व्यक्तित्व विकास एवं संचार योग्यताएँ : Personality Development and Communication Skills- NCVT ITI

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परिचय Introduction

सौन्दर्य सृष्टि का अनुपम उपहार है, जिसे शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। मानव आदिकाल से ही सौन्दर्य का उपासक रहा है। सौन्दर्य वह है, जिसे वार-बार देखने की इच्छा जाग्रत होती है। नारी ईश्वर की अनुपम कृति है। प्रत्येक स्त्री की इच्छा होती है कि वह संसार में सर्वाधिक सुन्दर दिखाई दे, परन्तु बाहरी रंग-रूप एवं वेशभूषा के अतिरिक्त व्यक्तित्व भी उसकी सुन्दरता में अहम् भूमिका का निर्वाह करता है। मानव का व्यक्तित्व जन्मजात आकर्षक नहीं होता है। इसे आकर्षक बनाने के लिए उसे निरन्तर प्रयासरत रहना होता है, जिसके फलस्वरूप वह अपने व्यवहार व रंग-रूप में विशिष्ट बन जाता है।

    प्राचीन समय में रानियों अथवा महारानियों को सजाने एवं सँवारने का कार्य उनकी परिचारिकाएँ किया करती थीं तथा महिलाएँ विभिन्न प्रकार के श्रृंगार प्रसाधनों को घर पर ही निर्मित किया करती थीं। समय के साथ-साथ सौन्दर्य एवं फैशन के प्रति भी महिलाओं की सोच में काफी परिवर्तन आया है। प्राचीन समय में स्त्रियों का सजना-सँवरना केवल बिन्दी, काजल, लिपिस्टिक, महावर एवं बालों के स्टाइल तक ही सीमित था, परन्तु आज की नारी अपने सम्पूर्ण शारीरिक सौन्दर्य को निखारने पर समान ध्यान देती है। उनके इस कार्य में एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट हर सम्भव सहायता प्रदान करती है। आजकल स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष भी अपने सौन्दर्य के प्रति जागरूक हो गए हैं। इसके फलस्वरूप देश के प्रत्येक क्षेत्र में निरन्तर ब्यूटी पार्लर एवं ब्यूटी क्लीनिक खुल रहे हैं तथा उनमें कार्य करने हेतु कॉस्मेटोलॉजी की माँग भी लगातार बढ़ रही है। स्त्रियों के आत्मनिर्भर बनने के क्षेत्र में बेसिक कॉस्मेटोलॉजी कोर्स एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे सम्बन्धित जानकारी इस लेख में सरल एवं आसान भाषा में दी गई है।

    व्यक्तित्व विकास एवं संचार योग्यताएँ : Personality Development and Communication Skills- NCVT ITI

    कॉस्मेटोलॉजी Cosmetology

    ब्यूटी कल्चर का वैज्ञानिक अध्ययन (study) एवं सम्बन्धित अभ्यास (practice) को कॉस्मेटोलॉजी कहा जाता है। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सामान्य भाषा में ब्यूटीशियन (beautician) के नाम से भी जाना जाता है। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट का मुख्य कार्य ग्राहको के सौन्दर्य को निखारकर उन्हें सम्पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करना है। एक सफल कॉस्मेटोलॉजिस्ट को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए- 

    ध्यान रखने योग्य बातें-

    1. अपने समय के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
    2. प्रतिदिन अपने काम की प्लानिंग हेतु लिस्ट बना लें और कभी भी ग्राहक को इंतजार न कराएँ।
    3. ग्राहकों पर आपका अच्छा प्रभाव पड़ना चाहिए।
    4. कॉस्मेटोलॉजिस्ट का व्यक्तित्व (personality) अच्छा व आकर्षित हो और उसे अपने पर स्व-विश्वास (self-confidence) होना चाहिए।
    5. ग्राहक के साथ नम्रता से बोलें।
    6. ग्राहक को लिस्ट के अनुसार समय दें।
    7. अपने ग्राहक को उचित प्रकार से तैयार करें। ग्राहक को सदैव उसका नाम लेकर बुलाना चाहिए।
    8. ग्राहक से सच्चाई और ईमानदारी के साथ पेश आएँ।
    9. अपनी आवाज में मधुरता लाएँ तथा आपकी भाषा में शुद्धता और स्पष्टता होनी चाहिए।

    ध्यान रखने योग्य निषेध बातें-

    1. शरीर अथवा मुँह से बदबू आना।
    2. ग्राहक की उपस्थित्ति में पान चबाना अथवा सिगरेट पीना।
    3. ग्राहक से अपनी अथवा अन्य ग्राहकों की निजी समस्याओं को साझा करना।
    4. अन्य ग्राहक से गलत व्यवहार करना।
    5. ऊँची आवाज में वार्तालाप करना।
    6. ग्राहक के साथ कार्य करते समय अनुचित स्थिति (posture) में खड़ा होना।
    7. अपने निजी मूड को ग्राहक पर हावी होने देना।

    व्यक्तित्व विकास Personality Development

    व्यक्तित्व से अभिप्राय व्यक्ति के आन्तरिक व बाह्य गुणों के सम्मिश्रण से है। व्यक्तित्व किसी भी व्यक्ति की सफलता में एक अहम् भूमिका निभाता है। यह आपके जन्मजात गुणों के साथ-साथ अर्जित किए गए गुणों पर भी निर्भर करता है। हम रोज अनेक व्यक्तियों से मिलते हैं, परन्तु उनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो हमें प्रभावित कर जाते हैं तथा लम्बे समय तक याद रहते हैं। इस प्रकार के व्यक्तियों का व्यक्तित्व अन्य लोगों पर अपनी अमिट छाप छोड़ देता है। अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति खुशहाल, प्रभाविक एवं अन्य लोगों की सहायता करने वाले होते हैं। व्यक्तित्व में शारीरिक सुन्दरत्ता के साथ-साथ मानसिक सुन्दरता भी समाहित रहती है। अतः एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपनी शारीरिक सुन्दरता के साथ-साथ मानसिक सुन्दरता के विकास पर भी उचित प्रकार से ध्यान देना आवश्यक है। व्यक्तित्व विकास के लिए एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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    स्वास्थ्य के नियम Hygiene Rules

    एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट के लिए स्वास्थ्य से सम्बन्ध साफ-सफाई से है, जोकि स्वयं एवं कार्य स्थान से सम्बन्धित होता है। उन्हें स्वयं को साफ रखते हुए स्वास्थ्य के अनुसार फिट एवं एक्टिव रहना चाहिए एवं साथ-ही-साथ कार्य-स्थान अर्थात् ब्यूटीपार्लर अचवा सैलून में भी सफाई रखनी चाहिए अन्यथा ग्राहक को अच्छा महसूस नहीं होगा। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को स्वयं की शारीरिक सफाई रखनी चाहिए तथा ग्राहकों के लिए प्रयोग में आने वाले सामान को भी साफ-सुथरा रखना चाहिए। एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट हेतु सामान्य स्वास्थ्य के नियम निम्न है-

