परिवार कल्याण और परिवार नियोजन क्या है?

भारत की जनसंख्या विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा बहुत अधिक है। जनसंख्या में हो रही तीव्र वृद्धि भारत जैसे विकासशील देश के लिए विकट समस्या है। जनसंख्या वृद्धि के कारण सरकार द्वारा जो भी विकास योजनाएँ संचालित की जा रही है, उनका वांछित लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। इतना ही नहीं हालत यहाँ तक गम्भीर है कि एक सुखी व स्वस्थ परिवार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

    किसी भी राष्ट्र की प्रगति वहाँ की जनसंख्या पर बहुत कुछ निर्भर करती है क्योंकि आज के परिवेश में एक साधारण दम्पति अधिक सन्तानों को अच्छा या पौष्टिक भोजन, वस्त्र, उचित शिक्षा, अच्छा वातावरण आदि सुविधाएँ नहीं दे सकता। सीमित परिवार होना आवश्यक है। परिवार नियोजन एक ऐसा साधन है जिससे परिवार ही नहीं बल्कि समाज व राष्ट्र का भी हित है।

    परिवार नियोजन का अर्थ

    "परिवार नियोजन एक जटिल व बहुमुखी योजना की एक प्रक्रिया है, जिसमें परिवार से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों को योजनाबद्ध ढंग से लागू करने की व्यवस्था होती है।" साधारण शब्दों में, "परिवार नियोजन के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार नियोजित रूप से परिवार को सीमित किया जा सकता है।"

    जनसंख्या वृद्धि तथा उसके परिणाम

    किसी देश की जनसंख्या कितनी होनी चाहिए यह एक सापेक्ष प्रश्न है। आज विश्व के कुछ देशों की जनसंख्या अत्यन्त कम है, जबकि कुछ देशों की बहुत अधिक। जिन देशों की जनसंख्या अधिक है वे अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। ऐसे राष्ट्र जिनकी जनसंख्या बहुत अधिक है अपने नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं। इसके अनुसार उचित जनसंख्या वह है जिसकी सभी जरूरी आवश्यकताएँ सामान्य रूप से पूरी होती हों।

    हमारा देश अति जनसंख्या का शिकार है। कुल जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग भोजन, वस्त्र तथा निवास की समस्याओं से जूझ रहा है। इनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय है। वास्तव में हमारी जनसंख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। चिकित्सा विज्ञान में मृत्यु पर अंकुश लगाया है। फलस्वरूप जनसंख्या और तेजी से बढ़ रही है।

    भारत सरकार ने तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये हैं। परिवार नियोजन ऐसा ही एक कार्यक्रम है, जिसके उपायों को अपनाकर परिवार को सीमित किया जा सकता है।

    परिवार नियोजन से लाभ

    परिवार नियोजन कार्यक्रम में निम्न लाभ हैं-

    1. एक छोटा व सीमित परिवार अपनी सीमित आय में भी अपने रहन-सहन का स्तर ऊँचा बना सकता है तथा अपनी सभी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से कर सकता है।
    2. व्यक्ति को दैनिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त भविष्य सुरक्षा के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। सीमित परिवार इस उद्देश्य से भी सफलता प्राप्त कर सकता है।
    3. सीमित परिवार में उत्तम व पौष्टिक भोजन की व्यवस्था होने से व्यक्ति नीरोग व स्वस्थ रहते हैं।
    4. जब सन्तानें देर से उत्पन्न होती हैं अर्थात् यो सन्तानों के मध्य यथेष्ट अन्तर होने से माता का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है और हि स्वस्थ सन्तानों को जन्म देने योग्य रहती है।
    5. छोटे परिवार में बच्च्चों की उचित शिक्षा-दीक्षा होती रहने से वे सभ्य व सुसंस्कृत नागरिक बनते हैं तथा परिवार का वातावरण भी अत्यन्त सुखद बना रहता है।
    6. सीमित परिवार में गृहिणी पर गृहकार्य का बोझ भी कम होता है, अतः वह अपने शेष समय में कोई रचनात्मक कार्य भी कर सकती है।
    7. छोटे परिवार के योग्य व सुशिक्षित सदस्य समाज व देश की प्रगति में भी अपना योगदान दे सकते हैं।
    8. समाज में आर्थिक रूप से खुशहाल रहने पर व्यक्ति का नैतिक स्तर भी ऊँचा होता है।

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    परिवार नियोजन की विधियाँ

    परिवार नियोजन के अन्तर्गत कुछ विधियाँ हैं जिन्हें अपनाकर परिवार सीमित किया जा सकता है अर्थात् कम बच्चे पैदा किये जा सकते हैं। ये विधियाँ पुरुष और स्त्री के लिए अलग-अलग हैं-

