जिस प्रकार से सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) हो रहा है तथा भौगोलिक सीमाओं से परे, व्यापार की एक नई अवधारणा प्रचलन में आ गई है, इस परिप्रेक्ष्य में ई-कॉमर्स की महत्ता और बढ़ जाती है। ई-कॉमर्स ने व्यापार करने के तरीकों में आमूल-चूल परिवर्तन कर, नई व्यापारिक सम्भावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
ई-कॉमर्स से आशय : what is e-commerce
ई-कॉमर्स' में 'ई' शब्द इलेक्ट्रॉनिक का संक्षिप्त रूप है तथा कॉमर्स से अभिप्राय व्यापारिक लेन-देन से है।
ई-कॉमर्स कागजों पर आधारित पारम्परिक वाणिज्य पद्धतियों को अत्यन्त सक्षम, तीव्र एवं विश्वसनीय संचार माध्यमों से युक्त, कम्प्यूटर नेटवर्कों द्वारा विस्थापित करने का महत्वाकांक्षी प्रयास है।
विभिन्न व्यापारिक सहयोगियों, कम्पनियों, ग्राहकों, उपभोक्ताओं आदि के साथ व्यापारिक सूचनाओं का आदान-प्रदान, उन्नत सूचना प्रौद्योगिकी व कम्प्यूटर नेटवर्कों की सहायता से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करना ई-कॉमर्स कहलाता है।
"दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच वस्तुओं व सेवाओं के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से विनिमय ई-कॉमर्स है।" ई-कॉमर्स को हम अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली कह सकते हैं।
ई-कॉमर्स न केवल कागजों को विस्थापित कर इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप देता है बल्कि बहुत सारी अनावश्यक गतिविधियों को हटाकर व्यापार को इलेक्ट्रॉनिक वातावरण प्रदान करता है। इसके फलस्वरूप व्यापार करने के तरीकों में पूर्ण रूप से बदलाव आ गया है।
कम्प्यूटर नेटवर्को, इन्टरनेट वर्ल्ड वाइड वेब से लेकर ईडीआई (इलेक्ट्रॉनिक डेटा इन्टरचेंज), ई-मेल, ईबीबी (इलेक्ट्रॉनिक बुलेटिन बोर्ड), ई. एफ. टी. (इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर) आदि उपयोगी तकनीकों को समाविष्ट कर व्यापारिक कार्यकलापों को सम्पादित करने में ई-कॉमर्स एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
ई कॉमर्स की कार्यप्रणाली
ई-कॉमर्स प्रणाली का मुख्य आधार इलेक्ट्रानिक डाटा इन्टरचेंज है, जिसके अन्तर्गत आँकड़ों को परिवर्तित करने तथा स्थानान्तरित करने की सुविधा होती है। इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहक जब वेबसाइट पर उपलब्ध सामान को पसन्द करके क्रय करता है, तो उसे भुगतान के लिए कम्प्यूटर पर उपलब्ध एक फार्म भरना होता है। इस कार्य में अपना क्रेडिट कार्ड नम्बर, देय राशि, पाने वाली फर्म का नाम इत्यादि सूचनाएँ अंकित करनी होती है। फार्म के भरते ही ग्राहक के खाते से धनराशि निकलकर विक्रेता के खाते में स्थानान्तरित हो जाती है। इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज के अन्तर्गत अभी हाल में एक नई प्रणाली का सूत्रपात हुआ है। इस प्रणाली के अन्तर्गत क्रेता कम्प्यूटर पर अपने डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा चेक काट सकता है। इन चेकों को नेट चेक कहा जाता है। यह प्रणाली उन्हीं देशों में लागू है जहाँ डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता मिली हुई है।
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ई कॉमर्स सौदों का वर्गीकरण
ई-कॉमर्स सौदों का वर्गीकरण निम्नानुसार किया जा सकता है-
- सी 2 बी (कन्ज्यूमर टू बिजनेस)
