सामाजिक अनुसंधान कार्य में तथ्यों के संकलन के पश्चात् विश्लेषण एक महत्वपूर्ण कार्य है। वर्गीकरण करने के लिए अनुसंधानकर्ता तथ्यों का सम्पादन करता है। इस स्तर पर अनावश्यक सूचनाओं को निकाल दिया जाता है तथा शेष सूचनाओं को क्रमबद्ध रूप में एकत्रित कर लिया जाता है। शोध के उद्देश्यों के आधार पर तथ्यों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है। तथ्यों का विभिन्न वर्गों में विभाजन एवं वर्ग निर्माण की प्रक्रिया को ही वर्गीकरण के नाम से जाना जाता है। तथ्यों की विशेषताओं को व्यवस्थित रूप में रखने को ही तथ्यों का वर्गीकरण कहते हैं।
वर्गीकरण का अर्थ एवं परिभाषा
सामाजिक अनुसंधान की प्रक्रिया में तथ्यों का वर्गीकरण एक महत्वपूर्ण चरण है। तथ्यों का वर्गों में विभाजन एवं वर्ग निर्माण की प्रक्रिया ही वर्गीकरण कहलाती है।
(1) सिन पाओ यंग (Hsin Pao Yang) के अनुसार- "स्थान, समय, सम्बन्धों, व्यवहार अथवा कार्य या दृष्टिकोण के अनुसार तथ्यों को समूह में रखने को वर्गीकरण कहते हैं।"
(2) प्रो. एल. आर. कॉर्नर (L. R. Cornor) के अनुसार- "वर्गीकरण तथ्यों को उनके समानता एवं सादृश्य के अनुसार अथवा वर्गों में क्रमबद्ध करने की क्रिया है तथा इससे व्यक्तिगत इकाइयों की विविधता में पाये जाने वाले गुणों की एकता व्यक्त हो जाती है।"
(3) डी. एन. एल्हेंस (D. N. Elhance) के अनुसार- "आँकड़ों को समानताओं और विभिन्नताओं के अनुसार वर्गों और विभागों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को प्राविधिक पद में वर्गीकरण कहते हैं।"
वर्गीकरण की विशेषताएँ
उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार वर्गीकरण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- वर्गीकरण का आधार प्राप्त तथ्यों की समानता होती है।
- वर्गीकरण के अन्तर्गत अनुसंधानकर्ता द्वारा संकलित विभिन्न तथ्यों को भिन्न-भिन्न वर्गों में विभाजित किया जाता है।
- वर्गीकरण को यथार्थ रूप से अथवा काल्पनिक रूप से भी प्रकट किया जा सकता है।
- वर्गीकरण इस प्रकार भी किया जा सकता है कि वर्गीकृत पदों की भिन्नता के मध्य एकता भी प्रकट हो।
आदर्श वर्गीकरण के गुण
एक आदर्श वर्गीकरण में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है-
- वर्गीकरण स्पष्ट तथा संक्षिप्त होता है।
- वर्गीकरण स्थायी होना चाहिए।
- वर्गीकरण को लचीला होना चाहिए।
- समंकों का वर्गीकरण उद्देश्य के आधार पर होना चाहिए।
- अनुसंधानकर्ता को संमकों का वर्गीकरण करते समय प्रत्येक वर्ग की इकाई की सजातीयता का ध्यान रखना चाहिए।
वर्गीकरण का आधार
तथ्यों का वर्गीकरण तथ्यों का प्रकृति, प्रकार तथा अध्ययन के उद्देश्य पर निर्भर करता है। वर्गीकरण के आधार निम्नलिखित हैं-
(1) गुणात्मक आधार- गुणात्मक आधार पर उन तथ्यों का वर्गीकरण किया जाता है, जिन्हें अंकों में प्रकट नहीं किया जा सकता है। तथ्यों का वर्गीकरण उनके गुणों या लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इस वर्गीकरण में एक विशेष गुण वाली इकाइयों को एक वर्ग या समूह में रखा जाता है। दूसरे गुण वाली इकाइयों को दूसरे वर्ग या समूह में रखा जाता है।
(2) संख्यात्मक आधार- संख्यात्मक आधार से हमारा तात्पर्य उस आधार से है, जिसमें एकत्रित तथ्यों को संख्यात्मक आधार पर व्यक्त किया जा सके। जैसे-आय, व्यय, आयु, लम्बाई आदि से सम्बन्धित तथ्यों को संख्यात्मक आधार पर वर्गों में बाँटा जा सकता है।
(3) भौगोलिक आधार- जब हम एकत्रित तथ्यों का वर्गीकरण भौगोलिक क्षेत्र या स्थान के आधार पर करते हैं, तब उसे भौगोलिक आधार पर वर्गीकरण कहते हैं।
(4) सामयिक आधार- जब हम तथ्यों का वर्गीकरण समय को आधार मानकर कहते हैं, तब इस प्रकार के वर्गीकरण को हम सामयिक वर्गीकरण कहते हैं। इस प्रकार का वर्गीकरण बहुत सरल होता है। इस प्रकार के वर्गीकरण में समय व अवधि के अनुसार तथ्यों को अलग-अलग वर्गों में रखा जाता है।