इलेक्ट्रानिक डाटा इन्टरचेंज(EDI)से आप क्या समझते हैं?

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इलेक्ट्रानिक डाटा इन्टरचेंज(EDI)से आप क्या समझते हैं?इलेक्ट्रानिक डाटा इन्टरचेंज का परिचय 

EDI सरलतः एक डाटा डेफीनेशन्स का सेट है जो बिजनेस कॉमर्स को अनुमत करता है, जो पिछले समय में कागज का विनिमय कर उपयोग किए जाते थे, अब इलेक्ट्रॉनिकली एक्सचेंज किए जाते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक डाटा इन्टरचेंज (EDI) एक पद्धति है, जो दस्तावेजित सूचनाओं को कारोबार, सरकारी संरचनाओं और अन्य संस्थाओं के मध्य सम्प्रेषित करने को अनुमत करती है। यह मानकों का सेट है जिसके द्वारा समस्त पार्टी एक प्रोटोकॉल के सेट के भीतर डाटा इन्फार्मेशन इलेक्ट्रॉनिकली एक्सचेंज कर सकती है। EDI विश्व के अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स लेनदेनों का डाटा फार्मेट है, इसके अलावा अन्य प्रतियोगी सुविधाजनक पोर्टल भी हैं जैसे XML सेवाएँ, इन्टरनेट और वर्ल्ड वाईड वेब।

EDI एप्लीकेशन प्रदान करता है जहाँ एक अधिक प्रभावी और पर्यावरण दोस्ताना नेटवर्क कम्यूनिकेशन पार्टनर के बीच रचित किया जाता है। EDI कारोबारों के मध्य ठोस सम्बन्ध स्थापित करती है जो आवश्यक नहीं है कि इन्टरनेट विकल्पों पर टिके रहे।

    कागजी दस्तावेज रहित व्यापार

    EDI (ई डी आई) का अर्थ है तैयार या निर्मित की गई व्यापारिक सूचनाओं का व्यावसायिक भागीदारों के बीच इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान। यह आंतरिक व बाह्य प्रक्रियाओं को एक क्रम में एवं एकीकृत करने के साधन जुटाता है तथा व्यापार में लाभार्जन की व्यापक संभावनाएँ प्रस्तुत करता है। इस रूप में प्राप्त सूचना ईडीआई स्टेंडर्ड बॉडीज द्वारा निर्देशित पूर्व-निर्धारित ईडीआई प्रारूप में होती है। इस स्टेंडर्ड फॉर्मेट (मानक स्वरूप) की वजह से सूचनाओं का सही अनुवाद संभव हो पाता है चाहे एप्लीकेशन व ऑपरेटिंग सिस्टम कोई भी हों। ईडीआई प्रारूप में भेजे जाने वाले या उसमें से बाहर भेजे जाने वाले दोनों डाटा को उस सॉफ्टवेयर की जरूरत होगी जो ईडीआई को चला सके। सीधी सरल भाषा में कहा जाए तो यह कि ईडीआई का मतलब है कि अपने व्यावसायिक भागीदारों के साथ इलेक्ट्रॉनिक विधि से व्यापार व लेन-देन करना। ईडीआई में वह सब कुछ आ जाता है। जैसे सप्लायर्स आर्डर्स भेजना या आर्थिक लेन-देन करना आदि।

     इसलिए ईडीआई का वर्णन करने के लिए अक्सर इसे "बिना दस्तावेज का व्यापार" कहा जाता है। ईडीआई के और अधिक औपचारिक वर्णन में इसे कम्प्यूटर सिस्टम्स के बीच सम्मत मैसेज मानकों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम द्वारा स्ट्रक्चर्ड डाटा की अदला-बदली कहा जाएगा। स्ट्रक्चर्ड डाटा किसी दस्तावेज के डाटा विवरण को दर्शाने की एक नितांत स्पष्ट या असंदिग्ध विधि जैसी ही होती है चाहे वह कोई इन्वॉइस हो, ऑर्डर हो या कोई आई (I) डाटा टाइप हो। कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा सूचना का सही अनुवाद सुनिश्चित करने की विधा मानकों द्वारा निर्देशित की जाती है।

