साक्षात्कार की प्रक्रिया
अध्ययनों से पता चला है कि साक्षात्कार बोर्ड व्यक्ति के कक्ष में प्रवेश करने के 30 से 120 सेकण्ड के अन्दर ही उसके विषय में अपनी धारणा बना लेता है। इसके बाद वह प्रत्याशी से वार्तालाप करके अपनी धारणा की पुष्टि करता है। वास्तव में यह सत्य है क्योंकि आप जैसे ही साक्षात्कार बोर्ड के सामने जाते हैं तो आपके बाह्य व्यक्तित्व से आपके गुण जैसे- चाल-ढाल, आत्मविश्वास, शिष्टाचार, मन की उमंग एवं उत्साह आदि स्वतः ही झलकने लगते हैं। सामान्यतया प्रत्याशी के बैठने के लिए जो कुर्सी रखी जाती है, वह साक्षात्कार कक्ष के दरवाजे से दूर रखी जाती है ताकि प्रत्याशी को कुर्सी तक पहुँचने में कुछ समय लगे और इस समयान्तराल में साक्षात्कारकर्ता उसके उपरोक्त गुणों का आकलन कर लें।
इसलिए यह आपके साक्षात्कार की तैयारी का वह महत्त्वपूर्ण भाग है, जिसके माध्यम से आप अपने व्यक्तित्व को सकारात्मक रुख दे सकते हैं। आपको सीधा और आत्मविश्वास के साथ चलना चाहिए। आपके चेहरे पर मुस्कान हो और आप प्रसन्नचित्त लगें। आप चलने के सही ढंग का अभ्यास अपने घर पर कर सकते हैं और उस पर अपने मित्रों व साथियों के टिप्पणी करने को कह सकते हैं। उनकी टिप्पणियों के अनुसार अपने चलने के ढ़ग में सुधार कर सकते हैं। प्रत्याशी के कुर्सी के पास पहुंचने तक साक्षात्कारकर्ता चुप्पी साधे रहते हैं। वे यह देखते हैं कि इस चुप्पी के मध्य आप क्या करते हैं। इस अंतराल में यही उचित है कि आप साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों का अभिवादन करें। आपकों जब तक न कहा जाए कुर्सी पर न बैठें और साक्षात्कार बोर्ड की अनुमति की प्रतीक्षा करें। कभी-कभी साक्षात्कारकर्ता हाथ मिलाने की पहल करते हैं। ऐसा आपके आत्मविश्वास का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। हाथ मिलाने से भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का पहचान होती है। निर्बलता से हाथ मिलाना व्यक्तित्व की हीनता को प्रदर्शित करात है, जबकि गर्मजोशी से हाथ मिलाना आत्मविश्वास को प्रकट करता है। जो लोग अत्यधिक कसकर हाथ मिलाते हैं, उन्हें पसन्द नहीं किया जाता, यह एक प्रकार की अशिष्टता है। कसकर हाथ मिलाने वाले लोग या तो असुरक्षा की भावना से ग्रस्त रहते हैं। अथवा उत्तेज प्रवृत्ति के होते हैं।
साक्षात्कार के प्रमुख चरण
यद्यपि साक्षात्कार के प्रश्नों के लिए कोई निश्चित क्रम या प्रारूप निर्धारित नहीं है, फिर भी इसके प्रारूप को निम्नलिखित चार प्रकार के प्रश्नों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है-
1. अनौपचारिक प्रश्न,
2. सूचनात्मक प्रश्न,
3. तार्किक प्रश्न,
4. विशिष्ट प्रश्न।
1. अनौपचारिक प्रश्न
सामान्यतः साक्षात्कार का प्रारम्भ अनौपचारिक प्रश्नों से होता है। इस तरह के प्रश्न प्रत्याशियों को अच्छा प्रदर्शन करने हेतु सहज बनाते हैं ओर उनमें आत्मविश्वास का संचार करते हैं। साक्षात्कार बोर्ड द्वारा ऐसे प्रश्न पूछने का उद्देश्य प्रत्याशियों को सहज बानान, उनके मन में साक्षात्कार के प्रति उत्पन्न भय को दूर करना और साक्षात्कार को रुचिकर बनाना होता है। ये प्रश्न प्रत्याशी की शिक्षा, पारिवारिक पृष्ठभूमि उसकी रुचियों, शौक, सामान्य जागरूकता और सामान्य अभिरूचि के अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित हो सकते हैं।
