सांख्यिकीय आँकड़े इतने विशाल एवं जटिल होते हैं। कि साधारण व्यक्ति के लिए उनका समझना कठिन होता है। सांख्यिकीय तथ्यों का बिन्दुरेखीय प्रदर्शन उन्हें समझने योग्य बनाने की सफल एवं प्रभावी विधि है। बिन्दुरेखाचित्र समंकों को संक्षिप्तता भी प्रदान करते हैं।
बिन्दु रेखाचित्र का अर्थ एवं परिभाषा
तथ्यों का प्रदर्शन करने हेतु चित्रों के साथ-साथ बिन्दुरेखओं का प्रयोग भी किया जाता है। तथ्यों का चित्रों के माध्यम से प्रदर्शन आकर्षक एवं प्रभावपूर्ण होता है, किन्तु इनमें सांख्यिकीय यथार्थता नहीं आ पाती है। चित्रों के द्वारा तथ्यों के बारे में मात्र एक सामान्य अनुमान ही लंगाया जा सकता है। अतः जब तथ्यों को परिशुद्ध रूप में प्रस्तुत करना हो तो बिन्दुरेखा चित्रों का प्रयोग ही उपयुक्त होता है। बिन्दुरेखा का उपयोग दो चरों के मध्य सह-सम्बन्धों को ज्ञात करने के लिए भी किया जाता है।
(1) ब्लेयर (Blair) के अनुसार- "समझने एवं रचना करने में सर्वाधिक लोचदार तथा अधिकतम प्रयुक्त चित्र का रूप ही बिन्दुरेखा (Line-graph) है।"
(2) वैसेलो (Vesselo) के अनुसार- "संख्यात्मक रूप से पठन में सर्वाधिक सरल एक व्यापक विधि बिन्दुरेखा ही है। यह संख्याओं का इस ढंग से चित्रण करती है कि उनके सम्बन्ध एक साथ ज्ञात हो जाते हैं। इनका संख्याओं को स्पष्ट करने में सर्वाधिक महत्व है।"
(3) हब्वर्ड (Hubbard) के अनुसार- "प्रत्येक बिन्दु एक तथ्य होता है, प्रत्येक घुमाव एक घटना होती है तथा प्रत्येक वक्र एक इतिहास होता है। जहाँ समंकों का रिकार्ड रखना हो, निष्कर्ष निकालने हो और तथ्यों को बताना हो, बिन्दुरेखाएँ एक अद्वितीय साधन प्रदान करती हैं।"
(4) बॉडिंगटन (Boddington) के अनुसार- "सारणीबद्ध विवरण की अपेक्षा रेखा का घुमाव मस्तिष्क को प्रभावित करने में अधिक शक्तिशाली होता है, क्या घटना घट रही है तथा क्या घटने की सम्भावना है, का प्रदर्शन रेखा उतनी ही शीघ्रता से करती है, जितनी शीघ्रता से नेत्र अपना कार्य करने में समर्थ होते हैं।"
बिन्दुरेखाओं के गुण एवं उपयोगिता
बिन्दुरेखा के गुण तथा उपयोगिता को निम्न प्रकार से हम भली भाँति से समझ सकते हैं-
(1) सह-सम्बन्ध का ज्ञान- बिन्दुरेखा के द्वारा दो या दो से अधिक तथ्यों या संख्याओं के पारस्परिक सम्बन्ध को स्पष्टता एवं सरलता से प्रदर्शित किया जा सकता है। एक तथ्य में परिवर्तन होने पर दूसरे तथ्य में किस तरह से परिवर्तन आता है, यह तथ्य चित्रों की अपेक्षा बिन्दुरेखाओं से अधिक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जा सकता है।
(2) सांख्यिकीय विश्लेषण का प्रदर्शन- बिन्दुरेखीय चित्रों के माध्यम से विभिन्न सांख्यिकी विश्लेषण को अधिक शुद्धता के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है। इनके द्वारा स्थिति माध्य (Position averages), मध्यिका (Median), भूयिष्ठक (Mode) आदि को सरलता से दर्शाया जा सकता है।
