UP TGT PGT COMMERCE 2024 Daily Practice SET 05 in Hindi medium

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मेरे प्यारे साथियों UP TGT PGT परीक्षा प्रश्नों के नवीनतम परीक्षा पैटर्न और Trends को जानकर अपनी UP TGT PGT परीक्षा की तैयारी करें। UP TGT PGT की परीक्षा पास करने के लिए Praveen education blog आवश्यक तैयारी करने का सही ज्ञान प्रदान करता है और आपको भरपूर जानकारी भी देता है। UP TGT PGT प्रश्न बैंक में सभी UP TGT PGT COMMERCE परीक्षा प्रश्न हिंदी में हैं।

यहां पर UP TGT-PGT कॉमर्स 2024 की दैनिक प्रैक्टिस के लिए 20 प्रश्नों का सेट दिया गया है। ये प्रश्न विभिन्न कॉमर्स विषयों से संबंधित हैं, जैसे कि अकाउंटिंग, बिजनेस स्टडीज, इकोनॉमिक्स, और फाइनेंस।

UP TGT PGT परीक्षा 2024 के सभी विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे परीक्षा को अच्छे number से पास  करने के लिए नियमित रूप से UP TGT PGT अभ्यास सेट का अध्ययन तथा अभ्यास करें और किसी भी प्रकार की गलतियों से बचने के लिये और अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए उसके अनुरूप तैयारी करें। 

अतः सभी विद्यार्थियों से विनम्र अनुरोध है कि अभ्यास प्रश्नों उत्तरों का विवेकपूर्ण चयन के साथ अभ्यास करेंविश्लेषण करें और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है और आप खूब मेहनत और लगन के साथ अध्ययन करें और सफल हों।

UP TGT-PGT COMMERCE 2024 Daily Practice SET 05 in Hindi

UP TGT-PGT COMMERCE 2024 Daily Practice SET 05 in Hindi

1.यदि अन्तिम रहतिया तलपट के अन्दर दिखाया गया हो, तो उसे कंहा दिखाया जायेगा ?

  • (a) Trading A/c/व्यापार खाता में
  • (b) Balance Sheet/आर्थिक चिट्ठे में
  • (c) Cash A/c/रोकड़ खाता में
  • (d) Profit & Loss A/c/लाभ-हानि खाता में
Ans. (b): यदि अन्तिम रहतिया तलपट के अन्दर दिखाया गया हो, उसे आर्थिक चि‌ट्ठे के सम्पत्ति पक्ष की ओर दिखाया जाता है। कभी-कभी अन्तिम रहतिया तलपट के अन्दर दिया रहता है। इसका आशय है कि इसका मूल्यांकन वर्ष की समाप्ति होने से पहले किया जा चुका है और यह राशि क्रय की राशि में से घटायी जा चुकी है। ऐसी दशा में अधिकार क्रय समायोजित (Purchase Adjusted) की राशि तलपट में दी रहती है। ऐसी दशा में उसे केवल आर्थिक चिट्ठे में सम्पत्ति पक्ष की ओर ही लिखा जाता है।

2. आय मापी जाती है-

  • (a) द्विपक्ष अवधारणा के आधार पर
  • (b) एकरूपता अवधारणा के आधार पर
  • (c) अनुरूपता की अवधारणा के आधार पर 
  • (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

Ans. (c) : आय अनुरुपता की अवधारणा के आधार पर मापी जाती है। लेखांकन के लिए अनुरुपता की अवधारणा भी आवश्यक है। इसका अर्थ यह हुआ कि शुद्ध लाभ का निर्धारण तभी ठीक हो सका है, जब जिस अवधि के लिए व्ययों को लेना चाहिए आय की गणना सही-सही करने के लिए अनुरुपता आवश्यक है। इसी सिद्धान्त का पालन करते हुए लेखपाल अदत्त व्ययों को जोड़ते है एवं पूर्वदत्त व्ययों को घटाते है। ठीक इसी तरह अर्जित आय जोड़ी जाती है और अनार्जित आय घटायी जाती है। इससे एक लेखांकन अवधि का शुद्ध लाभ ज्ञात करने में आसानी होती है। 

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3. एक व्यापारी अपने लाभ का 20% भाग सामान्य संचय में अन्तरित करता है। ऐसा वह किस अवधारणा के आधार पर करता है?

