मलेरिया (Malaria)
यह एक संक्रामक रोग है जो संसार के प्रत्येक भाग में फैलता है। भारतवर्ष में यह आम बीमारी है और प्रतिवर्ष इससे लाखों आदमी पीड़ित रहते है। यह अगस्त से अक्टूबर तक अधिक फैलता है। यह रोग एनफ्लीज जाति के मच्छर के काटने पर उत्पन्न होता है।
मलेरिया किसके कारण होता है
मलेरिया नामक रोग फैलने का कारण मलेरिया के जीवाणु के जीवन चक्र के बारे में जानने से ही ज्ञात किया जा सकता है। यह जीवाणु मनुष्य व मच्छर दोनों में ही रहता है। इसके जीवन की अवस्थायें मुख्यतः तीन है- (अ) मनुष्य के यकृत के रूप में, (ब) मनुष्य के रूधिर में, (स) मच्छर के आमाशय में।
जब जीवाणु मच्छर के आमाशय में पूर्ण विकसित हो जाता है तो मच्छर की लार ग्रन्थियों में आ जाता है। जीवाणु का यह रूप स्पोरोजोइट कहलाता है। जब यह मच्छर स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो मलेरिया के जीवाणु उसमें प्रविष्ट कर जाते है। मनुष्य के रक्त में पहुँचकर यह जीवाणु बढ़ने लगते है। जीवाणु के इस रूप को मीरोजोइट कहते है। जब जीवाणु बहुत अधिक बढ़ जाते है तो मनुष्य को बुखार आ जाता है।
इस ज्वर ग्रस्त मनुष्य को जब मच्छर काटता है तो रक्त के साथ वह मलेरिया के जीवाणुओं को भी चुस लेता है। जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो इसके शरीर में यही जीवाणु प्रवेश कर लेते है और रोग फैलाते है। इस प्रकार मलेरिया एनाफ्लिीज मादा मच्छर के काटने से ही होता है। वास्तव में मलेरिया ज्वर का कारण मलेरिया के जीवाणु है। मच्छर तो केवल उन्हें फैलाने का एकमात्र साधन है।
मच्छर गन्दे स्थानों में उत्पन्न होते है, जैसे- तालाब के पानी में, धान के खेतों आदि में।
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मलेरिया के लक्षण
(1) पहले सर्दी लगती है और बुखार 103 या 104 डिग्री तक पहुँच जाता है। ज्वर दो या तीन घण्टे रहता है और फिर रोगी को पसीना आता है, इस तरह ज्वर उतर जाता है। इस प्रकार ज्वर का आक्रमण प्रतिदिन, तीसरे दिन छोड़कर हो सकता है।
(2) रोगी को प्यास बहुत लगती है। चेहरा लाल दिखाई देता है।
(3) सारे शरीर में दर्द और हड़कल रहती है।
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मलेरिया का निराकरण और उपचार
(1) मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से बचना चाहिये, अतः मच्छरों का विनाश करना चाहिये। मच्छर सदा गन्दे पानी में उत्पन्न होते हैं। अतः घर के आस-पास गन्दे पानी के गड्ढ़ों में से पानी निकालवाकर उन्हें मिट्टी से भरवा देना चाहिये। और उनमें मिट्टी का तेल छिड़कना चाहिये।
(2) घर की दीवारों पर डी.डी.टी. या फ्लिट छिड़कना चाहिये क्योकि मच्छर दीवार पर बैठते है।
(3) तालाब में छोटी-छोटी मछलियाँ छोड़ देनी चाहिये जिससे की यह मच्छरों के लारवा खा ले और उन्हें बढ़ने से रोकें।
(4) घर के निकट या घर में यदि पशु बाँधने का स्थान है तो उसकी नियमित रूप से सफाई करानी चाहिये क्योंकि मल-मूत्र से हुए गन्दे स्थान में मच्छर उत्पन्न हो जाते है। ऐसे स्थानों को फिनाइल से धुलवा लेना चाहिये।
(5) प्रत्येक व्यक्ति को मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिये।
(6) मलेरिया फैलने के मौसम में रोग से बचने के लिए 5 ग्रेन कुनैन प्रति दिन खाते रहना चाहिये। आजकल मलेरिया की कई दवायें और भी प्रचलित है, जैसे पैलूडरिन और कौमाक्युन ।