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अतः सभी विद्यार्थियों से विनम्र अनुरोध है कि अभ्यास प्रश्नों उत्तरों का विवेकपूर्ण चयन के साथ अभ्यास करें, विश्लेषण करें और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है और आप खूब मेहनत और लगन के साथ अध्ययन करें और सफल हों।
UP TGT-PGT COMMERCE 2024 Daily Practice SET 03 in Hindi
1. भारतीय लेखांकन मानक परिषद (ASBI) द्वारा निर्गमित प्रथम लेखांकन मानक संबंधित है-
- (a) स्कन्ध के मूल्यांकन से
- (b) हास लेखांकन से
- (c) लेखांकन नीतियों के प्रकटीकरण से
- (d) आय की पहचान से
Ans. (c): भारतीय लेखांकन मानक परिषद (ASBI) द्वारा निर्गमित प्रथम लेखांकन मानक लेखांकन नीतियों के प्रकटीकरण (AS- 1) से सम्बन्धित है।
2. चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स अधिनियम कब पारित हुआ था ?
- (a) वर्ष 1951 में
- (b) वर्ष 1955 में
- (c) वर्ष 1959 में
- (d) वर्ष 1949 में
Ans. (d): चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स अधिनियम, 1949 में पारित कर सरकार ने इस पेशे को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की।
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3. अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक समिति की लेखा मानक संख्या 2 का विषय है-
- (a) स्टॉक का मूल्यांकन और प्रस्तुतीकरण
- (b) हास लेखांकन
- (c) सूचनाओं के प्रकटीकरण
- (d) उपरोक्त में से किसी से नहीं
Ans. (a): अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक समिति की अब तक प्रस्तुत मानक संख्या कुल 41 है। लेखा मानक संख्या (IAS-2) स्टॉक का मूल्यांकन एवं प्रस्तुतीकरण से सम्बन्धित है।
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4. आधुनिक युग में लेखांकन जाना जाता है-
- (a) मौद्रिक इकाइयों में व्यक्त किए जाने वाले व्यवहारों के लेखन, वर्गीकरण तथा संक्षिप्तीकरण करने की कला के रूप में
- (b) व्यवसाय की भाषा के रूप में
- (c) व्यवसायिक सूचनाओं के स्रोत के रूप में
- (d) उपर्युक्त सभी रूपों में
Ans. (d): आधुनिक युग में लेखांकन को निम्नलिखित स्वरूपों में जाना जा सकता है-
- लेखांकन मौद्रिक इकाइयों में व्यक्त किए जाने वाले व्यवहारों के लेखन, वर्गीकरण तथा संक्षिप्तीकरण करने की कला है।
- लेखांकन व्यवसाय की एक भाषा के रूप में है।
- लेखांकन व्यवसायिक सूचनाओं के स्रोत के रूप में भी है।
5. लेखा सूचनाओं का प्रयोग वाला समूह है-
- (a) व्यवसाय के स्वामी
- (b) व्यवसाय के प्रबंधक
- (c) व्यवसाय के भावी विनियोजक
- (d) उपरोक्त सभी
Ans. (d): लेखा सूचना का प्रयोग निम्नलिखित के द्वारा किया जाता है-
- व्यवसाय के स्वामी
- व्यवसाय के प्रबन्धक
- व्यवसाय के भावी नियोजक, इत्यादि।
6. अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक-2 में रहतिये के मूल्यांकन तथा प्रस्तुतीकरण के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश दिये गये हैं। इन मानकों के अनुसार निम्नांकित में से कौन-सा एक सत्य नहीं है -
- (a) रहतिये का मूल्यांकन ऐतिहासिक लागत अथवा शुद्ध वसूली मूल्य, दोनों में से जो कम हो, पर करना चाहिये
- (b) क्षतिग्रस्त सामग्री की लागत को निर्मित माल के रहतिये के मूल्यांकन हेतु जोड़ देना चाहिए
- (c) रहतिये के मूल्यांकन के लिये सामान्यतः पहले आना- पहले जाना (FIFO) या भारित औसत लागत (WACM) विधियों का प्रयोग करना चाहिये
- (d) रहतिये के मूल्यांकन का आधार व नीति का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये
Ans. (d): अन्तर्राष्ट्रीय लेखा मानक द्वारा जारी किए गये लेखा मानक-2 के अन्तर्गत रहतिये के मूल्यांकन तथा प्रस्तुतीकरण के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं जिसमें रहतिये के मूल्यांकन के आधार व नीति का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
7. निम्नांकित में से कौन-सा कथन सत्य है-
- (a) भवन खाता एक अवास्तविक खाता है
- (b) अदत्त किराया खाता अव्यक्तिगत खाता है
- (c) प्रत्येक विकलन (डेबिट) का समाकल (क्रेडिट) अवश्य होता है
- (d) आय को विकलित (डेबिट) किया जाता है
Ans. (c): प्रत्येक डेबिट का एक क्रेडिट होता है। यह दोहरा लेखा प्रणाली का आधारभूत नियम है। दिये गये कथनों का सही रूप निम्नवत है-
- भवन खाता एक वास्तविक खाता है।
- अदत्त किराया खाता व्यक्तिगत खाता की श्रेणी में आता है।
- लेखांकन की दोहरा लेखा प्रणाली के अनुसार प्रत्येक विकलन (डेबिट) का समाकलन (क्रेडिट) अवश्य होता है।
- आयों एवं लाभों में से सम्बन्धित खातों को क्रेडिट किया जाता है।
8. अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक-2 में रहतिये के मूल्यांकन तथा प्रस्तुतीकरण के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश दिये गये हैं। इन मानकों के अनुसार निम्नांकित में से कौन-सा एक सत्य नहीं है-
- (a) रहतिये का मूल्यांकन ऐतिहासिक लागत अथवा शुद्ध वसूली मूल्य, दोनों में से जो कम हो, पर करना चाहिये
- (b) क्षतिग्रस्त सामग्री की लागत को निर्मित माल के रहतिये के मूल्यांकन हेतु जोड़ देना चाहिए
- (c) रहतिये के मूल्यांकन के लिये सामान्यतः पहले आना- पहले जाना (FIFO) या भारित औसत लागत (WACM) विधियों का प्रयोग करना चाहिये
- (d) रहतिये के मूल्यांकन का आधार व नीति का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये
Ans. (d) अन्तर्राष्ट्रीय लेखा मानक द्वारा जारी किए गये लेखा मानक-2 के अन्तर्गत रहतिये के मूल्यांकन तथा प्रस्तुतीकरण के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं जिसमें रहतिये के मूल्यांकन के आधार व नीति का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
9. निम्नलिखित क्रियाओं पर विचार कीजिये-
- व्यवसाय के निष्पादन का संक्षिप्तीकरण
- व्यवसायिक लेन-देनों का विश्लेषण
- परिणामों का निर्वचन
- लेन-देनों का लेखन
लेखाकर्म चक्र में उपर्युक्त का सही क्रम क्या है?
- (a) 1234
- (b) 4213
- (c) 4321
- (d) 3142
Ans. (b): लेखांकन का सही चक्रानुक्रम इस प्रकार है- लेन-देनों का लेखन-- लेन-देनों का विश्लेषण-- निष्पादन का संक्षिप्तीकरण-- परिणामों का निर्वचन
10. पुस्तपालन की दोहरी प्रविष्टि प्रणाली में एक सौदा प्रभावित करता है-
- (a) एक खाता दो बार
- (b) दो खातों को एक ही समय में
- (c) एक खाते को दो प्रकार से
- (d) दो खातों को प्रत्येक को दो प्रकार से
Ans. (c) : पुस्तपालन की दोहरा लेखा प्रणाली में प्रत्येक सौदे को डेबिट और क्रेडिट दो प्रकार से लिखते हैं।
11. निम्नलिखित में से कौन एक लेखा समीकरण नहीं है?
- (a) परिसम्पत्तियाँ = देयताएँ + पूँजी
- (b) परिसम्पत्तियाँ= देयतायें-पूँजी
- (c) देयतायें = परिसम्पत्तियों-पूँजी
- (d) परिसम्पत्तियाँ- देयतायें= पूँजी
Ans : (b) लेखांकन के अन्तर्गत लेखा समीकरण द्विपक्षीय अवधारणा पर आधारित है, जिसके अन्तर्गत समीकरणों के दोनों पक्षों का योग सदैव बराबर होता है। इसके एक पक्ष में सम्पत्ति तथा दूसरे पक्ष में दायित्वों को दिखाया जाता है। लेखा समीकरण को निम्नलिखित रूप में लिखा जाता है-
या सम्पत्तियाँ-पूँजी = दायित्व
सम्पत्तियाँ-दायित्व = पूँजी
स्पष्ट है कि दिये गये समीकरणों में विकल्प (b) का समीकरण सही नहीं है।
12. निम्नलिखित में से सही लेखा समीकरण कौन-सा है?