    पुरुषों के लिए गर्भ निरोध

    सन्तान जन्म के लिए केवल स्त्री ही उत्तरदायी नहीं है। यह पति-पत्नी के सहयोग का ही परिणाम होता है। अतः गर्भ निरोध की दृष्टि से पुरुषों को भी आगे बढ़ना चाहिए। केवल पत्नी को ही इसका दायित्व सौंपकर स्वयं पीछे भागना पत्नी के प्रति अन्याय है। अतः आवश्यकतानुसार पुरुषों के लिए भी कुछ गर्भ निरोधक विधियाँ हैं जिसके द्वारा परिवार नियोजन किया जा सकता है। पुरुषों के लिए केवल भौतिक विधि ही उपयुक्त है जो अवधि के अनुसार निम्न प्रकार है-

    1. भौतिक विधि : निरोध या कण्डोम (Condome)- यह रवर की एक थैली होती है जिसे सहवास से पूर्व पुरुष अपने लिंग पर चढ़ा लेता है। इससे उसका वीर्य उसी थैली में एकत्र होता है तथा गर्भ रहने की सम्भावना नहीं रहती। यह बहुत सस्ता व सरल साधन है जिसे अल्प समय के लिए प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसे पूर्णतया प्रामाणिक मानना भूल होगी।

    2. दीर्घकालीन अथवा सर्वकालीन विधि नसबन्दी- पुरुष की नसबन्दी करने के लिए एक छोटा ऑपरेशन करके शुक्रवाहक नलिकाओं को काटकर बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणु पुरुष के वीर्य से नहीं आने पाते और स्त्री के गर्भधारण की सम्भावना समाप्त हो जाती है।

    शुक्रवाहिनी नलिकाओं को केवल बाँध देने से यह सुविधा होती है कि पुरुष सन्तान की इच्छा होने पर इसे खुलवाकर सन्तान उत्पन्न कर सकता है, किन्तु इसे काट देने से ऐसी सुविधा सदा के लिए समाप्त हो जाती है।

    स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की नसबन्दी अत्यन्त सरल व बहुत कम कष्टदायी होती है। उसे आधे घण्टे बाद ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। कुछ दिनों तक केवल भारी बोझ उठाने से बचने पर वह सदैव के लिए पूर्ववत् हो जाता है।

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    स्त्रियों के लिए गर्भ निरोध

    1. वर्तिका (Suphazitory)- यह एक चिकनी लगाने की वस्तु है। इसे स्त्री की योनि (Vagina) के ऊपर रख दिया जाता है। यह शरीर की गर्मी से पिघल कर गर्भाशय में जाकर चिकनाई के रूप में चारों ओर फैल जाती है तथा गर्भधारण नहीं होने देती।

    2. फोम पाउडर (Foam Powder)- यह पाउडर भी गर्भ निरोधक होता है। इसे योनि द्वारा गर्भाशय तक पहुँचाया जाता है, जिससे शुक्राणु गर्भाशय में जाने से पहले ही निष्क्रिय हो जाते हैं।

    3. जेली तथा क्रीम- ये दोनों गर्भ निरोधक रासायनिक औषधियाँ हैं जो ट्यूब में आती हैं। इसके साथ एक पिचकारी भी आती है, जिसकी सहायता से यह औषधि गर्भाशय तक पहुंचा दी जाती है।

    4. झागदार गोलियाँ (Tablets)- ये गोलियाँ सहवास से पूर्व पानी में गीली करके योनि में रख ली जाती है। इनमें से एक प्रकार का झाग उठता है जो शुक्राणुओं को रोककर नष्ट कर देता है। यह विधि सरल है, किन्तु अधिक प्रामाणिक नहीं है।

    5. गर्भ निरोधक की भौतिक विधि ग्रैविकल कैप (Grevical Cap)- यह एक अत्यन्त मुलायम रबर की टोपी-सी होती है। इसे 'डायाफ्राम' भी कहते हैं। यह गर्भाशय के मुँह को ढक लेती है जिससे शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाते। किन्तु इसके प्रयोग की विधि किसी परिवार नियोजन केन्द्र या किसी लेडी डॉक्टर से सीखकर प्रयोग करनी चाहिए। इसे 4-6 घण्टों से अधिक अन्दर नहीं रहने देना चाहिए।

    6. लूप- यह प्लास्टिक का बना हुआ एक छल्ला होता है जो स्त्री के गर्भाशय में रख दिया जाता है। जब तक यह रखा रहता है तब तक स्त्री को गर्भ नहीं ठहर सकता। इससे पति-पत्नी को सहवास में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती।

    लूप गर्भ निरोध की एक सफल भौतिक विधि है, किन्तु इसे किसी लेडी डॉक्टर द्वारा ही लगवाया जा सकता है जिसमें दो-चार मिनट ही लगते हैं। इसे निकालने का कार्य भी डॉक्टर ही करती हैं।

    7. सदैव के लिए प्रभावी विधि- गर्भ निरोध की उपर्युक्त रासायनिक व भौतिक विधियाँ कुछ घण्टों या कुछ अधिक समय तक प्रभावी रह सकती हैं। ये कभी असफल भी हो जाती हैं। अतः नसबन्दी ही एक पूर्ण सफल व प्रामाणिक विधि है जिसे दो या तीन बच्चों के बाद अपनाया जा सकता है।