2. सूचनात्मक प्रश्न
जब प्रत्याशी कुछ सहज हो जाता है तो उससे कुछ सूचनात्मक प्रश्न किए जाते हैं। इस तरह के प्रश्नों से प्रत्याशी के व्यक्तित्व और उसकी उपलब्धियों के सम्बन्ध में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
3. तार्किक प्रश्न
चूँकि साक्षात्कार में प्रत्याशी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का परखा जाता है इसलिए उसके व्यक्तित्व की अन्य विशेषताओं के साथ-साथ उसके कुछ परोक्ष गुणों जैसे- निर्णय क्षमता, विश्लेषण क्षमता के परीक्षण के लिए उससे तार्किक प्रश्न किए जाते हैं।
इस प्रकार के तार्किक प्रश्नों द्वारा प्रत्याशी के सामान्य ज्ञान, किसी विशिष्ट विषय पर उसके अध्ययन, नवीनतम घटनाक्रमों की जानकारी एवं चारों ओर घटने वाली घटनाओं के प्रति उसकी रुचि व जागरूकता आदि का परीक्षण किया जाता है। तार्किक परीक्षण में इस बात का भी मूल्याकंन किया जाता है की किसी दी हुई परिस्थिति अथवा सामाजिक समस्यां हेतु प्रत्याशी अपनी बुद्धि का सर्वश्रेष्ठ उपयोग किस प्रकार करता है।
4. विशिष्ट प्रश्न
विशिष्ट प्रकार के प्रश्नों में तथ्यों एवं आँकड़ों से सम्बन्धित प्रश्न होते हैं। जिनके माध्यम से प्रत्याशी के विशिष्ट विषय सम्बन्धी ज्ञान का परीक्षण किया जाता है। साक्षात्कार बोर्ड प्रत्याशी के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय लेने के लिए कुछ प्रश्नों को दोहरा भी सकता है। ऐसा करके वह यह देखना चाहत हौ कि प्रत्याशी अपने विचारों पर दृढ़ रह पाता है अथवा नहीं।
उपरोक्त विवरण द्वारा साक्षात्कार की प्रक्रिया से परिचय कराने का प्रयास किया गया है। व्यक्ति को सफलता हेतु यह सलाह दी जाती है कि वह विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले सफल प्रत्याशियों के साक्षात्कार पढ़े। आजकल कुछ अच्छे साक्षात्कार प्रशिक्षण संस्थान भी खुल गए हैं, इन संस्थानों में प्रवेश लेकर भी साक्षात्कार सम्बन्धी ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त किया जा सकता है।
साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण बातें
1. तनावपूर्ण स्थिति में शान्त रहना
यदि कोई व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण नहीं रख पाता तो वह अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं का उचित उपयोग नहीं कर पाता। तनाव व्यक्ति के शरीर एवं मस्तिष्क को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है। यह शारीरिक क्षमता को कम करता है। विवेक और बुद्धि का कुंठित करता है। यह अकारण भय, थकान, चिड़चिडापन अलगाव, अवसाद और भावनात्मक अस्थिरता उत्पन्न करता है। इन प्रतिकूलताओं से बचने क लिए शरीर व मस्तिष्क का सन्तुलन बनाए रखना आवश्यक है। प्रत्याशियों को तनाव के कारणों को खोजकर उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए और सैदव शान्त चित्त रहना चाहिए।
2. आत्मविश्वास
