आदेश का पालन सर्वर से करवाता है एवं इसी तरह वेब कार्य करता है।