कारखाना संगठन
किसी भी कारखाने की सफलता के लिए उसका समुचित संगठन का होना आवश्यक है। इसका संगठन इस प्रकार होना चाहिए जिससे लागत लेखापाल को आवश्यक आँकड़े निश्चित समय पर शीघ्रता से और सही रूप में प्राप्त हो सकें। चूंकि सभी उद्योगों की समस्याएँ अलग-अलग होती है अतः संगठन का कोई आदर्श प्रारूप नहीं बनाया जा सकता है। हाँ, संगठन के प्रत्येक अधिकारी के अधिकार व कर्तव्यों को निश्चित कर देना चाहिए जिससे उन्हें अपने कार्य के निष्पादन में कोई बाधा सामने नहीं आये। रॉल्ड जे. हेल्डन के अनुसार एक सुसंगठित उद्योग में निम्नलिखित मुख्य अधिकारी एवं विभाग होते है-
(i) जनरल मैनेजर (General Manager)
यह कम्पनी का सबसे बड़ा अधिकारी होता है जो कि कम्पनी के अंशधारियों के हितों की रक्षा करता है। इसकी सहायता के लिए संचालकों का एक बोर्ड होता है जो कि कम्पनी से सम्बन्धित योजनाएँ तैयार करता है।
(ii) कारखाना मैनेजर (Factory Manager)
कारखाना मैनेजर का मुख्य कार्य उत्पादन पर नियन्त्रण रखना होता है। इसका मुख्य कार्य विभिन्न विभागों के अध्यक्षों की कठिनाइयों का समाधान करना होता है। यह फैक्ट्री के आन्तरिक मामलों की पूरी सूचना रखता है। इसके अधिकार में निम्नलिखित विभाग होते हैं-
1. योजना विभाग (Planning Department)- यह विभाग निम्नलिखित कार्यों का निष्पादन करता है-
- कोई भी काम कहीं और कैसे किया जाये,
- कौन-सी सूचनाएँ विभिन्न विभागों को भेजी जायें,
- विभिन्न विभागों के लिए योजना तैयार करना,
- विभिन्न विभागों के आँकड़े संग्रह करना,
- आँकड़ों का विश्लेषण कर निर्णय लेना।
2. उत्पादन विभाग (Production Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य उत्पादन से सम्बन्धित माल के आने-जाने एवं उसके प्रयोग पर नियन्त्रण रखना होता है तथा निर्मित माल का समुचित लेखा करना होता है। इस विभाग के अन्तर्गत छोटे-छोटे अन्य विभाग होते है-
- स्टोर विभाग (Stores Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य माल का स्टोर करना होता है तथा आवश्यकतानुसार यहीं से अन्य विभागों को माल पहुँचाया जाता है।
- माल बाँधने एवं भेजने वाला विभाग (Goods Binding and Despatching Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य माल का समुचित ढंग से पैकिंग करना तथा विक्रय मैनेजर की आज्ञानुसार आदेश की सुपुर्दगी देना होता है।
- यातायात विभाग (Transportation Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य यातायात पर नियन्त्रण करना होता है।
- श्रम कल्याण विभाग (Labour Welfare Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य श्रमिकों की समस्याओं का निराकरण एवं उनके हित में कार्य करना होता है।
3. क्रय विभाग (Purchase Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य उद्योग की आवश्यकतानुसार माल का क्रय करना होता है।
4. डिजाइन विभाग (Designing Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य निर्माण किये जाने वाले मालो का डिजाइन तैयार करना होता है जो कि उपभोक्ताओं की रुचि के अनुरूप हों।
5. प्रगति विभाग (Progress Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य योजना विभाग द्वारा बनाये गये कार्यक्रम के अनुरूप काम करना होता है तथा विभिन्न विभागों की प्रगति का लेखा करना होता है।
6. निरीक्षण विभाग (Inspection Department)- इस विभाग के मुख्य कार्य निम्नलिखित है-
- क्रय किये हुए माल का निरीक्षण करना,
- अर्द्ध-निर्मित माल के क्रय का निरीक्षण करना,
- निर्मित माल का निरीक्षण करना,
- स्टॉक का निरीक्षण करना।
(III) मुख्य इन्जीनियर (Chief Engineer)
इसका मुख्य कार्य उद्योग में यन्त्रों की देख-भाल करना होता है। किस यन्त्र की मरम्मत को आवश्यकता है, किसे बदलने की आवश्यकता है, इसका मुख्य कार्य होता है। इसके अधिकार में निम्नलिखित विभाग होते है-
1. नक्शा विभाग (Drawing Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य कारखाना भवन, भूमि और मशीन आदि का नक्शा बनाना होता है। इसके अन्तर्गत एक ड्राफ्टमैन होता है जो मुख्य इंजीनियर की स्वीकृति से ड्राफ्टिंग का काम करता है।
2. मशीन एवं पुर्जा विभाग (Machinery & Tools Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य उद्योग में प्रयुक्त मशीन एवं सम्बन्धित पुर्जा की देखभाल करना होता है।
3. प्रयोग एवं अनुसन्धान विभाग (Experiment & Research Department)- इस विभाग का मुख्य कार्य नयी-नयी तकनीकों की खोज एवं उनका प्रयोग करना होता है जिससे संस्था विकास के दौर में आगे रह सके।
4. निरीक्षण विभाग (Inspection Department)- इस विभाग के मुख्य कार्य निम्नलिखित है-
- क्रय किये हुए माल का निरीक्षण करना,
- अर्द्ध-निर्मित माल के क्रय का निरीक्षण करना,
- निर्मित माल का निरीक्षण करना,
- स्टॉक का निरीक्षण करना।
(IV) लागत लेखापाल (Cost Accountant)
यह लागत लेखा विभाग का अध्यक्ष होता है और यह अपने कार्यों के लिए जनरल मैनेजर के प्रति उत्तरदायी होता है। इसका मुख्य कार्य लागत की गणना करना एवं उसका विश्लेषण करना होता है।
(V) सांख्यिकी विभाग (Statistics Department)
इस विभाग का मुख्य कार्य उत्पादन, बिक्री तथा अन्य सम्बन्धित आँकड़ों को एकत्रित करना है जिनके आधार पर भविष्य की योजनाएँ बनायी जाती है। इस विभाग में योग्य व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है क्योंकि छोटी-सी भूल का खतरनाक परिणाम हो सकता है।