ई-कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स में कम्प्यूटर की सहायता से इन्टरनेट पर कारोबार होता है, यह कम्प्यूटर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं व नेटवर्क का निर्माण करते हैं। ई-कॉमर्स डिजिटल सम्प्रेषण माध्यमों के जरिए वस्तुओं और सेवओं की खरीदी और निधियों का अंतरण है।
कम्प्यूटर नेटवर्को, इन्टरनेट वर्ल्ड वाइड वेब से लेकर ईडीआई (इलेक्ट्रॉनिक डेटा इन्टरचेंज), ई-मेल, ईबीबी (इलेक्ट्रॉनिक बुलेटिन बोर्ड), ई. एफ. टी. (इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर) आदि उपयोगी तकनीकों को समाविष्ट कर व्यापारिक कार्यकलापों को सम्पादित करने में ई-कॉमर्स एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
ई-कॉमर्स के उपयोग
(1) ई-कॉमर्स समय या दूरी की बाधा के बिना कारोबार करने की अनुमति प्रदान करता है। एक व्यक्ति किसी भी समय इन्टरनेट पर लॉग ऑन कर सकता है, चाहे वह दिन हो या रात और मॉउस के एक क्लिक पर वांछित कोई भी सामान की खरीदी या बिक्री कर सकता है।
(2) वेबसाइट पर लिए गए आदेश की प्रत्यक्ष बिक्री लागत परम्परागत तरीकों (रिटेल, कागज आधारित) से कम होती है। क्योंकि ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक खरीद आदेश प्रक्रिया में कोई मानव संवाद नहीं होता है। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक बिक्री में प्रोसेसिंग की त्रुटियों की संभावना लगभग खत्म हो जाती है और साथ ही साथ ऑर्डर देने वाले के लिए यह तीव्र एवं अधिक सुविधाजनक होता है।
(3) ई-कॉमर्स विशिष्ट उत्पादों के लिए आदर्श होते हैं। सामान्यतः ऐसे उत्पादों के लिए खरीददार काफी कम होते हैं। परन्तु व्यापक बाजार में अर्थात् इन्टरनेट के जरिए यह विशिष्ट उत्पाद भी काफी मूल्यवान मात्रा उत्पन्न कर सकते हैं।
(4) ई-कॉमर्स का अन्य महत्वपूर्ण उपयोग यह है। कि यह कारोबार करने का सबसे सस्ता माध्यम है।
(5) मार्केट प्लेस का दिन-प्रतिदिन का दबाव अपनी कम्पनी की प्रतियोगी स्थिति में सुधार के लिए कम्पनियों को निवेश करने के अवसरों को कम करने में अपनी भूमिका का निर्वाह करता है। एक परिपक्व बाजार, बढ़ती प्रतियोगिता इन सबने निवेश के लिए उपलब्ध धन की मात्रा घटा दी है। यदि विक्री कीमत में वृद्धि नहीं की जा सकती है और उत्पादन की लागत को कम नहीं किया जा सकता है तब जो अन्तर रह जाता है वह कारोबार को चलाने में आड़े आता है।
(6) खरीददार के दृष्टिकोण से भी ई-कॉमर्स काफी मूर्त लाभ प्रदान करता है-
- क्रेता को छाँटने के समय में कमी।
- बेहतर क्रेता का निर्णय।
- इन्वाईस तथा आर्डर की प्रक्रिया की अनियमितताएँ कम करने में कम समय लगना।
- वैकल्पिक उत्पादों को खरीदने के बढ़ते अवसर।
(7) बिजनेस को 'ई-कॉमर्स योग्य' बनाने के रणनीतिक लाभ यह है कि यह डिलिवरी के समय, श्रम की लागत और निम्न क्षेत्रों में लगने वाली लागत को घटाती है-
- दस्तावेजों को तैयार करना
- गलती का पता लगाना और सुधारना
- समाधान
- डाक की तैयारी
- टेलीफोन पर सम्पर्क
- क्रेडिट कार्ड मशीन
- डाटा एन्ट्री
- ओवर टाइम
