वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ एवं परिभाषा
वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग केवल प्राकृतिक या भौतिक चीजों के विषय में अध्ययन करने के लिए ही किया जाता है, ऐसा सोचना गलत है। अध्ययन विषय कुछ भी हो वैज्ञानिक पद्धति समान रूप से उपयोगी सिद्ध होती है। यही कारण है कि आज सामाजिक घटनाओं के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों का ही प्रयोग किया जा रहा है।
(1) श्री लुण्डबर्ग (Lundberg) ने वैज्ञानिक पद्धति के अर्थ को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि "सामाजिक वैज्ञानिकों में यह विश्वास पुष्ट हो गया है कि उनके सम्मुख जो समस्याएँ हैं, उनका हल यदि होना है, तो सामाजिक घटनाओं के निष्पक्ष एवं व्यवस्थित निरीक्षण, सत्यापन, वर्गीकरण तथा विश्लेषण द्वारा ही होगी। इसी दृष्टिकोण को, उसके अति ठोस एवं सफल रूप में मोटे तौर पर वैज्ञानिक पद्धति कहा जाता है।"
(2) कार्ल पियर्सन (Karal Pearson) के अनुसार- "वह व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के तथ्यों का वर्गीकरण करता है, इनके पारस्परिक सम्बन्ध को देखता है तथा उनके अनुक्रमों का वर्णन करता है, वह वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग कर रहा है और विज्ञान का आदमी है।"
(3) श्री घाउलेस (Thouless) के अनुसार- "वैज्ञानिक पद्धति सामान्य नियमों की खोज की लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रविधियों की एक व्यवस्था है, जो कि भिन्न विज्ञानों से अनेक बातों में भिन्न होते हुए भी सामान्य प्रकृति को धारण किये रहती है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि वैज्ञानिक पद्धति में एक सीमित क्षेत्र की विषय-वस्तु का अध्ययन क्रमबद्ध रूप से किया जाता है। लुण्डबर्ग के अनुसार, "व्यापक अर्थों में वैज्ञानिक पद्धति तथ्यों का क्रमबद्ध निरीक्षण, वर्गीकरण एवं विश्लेषण है।" कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक पद्धति से हमारा अभिप्राय उस तरीके से होता है, जिसके अन्तर्गत विज्ञान प्रयोगसिद्ध ज्ञान की प्राप्ति हेतु अपनी आधारभूत प्रणालियों को संचालित करता है और अपने उपकरणों व प्रविधियों को प्रयोग में लाता है। वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत सामाजिक घटनाओं के व्यवस्थित व निष्पक्ष निरीक्षण, वर्गीकरण तथा विश्लेषण को सम्मिलित किया जाता है। वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग केवल प्राकृतिक या भौतिक चीजों के विषय में अध्ययन करने के लिए ही किया जाता है ऐसी धारणा है। अध्ययन विषय कुछ भी हो, वैज्ञानिक पद्धति समान रूप से उपयोगी सिद्ध होती है।
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वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएँ
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं को निम्नलिखित प्रकार से जाना जा सकता है-
(1) सत्यापनशीलता (Verifiability)- वैज्ञानिक पद्धति की यह एक विशेषता है कि इसके द्वारा प्राप्त निष्कर्षों की सत्यता की जाँच की जा सकती है। कोई भी वैज्ञानिक कभी भी वैज्ञानिक पद्धति से प्राप्त निष्कर्षों की जाँच कर सकता है। वैज्ञानिक पद्धति किसी व्यक्ति की निजी पद्धति नहीं होती है। इसलिए इसका प्रयोग कोई भी वैज्ञानिक किसी भी समय व किसी भी प्रकार के अध्ययन के लिए कर सकता है। यदि किसी विषय के सम्बन्ध में कोई सन्देह भी होता है तो वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर उसके निष्कर्ष की परीक्षा एवं पुनः परीक्षा की जा सकती है। इसलिए कहा जा सकता है कि सत्यापनशीलता वैज्ञानिक पद्धति की बड़ी विशेषता है। वैज्ञानिक पद्धति का कार्य सन्देह को मिटाना है, न कि सन्देह को बढ़ाना। वैज्ञानिक पद्धति तो सदा ही पुनः परीक्षा की कसौटी पर खरी उतरती है।
(2) वस्तुनिष्ठता (Objectivity)- कोई भी घटना निरीक्षण, वर्गीकरण और विश्लेषण के आधार पर जैसी दिखाई देती है उसका उसी रूप में अध्ययन करना वस्तुनिष्ठता कहलाती है। वैयक्ति घटनाओं (Subjective Phenomena) का अध्ययन वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा नहीं किया जा सकता है। किसी भी प्रकार की परिस्थिति का वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर अध्ययन करके वस्तुनिष्ठता को प्राप्त किया जा सकता है। वैज्ञानिक पद्धति का कार्य तो व्यक्तिनिष्ठ घटनाओं का भी वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से अध्ययन करना व उनके सम्बन्ध में वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करना है। अत्यधिक तटस्थता वैज्ञानिक पद्धति की एक उल्लेखनीय विशेषता है। इसलिए वह किसी भी घटना को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत नहीं कर सकती है। वास्तविकता को वास्तविक रूप में प्रकट करना ज्ञान की प्राप्ति या सत्य की खोज की प्रथा सीढ़ी है- यह वैज्ञानिक पद्धति की मान्यता है।