- बी 2 बी (बिजनेस टू बिजनेस)
- आन्तरिक खरीद (इन्टरनल प्रोक्योरमेण्ट)
(i) सी 2 बी
यह 'टेली शॉपिंग' या 'मेल आर्डर', 'टेलीफोन आर्डर' आदि का विस्तार है। सामान्यतः इस प्रकार की ई-कॉमर्स में व्यापारिक गतिविधियाँ विक्रेता व उपभोक्ता के बीच सीधे 'कम्प्यूटर नेटवर्को' या 'इन्टरनेट' के माध्यम से चलती हैं। उत्पादक कम्पनियाँ 'इन्टरनेट' पर अपनी उपस्थिति ई-कॉमर्स वेब साइटों के माध्यम से दर्ज कराती हैं। उपभोक्ता इन वेब साइटों पर जाकर (इन्टरनेट सर्किंग) उत्पादों व सेवाओं की खरीद-फरोख्त करते हैं। इस प्रकार की ई-कॉमर्स वेबसाइटें तथा उन पर उपलब्ध सॉफ्टवेयर 'क्रेता' को मद्देनजर रखते हुए विभिन्न प्रकार की भुगतान विधियाँ उपलब्ध कराने में सक्षम होती हैं। कुल ई- कॉमर्स व्यापार का 25 प्रतिशत इसी प्रकार से होता है।
(ii) बी 2 बी
बी 2 बी या 'बिजनेस टू बिजनेस' ई-कॉमर्स, व्यापार की विभिन्न गतिविधियों को सुचारू रूप से एवं तीव्र गति से निष्पादित करने हेतु उचित वातावरण तैयार करने में मदद करने के साथ खर्चों में कटौती हेतु काफी कारगर है। इन्टरनेट के आगमन व उपयोगिता के कारण, व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने विभिन्न सुरक्षा तकनीकों को समाविष्ट कर बी 2 बी ई-कॉमर्स के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिए हैं। 'फायरवाल', 'सिक्योर्ड इलेक्ट्रानिक ट्रांजिक्शन', 'ईक्रिप्सन', 'औथोन्टिकेशन' व 'वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क' आदि तकनीकों को इन्टरनेट पर प्रयुक्त कर सुरक्षित रूप से व्यापारिक कारोबार किया जा रहा है। इस प्रकार की ई-कॉमर्स कुल ई-कॉमर्स कारोबार का लगभग 70 प्रतिशत है।
(iii) आन्तरिक खरीद या 'इन्टरनल प्रोक्योरमेण्ट'
इसमें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व बड़ी व भौगोलिक रूप से विस्तृत कम्पनियों की आन्तरिक खरीददारी विभिन्न विभागों व अनुशंगी संस्थानों के बीच होती है।
इंटरनेट पर बिक्री आर्डर की प्रोसेसिंग, बिलिंग, धन का लेन-देन व अन्य सम्बन्धित कारोबार, कम्पनियाँ अपने खर्चों में कटौती हेतु करती हैं। बहुत सारी कम्पनियाँ अपने 'इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग' (ईआरपी) को वेबसाइटों से जोड़कर वाणिज्यिक गतिविधियाँ कर रही हैं। इन सभी का उद्देश्य यही है कि ई-कॉमर्स व्यापारिक प्रतिष्ठानों की सीमाओं से परे, आन्तरिक व्यापार गतिविधियों को स्वचालित बना सके।
ई कॉमर्स के विभिन्न विभाग
ई-कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स या EC) इन्टरनेट पर वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी और बिक्री है, विशेषकर वर्ल्ड वाइड सेवा पर व्यवहार में यह शब्द और नया ई- बिजनेस अक्सर एक-दूसरे के स्थान पर प्रयोग में लाया जाता है-
ऑनलाइन रिटेल सेलिंग के लिये कभी कभार ई-टेलिंग शब्द का भी उपयोग किया जाता है।
ई-कॉमर्स को निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है-
- ई-टेलिग या "वर्चुअल स्टोर फ्रन्ट्स" वेबसाइट पर जिसके साथ ऑनलाइन केटलॉग रहते हैं। कभी-कभी यह सामूहिक रूप से वर्चुअल मॉल बनाते हैं।
- वेब कॉन्टेक्ट्स (मार्केट रिसर्च) के जरिए डेमोग्रेफिक आँकड़ों को एकत्रित करना और उपयोग करना।
- इलेक्ट्रॉनिक डाटा इन्टरचेंज (EDI) बिजनेस-टू-बिजनेस आँकड़ों का विनिमय।