    आहार एवं व्यायाम Diet and Exercise

    शरीर को सुन्दर, सुडौल तथा निरोगी बनाने में सन्तुलित आहार एवं नियमित व्यायाम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 'डाइट' शब्द का इस्तेमाल सामान्यता वजन कम करने के लिए किया जाता है, परन्तु इसका सही अर्थ शरीर को हर तरह से योग्य और स्वस्थ रखना है। आधुनिक समय में मोटापा एक आम समस्या हो गई है। मोटापा कम करने के लिए अक्सर लोगों को विभिन्न प्रकार के उपायों का प्रयोग करते देखा जाता है, जोकि अधिकतर सफल नहीं हो पाते, बल्कि कई बार ये प्रयोग उनके लिए हानिकारक सिद्ध हो जाते हैं।

    वजन घटाने के लिए खुराक में कमी करना एक सामान्य बात हो गई है, परन्तु इससे शरीर में कई कमियों पैदा हो जाती है, जो आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों के न मिल पाने के कारण उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसी परिस्थितियों में पहले तो वजन कम हो जाता है, लेकिन बाद में फिर उतना ही बढ़ जाता है। इससे मुक्ति पाने के लिए हमें सन्तुलित आहार लेना चाहिए। वह आहार जिसमें सम्पूर्ण पौष्टिक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट आदि का समावेश होता है, सम्पूर्ण सन्तुलित आहार कहलाता है। सन्तुलित आहार लेने के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम करने से भी शरीर को आकर्षक बनाया जा सकता है। व्यायाम सदैव प्रातःकाल एवं खाली पेट ही करना चाहिए। यदि अपनी व्यस्त दिनचर्या के कारण आप सुबह व्यायाम नहीं कर सकते हैं तो सांयकाल में समय निकालकर कर लेना चाहिए।

    व्यायाम हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसे करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं- 

    1. व्यायाम करने से शरीर के वसीय कोष्ठ जल जाते हैं और माँसपेशियों में कसाव आता है।
    2. व्यायाम हृदय को मजबूत बना देता है, जिससे ज्यादा श्रम करने पर भी धड़कन की गति सामान्य (normal) बनी रहती है, क्योंकि हृदय हर संकुचन में ज्यादा रक्त पम्प करने लगता है। इससे शरीर के हर अंग को ज्यादा ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की सभी प्रणालियाँ सुदृढ़ बनती है।
    3. व्यायाम का सम्पूर्ण लाभ तब मिलता है, जब व्यायाम के साथ-साथ पौष्टिक व सन्तुलित आहार लिया जाए व प्राणायाम द्वारा अंग-विन्यास (posture) तथा साँसों की गति (breathing) सही रखी जाए।
    4. नियमित व्यायाम करने से स्वस्थ, आकर्षक, सुडौल शरीर प्राप्त होता है। व्यायाम करने से शरीर व मस्तिष्क दोनों को समान लाभ पहुँचता है। व्यायाम का मुख्य उ‌द्देश्य हृदय को नियन्त्रित गति प्रदान करना है, जिससे शरीर सुदृढ़ और लचीला बनता है।
    5. व्यायाम से 'ट्राइग्लिसराइड' नामक कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है तथा व्यायाम धमनियों को क्षति पहुँचाने वाले कोलेस्ट्रॉल को घटाने वाले एचडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। इससे कोरोनरी हृदय रोग अर्थात् अचानक दिल का दौरा पड़ जाने की सम्भावना कम हो जाती है। 
    6. शरीर की गन्दगी पसीने के रूप में व्यायाम करने से बाहर निकलती है, जिससे धीरे-धीरे चेहरे व पूरे शरीर पर चमक आने लगती है। इसके अतिरिक्त चेहरे से मुँहासे व झाइयों भी कम होने लगती हैं तथा कब्ज की शिकायत भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है।
    7. नियमित रूप से व्यायाम करने से रक्त संचार सही होने लगता है। इसके द्वारा अनेक रोगों को नियन्त्रित करने में सहायता मिलती है।

    उपवास Fast

    उपवास हमारे धार्मिक रीति-रिवाजों के सामान्य अंग थे। इनका ध्येय स्वास्थ्य को गति प्रदान करना और उसे स्थिर रखना था। हमारे देश में अधिकांश रीति-रिवाज स्वास्थ्य सम्बन्धी वैज्ञानिक नियमों पर आधारित हैं, परन्तु हम अन्धविश्वासों में फेस जाने के कारण उपवास का मूल उ‌द्देश्य भूल जाते हैं। समय के साथ-साथ हमारे शरीर में अनेक विषैले तत्त्व जमा होते रहते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों के ठीक से काम करने के लिए इन विषैले तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालना आवश्यक हो जाता है। नियन्त्रित और नियमित उपवास का विधान इन विषैले तत्त्वों से शरीर की शुद्धि के लिए दिया गया है जिसमें कच्ची सब्जियों और फलों के रसों द्वारा इसको सम्पन्न किया जाता है। उपवास करने से शरीर में ताजगी के साथ ही शरीर के आभ्यन्तरिक अंगों को भी आराम मिलता है। उपवास से शरीर को अनेक रूपों में लाभ होता है। उपवास द्वारा रक्तवाहिनियाँ सारे शरीर में पोषक तत्व एवं ऑक्सीजन पहुँचाती है। इससे हार्मोन्स के प्रवाह को नियमित करने वाली अतःस्रावी ग्रन्थियां भी शुद्ध होती हैं तथा दूषित तत्त्वों के शरीर से बाहर निकल जाने से स्नायुओं की क्रिया भी सुधरती है। उपवास करने से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है. इससे चेतना शक्ति को भी बल मिलता है और इन्द्रियां सही ढंग से कार्य करने लगती है। 

    आभ्यन्तरिक शुद्धि अथवा फलों के रस पर आधारित उपवास के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए- 

    1. उपवास में अनन्नास, तरबूज, गाजर, टमाटर, सेब, सन्तरा आदि का रस लेना चाहिए तथा ऐसा उपवास सप्ताह में एक बार किया जा सकता है।
    2. उपवास में कच्ची सब्जियों और फलों के रस लेने चाहिए।
    3. चाय, कॉफी, डिब्बाबन्द रस और सोडा आदि नहीं लेने चाहिए। चाय, कॉफी आदि में एसिड होता है, जिससे उपवास का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।
    4. तरल पदार्थ लेने का अर्थ यहाँ केवल सब्जी और फलों के रस से है।
    5. उपवास के समय अधिक चीनी, तले हुए भोजन, मिठाइयाँ, कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसायुक्त भोज्य पदार्थ नहीं लेने चाहिए, क्योकि इनसे शरीर में विषैले तत्व उत्पन्न होते है।

