जान लीजिये साँप या सर्प दंश (Snake Bite) के काटने के लक्षण एवं उपचार।

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सर्प दंश (Snake Bite)

सभी सर्प विषैले होते हैं। संसार में पाये जाने वाले सर्पों की संख्या में 10% विषैले सर्पों की संख्या होती है। विषैले सर्प का मनुष्य या किसी भी प्राणी को काटना घातक होता है। इसके काटने से मनुष्य या प्राणी की मृत्यु की सम्भावना अधिक होती है। विषहीन सर्प के काटने से कोई हानि नहीं होती है। साँप के काटने पर यह निश्चित करना आवश्यक होता है कि सर्प विषहीन है अथवा विषैला है। यदि सर्प के प्रकार के बारे में दुविधा है तो विषैले सर्प के काटने का उपचार आरम्भ कर देना चाहिए। विषैले साँप के ऊपरी जबड़े के पीछे की ओर दो विष दन्त होते हैं। यह विष दन्त खोखले नुकीले होते हैं। यह विष दन्त एक नलिका के द्वारा विष ग्रन्धि से सम्बन्धित रहते हैं। इन विष दन्तों के द्वारा सर्प शरीर में छिद्र करके विष को छोड़ देता है। विष रक्तवाहिनियों के द्वारा सम्पूर्ण शरीर में पहुँचकर हृदय और तन्त्रिका तन्त्र को प्रभावित करता है जिससे रोगी की मृत्यु हो जाती है।

जान लीजिये साँप सर्प दंश (Snake Bite) के काटने के लक्षण एवं उपचार।

सर्प दंश (Snake Bite) के लक्षण (Symptoms)

(1) विषदन्त के द्वारा काटने पर छिद्रों की दूरी 2.5 सेमी० होती है।

(2) काटे हुए स्थान पर पीड़ा, सूजन और घाव के स्थान पर रंग परिवर्तन नीला होने लगता है।

(3) काटे हुए स्थान से रक्तस्राव निरन्तर होता रहता है।

(4) रोगी का शरीर शिथिल होने लगता है।

सर्प दंश (Snake Bite) के सामान्य उपचार

सर्प के काटने पर निम्नलिखित उपचार करना चाहिए-

(1) साँप के द्वारा काटे हुए स्थान से कुछ ऊपर की ओर टुर्नीकेट, रूमाल, रस्सी, जूते के फीते कसकर बाँध दें जिसके कारण रक्तस्राव में रुकावट आ जाए।

(2) रोगी को आराम से लिटा दें उसका सिर शरीर के अन्य भागों से ऊँचा रखें

(3) घाव को चाकू या तेज धार वाली वस्तु से काट दें जिससे रक्त निरन्तर बहता रहे। चाकू से घाव को लगभग 1% इंच गहरा बनाना चाहिए।

(4) घाव को कार्बोलिक अम्ल या पोटैशियम परमॅगनेट के द्वारा धोकर जला दें।

(5) घाव के रक्त को मुख द्वारा चूसकर बाहर निकाल दें। यह क्रिया वही व्यक्ति कर सकता है जिसके मुख में घाव या छाले न हों।

(6) रक्त को स्तन चूषक के द्वारा भी खींचकर बाहर फेंक दें।

(7) रोगी को गर्म चाय, कॉफी या दूध पीने को दें।

(8) रोगी को सान्त्वना देते रहें।

(9) यदि श्वाँस बन्द होता दिखायी दे तो कृत्रिम श्वाँस द्वारा क्रिया को प्रारम्भ करें।

(10) रोगी को तुरन्त डॉक्टर के पास ले जाएँ।

(11) रोगी को सोने नहीं दें।

(12) रोगी को सर्प दंश विष प्रतिरोधक इन्जेक्शन लगवाएँ। 

अतः इसके अतिरिक्त टिटनेस प्रतिरोधक इन्जेक्शन भी लगवाना चाहिए।

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