    एक शुद्ध ईडीआई के संदर्भ में सूचना के इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज का प्रभावी अर्थ होगा मानवीय हस्तक्षेप या दखल का बिल्कुल न होना। ईडीआई तथा इलेक्ट्रॉनिक मेल, ई-मेल में अन्तर कर पाना मुश्किल लग सकता है, क्योंकि दोनों में कम्प्यूटर सिस्टम्स के बीच इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को ट्रांसमिट किया जाता है। ईडीआई को जो चीज ई-मेल से अलग बनाती है वह है डाटा मैसेज की आंतरिक संरचना तथा उसकी अंर्तवस्तु यां सामग्री। किसी ई-मेल सन्देश की सामग्री रिसीविंग सिस्टम द्वारा किसी प्रकार भी प्रोसेस किए जाने के लिए निर्दिष्ट नहीं होती जबकि ईडीआई मैसेजेस के बारे में इसकी अपेक्षा की जाती है और इसलिए इन्हें ऑटोमेटिक प्रोसेसिंग के लिए बनाया जाता है।

    ईडीआई (EDI) की उत्पत्ति या आरंभ

    कम्पनियाँ व्यापार सम्बन्धी कार्यों के लिए पारंपरिक माध्यम के रूप में कागज का प्रयोग करती रही है। कम्पनी रिकॉर्डस को कागज पर फाइल किया जाता है और सूचना के आदान-प्रदान के लिए कम्पनियाँ एक-दूसरे को डाक से पेपर फॉर्म भेजती हैं। व्यापार में कम्प्यूटर के आने से कम्पनियों के लिए डाटा को इलेक्ट्रॉनिक विधि से प्रोसेस कर पाना संभव हुआ है हालांकि कम्पनियों के बीच इस डाटा का आदान-प्रदान अभी भी काफी हद तक डाक व्यवस्था (पोस्टल सिस्टम) पर निर्भर करता है। अक्सर कोई कम्पनी डाटा को एक व्यापार एप्लीकेशन में दर्ज करती है, डाटा दर्शाने वाला एक प्रिंट करती है और इस फॉर्म को अपने व्यावसायिक भागीदार को डाक से भेजती है। इस फॉर्म के मिलने पर ट्रेडिंग पार्टनर एक अन्य व्यापार एप्लीकेशन में डाटा को पुनः दर्ज करता है। इस प्रक्रिया में देर लगना स्वाभाविक है। 

    पोस्टल सिस्टम का इस्तेमाल होने से आदान-प्रदान में कई-कई दिन लग सकते हैं, एक्सचेंज से सम्बद्ध दोनों कम्पनियों के लिए अत्यधिक कागजी कार्यवाही करनी होती है और सूचना के ट्रांसक्रिप्शन के दौरान गलतियों की संभावना भी बनी रहती है। इस वास्तविकता को मानकर चलना चाहिए कि ईडीआई की क्रांतिकारी कम्प्यूटिंग और दूरसंचार की शक्तियाँ बढ़ी हैं। ईडीआई टेक्नोलॉजी कागजी दस्तावेजों के बदले एक स्वाभाविक डाटा कैरियर्स के रूप में विकसित हुई है और न ही ईडीआई कोई नई अवधारणा या नई शुरुआत है। ऊंची कीमत और सीमित समय तक ही उपयोगी उत्पादों और सेवाओं के मामले में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक क्षेत्रों में इसका प्रयोग बीस साल से भी अधिक समय से होता आ रहा है। हालांकि हाल के वर्षों में ईडीआई का प्रोफाइल बढ़ता जा रहा है और आजकल तो यह फैशन ही बन गया है। 