    8. स्त्री की नसबन्दी- ऑपरेशन द्वारा स्त्री की डिम्ब नलिकाओं को बाँधकर काट दिया जाता है, इससे शुक्राणु तथा अण्डाणु का मेल नहीं हो पाता और सदा के लिए गर्भ ठहरने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। नसबन्दी के बाद न तो स्त्री के मासिक धर्म में कोई अन्तर पड़ता है न ही दाम्पत्य जीवन के आनन्द में।

    प्रायः स्त्रियों की यह धारणा होती है कि प्रसव के समय ही नसबन्दी हो सकती है। यह अवसर नसबन्दी के लिए उपयुक्त अवश्य होता है, किन्तु इच्छानुसार कभी भी अस्पताल में भर्ती होकर नसबन्दी करवायी जा सकती है। ऑपरेशन के बाद 4-6 दिन अस्पताल में रखकर छुट्टी मिल जाती है।

    परिवार नियोजन के लिए उपलब्ध सुविधा

    आजकल भारत में परिवार नियोजन एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के रूप में अपनाया जा सकता है जिसके लिए सरकार इस प्रकार की व्यवस्था कर रही है कि अधिक-से-अधिक जनता इस परिवार नियोजन कार्यक्रम से लाभान्वित हो सके। अतः सरकार की ओर से प्राप्त की जानेवाली उपलब्धियों निम्न प्रकार हैं-

    1. सभी जनपदों के प्रमुख चिकित्सालयों में परिवार नियोजन की निःशुल्क सुविधाएँ प्राप्त करायी जाती हैं।
    2. केवल जनपद ही नहीं बल्कि ग्रामीण जनता के लिए सभी विकास खण्डों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी परिवार नियोजन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    3. इसके अतिरिक्त समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर परिवार नियोजन शिविर लगाये जाते हैं जिससे लोगों को नसबन्दी तथा लूप की सुविधा प्राप्त हो सके।
    4. परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की ओर से 60 रुपये खाने-पीने तथा 40 रुपये मार्ग व्यय के लिए दिये जाते हैं तथा सरकारी कर्मचारी को 6 दिन का सवैतनिक अवकाश भी दिया जाता है।
    5. जो व्यक्ति किसी स्त्री या पुरुष को परिवार नियोजन कराने के लिए लाता है उसे भी कुछ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। 
    6. देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम को तीव्र बनाने के लिए कुछ सचल केन्द्र भी कार्य कर रहे हैं जो स्थान-स्थान पर जाकर लोगों को परामर्श व चिकित्सा प्रदान करते हैं और निःशुल्क गर्भ निरोधक वस्तुएँ बाँटते हैं।
    7. सरकार सूचना व प्रसार मन्त्रालय की सहायता से आकाशवाणी व दूरदर्शन के माध्यम से प्रायोजित कार्यक्रमों के द्वारा जनजागृति लाकर परिवार नियोजन कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बनाने में सक्रिय कदम उठा रही है।

    भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम तेजी से लागू हो रहा है, किन्तु इसका विश्लेषण करने पर यह ज्ञात होता है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की रूढ़िवादी मनोवृत्ति को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस कार्यक्रम को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। शहरी क्षेत्र इससे अधिक प्रभावित हुआ है। अतः ग्रामों में बसी लगभग 75% जनता पर इसकी सफलता अधिक निर्भर करती है।

    परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के सुझाव

    परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कुछ अन्य उपाय भी हैं, जैसे-

    1. सर्वप्रथम इस कार्यक्रम को ग्रामीण क्षेत्रों में कारगर ढंग से लागू किया जाना चाहिए तथा भरपूर गर्भ निरोध के साधनों को निःशुल्क उपलब्ध कराना चाहिए।
    2. परिवार नियोजन अपनाने वाले को आकर्षक सुविधा तथा अतिरिक्त बोनस दिया जाना चाहिए।
    3. ऐसे दम्पति की सन्तानों को अतिरिक्त शिक्षा सुविधा की व्यवस्था करनी चाहिए तथा उनके आयकर में भी विशेष छूट का प्रावधान करना उत्तम होगा।
    4. गर्भपात की उत्तम चिकित्सकीय सुविधा प्राप्त करानी चाहिए।
    5. विवाह की न्यूनतम आयु का कठोरता से पालन करना अन्यथा उचित दण्ड की व्यवस्था भी आवश्यक है।
    6. परिवार नियोजन कार्यक्रम ऐसा कदम है जिसके लिए 'जबरदस्ती' शब्द का प्रयोग उचित नहीं है। क्योंकि यह विषय जितना राष्ट्रीय है उससे अधिक व्यक्तिगत भी। अतः परिवार नियोजन के लिए ग्रामीण क्षेत्र में जनमत जागृत करना इस कार्यक्रम की सफलता का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।

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