    अतः खुद को मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ, सुन्दर तथा आकर्षक बनाने के लिए प्रत्येक महिला तथा पुरुष को सप्ताह में एक दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए।

    भरपूर नींद की आवश्यकता Necessity of Sound Sleep

    भरपूर नींद की आवश्यकता Necessity of Sound Sleep
    प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए एक अच्छी नींद की आवश्यकता सदैव होती है, जो व्यक्ति पूरी नींद नहीं लेता उसे पूरी तरह स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है। कभी-कभी तनाव, चिन्ता, क्रोध और हताशा के कारण व्यक्ति भरपूर नींद नहीं ले पाता है, जिससे उसका स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका बनी रहती है। प्रत्येक व्यक्ति को रात में नींद अवश्य लेनी चाहिए तथा रात को जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को 24 घण्टे में कम-से-कम 8 घण्टे की नीद लेनी चाहिए।

    नीद न आना एक जटिल समस्या है। नीद की दवाओं में डाले जाने वाले क्षार और एल्कोहॉल सहज स्वप्न-निद्रा को रोकते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं। वास्तव में स्थायी अनिद्रा रोग नींद की दवाइयों के लम्बी अवधि तक सेवन करने का परिणाम होता है। ये दवाइयाँ आरम्भ में नींद लेने के लिए ली जाती हैं, परन्तु बाद में इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आते हैं। कृत्रिम उपायों द्वारा नींद लेने के बजाय आपका नीद के प्रति सकारात्मक रवैया अधिक महत्व रखता है। नींद न आने की स्थिति में व्यक्ति मानसिक सुझाव या सम्मोहन का भी सहारा ले सकता है। अनिद्रा के रोग में नींद न आने की चिन्ता न करके आराम से लेटे रहिए और इस बारे में सोचना बन्द कर दें कि आपको नींद कब आएगी। रात को सोने से पहले कोई मनपसन्द पुस्तक पढ़ने की आदत डालिए क्योंकि ऐसा करने से अनिद्रा या चिन्ता सम्बन्धी विकार समाप्त हो जाएँगे और व्यक्ति को अच्छी नींद आ जाएगी।

    योग Yoga

    योग Yoga
    स्वास्थ्य के नियमों के अन्तर्गत योग एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इसके द्वारा मनुष्य शरीर की आन्तरिक शुद्धि करने में सक्षम हो जाता है, जोकि उसके व्यक्तित्व को निखारने में एक औषधि के समान कार्य करती है। योग प्रत्येक उम्र के व्यक्ति के लिए उपयोगी होता है। यदि योग को उचित प्रकार एवं नियमित रूप से किया जाए तो वह आपके व्यक्तित्व में एक आकर्षण उत्पन्न कर देता है। योग शरीर के साथ-साथ व्यक्ति के मानसिक विकारों को भी दूर करने में सहायता प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट के स्वस्थ व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

    अच्छे अलंकरण के मूल आधार Basics of Good Grooming

    अपने ग्राहकों के रूप एवं सौन्दर्य को निखारना और संवारना ही कॉस्मेटोलॉजिस्ट का कार्य है। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट ग्राहकों को अपने कार्य एथ व्यवहार के द्वारा सन्तुष्ट कर सकता है। ग्राहको पर अच्छा प्रभाव डालने के लिए विभिन्न महत्त्वपूर्ण बातें कॉस्मेटोलॉजिस्ट को जात होनी चाहिए। उसको खुद भी आकर्षक होना आवश्यक है, क्योंकि उनका कार्य दूसरों के सौन्दर्य को निखारना एवं संवारना है। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को स्वय का सम्पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। उसको पता होना चाहिए कि उस पर कौन-से वस्त्र एवं अन्य अलंकरण अच्छे लगते हैं और कौन-से नहीं? कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने वस्त्रों का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि वस्त्र किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट के व्यक्तित्व को आकर्षित बनाने के लिए उसके द्वारा निम्न बातों का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है।

    वस्त्रों का चयन Selection of Clothes

    वस्त्रों का चयन करते समय कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सर्वाधिक ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि उसके द्वारा पहने गए वस्त्र उस पर अच्छे लगे। वस्त्रों का चयन करते समय कॉस्मेटोलॉजिस्ट को रंगों का चयन अपने फॉगर, त्वचा के रंग और कद को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। वस्त्रों का चयन करते समय उन्हें अपनी स्टाइल का भी ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए आप यदि हमेशा साड़ी पहनती है, तो कभी-कभी आपको सूट भी पहनना चाहिए। इसके अतिरिक्त यदि आप हमेशा सूट पहनती हैं और आपका फोगर उपयुक्त है तो कभी-कभी लॉग स्कर्ट तथा अन्य आकर्षक वस्त्र भी पहनने चाहिए। ऐसा करने से आपको स्वयं में तथा ग्राहकों को आप में नयापन दिखेगा।

    बालों की सफाई तथा हेयर स्टाइल Cleaning of Hair and Hair Style

    बालों की सफाई तथा हेयर स्टाइल Cleaning of Hair and Hair Style
    हमारे सौन्दर्य में सुन्दर बाल हमेशा चार-चाँद लगाते हैं। इसलिए कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने बालों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को हफ्ते में दो से तीन बार बालों को धोना चाहिए तथा अपने बालो में कोई रोग नहीं होने देना चाहिए जैसे रूसी, दो मुंहे बाल, बालों का झड़ना, जुएँ आदि। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव सुन्दर दिखना आवश्यक है, क्योकि तभी आप ग्राहकों को अपने व्यक्तित्व की ओर आकर्षित करने में सक्षम होंगी। उन्हें कभी-कभी बालों का सुन्दर जूड़ा भी बनाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप आप भी एक ही हेयर स्टाइल से बोर नहीं होगी तथा ग्राहकों पर भी आपका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

    हाथों एवं पैरों की सफाई Cleaning of Hands and Legs

    हाथों एवं पैरों की सफाई Cleaning of Hands and Legs
    कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने हाथों तथा पैरो की पूरी सफाई पर भी अवश्य ध्यान देना बाहिए। सामान्यतः लोग सुन्दरता को अपने चेहरे तथा बालो की सफाई तक ही सीमित कर लेते हैं, परन्तु कॉस्मेटोलॉजिस्ट को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनके हाथों तथा पैरों की सफाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है, जितनी चेहरे और बालों की और हफ्ते में दो बार कॉस्मेटोलॉजिस्ट को मेनिक्योर तथा पेडिक्योर अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