    दरअसल इसके अलावा कई अन्य तथ्य भी इन परिस्थितियों के लिए सहायक हुए हैं। कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर व टेलीकम्यूनिकेशन की कीमतों में भारी गिरावट एवं दुनिया के बाजारों में मुक्त व्यापार की सुविधाओं सहित कई अन्य कारकों का अर्थ यह है कि ईडीआई अपने नूतन अविकसित भ्रूणावस्था से नए निष्क्रमणात्मक विश्वस्तरीय विकास के स्तर, एक श्रेष्ठ बाजार वाले जीवनचक्र की ओर बढ़ रहा है। एक अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य है निरन्तर बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और सशक्त गतिशील बाजार में व्यापार को संभव बनाने वाली विधा के रूप में ईडीआई की भूमिका बढ़ी है। ईडीआई को हाथों से की जाने वाली श्रमसाध्य और कागजी कार्यवाई के बोझ से लदी प्रक्रिया को स्वचालित बनाने वाली एक विधा के रूप में देखने की प्रवृत्ति निरन्तर बढ़ रही है। ईडीआई एक ऐसा साधन है जो व्यापारिक प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी, किन्तु विल्कुल अलग तरीकों से निष्पादित करना संभव बनाता है।

    ईडीआई (EDI)का इतिहास

    बिजनेस कम्प्यूटर ने यद्यपि कम्पनियों के लिए अपने डाटा को इलेक्ट्रॉनिक विधि से स्टोर व प्रोसेस करने की क्षमता प्रदान की परन्तु इस डाटा के संचारण के लिए उन्हें एक उपयुक्त विधि की आवश्यकता पड़ी। कम्प्यूटर टेलीकम्युनिकेशन के विस्तृत उपयोग से इस विधा की जानकारी हुई। कम्पनियों के लिए टेलीकम्युनिकेशन का उपयोग कर अपने डाटा की इलेक्ट्रॉनिक विधि से टेलीफोन लाइन्स पर ट्रांसमिट करना तथा डाटा इनपुट को सीधे अपने ट्रेडिंग पार्टनर के बिजनेस एप्लीकेशन में भेजा जाना संभव हुआ। इन इलेक्ट्रॉनिक इंटरचेंजेस ने रिस्पांस टाइम को बेहतर बनाया, कागजी कार्यवाही कम की और ट्रांसक्रिप्शन में आंशिक समाधान प्रस्तुत किया। विभिन्न प्रारंभिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरचेंजेस सिर्फ दो ट्रेडिंग पार्टनर्स के डॉक्यूमेन्ट फॉर्मेट्स की सहमति से बने प्रोप्रायटरी फॉर्मेट्स पर आधारित थे। 

    इस कारण किसी कंपनी के डाटा को इलेक्ट्रॉनिक विधि से कई कम्पनियों के साथ एक्सचेंज करने में कठिनाई होती थी। आवश्यकता इस बात की थी कि डाटा एक्सचेंज करने के लिए कोई मानक फॉर्मेट हो। 1960 के दशक में औद्योगिक समूहों के सहकारी प्रयासों से इस कॉमन डाटा फॉर्मेट्स के लिए पहला प्रयास संभव हुआ। तथापि ये फॉर्मेट्स सिर्फ पचेंजिंग, ट्रांसपोर्टेशन और फायनेन्स डाटा के लिए ही थे तथा मूलतः उद्योग के आंतरिक लेन-देन के लिए ही प्रयुक्त किया जाता था। 1970 के दशक के उत्तरार्द्ध के पहले एक राष्ट्रीय ईडीआई मानकों की दशा में कोई पहल नहीं की जा सकी। यूजर्स और वेन्डर्स दोनों में मानक डाटा फॉर्मेट्स का एक सेट तैयार करने के लिए अपनी आवश्यकताएँ इनपुट की जों- हार्डवेयर इंडीपेंडेंट थी। 

    इतनी स्पष्ट व असंदिग्ध थीं कि सभी ट्रेडिंग पार्टनर्स इनका उपयोग कर सके। डाटा एक्सचेंजिंग का श्रम साध्य काम कम किया तथा डाटा भेजने वाले को यह ज्ञात करने की सुविधा के साथ कि प्राप्त करने वाले ट्रांजेक्शन मिला या नहीं अथवा कब मिला या नहीं अथवा कब मिला आदि एक्सचेंज कंट्रोल की सुविधा दी। आज यद्यपि ईडीआई के लिए कई सिन्टेक्सेज हैं किन्तु केवल दो व्यापक स्तर पर मान्य हैं- X12 तथा इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंडरचेंज फॉर एडमिनिस्ट्रेशन, कॉमर्स एण्ड ट्रांसपोर्ट। 