  • (a) रूढ़िवादिता की अवधारणा
  • (b) एकरूपता की अवधारणा
  • (c) वसूली की अवधारणा
  • (d) मुद्रा-मापन की अवधारणा

 Ans. (a): एक व्यापारी अपने लाभ का 20% भाग सामान्य संचय न में अन्तरित करता है, तो ऐसा वह रुढ़िवादिता का अवधारणा के आधार पर करता है। सामान्य शब्दों में रुढ़िवादी प्रथाओं का आशय उन प्रथाओं से है, जिनके अन्तर्गत भविष्य में होने वाली हानियों के लिए प्रावधान किया जाता है, किन्तु लाभ के लिए नहीं।

4. द्विपक्षी अवधारणा पर आधारित व्यवहारों के लेखा करने की प्रणाली क्या कहलाती है ?

  • (a) इकहरा लेखा प्रणाली 
  • (b) दोहरा लेखा प्रणाली
  • (c) दोहरा खाता प्रणाली
  • (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

Ans. (b): द्विपक्षीय अवधारणा पर आधारित व्यवहारों का लेखा करने की प्रणाली को दोहरा लेखा प्रणाली (Double Entry System) कहते है। लेखांकन की यह अवधारणा है कि प्रत्येक सौदा दो खातों को प्रभावित करता है। यही कारण है कि लेखांकन की दोहरा लेखा प्रणाली का जन्म हुआ। इस प्रणाली में एक पक्ष को डेबिट तथा दूसरे पक्ष को क्रेडिट किया जाता है। व्यवसाय के सभी सौदे इसी अवधारणा के आधार पर ही लिखे जाते है।

Note-

पूँजी +ऋण =सम्पत्तियाँ
पूँजी + दायित्व = सम्पत्तियाँ

5. लेखा मानक AS-3 सम्बन्धित है-

  • (a) रोकड़ प्रवाह विवरण 
  • (b) कोष प्रवाह विवरण
  • (c) हास के लिए लेखांकन
  • (d) इनमें से कोई नहीं

Ans. (a): लेखांकन प्रमाप (AS-3) Cash Flow Statement (रोकड़ प्रवाह विवरण)से संबंधित होता है। भारत में लेखांकन प्रमाप ASB (Accounting Standard Board) जिसकी स्थापना 1977 में की गई थी, जारी करता है। यह ICAI के अधीन है।

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6. निम्नलिखित में से कौन-सा लेखांकन समीकरण सही है?

  • (a) सम्पत्ति = स्वामित्व की इक्विटी
  • (b) सम्पत्ति = दायित्व + स्वामित्व की इक्विटी
  • (c) सम्पत्ति =दायित्व - स्वामित्व की इक्विटी
  • (d) सम्पत्ति +दायित्व = स्वामित्व की इक्विटी

Ans. (b) : लेखांकन समीकरण लेखांकन की दोहरा लेखा प्रणाली पर आधारित है। जहाँ लेखांकन प्रक्रिया के सबसे अंतिम चरण में आर्थिक चिट्ठे के दोनों पक्ष अर्थात् दायित्व तथा सम्पत्ति पक्ष की गणना की जाती है तथा दोनों ही पक्षों का योग समान आता है अतः लेखांकन समीकरण है- 

Assets Liabilities + capital 
सम्पत्ति = दायित्व पूँजी

7. उपार्जन अवधारणा सम्बन्धित है-

  • (a) Revenue/आगम
  • (b) Items/वस्तुएं 
  • (c) Depreciation/हास
  • (d) इनमें से कोई नहीं

Ans. (a): उपार्जन अवधारणा आगमों से संबंधित है। उपार्जन अवधारणा लेखांकन की सबसे बुनियादी सिद्धान्त है। जिसमें अर्जित करने के दौरान राजस्व को रिकार्ड की आवश्यकता होती है, न की तब जब वह प्राप्त होते है। ऐसे ही खर्च भी तब रिकार्ड किए जाएगें जब वह खर्च किए गए हों न की जब भुगतान किए गए हों।

8. भारत में लेखांकन मानक बोर्ड का गठन कब हुआ?