    मुद्रा Posture

    मनुष्य के बैठने अथवा खड़े होने की विभिन्न परिस्थितियों में उसका शरीर जिस प्रकार प्रतीत होता है, वह मुद्रा कहलाती है। मुद्रा विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग प्रकार की होती है। मुद्रा के अन्तर्गत व्यक्ति का मानसिक एवं वाहरी व्यवहार सम्मिलित होता है। मुद्रा के द्वारा ही मनुष्य के व्यक्तित्व के विषय में पता चलता है। मुद्रा के अन्तर्गत निम्न मुद्राएँ सम्मिलित होती है-

    बाह्य/दृश्य मुद्रा External/Visual Posture

    व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता उसके हाव-भाव, उठने-बैठने एवं चलने-फिरने से चलता है। दृश्य/बाह्य मुद्राओं के अन्तर्गत व्यक्ति का बैठना, चलना एवं खड़ा होना सम्मिलित है जिनका वर्णन अग्र प्रकार है बैठना Siming मनुष्य के बैठने के तरीके से उसके बारे में विभिन्न बातों को जाना जा सकता है। व्यक्ति के बैठने का तरीका इस प्रकार का होना चाहिए कि सामने बाले को वह आत्म-विश्वास (confidence) से भरा हुआ, चुस्त और स्वस्थ प्रतीत हो जब भी कुर्सी पर बैठे तो पीठ को कुर्सी से सटाकर रखें, नजर सामने और गर्दन सामान्य रखनी चाहिए। दोनों पैर जमीन पर रखें अथवा एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर चढ़ाकर आराम से दोनों पैरों को कुर्सी के अन्दर की ओर मोड़कर बैठना, उचित मुद्रा के अन्तर्गत आता है। व्यक्ति के बैठने का तरीका ऐसा होना चाहिए, जिससे वह अपना वजन सरलता से सम्भाल सके। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को दोनों हाथों को कुर्सी के दोनों हत्थों पर रखकर कभी नहीं बैठना चाहिए। यदि आप कुर्सी के हत्थे पर हाथ रखना चाहते हैं तो एक हाथ की कुहनी को कुर्सी के हत्थे पर टिकाकर हथेलियों को जाँघ के ऊपर रखकर क्रॉस करके बैठना चाहिए।

    चलना Walking

    किसी भी व्यक्ति के चलने से हमें यह अन्दाजा लग जाता है कि वह स्वस्थ है या नहीं। मनुष्य की स्वस्थ चाल उसके चुस्त, स्वस्थ और प्रसन्न होने का प्रतीक है, जबकि एक अस्वस्थ चाल व्यक्ति को सुस्त, दुःखी और अस्वस्थ बताती है। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को चलते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसके कदम लम्बे-लम्बे न पड़े और न ही बहुत छोटे-छोटे पड़े। चलते समय उनके पैरों की आवाज अथवा जूते-चप्पलों की आवाज नहीं आनी चाहिए। ऐसे चप्पल या सैंडल पहने, जिससे उन्हें चलने में असुविधा महसूस न हो। चलते समय हाथों को ज्यादा हिलाते हुए नहीं चलना चाहिए। हाथों में सामान्य मूवमेण्ट होनी चाहिए। पैरों को घिसटकर नहीं चलना चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को कन्धों को बहुत झुकाकर, स्ट्रेट होकर तथा तनकर नहीं चलना चाहिए। सही तरीके से बैठने, चलने, खड़े होने से या बोलने से कॉस्मेटोलॉजिस्ट के अच्छे व्यक्तित्व का पता चलता है।

    खड़ा होना Standing

    किसी भी खड़े हुए व्यक्ति को देखकर हम यह पता कर सकते हैं कि उसकी शारीरिक मुद्रा कैसी है? अपनी शारीरिक मुद्रा को जानने का सबसे आसान तरीका यह है कि व्यक्ति को अपनी पीठ को दीवार से लगाकर खड़ा होना चाहिए व दोनों पैरों को मिलाकर अपनी एडी को तीन इंच ऊपर उठाएं। यदि आपकी पीठ, सिर, कन्चे और हिप्स दीवार से सटे हुए हो तो इसका तात्पर्य यह है कि आपकी शारीरिक मुद्रा उचित है। यदि इनमें से शरीर का कोई हिस्सा दीवार से नहीं छूता है तो इसका तात्पर्य है कि आप बहुत मोटे अथवा पतले हैं। खड़े होते समय आपकी शारीरिक मुद्रा (body posture) बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को पेट को निकालकर खड़ा नहीं होना चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को दोनों हाथ कमर पर रखकर भी खड़ा नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को खड़े होते समय अपनी बॉडी का वजन दोनों पैरों पर बराबर डालना चाहिए।

    सामाजिक मुद्रा Social Posture

    एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट की सामाजिक मुद्रा के अन्तर्गत उसका शिष्टाचार आता है, जिसके द्वारा व्यक्ति लोकप्रियता अर्जित करता है। शिष्ट व्यक्ति इंध्यां-द्वेष आदि से दूर रहकर सबकी भलाई चाहता है। शिष्टाचार के बिना सुन्दरता का कोई मोल नहीं है तथा उसके बिना जीवन में सुखी होना असम्भव है। सद्भाव और शिष्टाचार से हो मनुष्य की सौन्दर्य को सम्पूर्णता प्राप्त होती है। ऐसा सौन्दर्य जिसमें शिष्टाचार, प्रेम, दया, सन्तोष और सहृदयता उपस्थित नहीं है, तो वह सौन्दर्य मूल्य रहित है अर्थात् मनुष्य की सुन्दरता केवल देखने तक ही सीमित रह जाएगी। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को शिष्टाचार को अपने व्यवहार में सम्मिलित करने से अपने कार्य में अद्भुत उन्नति मिलेगी। लोग उसके अच्छे व्यवहार से उसकी तरफ आकर्षित होगे। कॉस्मेटोलॉजिस्ट के शिष्ट आचरण से उसके ग्राहको पर भी बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

    शिष्टाचार हेतु महत्त्वपूर्ण बिन्दु

    • आपको प्रत्येक व्यक्ति के लिए सम्मानजनक सम्बोधनों का प्रयोग करना चाहिए। 
    • प्रत्येक मनुष्य के अन्दर गुणों के साथ-साथ कुछ अवगुण भी होते हैं। अतः किसी ग्राहक की गलत बात का भी बुरा न माने, बल्कि अपनी ओर से उसके साथ सदैव व्यवहार करना चाहिए।
    • आप दूसरों से जैसा व्यवहार करेंगी, बदले में वैसा ही व्यवहार पाएँगी, इस बात का सदैव ध्यान रखें। अतः एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सभी के साथ अच्छा साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। 
    • प्रत्येक व्यक्ति (ग्राहक) का आदर करने पर ही वह भी आपके साथ आदरणीय व्यवहार करेगा।
    • समस्त सद्‌गुणों की आधारशिला विनम्रता है। इससे धैर्य, संयम, आत्मीयता और परोपकार सदृश सद्‌गुणों का विकास होता है। प्रत्येक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने स्वभाव में विनम्रता का समावेश अवश्य करना चाहिए।
    • कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव मीठी वाणी बोलनी चाहिए, क्योंकि मीठी वाणी अमृत का काम करती है। आप अपनी मीठी वाणी के द्वारा सदैव अपने ग्राहको के आकर्षण का केन्द्र बनेगी।