आत्मविश्वास को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आत्मविश्वास के बल पर व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना सकता है। आत्मविश्वास नेतृत्व का आधार है। साक्षात्कार के समय आपके प्रदर्शन में आत्मविश्वास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यक्तित्व के अन्य गुणों के साथ मिलकर आपके प्रदर्शन को प्रभावशाली बनाता है। जब आप अपने अन्दर इस गुण का विकास कर लेते हैं तो आप स्वयं पर अधिक विश्वास करने लगते हैं, आपके अन्दर आत्म-स्वीकृति का भाव उत्पन्न होता है और आप अपनी सफलता क प्रति विश्वास से भर जाते हैं।
परन्तु सफलता पाने का यह आत्मविश्वास रूपी अस्त्र एक या दो दिन में प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसका विकास जीवन के प्रत्येक पहलू से जुड़ा होता है। जैसे- जिस वातावरण में आप रहते हैं, आपने जहाँ शिक्षा प्राप्त की है, आपने अभी तक के जीवन में जो उपलब्धियाँ हासिल की हैं इत्यादि। आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे सरल तरीका महान व्यक्तियों जैसे- महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस जैसे लोगों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए। स्वेट मार्डन की पुस्तकें जैसे सफलता की कुंजी आदि का अध्ययन भी उपयोगी है।
जब आप आत्मविश्वास से भर जाते हैं तो आपके अन्दर उपस्थित भय, आशंका, आत्महीनता, जैसे नकारात्मक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं और आप स्वयं को क्षमतावान व समर्थ अनुभव करने लगते हैं। जिस व्यक्ति में अपनी शक्तियों को पहचान कर उनके उचित उपयोग की समझ उत्पन्न हो जाती है वह अने प्रत्येक कार्य में उनका उपयोग कर सकता है।
3. साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति में संचार सम्बन्धी निम्नलिखित कौशलों का होना अनिवार्य है-
(क) भाषा- भाषा संचार का एक प्रमुख तत्त्व है। भाषा के अभाव में संचार नहीं किया जा सकता। व्यक्ति को साक्षात्कार मण्डल के समक्ष सरल, सहज एवं सम्प्रेषणीय भाषा का प्रयोग करना चाहिए। शब्दों का उच्चारण शुद्ध हो, शब्द क्लिष्ठ न हों। भाषा में सुधार के लिए प्रत्याशी रेडियो पर समाचार, वार्ताएँ, परिचर्चाएँ सुनें साथ ही किसी समाचार-पत्र की कुछ पंक्तियाँ जोर-जोर से बोलकर अभ्यास करें। इससे भाषा के साथ- साथ संचार-कौशल में भी वृद्धि होगी।
(ख) स्वर और शैली- व्यक्ति को साक्षात्कार मण्डल से मृदु स्वर में वार्तालाप करना चाहिए। तेज स्वर में बोलना अथवा कुछ विशेष शब्दों पर अत्यधिक जोर देकर बोलना या कुछ शब्दों का उच्चारण अत्यन्त धीमे स्वर में करना उचित नहीं होता। प्रश्नों के उत्तर सदैव सधे हुए स्वर में देने चाहिए। वार्तालाप में उतार-चढ़ाव, विराम आदि का ध्यान रखने पर साक्षात्कार मण्डल के समाने अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रखी जा सकती है।
(ग) अभिव्यक्ति की क्षमता- साक्षात्कार में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रत्याशी में स्वयं को अभिव्यक्त करने की क्षमता होनी चाहिए। जो प्रत्याशी अपने भावों को कुशलता से अभिव्यक्त कर देते हैं, वे साक्षात्कार में सफल हो जाते हैं। प्रत्याशियों को अपने भावों को कुशलतापूर्वक अभिव्यक्त करने का अभ्यास करना चाहिए। इसके लिए अपने साथियों के साथ विभिन्न विषयों पर परिचर्चा करनी चाहिए और किसी चुने गए विषय पर सबके सामने विचार व्यक्त करने का अभ्यास करना चाहिए। जो त्रुटियाँ हों, उनमें सुधार लाना चाहिए।