  • (a) 1969
  • (b) 1977
  • (c) 1918
  • (d) 2007

Ans. (b) : भारत में लेखांकन मानक बोर्ड की स्थापना 1977 में हुई थी। इसे IASB (Indian Accouting Standard Board) के नाम से जानते हैं। 21 अप्रैल, 1977 को हमारे देश में प्रमुख लेखा निकाय के रूप में भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान ने "लेखा मानक बोर्ड" (ASB) की स्थापना की जो हमारे देश में प्रचलित विभिन्न लेखा नीतियों और विधाओं में सामंजस्य स्थापित करता है।

9. ..................... के लिए व्यापार छूट की अनुमति होती है।

  • (a) नकदी के शीघ्र भुगतान
  • (b) बड़ी मात्रा में उत्पाद खरीदने
  • (c) 30 दिन की समयावधि के अंदर नकदी के भुगतान
  • (d) व्यापार विस्तार के लिए विभिन्न बाजारों में कई इकाईयाँ खोलने
  • (e) ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध कायम रखने 
Ans. (b) : व्यापारिक छूट व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दी जाती है। जब व्यापारी को अपना व्यापार बढ़ाना होता है। तो वह व्यापारिक छूट का सहारा लेता है। अतः व्यापारिक छूट बड़ी मात्रा में उत्पाद खरीदने पर प्रदान की जाती है। जैसे- आप 1 उत्पाद खरीदें तो कुल मूल्य देना होता है पर यदि आप उसी उत्पाद की 10 इकाई खरीदें तो कम मूल्य भुगतान करना होता है। ऐसे में जो कम मूल्य चुकाया गया यही व्यापारिक छूट है।

10. सूत्रधारी कंपनी और इसकी आनुषंगिक कंपनी का समेकित आर्थिक चिट्ठा निम्नलिखित में से किसके अनुसार तैयार किया जाता है?

  • (a) AS 11/लेखांकन मानक 11
  • (b) AS 21/लेखांकन मानक 21
  • (c) AS 22/लेखांकन मानक 22
  • (d) AS 23/लेखांकन मानक 23

Ans: (b) सूत्रधारी कम्पनी (Holding Company) और इसकी आनुषंगिक कम्पनी (Subsidiary Company) का समेकित आर्थिक चिट्ठा लेखांकन मानक 21 (AS-21) के अनुसार तैयार किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य लेखांकन मानक निम्नलिखित है-

  1. AS-11- विदेशी विनिमय दर में परिवर्तन का प्रभाव
  2. AS-22- आय पर कर का लेखांकन
  3. AS-23- मिश्रित वित्तीय विवरण में विनियोगों का लेखांकन

11. स्थायी सम्पत्ति को क्रय करने हेतु लिए गये ऋण पर ब्याज क्या कहलाते हैं ?

  • (a) Revenue Expenditure/आयगत व्यय
  • (b) Capital Expenditure/पूँजीगत व्यय
  • (c) Deferred Revenue Expenditure/स्थगित आयगत व्यय
  • (d) Capital Loss/पूँजी-हानि

Ans. (b) : स्थायी सम्पत्तियों को क्रय करने हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज का भुगतान पूँजीगत व्यय होता है। जबकि अस्थायी सम्पत्तियों को क्रय करने हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज का भुगतान आयगत व्यय होता है। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

12. निम्नांकित समीकरण द्विपक्षीय अवधारणा का परिणाम है-

  • (a) आय= व्यय
  • (b) पूँजी + लाभ = सम्पत्तियां + व्यय
  • (c) पूँजी + दायित्व = सम्पत्तियां
  • (d) पूँजी + आहरण = स्वामिगत पूँजी