    वस्त्रागार योजना Wardrobe Planning

    वस्त्रागार योजना से अभिप्राय अपनी अलमारी को व्यवस्थित करने से है। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट होने के कारण आप पर अनेक जिम्मेदारियाँ होती हैं। किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान सर्वप्रथम उसके कपड़ों से ही की जाती है। इसलिए कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव अपने कपड़ों का ध्यान रखना चाहिए तथा अपनी अलमारी में वे सभी कपड़े रखने चाहिए, जो आपके कद, उम्र व शरीर के लिहाज से आपके व्यक्तित्व को निखारते हों।

    एक प्रोफेशनल कॉस्मेटोलॉजिस्ट को एक निर्धारित यूनीफार्म होती है; जैसे- ट्राउजर शर्ट, स्कर्ट-शर्ट और एप्रेन आदि, लेकिन अगर यूनीफॉर्म निधर्धारित न हो तो उसे अपने कपड़ों का चयन बहुत ध्यानपूर्वक करना चाहिए। कपड़ों का चयन करते समय अन्य व्यक्तियों की देखा-देखी नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने पसन्द व शारीरिक बनावट के अनुसार ही चयन करना चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने कपड़ों का चयन करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-

    कद के अनुसार According to Height

    सामान्य कद For Normal Height

    सामान्य कद वाली कॉस्मेटोलॉजिस्ट पर सभी वस्त्र; जैसे- साड़ी, सलवार-कमीज, जीस आदि अच्छे लगते हैं। इसलिए उन्हें अपने काम को ध्यान में रखते हुए आरामदायक वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

    लम्बे कद के लिए For long Height

    लम्बे कद वाली कॉस्मेटोलॉजिस्ट पर भी लगभग सभी प्रकार के वस्त्र अच्छे लगते है, परन्तु फिर भी उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। लम्बी कॉस्मेटोलॉजिस्ट को कुर्तों को लम्बाई घुटनों तक या उससे नीचे रखनी चाहिए तथा लम्बी-लम्बी लाइनों वाले कुर्ते नहीं पहनने चाहिए। उन्हें साड़ी न तो पेट पर चढ़ाकर बाँधनी चाहिए और न ही-बहुत नीचे बांधनी चाहिए।

    छोटे कद के लिए For Short Height

    छोटे कद वाली कॉस्मेटोलॉजिस्ट को ऐसे वस्त्र पहनने चाहिए जिनमें उनका कद लम्बा प्रतीत हो। छोटे कद की महिलाओं को घुटने से ऊपर तक के कुर्ते के साथ लेगिग्स या चूड़ीदार पजामी पहननी चाहिए। उन्हें चेक प्रिण्ट तथा लम्बी-लम्बी लाइनों वाले कुर्ते पहनने चाहिए, जिससे उनका कद लम्बा प्रतीत होता है।

    शारीरिक बनावट के अनुसार According to Physical Structure

    सामान्य महिलाओं के लिए For Normal Ladies

    सामान्य कद-काठी वाली महिलाओं पर सभी तरह के कपड़े अच्छे लगते हैं। यदि वे अधिकतर सलवार-कमीज पहनती है, तो कभी-कभी उन्हें साड़ी भी पहननी चाहिए, इससे उनके व्यक्तित्व में बदलाव आएगा। पार्लर में उन्हें दिनभर कुछ-न-कुछ काम करना पड़ता है, इसलिए उनकी साड़ी ऐसी होनी चाहिए, जिसमें वह आराम महसूस करते हुए सभी कार्य सरलता से कर सकें।

    मोटी महिलाओं के लिए For Fatty Ladies

    मोटी महिलाओं को छोटी प्रिट की साड़ी व सलवार-कमीज पहननी चाहिए। मोटी महिलाओं को कड़क कॉटन की साड़ी नहीं पहननी चाहिए, क्योंकि इससे शरीर सामान्य से अधिक मोटा दिखता है। मोटी महिलाओं को गाढ़े रंग के कपड़े; जैसे- काला और नीला पहनने चाहिए, क्योकि इस प्रकार के कपड़ों में शरीर कम मोटा दिखता है।

    दुबली-पतली महिलाओं के लिए For Sleek Ladies

    दुबली-पतली महिलाओं को बड़े प्रिंट के सलवार कमीज व साड़ी पहननी चाहिए, जिससे वह सामान्य कद-काठी को लगे। दुबली महिलाएँ यदि चाहे तो सलवार-कमीज व साड़ी के अलावा लॉग स्कर्ट-टॉप, जींस-कुर्ता भी पहन सकती है, परन्तु वह अधिक टाइट फिटिंग वाली नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस तरह के कपड़ों में वह अपेक्षाकृत अधिक पतली लगेगी।

    चेहरे के वर्ण के अनुसार According to Face Complexion

    गोरी महिलाओं के लिए For Whitish Complexion Ladies

    गोरे रंग की महिलाओं पर लगभग सभी रंग जमते हैं, लेकिन कुछ रंग ऐसे हैं, जो उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं जैसे-गुलाबी, नौला, मेहरून, सफेद आदि।

    गेहुँए रंग वाली महिलाओं के लिए For Wheatish Complexion Ladies

    हमारे देश में ज्यादातर महिलाओं का रंग गेहुँआ (wheatish) है। इस रंग की महिलाओं पर अधिकतर सभी रंग के कपड़े अच्छे लगते हैं, परन्तु गुलाबी, मेहरून, सफेद रंग के कपड़ों में गेहुँए रंग की महिलाएं अधिक सुन्दर प्रतीत होती हैं।

    साँवली महिलाओं के लिए For Dusky Complexion Ladies

    साँवले रंग की महिलाओं पर मेहरून, गुलाबी, आसमानी रंग के कपड़े अधिक अच्छे लगते हैं। इन महिलाओं को काले रंग के कपड़ों से बचना चाहिए, क्योंकि काले रंग में इनका रंग अपेक्षाकृत अधिक सांवला लगता है। यदि उन्हें काला पहनना ही है तो उसके साथ किसी दूसरे रंग का कॉम्बीनेशन करके पहनना चाहिए, जोकि उन्हें व्यक्तित्व को निखारने में सहायता करता है।