(घ) स्वर की स्पष्टता- प्रत्याशी अपने मनोभावों का कुशलतापूर्वक संचार तभी कर सकते हैं, जब वे किसी भी बात को स्पष्ट स्वर में व्यक्त करें। प्रत्याशी इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वेजो भी बोलें स्पष्टता के साथ बोले ताकि साक्षात्कार मण्डल का प्रत्येक सदस्य पूछे गए प्रश्न के उत्तर को समझ सके और ठीक-ठीक मूल्यांकन कर सके। कुछ लोग बात करते समय वाक्य के अन्तिम शब्द या बीच-बीच में अन्य शब्दों को बोलने में अत्यधिक शीघ्रता करते हैं, जिससे वाक्य का आधा-अधूरा अर्थ समझ आता है और प्रत्याशी के प्रदर्शन का उचित मूल्यांकन नहीं हो पाता। अतः साक्षात्कार के समय प्रत्याशियों को स्पष्ट स्वर में अपनी बात कहनी चाहिए।
4. बाह्य व्यक्तित्व
इसके अन्तर्गत प्रत्याशी के बाह्य व्यक्तित्व सम्बन्धी सभी तत्त्व सम्मिलित रहते हैं। प्रत्याशी अपने बाह्य व्यक्तित्व को आकर्षक बनाकर साक्षात्कार मण्डल पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बाह्य व्यक्तित्व में शरीर की बाह्य बनावट, कपड़े, चेहरे के हाव- भाव, खड़े होने, उठने बैठने का ढंग, शिष्टाचार, चुस्ती-फुर्ती आदि तत्त्व सम्मिलित रहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का एक विशेष बाह्य व्यक्तित्व होता है, जिससे अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। बाह्य व्यक्तित्व को आकर्षक बनाए रखना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि साक्षात्कार मण्डल पर यह स्थाई प्रभाव डालता है।
5. बौद्धिक क्षमता
ज्ञान का सही और तर्कपूर्ण उपयोग करना की बौद्धिक क्षमता है। बौद्धिक क्षमता का विकास दिन-प्रतिदिन के अनुभवों से होता है। यद्यपि प्रत्याशी की बौद्धि क्षमता का परीक्षण लिखित परीक्षा में हो जाता है फिर भी इसका आकलन साक्षात्कार के समक्ष भी किया जाता है। इसलिए प्रत्याशी को अपने विषय एवं सामान्य ज्ञान की गहन जानकारी होनी चाहिए। साक्षात्कार में जाने से पूर्व उसे अपने वैकल्पिक विषयों के मूल सिद्धान्तों को भली प्रकार से समझ लेना चाहिए।
6. ग्रहणशीलता
साक्षात्कार में ग्रहणशीलता का विशेष महत्त्व है। एक चतुर प्रत्याशी वार्तालाप के विषय में रुचि लेता है, उस पर पूर्ण ध्यान देता है और शीघ्रता से विषय को समझ लेता है, जबकि जिस प्रत्याशी में ग्रहणशीलता का अभाव होता है, वह विषय को देर से समझ पाता है। इस प्रकार अलग-अलग लोगों की समझ और उनकी ग्रहणशीलता भी अलग-अलग होती है। प्रत्याशी अध्ययन, मनन और एकाग्रता का अभ्यास करके अपनी ग्रहणशीलता में वृद्धि कर सकते हैं और साक्षात्कार में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं।
7. मानसिक सतर्कता