- ई-मेल, फैक्स और मीडिया के रूप में इनका प्रयोग ताकि संभावित और स्थापित ग्राहकों (जैसे- न्यूजलेटर्स के साथ) पहुँचा जा सके।
- बिजनेस-टू-बिजनेस खरीदी और विक्री।
- बिजनेस लेन-देनों की सुरक्षा।
ई-टेलिंग या वर्चुअल स्टोरफ्रंट और वर्चुअल मॉल
डायरेक्ट रिटेल शॉपिंग की जगह, जहाँ 24 घण्टे उपलब्धता रहती है, वैश्विक पहुँच, बातचीत की क्षमता और कस्टम सूचनाएँ प्रदान करना तथा ऑर्डरिंग और मल्टीमीडिया प्रास्पेक्ट्स, विश्व के कारोबार में राजस्व के स्त्रोत में वेब तेजी से मल्टी मिलियन डॉलर का स्त्रोत बनता जा रहा है।
मार्केट रिसर्च
1999 के प्रारम्भ में यह व्यापक रूप से चिन्हित किया गया था कि इन्टरनेट की इन्टरएक्टिव प्रक्रिया के कारण कम्पनियाँ साइट रजिस्ट्रेशन, प्रश्नावली और आर्डर लेने के भाग के रूप में इनके माध्यम से प्रास्पेक्ट्स के बारे में आँकड़े एकत्रित कर सकती है और ग्राहकों को अतिरिक्त मात्रा तक पहुँचा सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक डाटा इन्टरचेंज (EDI)
EDI कारोबारी आँकड़ों का विनिमय है, जिसमें एक समझ योग्य डाटा फॉर्मेट का उपयोग किया जाता है। इसे आजकल इन्टरनेट के रूप में जाना जाता है। EDI में पार्टियों के मध्य आँकड़ों का विनिमय होता है जो एक-दूसरे को काफी अच्छी तरह से जानती है और वन-टू-वन (या पाइन्ट-टू-पाइन्ट) कलेक्शन की व्यवस्था होती है। EDI को एक अधिक मानक द्वारा प्रतिस्थापित करना अपेक्षित है।
ई-मेल, फैक्स और इन्टरनेट टेलीफोनी
ई-कॉमर्स सम्प्रेषण के इलेक्ट्रॉनिक रूपों के अधिक सीमित तरीकों जिन्हें ई-मेल, फैक्स और इन्टरनेट टेलीफोन के माध्यम से किया जाता है। यह अधिकांशतः बिजनेस-टू- विजनेस होता है। जिसमें कुछ कम्पनियाँ ई-मेल तथा फैक्स का उपयोग असंगठित विज्ञापनों के लिए कर रहे हैं। एक नया ट्रेन्ड (परिपाटी) है कि ई-मेल को आप्ट कर लिया जाए जिसमें वेब का उपयोग करने वाले स्वेच्छापूर्वक तरीके से सामान्यतः प्रायोजित या सीमित विज्ञापन उत्पाद की श्रेणियों के बारे में या अन्य किसी विषय पर जिसमें वह रुचि रखते हों, से सम्बन्धित ई-मेल रिसीव करने पर सहमत हों।
बिजनेस-टू-बिजनेस खरीदी एवं बिक्री
हजारों कम्पनियाँ जो अपने उत्पादों की बिक्री अन्य कम्पनियों को करती है, उन्होंने पाया है कि वेब न केवल उनके उत्पाद के लिए 24 घण्टे शोकेस उपलब्ध कराता है वरन् कम्पनी में अधिक सूचना प्राप्त करने के लिए सही व्यक्ति तक शीघ्र पहुँचने का माध्यम भी है।
कारोबारी लेन-देनों की सुरक्षा
सुरक्षा में सम्मिलित है प्राधिकृत कारोबार लेन-देनकर्ता, संसाधनों तक पहुँच पर नियन्त्रण जैसे वेब पेज पर पंजीकृत या चयनित उपयोगकर्ताओं के लिए, सम्प्रेषण की गोपनीयता और सामान्य रूप से लेन-देन के बारे में निजता तथा प्रभावोत्पादकता को बनाए रखना।
सिक्यूर सॉकेट्स लेयर (SSL) एक सर्वाधिक व्यापक सुरक्षा तकनीक अन्य सभी तकनीकों के मध्य है, जिसको दोनों अग्रणी वेब ब्राउसर्स के लिए बनाया गया है।
ई-कॉमर्स के विभिन्न प्रकार
इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स, ई-बिजनेस का एक उप-समूह है जिसके माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से लेन-देन या बिक्री की शर्ते निष्पादित की जाती हैं। इसमें वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी, बिक्री और विनिमय के लिए कम्प्यूटर नेटवर्क (जैसे कि इन्टरनेट) का उपयोग होता है। ई-कॉमर्स मॉडल के मुख्यतः 5 प्रकार होते है-
1. बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B)
यह ई-कॉमर्स का सबसे बड़ा रूप है, जिसमें अरबों डॉलर का कारोबार होता है। इस रूप में क्रेता एवं विक्रेता दोनों व्यापारिक संस्थान होते हैं और इसमें कोई व्यक्तिगत ग्राहक शामिल नहीं होता है। यह उत्पादक द्वारा खुदरा या थोक व्यापारी के समान ही आपूर्ति करने के समान है। उदाहरण डेक कम्पनी कम्प्यूटर व उसकी सम्बन्धित सामग्री का विक्रय ऑनलाइन करती है परन्तु उन सभी उत्पादों का निर्माण नहीं करती है। इसलिए इन उत्पादों की बिक्री के लिए वह इन्हें पहले विभिन्न उत्पादकों से खरीदता है।
2. बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2C)
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस मॉडल में बिजनेस और उपभोक्ता शामिल है। यह सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला ई- कॉमर्स खण्ड है। इस मॉडल में ऑनलाइन बिजनेस द्वारा व्यक्तिगत ग्राहक को बिक्री की जाती है। जब B2C शुरू हुआ था इसका बाजार अंश बहुत छोटा था परन्तु 1995 के पश्चात् इसकी वृद्धि जबरदस्त हुई है। इस प्रकार के पीछे मूल विचारधारा यह है कि ऑनलाइन खुदरा व्यापारी और मार्केटर्स ऑनलाइन उपभोक्ता को एकदम सुस्पष्ट आँकड़ों का उपयोग करते हुए जो विभिन्न ऑनलाइन विभिन्न मार्केटिंग साधनों के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं, जैसे एक ऑनलाइन फॉर्मेसी निः शुल्क चिकित्सा सलाह देती है और अपनी दवाओं की विक्री महीनों को B2C मॉडल का प्रयोग करते हुए कर रही है।
3. कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर (C2C)
यह वस्तुओं और सेवाओं का दो व्यक्तियों के मध्य ऑनलाइन लेन-देन सम्भव बनाती है। । यद्यपि कोई दृश्य मध्यस्थ इसमें शामिल नहीं होता है, परन्तु इसके पास बिना किसी प्लेटफॉर्म के यह लेन-देन पूरा नहीं कर सकते हैं और यह प्लेटफॉर्म ऑनलाइन मार्केट मेकर द्वारा प्रदान किया जाता है, जैसे कि eBay.
4. पीयर टू पीयर (P2P)
यद्यपि यह एक ई-कॉमर्स मॉडल है परन्तु उससे भी बढ़कर है। यह अपने आप में एक तकनीक है जो व्यक्तियों को सीधे कम्प्यूटर फाइल और कम्प्यूटर संसाधनों को सीधे शेयर बिना सेन्ट्रल वेब सर्वर के माध्यम का उपयोग करने में सहायक होती है। इसका उपयोग करने के लिए, दोनों पक्षों को वांछित सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल करना जरूरी होता है ताकि वह कॉमन प्लेटफॉर्म पर संवाद स्थापित कर सके। इस प्रकार का ई-कॉमर्स काफी कम रेवेन्यू उत्पन्न करता है, क्योंकि काफी प्रारम्भ से इसे निःशुल्क उपयोग के लिए ही तैयार किया गया था, जिसके कारण कभी-कभार यह साइबर कानूनों की परिधि में भी उत्पन्न हो जाता है।
5. एम-कॉमर्स
इसमें लेन-देन को पूर्ण करने के लिए मोबाइल साधन का उपयोग होता है। मोबाइल साधन धारक एक-दूसरे से सम्पर्क कर कारोबार करते हैं। यहाँ तक कि वेब डिजाइन और डवलपमेंट कम्पनियों ने वेबसाइट को आदर्शित किया है ताकि मोबाइल साधन पर इसे सही तरीके से देखा जा सके।
इसके अलावा अन्य प्रकार के ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल भी होते है, जैसे बिजनेस टू इम्प्लाई (B2E), परन्तु इनका स्तर ऊपर वर्णित किए गए प्रकारों के समान ही होता है। इसके अलावा यह आवश्यक नहीं है कि यह मॉडल सभी प्रकार के ऑनलाइन बिजनेस प्रकारों के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो। ऐसा भी मामला हो सकता है कि बिजनेस सारे मॉडलों का उपयोग कर रहा हो या उनमें से कोई एक या उनमें से कुछ, जैसी भी उसकी आवश्यकता हो।