Ans. (c) : द्विपक्षीय अवधारणा (Dual-aspect Concept) के आधार पर लेखांकन की दोहरा लेखा प्रणाली का जन्म हुआ। इस धारणा की मान्यता है कि प्रत्येक व्यापारिक लेन-देन के दो पक्ष होते है। इसी कारण प्रत्येक डेबिट के समतुल्य क्रेडिट तथा प्रत्येक क्रेडिट के समतुल्य डेबिट होना चाहिए अर्थात प्रत्येक व्यापारिक लेन-देन दो पक्षों डेबिट एवं क्रेडिट को प्रभावित करता है, क्योंकि डेबिट पक्ष सम्पत्तियो का प्रतिनिधित्व करता है और क्रेडिट पक्ष दायित्वो का। इसी कारण दोनों पक्ष बराबर होते है। इस अवधारणा का प्रभाव यह है कि-

  1. तलपट के दोनों पक्षो का योग बराबर होता है, अर्थात Dr. Side = Cr. Side
  2. सम्पत्तियो की राशि के बराबर दायित्व होते है, अर्थात Assets =Liabilities or Assets = Capital + Liabilities
  3. कोष प्रवाह विवरण में श्रोतों एवं प्रयोगो का योग बराबर होता है, अर्थात Sources = Applications

13. जब किसी व्यवसाय को क्रय किया जाता है तो लिए गये दायित्वों को घटाने के बाद बची कुल सम्पत्तियों के मूल्य से अधिक भुगतान की राशि को कहा जाता है-

  • (a) Share Premium/अंश अधिमूल्य
  • (b) Goodwill/ख्याति
  • (c) Capital Employed/विनियोजित पूँजी
  • (d) Working Capital/कार्यशील पूँजी

Ans : (b) लेखांकन में ख्याति एक कंपनी द्वारा खरीदी गई शुद्ध संपत्तियों का "बाजार मूल्य पर अतिरिक्त मूल्य" हैं। एक कंपनी, एक और कंपनी की शुद्ध संपत्ति के लिए बाजार मूल्य से अधिक भुगतान करने के लिए तैयार हो सकती हैं, क्योंकि क्रेता भी अप्रत्यक्ष संपत्तियों को अर्जित करता है।क्रेता कंपनी के उत्पादों या सेवा की साख, इनके कार्मिकों की गुणवत्ता, ब्रांड नेम की मान्यता और इत्यादि।

14. अनुमानित हानि की तत्काल पहचान का समर्थन करने वाली अंतर्निहित अवधारणा क्या है?

  • (a)  स्वरूप से यथार्थ अधिक महत्त्वपूर्ण
  • (b) Consistency/संगतता
  • (c) Matching/मिलान
  • (d) Prudence/विवेक

Ans. (d) : विवेक की अवधारणा यह "अनिश्चित स्थिति में उठाई गई सावधानी" से संबंधित है। जो संपत्ति और दायित्व के मूल्यों पर आधारित है।

15. उत्तरदायित्व लेखांकन का लक्ष्य क्या है ?

  • (a) यह सुनिश्चित करना है कि गलत हो जाने पर प्रबन्धक को दण्डित किया जाता है।
  • (b) यह सुनिश्चित करना कि लागतें विशिष्ट प्रबन्धक की जिम्मेदारी बन जाती है।
  • (c) लागतों को कारोबार के सभी क्षेत्रों में आबंटित करना।
  • (d) विभागों की लागतों को कम करना।

Ans. (b) : नियंत्रण प्रणालियों में से एक जिम्मेदारी लेखा पद्धति है। यह संगठन के उद्देश्यों के आधार पर उपक्रम के अधिकारियों पर जिम्मेदार तय करने से संबंधित है। इस प्रणाली के अन्तर्गत उत्पाद के बजाय लागत को जिम्मेदारी के केन्द्रों के रूप में निर्धारित किया जाता है। यह एक संगठन के विभिन्न प्रभागों के प्रदर्शन को मापने की एक विधि है। प्रत्येक कार्यकारी को उन गतिविधियों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए जो उनके उनकी नियंत्रण में है। यह जिम्मेदारी लेखांकन के लिए आवश्यक है। इस तरह की नीति योजना बनाने के लिए आवश्यक है। इस तरह की नीति योजना बनाने के लिए अत्यंत उपयोगी है और काफी प्रभावपूर्ण ढंग से नियंत्रित करती है।