- सुपरविजन (देखभाल या पर्यवेक्षण) के व्यय।
(8) ई-कॉमर्स के परिचालनगत लाभों में सम्मिलित है बिजनेस, संचालन पूर्ण करने में वांछित व्यक्ति और समय दोनों में कमी आना और अन्य स्त्रोतों पर से दबाव घट जाना है। यह इसलिए सम्भव है क्योंकि इन सभी लाभों से कोई व्यक्ति ई-कॉमर्स की ताकत से लाभान्वित हो सकता है और ई-बिजनेस साल्यूशन प्रोवाइडरों द्वारा उपलब्ध कराए गए ई-कॉमर्स साल्यूशन्स के माध्यम से अपने बिजनेस को ई- बिजनेस में परिवर्तित कर आमूल-चूल परिवर्तन प्राप्त कर सकता है।
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ई कॉमर्स की प्रमुख सीमायें या बाधायें
ई-कॉमर्स की कुछ सीमाओं में निम्नलिखित सम्मिलित है-
1. भौतिक रूप से उत्पाद की डिलिवरी में समय
यह सम्भव है कि स्थानीय म्यूजिक स्टोर में पैदल जाकर एक सीडी खरीद लीजिए या बुक स्टोर जाकर एक पुस्तक खरीदकर लौट आया जाए। ई-कॉमर्स का अक्सर उपयोग पूरे विश्व में उन वस्तुओं की खरीदी के लिए किया जाता है जो कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं हो पाती है अर्थात् भौतिक रूप से वस्तुओं की डिलिवरी करने की आवश्यकता होती है, जिसमें समय लगता है और धन खर्च होता है। कुछ मामलों में इसके भी उपाय हैं। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक फाइलों के रूप में संगीत या किताबें इन्टरनेट के माध्यम से सभी एसेस कर सकते हैं, क्योंकि यह भौतिक वस्तुएँ नहीं है।
2. भौतिक उत्पाद, आपूर्ति और आपूर्ति की अनिश्चितता
जब आप दुकान में किसी सामान की खरीदी के लिए जाते है, वह आपका हो जाता है, आप उसे ले सकते है, आप देख व जान सकते हैं कि वह क्या है, वह कहाँ है और वह किस प्रकार दिखता है- कुछ मामलों में ई-कॉमर्स खरीदी विश्वास पर की जाती है। यह इसलिए क्योंकि पहली बात उत्पाद तक भौतिक पहुँच नहीं होती है, खरीदी इस आधार पर की जाती है कि उत्पाद क्या है और उसकी स्थिति क्या है। दूसरा इसलिए क्योंकि आपूर्ति कारोबार पूरे विश्व में किया जा सकता है, यह अनिश्चित हो सकता है कि क्या वह न्यायोचित बिजनेस है या नहीं या केवल आपका धन लेकर नहीं चला जाए। उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाना या कानूनी कार्यवाही करना अत्यन्त कठिन है। तीसरे, यदि सामग्री भेज भी दी जाए, तो इस बात का अनिश्चितता आसानी से उत्पन्न होने लगती है कि क्या वह हमारे पास तक पहुँचेगी या नहीं।
3. नाशवान वस्तुएँ
इन्टरनेट के जरिए, खरीदी या बेची गई वस्तुएँ मजबूत और अ-नाशवान होनी चाहिए। वह इस तरह की होनी चाहिए कि आपूर्तिकर्ता से लेकर खरीदने वाले कारोबारी या उपभोक्ता तक की यात्रा सही सलामत रूप से पूरी कर सके। इस कारण से नाशवान और / या गैर-टिकाऊ वस्तुओं के लिए फिर से परम्परागत आपूर्ति चेन व्यवस्था की ओर या तुलनात्मक अधिक स्थानीय ई-कॉमर्स आधारित खरीदी विक्री और वितरण की ओर मुड़ना पड़ता है। इसके विपरीत टिकाऊ वस्तुएँ लगभग किसी से भी, किसी तक भी खरीदी-बेची जा सकती है, निम्न कीमतों के लिए आकर्षक प्रतियोगिता सहित। कुछ मामलों में इससे मध्यस्थता समाप्त होती है, जिसमें मध्यस्थ तथा विजनेस उपभोक्ता द्वारा बाईपास कर दिए जाते हैं और अन्य कारोबारों के जरिए वह सीधे उत्पादकों से खरीदी की ओर देखने लगते है।