    ईडीआई (EDI) की प्रक्रिया

    विशेष बात यह है कि ईडीआई की प्रक्रिया बहुत आसान है। अन्य कम्युनिकेशन प्रोसेस से यह कतई अलग नहीं है।ईडीआई चलाने वाला सॉफ्टवेयर उचित डाटा को एक ईडीआई प्रारूप में बदलता है। यह प्रारूप दो संगठनों के बीच निश्चित किए गए मानक के अनुरूप होता है।

    ई डी आई डाटा, आपसी सहमति से इलेक्ट्रॉनिक संचार विधि प्रयुक्त कर स्थानांतरित किया जाता है। ई डी आई डाटा की प्राप्ति कर, पाने वाला संगठन अपने ईडीआई एनेबलिंग सॉफ्टवेयर की मदद से डाटा को पुनः उस प्रारूप में बदल लेता है जो उसके स्वयं का बिजनेस एप्लीकेशन यूज कर सकता हो। इसके साथ-साथ पाने वाले को कोई संदेश भेजकर मैसेज प्राप्ति की पुष्टि भी करनी होती है। ईडीआई की पूरी प्रक्रिया को इसे विभिन्न स्तरों में बाँटकर समझा जा सकता है। ये लेटर्स किसी ईडीआई ट्रांजेक्शन की एक्टिविटीज को आइडेन्टीफाइ करते हैं।

    ईडीआई (EDI) एप्लीकेशन

    ईडीआई प्रोसेस का पहला चरण एक डॉक्यूमेंट तैयार करना है। जैसे- किसी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन में एक इनवॉइस / एप्लीकेशन द्वारा क्रिएट किया गया डॉक्यूमेंट ही वह कारण है कि हम ईडीआई करते हैं। यह सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन तब डॉक्यूमेंट को ईडीआई ट्रांसलेटर के पास भेजता है जो इन्वॉइस को अपने आप पूर्ण सम्मत ईडीआई मानक में रीफामेंट कर लेता है। अपने आप में यह सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन से बना एक जटिल सॉफ्टवेयर हो सकता है। इस सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन द्वारा तैयार किया गया डॉक्यूमेंट संगठन की व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुरूप होता है। यह डॉक्यूमेंट चूँकि सीधे ट्रांसलेटर की ओर भेजा जाता है यह महत्वपूर्ण बात है कि उसमें कोई गलतियाँ न हो।

    ईडीआई (EDI) ट्रांसलेशन

    ईडीआई इंटरचेंजेस तक और उनमें से एप्लीकेशन डाटा क्नवर्शन को नियंत्रित करने वाला सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन ईडीआई ट्रांसलेटर या ईडीआई इनेबलर कहलाता है। अधिकतर ईडीआई इनेबलर्स दो सर्विसेज प्रदान करते हैं डाटा मैपिंग तथा मानक फॉर्मेटिंग। आदर्श फॉर्मेटिंग किसी ईडीआई ट्रांसलेटर की प्राथमिक भूमिका है। किसी एप्लीकेशन के लिए डाटा प्रारूप करने के लिए ट्रांसलेटर को यह जरूर मालूम रहना चाहिए कि डाटा तक कैसे पहुँचा जाए तथा डाटा के प्रारूप को समझना चाहिए। डाटा एक्सैस के लिए अधिकतर ट्रांसलेटर्स किसी फाइल इंटरफेस को सपोर्ट करते हैं। बाहर जाने वाले ट्रांजेक्शन के लिए एप्लीकेशन, ट्रांजेक्शन डाटा को एक फाइल पर लिखता है जिसे फ्लैट फाइल कहते हैं। 