G2E (गवर्नमेंट-टू-इन्टलाई)
G2B (गवर्नमेंट-टू-बिजनेस)
B2G (बिजनेस-टू-गवर्नमेंट)
G2C (गवर्नमेंट-टू-सिटीजन)
C2G (सिटीजन-टू-गवर्नमेंट)
यह भी ई-कॉमर्स के अन्य रूप है जिसमें करों को जमा करने के लिए, कारोबार रजिस्ट्रेशन से लाइसेंस के नवीनीकरण आदि के लिए सरकार से लेन-देन शामिल होते हैं।
ई कॉमर्स के लाभ और हानि अथवा गुण-दोष
तीव्र इन्टरनेट कनेक्टिविटी और शक्तिशाली ऑनलाइन साधनों की खोज के कारण एक नए व्यवसाय क्षेत्र को खोला है वह है ई-कॉमर्स। ई-कॉमर्स कई लाभ कम्पनियों तथा ग्राहकों को प्रदान करती है, परन्तु यह कई समस्याएँ भी खड़ी करता है।
ई-कॉमर्स के लाभ/गुण
- शीघ्र खरीदी/बिक्री प्रक्रिया, साथ ही साथ उत्पादों को प्राप्त करना आसान।
- खरीदी/बिक्री किसी भी समय कर सकते हैं।
- ग्राहकों तक अधिक पहुँच, कोई सैद्धांतिक भौगोलिक कोई सीमा नहीं।
- कम परिचालन लागत और बेहतर सेवा की गुणवत्ता।
- भौतिक रूप से कम्पनी की स्थापना की आवश्यकता नहीं।
- प्रारम्भ करने में आसान और बिजनेस को मैनेज करना आसान।
- इसकी सहायता से बिजनेस संस्थान या व्यक्ति की पहुँच ग्लोबल मार्केट तक हो जाती है।
- यह राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार दोनों की माँग की पूर्ति करती है।
- उत्पाद एवं सेवाओं की बिक्री एवं खरीदी के लिए छोटे उद्यमी ग्लोबल मार्केट में प्रवेश कर सकते है।
उपभोक्ता उद्यमों के लिए
- उपभोक्ता आसानी से विशिष्ट उत्पाद पर अनुसंधान कर सकता है और कभी कभार मूल उत्पादक को भी ढूंढ निकालते है ताकि होलसेलर द्वारा जो कीमत प्रभारित की जा रही है उससे कम कीमत पर उत्पाद को खरीदा जा सके।
- बिना भौतिक रूप से गतिशील हुए विभिन्न प्रदायको से ग्राहक आसानी से उत्पादों का चयन कर सकता है।
- ऑनलाइन खरीदी अधिक सुविधाजनक और समय बचाने वाली हो सकती है बजाय परम्परागत शॉपिंग के।
कारोबार उद्यमों के लिए
- ई-कॉमर्स ने मार्केटिंग, कस्टमर केअर, प्रोसेसिंग, सूचना स्टोरेज और इन्वेन्ट्री मैनेजमेंट से जुड़ी लागतों में महत्वपूर्ण कटौती कर दी है।
- बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग में लगने वाली अवधि को इसने कम कर दिया है, विशिष्ट ग्राहकों की माँग को पूरा करने के लिए उत्पादों का अनुकूलीकरण, उत्पादकता में वृद्धि और ग्राहक देखभाल सेवाओं की अवधि भी इसने कम कर दी है।
- इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के कारोबार को चलाने के लिए मूलभूत सुविधाओं के वजन को भी घटा दिया है और इस कारण लाभप्रद निवेश के लिए उपलब्ध फंड की मात्रा भी बढ़ गई है।
- यह ग्राहक के व्यवहार से जुड़ी सूचनाओं को एकत्रित एवं प्रबंधित करता है जो अन्ततः प्रभावी मार्केटिंग और प्रमोशनल रणनीति को विकसित करने एवं अंगीकृत करने में सहायक होता है।
ई-कॉमर्स के दोष/हानि
- कोई भी आसानी से अच्छा या बुरा बिजनेस प्रारम्भ कर सकता है और ऐसी कई बुरी साइट है जो ग्राहक के धन से धोखाधड़ी कर सकती है।
- उत्पाद की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती है।
- मैकेनिकल असफलता पूरी प्रक्रिया पर गैर-अनुमानित प्रभावों का कारण बन सकते हैं।
- जैसा कि ग्राहक का कम्पनी से सीधे संवाद के अवसर न्यूनतम होते हैं, ग्राहक की वफादारी हमेशा प्रश्नाधीन रहती है।