साक्षात्कार में उपस्थित होने वाले प्रत्याशियों के लिए मानसिक सतर्कता अत्यन्त आवश्यक है। मानसिक रूप से सतर्क प्रत्याशी साक्षात्कार मण्डल के प्रश्नों को भली-भाँति समझकर उनका सटीक उत्तर दे सकता है। मानसिक सतर्कता का विकास और वृद्धि के लिए प्रत्याशियों को दूसरों की बात को ध्यानपूर्वक सुनने की आदत डालनी चाहिए। ध्यान करने से भी मानसिक सतर्कता में वृद्धि की जा सकती है। साक्षात्कार मण्डल आपकी मानसिक सतर्कता परखने के लिए कई प्रकार के प्रश्न कर सकता है जैसे कोई अटपटा प्रश्न कर देता, कोई व्यावहारिक समस्या उत्पन्न करना अथवा कोई छुद्र टिप्पणी करना इत्यादि। व्यक्ति को इस तरह के प्रश्नों से विचलित नहीं होना चहिए बल्कि विचारपूर्वक सहज भाव से उत्तर देना चाहिए। यह बात सदैव अपने मन में रखें कि साक्षात्कार मण्डल के सदस्यों का उद्देश्य आपकों हताश अथवा निराश करना नहीं होता और न ही वे आपका उपहास उड़ाना चहाते हैं। वे केवल यह परीक्षण करना चाहते हैं कि जिस पद के लिए आप साक्षात्कार दे रहे हैं आप उसके लिए उपयुक्त हैं या नहीं, चयनित होने पर आप अपने दायित्वों का निर्वाह कर पायेंगे या नहीं।
8. विचारों की सम्बद्धता
मानसिक सतर्कता, दृष्टिकोण की स्थिरता और विचारों की सम्बद्धता, ये तीनों ही परस्पर सम्बन्धित गुण हैं। इन तीनों को एक-दूसरे के सन्दर्भ में इस प्रकार आंका जाता है कि आपके व्यक्तित्व में इन तीनों का व्यावहारिक रूप में सन्तुलित सम्मिश्रण है अथवा नहीं। किसी भी विषय, परिस्थिति या समस्या पर आपका दृष्टिकोण तर्क पर आधारति आधारित और विचारों की एकरूपता से युक्त होना चाहिए अन्यथा आपके विचार अस्थिर होंगे जिसके फलस्वरूप साक्षात्कार मण्डल पर आप अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ पाएँगे। यह बात सर्वमान्य है कि एक स्पष्ट दृष्टि रखने वाले व्यक्ति का मस्तिष्क ही विचारों की सुसम्बद्ध श्रृंखला रख सकता है और उसे अभिव्यक्त कर सकता है। अतः प्रत्याशी अध्यवसाय द्वारा अपने सभी विचारों को सुसम्बद्ध रूप में प्रस्तुत करने की योग्यता का विकास करें।
9. साक्षात्कार की तैयारी
साक्षात्कार चूँकि एक औपचारिक वार्तालाप होता है ओर उस पर भविष्य टिका होता है, इसलिए अधिकांश लोग साक्षात्कार हेतु बुलावा-पुत्र मिलते ही अनेक आशंकाओं से घिर जाते हैं। उनके मन में तरह-तरह के नकारात्मक विचार आते हैं जैसे- मैं साक्षात्कार बोर्ड का सामना कैसे कर पाऊँगा? मैं साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाया तो क्या होगा? क्या मैं सभी प्रश् नों के ठीक-ठीक उत्तर दे सकूँगा? मैं अनुभवी सदस्यों सामने ठीक से बोल न पाया तो क्या होगा? कहीं मैं साक्षात्कार में फेल न हो जाऊँ इत्यादि।
इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि साक्षात्कार को लेकर प्रत्याशियों के मन में एक डर-सा बना रहता है। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि साक्षात्कार के माध्यम से अपरिचित लोगों द्वारा उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निकटता से गहन परीक्षण किया जाता है। साक्षात्कार बोर्ड के सदस्य अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ और बहुत अनुभवी होते हैं। वे पद अथवा शैक्षिक पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु प्रत्याशियों की उपयुक्तता हेतु उनकी योग्यताओं और व्यक्तित्त्व की विशेषताओं का गहनता से परीक्षण करते हैं।
