जनजाति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताए अथवा लक्षण लिखिये ?

जनजाति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताए अथवा लक्षण लिखिये ?

जनजाति का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Tribe)

साधारण अर्थ में हम जनजाति के अन्तर्गत उस मानव समूहों को सम्मिलित करते हैं जो यहाँ की प्राचीनतम प्रजातियाँ हैं जो घने जंगलों में निवास करती है और आज भी अपनी परम्परागत विशेषताओं के अपनाये हुए हैं। दूसरे शब्दों में जनजाति से ऐसे समूह का बोध होता है जिसके कि सदस्य सभ्यता के आदिम अवस्था में निवास करते हैं। इस समूह का एक निश्चित भू-प्रदेश होता है तथा उसकी अपनी एक विशेष प्रकार की भाषा, धर्म, प्रथा और परम्पराएँ होती हैं। इन्हें जनजाति, वन्य जाति, आदिवासी, आदिम जाति आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। भारतीय संविधान में इन लोगों को अनुसूचित जनजातियाँ कहा गया है।

जनजाति को अधिक स्पष्ट रूप से समझने व व्याख्या करने के लिए कुछ विद्वानों ने इसकी परिभाषाएँ इस प्रकार की हैं-

गिलिन एवं गिलिन के अनुसार- "स्थानीय पूर्व शिक्षित समूहों के किसी भी संग्रह को जो एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और सामान्य संस्कृति को प्रयोग में लाता हो एक जनजाति हैं।"

लिण्टन के अनुसार- "साधारण रूप में जनजाति खानाबदोशी झुण्डों का एक समूह है जो एक भू-भाग पर रहता है तथा जो सांस्कृतिक समानताओं, सतत् सम्पर्कों तथा एक निश्चित सामाजिक हितों की भावना के आधार पर एकता की भावना रखता हो।

डॉ. रिवर्स के अनुसार- "एक जनजाति एक सामाजिक समूह है जो सामान्य भाषा बोलता है तथा युद्ध आदि के समय एक होकर कार्य करता है।"

डॉ. मजूमदार के शब्दों में- "जनजाति या वन्य जाति परिवारों या परिवारों के समूह का एक संकलन है जिसका एक सामान्य नाम होता है तथा जो निश्चित सामाजिक मूल्यों, नियमों एवं निषेधों का पालन करते हैं।"

जेकलस तथा स्टर्न के अनुसार- "एक ऐसा ग्रामीण समुदाय या समुदायों का एक ऐसा समूह, जिसकी समान भूमि, समान संस्कृति हो और समान भाषा हो और जिस समूह के व्यक्तियों का जीवन आर्थिक दृष्टि से एक-दूसरे के साथ ओत-प्रोत हो जनजाति कहलाता है।" 

बोआस के शब्दों में- "जनजाति से हमारा तात्पर्य आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर व्यक्तियों के ऐसे समूह से है, जो सामान्य भाषा बोलते हों तथा बाहरी आक्रमणों से अपनी रक्षा के लिए संगठित हों।"

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि "जनजाति एक ऐसा अन्तर्विवाही क्षेत्रीय समूह है जिसके सदस्य सामान्य भू-भाग, भाषा, संस्कृति, जीवन-स्तर, धर्म तथा व्यवसाय के आधार पर समानता की भावना द्वारा संगठित रहते हैं।"

यह भी देखें-  आदिवासी क्षेत्र एवं जनजातीय महिलाएँ : (Tribal Area and Tribal Women)

जनजाति की विशेषताएँ अथवा लक्षण (Characteristics of Tribe)

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर जनजाति में निम्नलिखित विशेषताएँ देखने को मिलती हैं-

1. क्षेत्रीय समूह

जनजाति एक क्षेत्रीय समूह है। एक जनजाति के सभी सदस्य किसी निश्चित भू-भाग पर ही रहते हैं। यह भू-भाग सदैव के लिए स्थायी नहीं होता। जनजातियाँ स्थान-परिवर्तन करती भी पायी जाती हैं, लेकिन प्रत्येक स्थिति में इनका प्रमुख कार्य किसी बाहरी समूह के आक्रमण के विरुद्ध संगठित रूप से अपनी तथा अपने क्षेत्र की रक्षा करना करना होता है।

2. सामान्य भाषा

एक जनजाति के सभी सदस्य समान भाषा बोलते हैं। इससे विचारों के आदान-प्रदान में सरलता रहती है और इसी की सहायता से उनकी सांस्कृतिक विशेषताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को निरन्तर हस्तान्तरित होती रहती हैं।

3. विस्तृत आकार

जनजाति का संगठन बहुत से परिवारों तथा परिवारों के समूहों से बनता है, इसलिए एक जनजाति का आकार अन्य क्षेत्रीय समूहों की तुलना में सबसे विस्तृत होता है। उदाहरण के लिए, गोंड (Gond) एक प्रमुख जनजाति है जिसके सदस्यों की संख्या मध्य प्रदेश, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में ही लगभग 35 लाख है।