    अभिप्रेरण Motivation

    अभिप्रेरण व्यवहार को व्याख्या करने की मैद्धान्तिक संरचना है। यह व्यक्ति के कार्य, इच्छाओं तथा आवश्यकताओं के पीछे छिपे कारणों को प्रदर्शित करता है। अभिप्रेरण व्यक्ति के व्यवहार की दिशा को परिभाषित करता है तथा एक व्यक्ति द्वारा बार-बार समान व्यवहार किए जाने के उत्तरदायी कारणों को बताता है। अभिप्रेरण के अन्तर्गत व्यक्ति के आन्तरिक एवं बाह्य कारक (factors) आते हैं, जोकि मनुष्य को किसी कार्य को करने की दिशा में प्रेरित करते हैं। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव उन कारकों के सानिध्य में रहना चाहिए, जोकि उसे एक सफल कॉस्मेटोलॉजिस्ट बनाने के लिए अभिप्रेरित करते हो।

    ब्यूटी के क्षेत्र में सफल होने के लिए एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को निम्न बातों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए-

    1. अपने लक्ष्य का निर्धारण करें।
    2. अपने लिए उपयुक्त प्रेरणा को खोजिए।
    3. सभी कार्य उत्साह के साथ कीजिए।
    4. अपने से सदैव अपेक्षा रखिए।
    5. अपना लक्ष्य निर्धारित करने के बाद उसे पूर्ण करने की प्रतिज्ञा लीजिए।
    6. इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि जीवन एवं व्यवसाय में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
    7. अपने लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए सदैव कार्यरत रहे।
    8. सदैव छोटी उपलब्धियों से आरम्भ करें, क्योकि छोटी-छोटी उपलब्धियों को ही प्राप्त करके बड़े लक्ष्य को प्राप्ति की जानी सम्भव है।
    9. अपने लक्ष्य की पूर्ति हेतु अन्य लोगों से मदद लेने में झिझकना नहीं चाहिए।
    10. नकारात्मक विचारों को छोड़कर सदैव सकारात्मक विचारों को ध्यान में रखें।
    11. सदैव उपलब्धियों के विषय में सोचें, परेशानियों के विषय में नहीं। 
    12. नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में परिवर्तित करें।

    कैरियर के रूप में ब्यूटी Beauty as a Career

    सुन्दरता ईश्वर की अप्रतिम देन है, परन्तु संसार में सभी व्यक्ति सुन्दर नहीं होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के मन में सुन्दर दिखने की चाह सदैव उपस्थित रहती है, जिसको सफल बनाने में कॉस्मेटोलॉजिस्ट एक अहम् भूमिका निभाते हैं। ब्यूटी कैरियर एक व्यापक क्षेत्र है तथा इसमें सामान्य एवं उच्च श्रेणी अर्थात् सभी प्रकार के व्यक्ति सम्मिलित है। ब्यूटी सम्बन्धी कैरियर के लिए उच्च शिक्षा अनिवार्य नहीं है। इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए व्यक्ति को ब्यूटी की समझ एवं कार्य-कुशलता की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र में अधिकतर महिलाओं ने अपना कैरियर बनाया है, परन्तु आधुनिक समय में पुरुष भी अपनी सुन्दरता के लिए जाग्रत हो गए हैं। इसलिए पुरुष भी इस क्षेत्र में अपना कैरियर निर्मित कर रहे हैं तथा ब्यूटी कैरियर के रूप में व्यक्ति के सपनों को पूर्ण करने में सक्षम हैं।

    कॉस्मेटोलॉजिस्ट के गुण Qualities of a Cosmetologist

    कॉस्मेटोलॉजिस्ट सदैव ग्राहको के मध्य रहता है। इसलिए उसको अपने व्यक्तित्व के विभिन्न गुणों को सम्मिलित करना अनिवार्य हो जाता है, जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

    आत्म-विश्वास Self-confidence

    कॉस्मेटोलॉजिस्ट को आत्म-विश्वास की प्राप्ति स्वयं के आत्म-सम्मान से मिलती है। अतः अपनी आत्म-शक्ति को पहचान कर उसका सम्मान करते हुए अपनी कार्यकुशलता बढ़ानी चाहिए। आत्म-विश्वास प्रत्येक व्यक्ति की सफलता का आधार है। 'आत्मविश्वास' शब्द व्यक्ति को आगे बढ़ने में प्रोत्साहन देता है। जब तक आपके अन्दर आत्मविश्वास नहीं होगा, आप कोई भी कार्य उचित प्रकार से नहीं कर पाएँगी तथा अपने व्यवसाय में असफल हो जाएँगी। याद रखिए किसी भी काम को करने के लिए आत्म-विश्वास बहुत जरूरी है। भले ही आप अपना काम छोटी जगह तथा कम सुविधाओं के साथ शुरू करें, लेकिन यदि आप यह सोच लें कि आप अपने काम को अपना जीवन रहते एक बड़ा नाम तथा रूप देगी, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा।

    सकारात्मक विचार Positive Thinking

    मनुष्य सकारात्मक विचारों के द्वारा अपने जोबन एवं व्यवसाय में महत्वपूर्ण गति ला सकता है। अतः व्यावसायिक विकास हेतु एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट के विचार सदैव सकारात्मक होने चाहिए। ज्ञाप यदि अपने ग्राहक की किसी भी इच्छा या बात को सकारात्मकता के साथ मौंचेगी तो आप उसको इच्छापूर्ति करके उसे सन्तुष्ट करने का प्रयास अवश्य करेगी अन्यथा नकारात्मक सोच के हावी होने पर आप उसकी बात या इच्छा को गलत साबित कर उसे टालने में लगी रहेंगी, जोकि आपके जीवन एवं व्यवसाय के विकास के प्रतिकूल सिद्ध होगा। अतः एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट अपने विचारों में सकारात्मकता लाकर अपने व्यक्तित्व व व्यवसाय दोनों में अद्भुत सफलता प्राप्त कर सकती है।

    प्रसन्नचित्तता Happiness

    एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट की प्रमुख विशेषताओं में सबसे मुख्य विशेषता उसकी प्रसन्नचित्तता है। कॉस्मेटोलॉजिस्ट के लिए अपने ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रसन्नचित्तता सबसे आसान साधन है। प्रसन्न रहने से आप व्यावसायिक तौर के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी अनेक विकारी से दूर रहेगी तथा अपने ग्राहकों पर भी अच्छा प्रभाव डाल पाएँगी। एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट बनने के लिए उसे उदासी, अवसाद, तनाव, ईष्यां एवं क्रोध से दूर रहना चाहिए।

    प्रसन्नचित्तता व्यक्ति में निम्न गुणों का संचार करती है-

    1. इससे मनुष्य दोगुनी गति से कार्य करता है।
    2. इससे व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
    3. व्यक्ति अपेक्षाकृत बेहतर संवाद कायम करने में सक्षम हो जाता है।
    4. व्यक्ति सदैव चुस्ती एवं फुर्ती से युक्त रहता है और कार्य करने के लिए अग्रसर रहता है।