परन्तु प्रत्याशी साक्षात्कार को हौवा न समझें। बुलावा-पत्र मिलने पर न तो घबराएँ और न ही मन में कोई भय या आशंका पाले। साक्षात्कार का सहजता से लते हुए सही,सुनियोजित व पूर्ण तैयारी करें। छद्म साक्षात्कारों का अभ्यास बहुत उपयोगी रहता है। ये अभ्यास मन में आत्मविश्वास भरते हैं और साक्षात्कार की परिस्थितियों का अनुभव कराते हैं। इस प्रकार साक्षात्कार के सम्बन्ध में उत्पन्न अकारण भय एवं आशंकाओं से मुक्ति मिलती है, यही साक्षात्कार में सफलता का मूलमन्त्र है।
साक्षात्कार की तैयारी की रूपरेखा
यद्यपि साक्षात्कार की तैयारी को कुछ बिन्दुओं में बाँध देना सम्भव नहीं है फिर भी निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर साक्षात्कार की तैयारी की रूपरेखा बनाई जा सकती है-
आत्म विवरण
साधारणतया प्रत्याशी के लिए साक्षात्कार बोर्ड के इस प्रश्न का उत्तर देना सर्वाधिक कठिन होता है कि वह अपने बारे में कुछ बताए। इसका मुख्य कारण यह है कि हम अपनी अच्छाइयों और कमजोरियों को दृष्टि में रखते हुए कभी भी अपने अन्दर झांककर देखने का प्रयास नहीं करते। यदि हम इस प्रश्न की साक्षात्कार से पूर्व भली प्रकार तैयारी कर लें तो इसका उत्तर देना कठिन नहीं होगा और हम प्रभावशाली ढंग से स्वयं के बारे में बोर्ड को बता सकेंगे। इस कार्य के लिए आप अपनी क्षमताओं, कमजोरियों, अपनी पसन्द-नापसन्द, अपने जीवन के लक्ष्य आदि की सूची बनाएँ। साथ ही आपके माता-पिता, अध्यापक, मित्र आदि आपसे क्या अपेक्षा रखते हैं, इस पर भी विचार करें। अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का संक्षिप्त ब्यौरा तैयार करें। इन सभी बातों को आत्मसात कर लें। इस प्रकार स्वयं बारे में आपके पास काफी सामग्री एकत्रित हो जाएगी, जिसे आप साक्षात्कार क`समक्ष आवश्यकतानुसार उपयोग में ला सकेंगे।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
आपके परिवार की सामाजिक, सांस्कृति एवं आर्थिक पृष्ठभूमि की जानकारी प्राप्त करने के लिए साक्षात्कार बोर्ड द्वारा पारिवारिक पृष्ठभूमि से सम्बन्धित प्रश्न किया जाता है। अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि बताने के साथ-साथ उन श्रेष्ठ तत्त्व एवं आचार व्यवहार के सिद्धान्तों पर भी प्रकाश डालें जो आपको अपने परिवार से पारम्परिक रूप से प्राप्त हुए हैं। परिवार के जिन लोगों (माता पिता, दादा-दादी, भाई आदि) से आपको अपने वयक्तित्व विकास में सहायता मिली है, आप उनका उल्लेख भी कारण सहित कर सकते हैं यदि आपके पिता किसी छोटे पद पर कार्यरत हैं तो उनके बारे में बताने में संकोच न करें क्योंकि साक्षात्कार बोर्ड का उद्देश्य आपके सिद्धान्तों का आकलन करना होता है न कि आपके परिवार के आर्थिक या सामाजिक स्तर को आकना ईमानदारी से प्रश्नों का उत्तर देने वाले प्रत्याशियों के प्रति साक्षात्कार बोर्ड सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाता है।
विषय की तैयारी