4. अन्तर्विवाही समूह

जनजाति एक अन्तर्विवाही समूह होता है। इसका तात्पर्य है कि किसी भी सदस्य को अपनी जनजाति के बाहर विवाह करने की अनुमति नहीं दी जाती। कुछ विद्वानों और विशेषकर बोगार्डस ने जनजाति के सदस्यों को 'समान रक्त से सम्बन्धित समूह' कहकर परिभाषित कर दिया है। यह धारणा भ्रान्त है। जैसा कि डॉ. मजूमदार का कथन है, "एक जनजाति का निर्माण अनेक गौत्र-समूहों (अर्थात् विभिन्न रक्त के व्यक्तियों) से मिलकर होता है।"

5. सामान्य संस्कृति

प्रत्येक जनजाति के सदस्य एक सामान्य संस्कृति में रहते हैं और इसी संस्कृति से सम्बन्धित नियमों का पालन करते हैं। जनजाति के सांस्कृतिक नियमों की अवहेलना करने पर व्यक्ति को कठोर दण्ड दिया जाता है। जनजाति के मुखिया और अन्य प्रमुख व्यक्तियों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने सांस्कृतिक नियमों के अर्थ को स्पष्ट करना और जनजातीय एकता को दृढ़ रखना होता है।

6. आर्थिक आत्मनिर्भरता

जनजाति एक स्वतन्त्र और आत्मनिर्भर आर्थिक संरचना पर निर्भर होती है। जीवन की लगभग सभी आवश्यकताओं से सम्बन्धित वस्तुओं का सदस्य स्वयं उत्पादन करते हैं और प्रत्येक व्यक्ति से यह आशा की जाती है कि वह खेती करने से लेकर अपने हथियारों अथवा अन्य उपयोगी पदार्थों को बनाने तक का काम स्वयं ही करेगा।

7. हम की भावना

एक जनजाति का एक निश्चित भू-भाग में निवास करने के कारण सदस्यों में सामुदायिक भावना या हम की भावना पायी जाती है। सामुदायिक भावना के कारण वे परस्पर सहयोग एवं सहायता प्रदान करते हैं और संकट के समय एक-दूसरे की सहायता करके एकता का प्रदर्शन करते हैं।

8. नातेदारी का महत्व

जनजाति समाज की यह भी एक विशेषता है कि जनजाति में नातेदारी को बहुत महत्व दिया जाता है। जनजातीय लोग अपने राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक सम्बन्ध अपनी नातेदारी तक ही सीमित रखते हैं।

9. धर्म

प्रत्येक जनजाति का अपना एक विशिष्ट धर्म होता है। इसके धर्म में प्रकृति, पूजा, आत्मवाद और जीववाद की प्रधानता पायी जाती है ये लोग कई जादुई क्रियाएँ भी करते हैं। 

10. सामान्य पूर्वज

कई जनजातियाँ अपनी उत्पत्ति एक सामान्य पूर्वज से मानती है। यह पूर्वज वास्तविक और काल्पनिक भी हो सकता है।

11. राजनीतिक इकाई

जनजाति की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसका एक स्वतन्त्र. राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करना है। प्रत्येक जनजाति में मुखिया अथवा वयोवृद्ध लोगों की पंचायत द्वारा व्यवहार के नियम निर्धारित किये जाते हैं तथा व्यक्तियों के व्यवहारों पर नियन्त्रण रखा जाता है। जनजातीय नियमों का प्रभाव सरकार के कानूनों से भी अधिक होता है। इसके अतिरिक्त जनजाति एक ऐसी इकाई है जिसके अन्दर ही व्यक्तियों को सामाजिक जीवन में सहभाग करना तथा नेतृत्व ग्रहण करना सिखाया जाता है।

इन समस्त विवरण से स्पष्ट होता है कि "जनजातीय क्षेत्रीय सम्बन्धों पर आधारित वह समूह है जो अन्तर्विवाही और सामान्य चरित्र का है, मुखिया से प्रशासित है, जो सामान्य भाषा और संस्कृति से आबद्ध रहता है, जाति प्रथा के समान किसी भेद-भाव में विश्वास नहीं करता, अपनी प्रथाओं, परम्पराओं और धर्म में विश्वास करता है, बाहरी विचारों के प्रति कटु होता है तथा अपने ही समूह की जातीयता और क्षेत्रीय संगठन के प्रति जागरूक रहता है।"

भारतीय जनजातियों की विशेषताएँ

भारतीय जनजातियों की कुछ विशिष्ट विशेषताएँ हैं। भारतीय जनजातियों को विशिष्ट जनजातियाँ बनाने वाली प्रमुख विशेषताएँ या लक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. युवागृह संस्था का पाया जाना।
  2. धार्मिक विश्वासों एवं कर्मकाण्डों की विशिष्टतायें जो जनजातियों और निम्न जातियों के बीच अन्तर बना सकती है।
  3. लड़कों एवं लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा का अभाव।
  4. जन्म, विवाह एवं मृत्यु सम्बन्धी विशिष्ट प्रथायें पायी जाती हैं।
  5. जनजाति के सभी सदस्य आपस में नातेदार नहीं होते हैं।
  6. जनजातियाँ विविध प्रकार की पंचायतों द्वारा संचालित होती हैं। 
  7. हिन्दुओं और मुसलमानों के भिन्न नैतिक विधान है।
  8. सामूहिक स्तर पर परस्पर संघर्ष का अभाव है।

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