- कई हैकर्स होते हैं जो मौके की तलाश में रहते हैं और ई-कॉमर्स साइट में सेवा, भुगतान के रास्ते, यह सभी अटैक करने के लिए हमेशा सहज होते है।
- सुरक्षा उपायों के तहत कई व्यक्ति व्यक्तिगत और निजी सूचनाओं की जानकारी देने की आवश्यकता के बारे में संकोची होते है।
- कई बार विभिन्न ई-कॉमर्स साइटों की विधिकता और प्राधिकारिता पर भी सवाल खड़े किए गए है।
- इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स की पहचान कुछ तकनीकी और निहित सीमाओं के द्वारा भी की जाती है, जिनके कारण से इस क्रान्तिकारी पद्धति का उपयोग करने वाले व्यक्तियों की संख्या सीमित हो जाती है।
- ई-कॉमर्स का एक महत्वपूर्ण दोष यह है कि अभी भी बड़ी संख्या में लोगों की पहुँच तक इन्टरनेट नहीं जा पाया है या तो प्रक्रिया में कहीं कमी है या विश्वास की कमी है।
- वस्तुएँ जैसे खाद्यान्न, खाद्य उत्पादों की खरीदी के लिए लोग ई-कॉमर्स का उपयोग करने के बजाय परम्परागत तरीके से खरीदी करना पसंद करते है। इसलिए ऐसे बिजनेस क्षेत्र के लिए ई-कॉमर्स उपयुक्त नहीं है।
- ई-कॉमर्स के मामले में उत्पादों की भौतिक रूप से डिलेवरी में लगने वाली समयावधि भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आपका वांछित उत्पाद आपको मिल जाए, इसके पूर्व अनेकों टेलीफोन, कॉल्स, ई-मेल की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
- यदि आप विशिष्ट उत्पाद से संतुष्ट नहीं है तो ऐसी स्थिति में खरीदी की तुलना में उत्पाद को लौटाना और रिफंड प्राप्त करना ज्यादा अधिक कठिन और समय लेने वाला होता है।
इस तरह ई-कॉमर्स के विभिन्न गुण एवं दोषों का मूल्यांकन करने के पश्चात् हम कह सकते हैं कि ई-कॉमर्स के लाभों में संभावना है कि वह उसके दोषों की तुलना में अधिक फायदेमंद हों। तकनीकी मुद्दों पर एक समुचित रणनीति और पद्धति में ग्राहकों का विश्वास मजबूत करने से वर्तमान परिदृश्य बदला जा सकता है और ई-कॉमर्स को अंगीकार करने तथा विश्व की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिल सकती है।
ई-कॉमर्स के विकास में बाधाएँ
ई-कॉमर्स अभी अपने शैशवकाल में हे अतः इसके विकास में अनेक बाधाएँ आ रही हैं। ई-कॉमर्स के विकास में आने वाली प्रमुख बाधाएँ इस प्रकार हैं-
- सबसे बड़ी बाधा भुगतान सम्बन्धी है। हालांकि तरह-तरह की भुगतान विधियाँ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर उपलब्ध हैं लेकिन धोखाधड़ी व 'हैकिंग' से पूर्ण रूप से मुक्ति नहीं मिली है।
- ई-कॉमर्स टेलीफोन लाइनों पर आधारित है। अभी भी अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ टेलीफोन सुविधा का अभाव है। ऐसे क्षेत्रों में इस सुविधा का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
- डिजिटल सिग्नेचर व डिजिटल सर्टिफिकेटों की मान्यता सभी देशों में अभी नहीं है, अतः सूचनाओं की सत्यता की जाँच करना कठिन हो जाता है।
- उचित कानूनी ढाँचे के अभाव में इसके विकास में बाधाएँ आती हैं।
- यह कारोबार इंटरनेट के द्वारा किया जाता है। अभी भी बड़ा भौगोलिक क्षेत्र इन्टरनेट सेवा से वंचित है।
उपरोक्त बाधाओं के बावजूद ई-कॉमर्स का भविष्य उज्जवल है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित व्यापारिक गतिविधियों जैसे कि वित्त, स्वास्थ्य, मनोरंजन, पर्यटन, शिक्षा आदि में भी ई-कॉमर्स के द्वारा व्यापार की प्रबल सम्भावनाएँ हैं।