    सन्तुलित व्यवहार Balanced Behaviour

    एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट को हमेशा अपना व्यवहार सन्तुलित बनाकर रखना चाहिए। इस संसार में अलग-अलग प्रवृत्तियों के लोग रहते है. जिनमें से कुछ तो अत्यन्त विनम्र तथा सदाचारी होते हैं और कुछ अत्यन्त झगड़ालू। यदि कभी कोई ग्राहक कॉस्मेटोलॉजिस्ट से सही लहजे में बात न करे अथवा किसी बात को लेकर झगड़ा करे तो कॉस्मेटोलॉजिस्ट को उस वक्त अपने धैर्य का प्रयोग करके बात को संभालना चाहिए।

    समर्पण Devotion

    एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने व्यवसाय के प्रति पूर्णरूप से समर्पित होना चाहिए। एक काम-काजी महिला को अपने घर तथा व्यवसाय दोनों पर समान ध्यान देना पड़ता है, जोकि थोड़ा कठिन है, लेकिन यदि कॉस्मेटोलॉजिस्ट चाहे तो कार्य सूची व कड़ी नियमबद्धता के द्वारा व्यवसाय व घर दोनों में सही तालमेल बिठाकर विकास के पथ पर अग्रसर हो सकती है। व्यवसाय के प्रति समर्पित होने से तात्पर्य यह नहीं है कि आप अपने अन्य कार्यों को भूल ही जाएँ, बल्कि इसका अभिप्राय यह है कि आप अपने अन्य कार्यों को करते हुए भी अपने व्यवसाय में पूरी तरह मन लगाएँ अर्थात् समर्पित रहें तथा उसको अनदेखा न करें।

    एकाग्रता Concentration

    जिस प्रकार शरीर को शक्ति को बढ़ाने के लिए शारीरिक व्यायाम आवश्यक है, उसी प्रकार मन की शक्ति को बढ़ाने के लिए एकाग्रता आवश्यक होती है। एकाग्रता के अभाव में व्यक्ति कुछ भी कार्य उचित प्रकार पूर्ण नहीं कर सकता। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव अपना ध्यान काम पर एकाग्र करना चाहिए। एकाग्रता का तात्पर्य है- जिस किसी काम को आप कर रहे हैं, उस समय आप सिर्फ उसी काम पर चिन्तन-मनन करे। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को भी अपने काम को करते हुए सिर्फ उसी पर अपना मन एकाग्र करना चाहिए। उदाहरण के लिए मान लीजिए आप किसी महिला की हेयर कटिंग कर रही हैं तो आप उस वक्त सिर्फ हेयर कटिंग करने के बारे में सोचे न कि अन्य किसी कार्य के बारे में।

    ग्राहक की सन्तुष्टि Client Satisfaction

    कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव अपने ग्राहक को सन्तुष्ट रखने का प्रयास करना चाहिए। अच्छी बोली, अच्छा व्यवहार तथा अच्छा काम करने का गुण जिस कॉस्मेटोलॉजिस्ट में होगा, उसके ग्राहक सदैव उससे खुश रहेंगे। ग्राहक को सन्तुष्ट करने का सबसे सरल साधन यह है कि आप ग्राहक की इच्छा से कहीं ज्यादा उसको देने की कोशिश करें। अपने व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु ग्राहक को कभी भी टालना नहीं चाहिए। उसे पूरी तरह सन्तुष्ट करना चाहिए और कभी-कभी उनकी सुन्दरता को बढ़ाने हेतु निःशुल्क आवश्यक टिप्स भी देने चाहिए। इससे उसके काम तथा व्यवसाय की बढ़ोतरी होगी।

    व्यवहार-कुशलता Diplomacy

    एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट का व्यवहार व्यक्तियों तथा ग्राहकों के प्रति आत्मीयतापूर्ण हो। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने से छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार के व्यक्तियों से बात करते समय हमेशा सम्मानजनक सम्बोधनों का प्रयोग करना चाहिए। यदि कोई आपसे पद में छोटा है, परन्तु उम्र में बड़ा है तो उसके नाम के आगे 'जी' अवश्य लगाना चाहिए। बुजुर्गों के लिए 'आइए', 'लीजिए', बैठिए आदि सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्टकी व्यवहार कुशलता में उसका प्रशंसात्मक स्वभाव और उत्साह चार-चाँद लगा देता है। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने प्रत्येक ग्राहक को विशिष्टताओं तथा इच्छाओं का ध्यान रखना चाहिए तथा सभी ग्राहकों के नाम याद रखने का प्रयास करना चाहिए। अपने ग्राहक की किसी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए, बल्कि उसकी बात समझकर उसे पूरी तरह सन्तुष्ट करने का प्रयास करना चाहिए।

    अहंकार की भावना का त्याग Give up the feeling of Ego

    एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को कभी भी अपने काम या खुद पर अहंकार करना शोभा नहीं देता है। आप चाहे कितनी ही कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट क्यों न हों लेकिन यदि आप में थोड़ा-सा भी अहंकार है, तो लोगों के मन में आपकी अच्छी छवि नहीं बन पाएगी। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अहंकार रहित होकर कुशलतापूर्वक अपना काम करना चाहिए। कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपना नाम, प्रसिद्ध, सम्पत्ति, धन आदि के अहंकार को त्यागकर उन्हें स्थायी बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।

    एक कुशल कॉस्मेटोलॉजिस्ट में निम्न महत्त्वपूर्ण गुण भी होने चाहिए-

    1. ग्राहक की बाते, एक अच्छे श्रोता की तरह सुननी चाहिए।
    2. कार्य करने के लिए समय चार्ट (time-chart) होना चाहिए।
    3. ग्राहक की इच्छा का सदैव ध्यान रखना चाहिए।
    4. ग्राहक के प्रति समयबद्ध रहना चाहिए अर्थात् प्रत्येक ग्राहक को समय देना चाहिए।
    5. ग्राहक के सामान की देखभाल करनी चाहिए, जिससे उसका कोई नुकसान न हो।

    संचार योग्यताएँ Communication Skills

    व्यक्ति की संचार योग्यता उसकी सफलता असफलता, प्रसिद्धि अप्रसिद्धि आदि का मूल आधार होती है, क्योंकि व्यक्ति के बोलने चालने के आधार पर ही अन्य व्यक्ति उसके व्यक्तित्व की कल्पना करते हैं। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को प्रत्येक दिन नए-नए ग्राहकों से मिलना होता है। इसलिए उनके व्यवसाय में संचार योग्यताएँ उच्च कोटि की होनी चाहिए। उन्हें सदैव मधुरता एवं संयम के साथ संप्रेषण (communication) करना चाहिए। ग्राहक की सभी बातें सुनकर, समझकर ही अपने विचार व्यक्त करने चाहिए तथा एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट में निम्नवत्-संचार योग्यताएँ होनी चाहिए।

    व्यावसायिक नीति Professional Ethics

    एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट का सीधा सम्बन्ध लोगों से होता है, इसलिए लोगों की नजरें सदैव उसके एवं उसके व्यवहार के ऊपर रहती है। अतः कॉस्मेटोलॉजिस्ट को प्रत्येक (ग्राहक) के साथ अच्छे सम्बन्ध रखने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

    करने योग्य कार्य-.