- (a) पूँजी सम्पत्तियाँ दायित्व
- (b) पूँजी सामान्य संचय दायित्व
- (c) पूर्वदत्त बीमा दायित्व = सम्पत्ति
- (d) बैंक ओवरड्राफ्ट लेनदार = दायित्व
Ans: (a) लेखांकन की द्विपक्षीय अवधारणा इस सिद्धान्त पर आधारित है कि प्रत्येक लेन-देन के दो पक्ष होते हैं- एक डेबिट तथा दूसरा क्रेडिट। ये दोनों पक्ष एक दूसरे के बराबर होते हैं। एक पक्ष सम्पत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है तो दूसरा पक्ष दायित्वों का। इस सिद्धान्त के अनुसार जो समीकरण बनता है, उसे लेखांकन समीकरण कहा जाता है। द्विपक्षीय अवधारणा के अनुसार निम्नलिखित समीकरण बनता है-
(ii). सम्पतियाँ पूँजी बाह्य दायित्व
अतः विकल्प (3) सही उत्तर है।
13. प्रथम मानक लेखा परीक्षा व्यवहार (SAP-1) सम्बन्धित है-
- (a) वित्तीय विवरणों के लेखा परीक्षा के उद्देश्य एवं कार्यक्षेत्र से
- (b) एक लेखा परीक्षा को नियन्त्रित करने वाले आधारभूत सिद्धान्तों से
- (c) प्रलेखन से
- (d) कपट एवं गलतियों का पता लगाने से
Ans : (a) प्रथम मानक लेखा परीक्षा व्यवहार (SAP-1) वित्तीय विवरणों के लेखा परीक्षा के उद्देश्य एवं कार्यक्षेत्र से सम्बन्धित है। उल्लेखनीय है कि स्टैण्डर्ड आडिटिंग प्रीक्टिस (Standard Auditing Practice-SAPs) का नाम बदलकर 'आडिटिंग एण्ड एश्योरेंस स्टैण्डर्ड' (Auditing and Assurance Standard- AAS) कर दिया गया है। अब तक 34 अंकेक्षण व आश्वासन मानक जारी किए जा चुके है।
14. कम्पनी के एकीकरण से सम्बन्धित लेखांकन किया जाता है-
- (a) AS-14
- (b) AS-20
- (c) AS-16
- (d) AS-12
Ans : (a) कम्पनी के एकीकरण से सम्बन्धित लेखांकन मानक AS - 14 है। जबकि
- AS20 प्रति अंश आय अर्जन
- AS 16 ऋण से सम्बन्धित लागत का लेखांकन
- AS 12 सरकारी अनुदान का लेखांकन से सम्बन्धित है।
15. निम्नलिखित में कौन सा सही समीकरण है-
- (a) सम्पत्ति पूंजी
- (b) सम्पत्ति दायित्व-पूंजी
- (c) सम्पत्ति दायित्व पूंजी
- (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Ans: (c) लेखांकन की द्विपक्षीय अवधारणा के अनुसार एक व्यवसाय की सम्पत्तियों का योग उसके पूँजी व दायित्वों के योग के बराबर होता है। अर्थात-
या दायित्व= सम्पत्ति-पूँजी
या पूँजी =सम्पत्ति-दायित्व
16. एक व्यापार के शुद्ध मूल्य का अर्थ है-
- (a) समता पूँजी
- (b) कुल सम्पत्ति
- (c) अचल सम्पत्ति चालू सम्पत्ति
- (d) कुल सम्पत्ति कुल बाह्य दायित्व
Ans. (d): किसी व्यापार के शुद्ध मूल्य ज्ञात करने के लिए कुल सम्पत्तियों में से कुल बाह्य दायित्वों को घटा दिया जाता है।
17. लेखांकन मानक 8 का सम्बन्ध है-
- (a) रहतिये का मूल्यांकन से
- (b) अचल सम्पत्तियों का लेखांकन से
- (c) शोधन एवं विकास हेतु लेखांकन से
- (d) हास लेखांकन से
Ans. (c) : लेखांकन मानक आठ का सम्बन्ध शोध तथा विकास के लेखांकन से है। 1 अप्रैल, 2003 से इसे लेखांकन मानक-26 द्वारा (अमूर्त सम्पत्तियों के शोधन एवं विकास) निष्प्रभावी कर दिया गया है।
18. लेखांकन मानक-3 संबंधित है-
- (a) कोष प्रवाह विवरण से
- (b) रोकड़ प्रवाह विवरण से
- (c) वित्तीय अनुपात से
- (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans : (b) लेखांकन मानक-3 रोकड़ प्रवाह विवरण से सम्बन्धित है। इस मानक के अनुसार रोकड़ प्रवाह के स्रोत एवं इसके प्रयोग के विवरण को तैयार करके इसका विश्लेषण निर्णयन में किया जाता है।
19. लेखांकन है-
- (a) व्यापार की भाषा
- (b) व्यवसायिक सूचना का स्रोत
- (c) व्यवसायिक लेन-देनों का लेखन, वर्गीकरण तथा संक्षिप्तीकरण
- (d) उपरोक्त सभी
Ans: (c) लेखांकन व्यवसायिक लेन-देनों का लेखन, वर्गीकरण एवं संक्षिप्तीकरण है।
20. भारत में लेखांकन मानकों का निर्धारण होता है-
- (a) भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा
- (b) कम्पनी लॉ बोर्ड द्वारा
- (c) इन्स्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इंडिया द्वारा
- (d) इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इंडिया द्वारा
Ans : (d) संशोधित कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 211 के अन्तर्गत भारतीय चार्टर्ड लेखाकार संस्थान द्वारा लेखांकन मानकों का निर्धारण होता है।