साक्षात्कार बोर्ड प्रत्याशी के वैकल्पिक विषयों एवं प्रत्याशी द्वारा अध्ययन किए गए विषयों पर आधारित प्रश्न अवश्य पूछता है। इसलिए यह आवश्यक है कि स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर आपने जिन विषयों का अध्ययन किया है, उन्हें दोहरा लें। महत्त्वपूर्ण परिभाषाओं, फार्मूलों, सिद्धान्तों, अवधारणाओं, आँकड़ों आदि को पढ़ लें। विषय से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का सार-रूप में अध्ययन कर लें। यदि आवश्यकता हो तो अपने अध्यापकों, मित्रों से महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करके विषय सम्बन्धी नवीनतम तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर लें। पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकालय और इन्टरनेट से भी अपने अध्ययन, विषय सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इससे प्रत्याशी की स्मरण शक्ति, ग्रहणशीलता और तथ्यों को प्रस्तुत करने की योग्यता का परीक्षण भी हो जाता है।
कार्य-अनुभव
यदि आप पूर्व में कहीं कार्यरत रहे हैं अथवा वर्तमान में कहीं कार्य कर रहे हैं तो आपको अपने कार्य से सम्बन्धित सभी अनुभवों का विवरण तैयार कर लेन चाहिए। यद्यपि लोक सेवा आयोगों तथा कई अन्य सरकारी सेवाओं से सम्बन्धित साक्षात्कारों में कार्य- अनुभव का होना अनिवार्य नहीं है फिर भी यदि आपको अनुभव है तो यह आपके लिए लाभकारी है क्योंकि आप साक्षात्कार बोर्ड का रुख कुछ समय तक अपने अनुभव क्षेत्र की ओर मोड़ सकते हैं और उसके प्रभावित कर सकते हैं कार्य अनुभव के विविध क्षेत्र हो सकते हैं जैसे- मार्केटिंग, सेल्स, विज्ञापन क्षेत्र, इंजीनियरिंग, एकाउण्ट्स चिकित्सा, प्रबन्ध इत्यादि आप जिस भी क्षेत्रक से सम्बद्ध हों, उसे क्षेत्र के इतिहास, वर्तमान स्थिति, भविष्यत् सम्भावनाओं आदि पर सामग्री एकत्रित करके अध्ययन कर लें। यदि आप किसी उत्पादन से जुड़े हैं तो नए उत्पादों, अनुसन्धानों आदि की जानकारी भी प्राप्त कर लें।
आप यह नौकरी क्यों करना चाहते हैं?
साक्षात्कार बोर्ड / साक्षात्कारकर्ता अक्सर यह प्रश्न पूछ लेता है कि आप यह नौकरी क्यों करना चाहते हैं? इस प्रश्न द्वारा प्रत्याशी की नौकरी के प्रति रूचि, उसके उत्साह और आंतरिक इच्छा का पता लगाया जाता है ताकि कहीं ऐसा न हो कि अनुपयुक्त प्रत्याशी का चयन हो जाए, जो कुछ दिन बाद ही नौकरी छोड़कर चला जाए। ऐसी स्थिति में साक्षात्कार बोर्ड द्वारा आयोजित साक्षात्कार और उसके बाद प्रत्याशी को दिया गया प्रशिक्षण व्यर्थ चला जाता है जिससे समय, श्रम और धन का अपव्यय होता है। इसलिए साक्षात्कार का मुख्य ध्येय सर्वाधिक उपयुक्त प्रत्याशी का चयन करना होता है।
ऐसी स्थिति में आप नौकरी के प्रति गहन रूचि और उत्साह का प्रदर्शन करके साक्षात्कारकर्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
साक्षात्कारकर्ता के ऐसे प्रश्नों से घबराने की आवश्यकता नहीं है। बस आवश्यकता इस बात की है कि आप इस प्रश्न का सटीक उत्तर तैयार कर लें कि आपने जिस पद हेतु आवेदन किया है उससे और उससे सम्बन्धित संगठन में आपकी रुचि क्यों है?
आप वर्तमान नौकरी क्यों छोड़ना चाहते हैं?
यदि आप वर्तमान में कहीं कार्यरत हैं तो साक्षात्कारकर्ता आपसे यह प्रश्न अवश्य ही पूछ सकते हैं कि आप वर्तमान नौकरी क्यों छोड़ना चाहते हैं। इस प्रश्न के जवाब में कभी भी अपने वर्तमान अधिकारी विभाग अथवा संगठन की निन्दा न करें। साक्षात्कारकर्ता द्वारा इस प्रश्न को पूछने का उद्देश्य आपके अन्दर संगठन के प्रति निष्ठा की भावना का पुरखना होता है।
आप अपना खाली समय कैसे व्यतीत करते हैं?