16. दिखावा पर प्रतिबन्ध का कारण है-

  • (a) रूढ़ीवादी अवधारणा
  • (b) प्रकटीकरण अवधारणा
  • (c) भौतिकता की अवधारणा
  • (d) लेखा पुस्तकों की बकाया

Ans. (b) : प्रकटीकरण की परम्परा (Convention of Disclosure) के अनुसार किसी भी व्यावसायिक संस्था/कम्पनी के दिखावे पर प्रतिबन्ध होता है। अर्थात इस परम्परानुसार संस्था द्वारा वित्तीय विवरणों को प्रकाशित करते समय उसके साथ उन सभी तथ्यों, संमको एवं सूचनाओं को भी सही-सही प्रकट करे, जो महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ व्यावसाय को प्रभावित करने वाले भी हो। जैसे- संस्था के खर्चे को पूँजीगत एवं आय खर्चों में विभाजित करके चिट्ठे में लिखना इत्यादि। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

17. मालिक की समता का अभिप्राय क्या है ?

  • (a) स्थिर परिसम्पत्तियों में से स्थिर दायित्वों को घटाने पर शेष।
  • (b) स्थिर परिसम्पत्तियों में से चालू दायित्वों का घटाने पर शेष।
  • (c) चालू परिसम्पत्तियों में से स्थिर दायित्वों को घटाने पर शेष।
  • (d) कुल परिसम्पत्ति में से कुल बाहरी दायित्वों को घटाने पर शेष।

Ans. (d) : स्वामित्व समता (Owners Equity) की गणना के लिए कुल सम्पत्तियों के योग में से कुल बाहरी दायित्वों के योग को घटा देते हैं। अर्थात् Owners Equity = Total Assets -Total Outside liabilities

18. निम्नांकित कथनों में से कौन सा सही है?

  • (a) दायित्वों में वृद्धि जमा है और कमियाँ उधार हैं।
  • (b) परिसम्पत्तियों में वृद्धि जमा है और कमियाँ उधार हैं।
  • (c) पूँजी में वृद्धि उधार है और कमियाँ जमा है।
  • (d) व्यय में वृद्धि जमा है और कमी उधार है।

Ans. (a) : लेखांकन की आधारभूत नियम के अनुसार व्यक्तिगत खातों के सम्बन्ध में दायित्वों में वृद्धि को क्रेडिट तथा कमी को डेबिट किया जाता है।

19. किस अवधारणा के अनुसार वित्तीय विवरणों के द्वारा समस्त आवश्यक सूचनाओं का प्रकटीकरण आवश्यक है?

  • (a) भौतिकता अवधारणा
  • (b) द्विपक्ष अवधारणा
  • (c) पूर्ण प्रकटीकरण की अवधारणा
  • (d) एकरूपता की अवधारणा

Ans. (c) : पूर्ण प्रकटीकरण की अवधारणा के अनुसार वित्तीय विवरणों के द्वारा समस्त आवश्यक सूचनाओं का प्रकटीकरण आवश्यक है। जबकि द्विपक्ष अवधारणा के अनुसार सौदे के दोनों रूपों का लेखा दो भिन्न-भिन्न स्थानों पर किया जाता है।

20. निम्न में से कौन-सी एक लेखांकन प्रथा नहीं है?

  • (a) एकरूपता
  • (b) सम्पूर्ण प्रकटन
  • (c) महत्त्वपूर्णता
  • (d) गोपनीयता

Ans. (d) : लेखांकन प्रथाएँ वे मान्यताएँ, रीतिरिवाज या परम्पराएँ हैं, जिन्हें लेखांकन में स्वीकार किया जा चुका है या जो विभिन्न वर्षों से चली आ रही हैं। प्रमुख मान्यताए / प्रथाएं इस प्रकार हैं-

  1. रूढ़िवादिता की प्रथा
  2. पूर्ण प्रकटीकरण की प्रथा
  3. एकरूपता की प्रथा
  4. महत्त्वपूर्णता की प्रथा
  5. ऐतिहासिक लेखांकन की प्रथा
  6. शुद्धता की प्रथा
  7. लेखांकन समीकरण
  8. कानूनी मान्यता की प्रथा
स्पष्ट है कि गोपनीयता प्रथा, लेखांकन की कोई प्रथा नहीं है।
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