(3) निश्चयात्मकता (Definiteness)- वैज्ञानिक पद्धति में अस्पष्टता या अनिश्चितता का पूर्णतया अभाव होता है। वैज्ञानिक पद्धति एक वैज्ञानिक के लिए कुछ और दूसरे के लिए और कुछ हो, ऐसा नहीं है। यह तो पूर्णतया सुनिश्चित है जिसका अनुसरण करके कोई भी वैज्ञानिक अपनी आवश्यकतानुसार किसी भी समय सत्य की खोज कर सकता है। वैज्ञानिक पद्धति अपने में किसी भी अनिश्चित या सन्देह उत्पन्न करने वाले तत्वों को अपने में स्थान नहीं देती है। ऐसा करना वैज्ञानिक भावना के प्रतिकूल माना जाता है। कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक पद्धति अपने आप में स्पष्ट व सुनिश्चित होती है। यह पद्धति सभी वैज्ञानिकों के लिए समान अवसर प्रदान करती है।
(4) सामान्यता (Generality)- वैज्ञानिक पद्धति में सामान्यता भी दिखायी देती है। इस विशेषता के दो अर्थ हैं-प्रथम तो यह है कि वैज्ञानिक पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं में सामान्य होती है। ऐसा नहीं होता है कि सामाजिक घटना की एक शाखा के लिए एक प्रकार की सामान्य होती है हो और दूसरी सामाजिक घटना के लिए दूसरी तरह की वैज्ञानिक पद्धति हो। इस वैम्बन्ध में कार्ल पियर्सन का भी कहना है कि "वैज्ञानिक पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं में एक जैसी होती है।" सामान्यता के इसी गुण के कारण वैज्ञानिक पद्धति में निश्चितता का गुण पाया जाता है। सामान्यता का दूसरा अर्थ यह है कि वैज्ञानिक पद्धति किसी सामाजिकं घटना के सम्बन्ध में एक सामान्य सत्य को ढूँढ़ निकालने की विधि है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि जिस नियम का प्रतिपादन किया जाता है वह किसी एक घटना या इकाई पर लागू नहीं होता है अपितु वह सभी इकाइयों पर समान रूप से लागू होता है। इसी सम्बन्ध में यह भी बात ध्यान देने योग्य है कि वैज्ञानिक नियम सभी परिस्थितियों तथा सभी इकाइयों पर समान रूप से तभी लागू किये जा सकते हैं जबकि अन्य अवस्थाएँ या परिस्थितियाँ पूर्ववत् बनी रहें।
(5) पूर्व कथनीयता (Predictability)- वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से अध्ययन करने पर सामाजिक घटनाओं के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की जा सकती है कि वैज्ञानिक पद्धति द्वारा निकाला गया आज का सत्य भविष्य में भी समान परिस्थितियों में सत्य रहता है। इसका अभिप्राय यह है कि किसी घटना में होने वाले परिवर्तन या उतार-चढ़ाव का पूर्वानुमान तभी सम्भव है, जब हम कार्य-कारण का सम्बन्ध ज्ञात कर सकें। वैज्ञानिक पद्धति द्वारा निकाला आज का सत्य भविष्य में भी समान परिस्थितियों या अवस्थाओं में सत्य रहता है।
(6) व्यवस्थित पद्धति (Systematic Method)- वैज्ञानिक पद्धति की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में व्यवस्थित और क्रमबद्ध प्रणाली को अपनाया जाता है। हम इस प्रकार से भी कह सकते हैं कि वास्तविक तथ्यों की खोज क्रमबद्ध तरीके से की जाती है। सामाजिक घटनाओं का अध्ययन तार्किक और तकनीकी दोनों ही पक्षों के आधार पर क्रमबद्ध व व्यवस्थित तरीके से किया जाता है तभी वैज्ञानिक अध्ययन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। स्पष्ट है कि सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर क्रमबद्धता और व्यवस्था का बहुत अधिक महत्व है।
निष्कर्ष (Conclusion)- सामाजिक अनुसंधान अपने अध्ययन कार्य के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग करता है। इन पद्धतियों के आधार पर किसी भी सामाजिक समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाता है। समाज गतिशील है। इसमें नित्य परिवर्तन होते रहते हैं। अनुसंधानकर्ता द्वारा प्रतिपादित नियमों में भी परिवर्तन होते रहते हैं। इस कारण समय-समय पर अनुसंधान द्वारा पुराने तथ्यों का परीक्षण एवं सत्यापन किया जाता है जिसका मुख्य कार्य समाज के तत्वों में पारस्परिक सम्बन्ध प्रकट करना है, जो वैज्ञानिक पद्धति का मुख्य तत्व है।