    ट्रांसलेटर डाटा का उपयुक्त ईडीआई सिन्टेक्स रूल्स के अनुसार प्रारूप करता है तथा एक ईडीआई फाइल तैयार करता है जिसे ट्रेनिंग पार्टनर को भेजा जा सकता है। अन्दर आने वाले ट्रांजेक्शन के मामले में ट्रांसलेटर इस बात की जाँच करता है कि मानक वर्शन और रिलीज, सपोर्टेड हैं और यह कि क्या इंडरचेंज का सिन्टेक्स मानक के अनुरूप है? ट्रांसलेटर आउटपुट के रूप में एप्लीकेशन के लिए एक फ्लैट फाइल तैयार करता है। फ्लैट फाइल डाटा को ईडीआई डाटा में तथा ईडीआई डाटा से कन्वर्ट करने के लिए ट्रांसलेटर को फ्लैट फाइल डाटा के प्रारूप की समझ होनी चाहिए। यह समझ या ज्ञान दो में से एक तरह से प्राप्त किया जा सकता है। 

    पहला यह कि ट्रांसलेटर यूजर से यह कहे कि यूजर फ्लैट फाइल को उसके द्वारा निर्दिष्ट फॉर्मेट पर जनरेट करे। इसका मतलब होगा कि यूजर एप्लीकेशन डाटा को इस पर मॉडिफाइ करे कि उसे ट्रांसलेटर द्वारा प्रोसेस किया जा सके। 

    दूसरा यह कि ट्रांसलेटर ऐसा कोई 'टूल' प्रोवाइड करे कि यूजर फ्लेट फाइल के प्रारूप को स्पेसिफाई कर सके। इस टूल को डाटा मेपर कहते हैं। डाटा मैपिंग ट्रांसलेटर को किसी बिजनेस एप्लीकेशन के साथ इंटीग्रेट करने के लिए आवश्यक प्रोग्रामिंग को कम या समाप्त कर देता है। डाटा मैपिंग तव लाभदायक होता है कि जब कोई एप्लीकेशन इनपुट या आउटपुट के लिए फाइल्स का उपयोग करें। हालांकि यदि कोई एप्लीकेशन फाइल्स की बजाय किसी डाटाबेस की ओर डाटा को रोड या राइट करे तो यूजर को ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप करना पड़ेगा जो डाटाबेस में स्टोर्ड इन्फॉर्मेशन से फ्लैट फाइल से स्टोर्ड इन्फॉर्मेशन से डाटाबेस जनरेट कर सके। इस आवश्यकता के मद्देनजर कुछ कर्मशियल ट्रांसलेटर्स ऐसी क्षमता प्रस्तुत करते हैं और डाटा को सीधे किसी एप्लीकेशन डाटाबेस से बदला जा सके। इससे एप्लीकेशन और ट्रांसलेटर के बीच किसी इंटरफेस सॉफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं रह जाती।

    ईडीआई (EDI) कम्युनिकेशन

    ईडीआई ट्रांसलेशन प्रोसेस एप्लीकेशन डाटा को कम्युनिकेशन्स (संचार) हेतु तैयार ईडीआई डाटा में रूपांतरित करती है। कम्युनिकेशन्स सर्विस हालांकि ट्रांसलेशन प्रोसेस का अंग नहीं है। ईडीआई यह स्पेसिफाई नहीं करते कि ईडीआई डाटा ट्रेडिंग पार्टनर को किस तरह संचालित करेंगे। आजकल अधिकांश ईडीआई ट्रैफिक के संप्रेषण के लिए बल्क फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता है, (जैसे बायसिन्क्रोनस तथा एसिन्क्रोनस) ईडीआई यूजर्स अपने पार्टनर्स से कभी-कभार ही डायरेक्टली कनेक्ट होते हैं। यद्यपि एक विकल्प के रूप में पाइंट-टू-पाइंट कनेक्शन उपलब्ध है, किन्तु प्रत्यक्ष कारणों की वजह से इसे सामान्यतया प्रयुक्त नहीं किया जाता। कनेक्शन या तो वैल्यू एडेड नेटवर्क्स के माध्यम से होते हैं।