4. सीमित और चयनित संवेदनशील सूचनाएँ
जब हम किसी चीज की जाँच करते हैं, हम चयन कर सकते हैं कि हम क्या देखें और उसे किस प्रकार देखें। ऐसा इन्टरनेट पर नहीं होता है, यदि हम इन्टरनेट पर कार खरीदने के बारे में देख रहे है, हम उन्हीं चित्रों कां देख सकते हैं जिनका दिखाने के लिए चयन विक्रेता द्वारा किया गया है, हम उस भाग को नहीं देख सकते जो यदि व्यक्तिगत रूप से मौजूद होने पर देखे जा सकते हैं। विश्व के अनुभवों के भण्डार में ऐसे कई तरीके हैं जिन्हें इन्टरनेट द्वारा सूचित नहीं किया जा सकता है।
5. माल लौटाना
ऑनलाइन में वस्तुओं को लौटाना एक कठिनाई का क्षेत्र है। प्रारम्भिक भुगतान और वस्तुओं की डिलिवरी से जुड़ी अनिश्चितताएँ इस प्रक्रिया में और उभर कर सामने आती है। क्या वस्तुएँ वापस उसके स्त्रोत पर पहुँच जाती है? रिटर्न पोस्टेज के लिए कौन भुगतान करेगा ? क्या वापसी धनराशि का भुगतान हो जाएगा? ऐसा तो नहीं कि मेरे पास कुछ न रहे ? इसमें कितना समय लगेगा? इसकी तुलना एक दुकान में सामान लौटाने के ऑफलाइन अनुभवों के साथ की जाती है।
6. निजता, सुरक्षा, भुगतान, पहचान और संविदा
सूचना की निजता, सूचना की सुरक्षा और भुगतान के विवरण, भुगतान के विवरणों (उदाहरण क्रेडिट कार्ड के विवरणों) का कहीं दुरुयोग तो नहीं होगा, पहचान की चोरी, संविदा और क्या हमारे पास रहेगा या नहीं, कौन से कानून और विधिक न्यायक्षेत्र लागू होगा ऐसे कई मुद्दे ई-कॉमर्स में उठते है।
7. सेवाओं की व्याख्या और अनपेक्षित अवस्था
ई-कॉमर्स ज्ञात और स्थापित से लेन-देन का प्रबंधन करने का प्रभावी माध्यम है, इसमें वस्तुएँ सदैव तैयार रहती है। यह नए या अनवेक्षित वस्तुओं के साथ व्यवहार करने के लिए उपयुक्त नहीं है। ऐसे निवेदनों के लिए मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है ताकि जाँच-पड़ताल कर सके और हल निकाला जा सके।
8. व्यक्तिगत सेवाएँ
यद्यपि कुछ मानवीय संवाद वेब के माध्यम से सुविधाजनक संभव है, ई-कॉमर्स संवाद की गंभीरता प्रदान नहीं कर सकती है, जो व्यक्तिगत सेवाओं द्वारा प्रदान की जाती है। अधिकांश कारोबारों के लिए, ई-कॉमर्स विधियाँ इन्फॉर्मेशन-रिच- काउन्टर अटेन्डेन्ट का समतुल्य प्रदान करती है, बजाय एक सेल्स पर्सन के इसका यह भी अर्थ है कि प्रदान की जा रही सेवाओं एवं उत्पाद के बारे में लोग किस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, यह फीडबैक भी अधिक हल्का हो जाता है या ई-कॉमर्स एप्रोच में इसका उपयोग समाप्त हो जाता है।
9. लेन-देनों का आकार एवं संख्या
ई-कॉमर्स में अक्सर भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड सुविधा का चयन किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप अत्यन्त छोटे और अत्यन्त बड़े लेन-देन ऑनलाइन पर पूर्ण नहीं हो सकते है। लेन-देन का आकार भौतिक रूप से वस्तुओं के परिवहन की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डालता है।