    1. कॉस्मेटोलॉजिस्ट को काम करते समय ग्राहक (customer) की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखना चाहिए। 
    2. कॉस्मेटोलॉजिस्ट को सदैव अपने पार्लर में समय से आना चाहिए।
    3. कॉस्मेटोलॉजिस्ट को प्रोडक्ट्स के निर्माता के निर्देशों के अनुसार ही उनका प्रयोग करना चाहिए। 
    4. कॉस्मेटोलॉजिस्ट को आवश्यकतानुसार प्लीज, सॉरी, थैंक यू आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
    5. कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने ब्यूटी पार्लर सैलून को पूरी तरह व्यवस्थित करके रखना चाहिए।
    6. कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने ग्राद्धकों के सामने अपने साथ काम करने वालों और अन्य ब्यूटीशियन की बुराई नहीं करनी चाहिए।
    7. ग्राहक की इच्छाओं का सम्मान करते हुए उन्हें पूरी तरह सन्तुष्ट करना चाहिए।

    ना करने योग्य कार्य-

    1. तेज आवाज में बात नहीं करनी चाहिए।
    2. स्वयं अपनी प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
    3. अपने पार्लर के आस-पास एवं पार्लर में गन्दगी नहीं होने देनी चाहिए।
    4. ग्राहक (customer) के साथ अपनी एवं अन्य ग्राहकों की व्यक्तिगत समस्याओं के बारे में बात नहीं करनी चाहिए।
    5. अपने साथियों या अन्य कॉस्मेटोलॉजिस्ट के कमजोर पहलुओं पर ग्राहकों के साथ चर्चा नहीं करनी चाहिए।

    ग्राहक परामर्श Client Consultation

    ब्यूटी पार्लर सैलून में ग्राहक के आगमन पर कॉस्मेटोलॉजिस्ट का सबसे पहला काम होता है, उसके साथ विचार-विमर्श करके उनके लिए सर्वउपयुक्त सलाह देना। ग्राहक के साथ उन्हें ऐसा व्यवहार करना बाहिए, जिससे उसे लगे की वह अपने लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान पर आया है तथा वहाँ के लोग उसकी अवश्य सहायता करेंगे। इसमें सबसे मुख्य बात् है- ग्राहक की, बातों को ध्यानपूर्वक सुनना व समझना है। जितने ध्यान से आप ग्राहक की बातों को सुनेगी उतनी ही अच्छी व स्पष्ट रूप से आप उत्तर दे पाएँगी, जोकि एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट के कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। ग्राहक के साथ बातचीत की शुरूआत सबसे पहले सकारात्मक बातों के साथ करनी चाहिए।

    उदाहरण के लिए आपके घने बालों में शेप हेयर कट उचित लगेगा अथवा आपको पलके (eye lashes) बहुत बड़ी है, आपको मेकअप के वक्त मस्कारा लगाने की आवश्यकता नहीं होगी।

    सकारात्मक बातों के साथ शुरूआत करने से ग्राहक अपनी बातों को खुलकर कॉस्मेटोलॉजिस्ट को बता पाता है। हमेशा ग्राहक की आँखों में देखकर (eye contact) बात करनी चाहिए। इससे ग्राहक बिना संकोच के अपनी इच्छा आपको बता पाता है। कई बार ग्राहक अपनी बातों को ठीक ढंग से नहीं बता पाता है। ऐसे में ग्राहक को ध्यानपूर्वक सुनकर आपको समझ लेना चाहिए कि ग्राहक क्या इच्छा रखता है? ग्राहक की इच्छा का पता लगाने के लिए आप उसे फोटो, मैगजीन आदि भी दिखा सकती है।

    ब्यूटी सम्बन्धी कुछ प्रक्रियाएँ ग्राहक के लिए बोरियत भरी होती हैं; जैसे- फेसपैक, हेयर कट आदि। इसलिए बीच-बीच में ग्राहक से बातें करते रहना चाहिए, ताकि उसकी बोरियत दूर हो सके। यदि ग्राहक की रुचि हो तो उसे फैशन सम्बन्धी जानकारी देते रहनी चाहिए।

    ग्राहक को प्रयोग में आने वाले प्रोडक्ट्स की जानकारी देते रहनी चाहिए तथा ये भी बताना चाहिए कि इसे प्रयोग करने के तरीके तथा लाभ क्या हैं? ग्राहक के साथ विचार-विमर्श करने से व सलाह देने से उनके साथ कॉस्मेटोलॉजिस्ट का अच्छा सम्बन्ध बन जाता है। इसके परिणामस्वरूप समाज में आपकी एक अच्छी छवि बन जाती है।

    टेलीफोन शिष्टाचार Telephone Etiquette

    आज के समय में टेलीफोन/मोबाइल फोन दैनिक कार्य-व्यवहार का अनिवार्य अंग बन गया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र व कार्य-व्यवहार में टेलीफोन/मोबाइल फोन के उपयोग से समय, श्रम और धन की बचत होती है। इसी कारण से टेलीफोन/मोबाइल फोन की उपयोगिता निरन्तर व्यापक होती जा रही है। एक कॉस्मेटोलॉजिस्ट को अपने और अपने पार्लर की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आवश्यकतानुसार टेलीफोन/मोबाइल फोन का उपयोग करना चाहिए। टेलीफोन द्वारा वार्तालाप करने में प्रयुक्त होने वाली श्रेष्ठ व्यावहारिक पद्धति को टेलीफोन शिष्टाचार कहते हैं। अतः टेलीफोन शिष्टाचार के व्यावहारिक बिन्दु निम्नवत् हैं-

    1. टेलीफोन वार्ता के आरम्भ में अभिवादन तथा वार्ता की समाप्ति पर प्रसंगानुकूल धन्यवाद अवश्य देना चाहिए।
    2. वार्ता में संक्षिप्तता और पूर्णता का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
    3. दूरभाषीय टेलीफोन वार्ता में भाषा सरल, प्रवाहमयी और शिष्टाचार के अनुकूल होनी चाहिए।
    4. टेलीफोन वार्ता में कठिन तथा भ्रमात्मक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    5. टेलीफोन द्वारा बात करने से पूर्व कैसे (how), क्या (what), कब (when) तथा किसको (whom) कहें का विचार कर लें। 
    6. बातचीत में विनम्रता का अवश्य पालन करना चाहिए, क्योकि विनम्रता ऐसा गुण है, जो कठिन-से-कठिन कार्य को सरल बनाने की क्षमता रखता है।

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