    EDI द्वारा सम्बन्धित समस्या कम्पनियाँ बिजनेस करने के लिए कागज का एक परम्परागत माध्यम के रूप में प्रयोग कर चुकी है। कम्पनी के रिकॉर्डस एक कागज पर उतारे जाते हैं तथा कम्पनियों के बीच जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए इन्हें प्रयुक्त किया जाता है। कम्प्यूटर की उत्पत्ति के कारण इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से डाटा प्रोसेस होता है परन्तु आदान- प्रदान आज भी पोस्टल सिस्टम पर निर्भर करता है। कम्पनियाँ अक्सर बिजनेस एप्लीकेशन में डाटा एंटर कर उसका प्रिंट निकालती है तथा उसे अपने ट्रेडिंग पार्टनर को भेज देती है। ट्रेडिंग पार्टनर इस डाटा को अपने बिजनेस एप्लीकेशन में एंटर कर लेता है। इस प्रक्रिया के कारण- इस आदान-प्रदान में लंबा समय लग जाता है।

    दोनों कम्पनियों को अत्याधिक कागजी कार्यवाही करनी पड़ती है। अत्यधिक कागजी कार्यवाही के कारण त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है।

    ईडीआई (EDI) इम्पलीमेन्टेशन क्राइटेरिया

    X12 तथा EDI FACT मानक इस मामले में काफी लचीले हैं कि एप्लीकेशन डाटा को ईडीआई डाटा से किस तरह दर्शाया जाए। कुछ एप्लीकेशन डाटा किसी एक ईडीआई स्ट्रक्चर्स पर मैप किया जा सकता है। उदाहरण के लिए X12 843 के अन्दर कोई सप्लायर प्रायमिंग सूचना को डॉक्यूमेंट के हेडर में या इंडीविजुअल लाइन आइटम एंट्रीज के रूप में दर्शा सकता है। स्टैंडर्ड की कुछ स्पष्टताओं को दूर करने तथा सूचना को एक्सचेंज की सफलता के लिए ट्रेडिंग पार्टनर्स ईडीआई इम्प्लिमेन्टेशन कन्वेन्शन्स का पालन करते हैं। इम्प्लिमेन्टेशन्स कन्वेन्शन्स ईडीआई मानकों के उपयोग से सम्बद्ध इंटरप्रिटेशन्स तथा प्रचलित व्यवहारों को दर्शाते हैं। इन्हें विशिष्ट इंडस्ट्रीज द्वारा, इंडस्ट्री के अंदर चुनिंदा मानकों के निर्वाह की सुविधा की दृष्टि से विकसित व प्रकाशित किया जाता है। इम्प्लिमेन्टेशन कन्वेन्शन्स को मानकों के साथ-साथ विशिष्ट रूप से अपडेट किया जाता है। 

    इंडस्ट्री में समरूपता लाने की दृष्टि से विभिन्न सरकारों ने सरकार के साथ व्यावसायिक काम-काज के दौरान उपयोग के लिए इम्प्लिमेन्टेशन कन्वेन्शन्स का एक सेट डेवलप किया है। इन कन्वेन्शन्स के उपयोग से किसी गवर्नमेंट सप्लायर से इस बात की गांरटी रहती है कि सभी गवर्नमेंट एजेन्सीज किसी EDI ट्रांजेक्शन का एक जैसा अनुवादं करेंगी। फंक्शनल एक्नॉलेजमेंट्स-यद्यपि EDI मानक कोई कम्युनिकेशन सूचना स्पेसिफाई नहीं करती, ईडीआई डाटा को भेजने वाले को यह मालूम पड़ना बहुत महत्त्वपूर्ण वात है कि पाने वाले को इन्फॉर्मेशन मिल गई है। 

    इस उत्सुकता के निवारण के लिए ASCX12 ने फंक्शनल एक्नॉलेजमेंट X12 997 नामक एक ट्रांजेक्शन डेवलप किया। फंक्शन एक्नॉलेजमेंट ईडीआई ट्रांजेक्शन प्राप्त करने वाले किसी फंक्शनल ग्रुप या ट्रांजेक्शन की स्वीकृति या अस्वीकृति की जाँच तथा सिन्टेक्स सम्बन्धी त्रुटि की रिपोर्ट देने के लिए भेजा जाता है। कई ट्रांसलेटर्स को ईडीआई इंटरचेंजेस की प्राप्ति पर अपने आप फंक्शनल एक्नॉलेजमेंट रिटर्न करने के लिए कन्फिगर किया जा सकता है। 

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