यह प्रश्न आपकी रुचियों से सम्बन्ध रखता है। इस प्रश्न के माध्यम से साक्षात्कार बोर्ड आपकी रचनात्मकता, भावनात्मक स्थिरता और आपके व्यक्तित्व का यह मूल्याकंन करता है, कि आप अन्तर्मुखी हैं या बहुमुखी। बायोडाटा में अपनी रुचियों की सूचना सही- सही दें, इनके आधार पर साक्षात्कार बोर्ड में उपस्थित मनोविज्ञनी आपके जीवन के विभिन्न पक्षों के सम्बन्ध में एक नजरिया बना सकता है। वह पता लगा सकता है कि आप आशावादी हैं अथवा निराशावादी। साक्षात्कार बोर्ड को गलत सूचना देना अथवा उससे कुछ भी छुपाने का प्रयास करना व्यर्थ है क्योंकि उसके सदस्यों को साक्षात्कार लेने का लम्बा अनुभव होता है साथ ही वे अपने-अपने विषय के विशेषज्ञ होते हैं और झूठी सूचनाओं एवं तथ्यों को शीघ्र ही पकड़ लेते हैं।
आपकी रुचियाँ आपके व्यक्तित्वक को स्वतः ही प्रदर्शित कर देती हैं। यदि आपकी रुचि पुस्तकें पढ़ने, खाना पकाने, पेन्टिग करने और संगीत सुनने में है तो आप रचनात्मक, अन्तर्मुखी अथवा एकाकी हो सकते हैं। यदि आप तैराकी, निशानेबाजी, मत्स्य आखेट (फिशिंग) जैसे खेल पसन्द करते हैं, जिनमें कि समूह की आवश्यकता नहीं होती तो आप उन लोगों में से हैं जो सामान्यतः लोगों से अच्छी तरह घुल-मिल नहीं पाते। फुटबाल, हाँकी, क्रिकेट जैसे खेलों में रुचि आपकी टीम भावना को प्रदर्शित करती है, इससे प्रकट होता है कि आप लोगोंक के साथ मिल-जुलकर कार्य करने की प्रवृत्ति रखते हैं।
कोई भी रुचि अच्छी या बुरी नहीं होती बल्कि साक्षात्कार बोर्ड यह देखता है कि आप जिस पद के लिए साक्षात्कार दे रहे हैं, उसकी आवश्यकताएँ क्या हैं? और आपकी रुचियाँ उनसे कितना मेल खाती हैं? प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति एवं उसका स्वभाव भिन्न होता है और वह अपने स्वभाव के अनुसार कार्यों में रुचि लेता है। उदाहरण के लिए यह आवश्यक नहीं कि कोई व्यक्ति खेलों में रुचि न रखत हो तो उसके लिए सफलता के द्वारा बन्द हो जाते हैं, वह अनुसंधान कार्य, लेखांकन इत्यादि कार्यों में सफल हो सकता है, जिनमें कि कार्य को सम्पादित करने के लिए लोगों से ज्यादा मेल जोल की आवश्यकता नहीं होती। दूसरी ओर बिक्री, जन-सम्पर्क, जन-कल्याण जैसे क्षेत्र भी हैं जिनमें व्यक्ति को लोगों से अधिक मेल-जोल बढ़ाने, उनसे अन्तः क्रिया करने, टीम-भावना से कार्य करने की आवश्यकता होती है। जो लोग सामूहिक कार्यों में रुचि रखते हैं, वे इस प्रकार के कार्यों के लिए चयनित कर लिए जाते हैं।
साक्षात्कार बोर्ड द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर सजीवता व सहजता के साथ दें साक्षात्कार की तैयारी के समय अपनी कमियों को खोजकर दूर करते जाएँ। शीघ्र ही आप अपने प्रति पहले से अधिक विश्वास से भर उठेंगे। आप अधिक मुखर और योग्य बन जाएँगे और सफलता के अधिक समीप पहुँच जाएँगे।
अन्त में मेरे प्यारे मित्रो अंत में मैं आपको धन्यवाद करता हूँ इस लेख को पढने के लिए और एक ही बात कहता हूँ- :
अभी तो आए हैं जमीं पर
आसमान की उड़ान अभी बाकी है
अभी तो सुना है लोगों ने सिर्फ मेरा नाम
अभी इस नाम की पहचान बनाना बाकी है।