(3) तथ्यों की विवेचना और व्याख्या- बिन्दुरेखचित्रों से तथ्य के तुलनात्मक महत्व के साथ-साथ उनमें होने वाले परिवर्तनों की प्रवृत्ति, दिशा और मात्रा की जानकारी प्राप्त होती है, जिनके आधार पर तथ्यों की विवेचना और व्याख्या करना अत्यन्त सरल हो जाता है।
(4) आकर्षक प्रदर्शन- बिन्दुरेखाचित्रों का निर्माण यदि स्वच्छता से किया जाता है तो वे अधिक आकर्षक एवं प्रभावपूर्ण प्रतीत होते हैं।
(5) भविष्यवाणी करने में सहायक- बिन्दुरेखा चित्रों के प्रदर्शन से उनमें होने वाले परिवर्तन की प्रवृत्ति, दिशा एवं मात्रा का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
(6) धन, समय एवं श्रम की बचत- बिन्दुरेखाचित्र तथ्यों के प्रदर्शन में चित्रों की अपेक्षा कम श्रम एवं धन लगता है क्योंकि इनके निर्माण में हमें सामान्य ग्राफ पेपर की ही आवश्यकता होती है।
(7) तुलनात्मकता- बिन्दु रेखाचित्रों द्वारा तथ्यों का तुलनात्मक प्रदर्शन सरलता से किया जा सकता है क्योंकि इनमें समय तथा आवृत्ति के अनुसार आँकड़ों को तुलनात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है। विभिन्न रंगों में ग्राफ पेपर पर खींची गई रेखाओं को देखते ही एक दृष्टि में उनके परस्पर सम्बन्धों को ज्ञात किया जा सकता है तथा तुलनात्मक महत्व को समझा जा सकता है।
(8) विशुद्ध प्रस्तुतीकरण- बिन्दु रेखाचित्रों का निर्माण ग्राफ पेपर पर किया जाता है जिस पर एक-एक सेण्टीमीटर के वर्गाकार खाने निर्मित होते हैं। प्रत्येक खाना सौ वर्गाकार उपभागों में विभक्त होता है। बिन्दु रेखाचित्रों द्वारा तथ्यों का प्रस्तुतीकरण अधिक वैज्ञानिक, यथार्थ, सूक्ष्म एवं परिशुद्ध रूप में किया जाता है।
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बिन्दुरेखाचित्रों के दोष (सीमाएँ)
बिन्दुरेखाचित्रों में अनेक गुण भी हैं। परन्तु उसमें कुछ दोष भी हैं। इनके प्रमुख दोष अथवा सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) सीमित उपयोग (Limited Use)- बिन्दु रेखाचित्र का उपयोग सामान्यतः बहुत कम किया जाता है। क्योंकि अनभिज्ञ और अशिक्षित लोग इन्हें सरलता से नहीं समझ पाते हैं। इन्हें समझने के लिए विशेष ज्ञान एवं रुचि की आवश्यकता होती है। ग्राफ की अपेक्षा चित्रों द्वारा तथ्यों का प्रस्तुतीकरण अधिक सरल एवं आकर्षक होता है।
(2) सदैव परिशुद्ध नहीं (Not Always Accurate)- ग्राफ द्वारा सभी प्रकार की सूचनाओं का सफल प्रदर्शन नहीं हो सकता है। इनके द्वारा मात्र तथ्यों की प्रवृत्ति एवं परिवर्तन को ही प्रस्तुत किया जा सकता है। फिर भी तथ्यों के वास्तविक मूल्य को इनके द्वारा ज्ञात करना कठिन है।
(3) पक्षपात की सम्भावना (Possibility of Bias)- ग्राफ में निर्माता के दृष्टिकोण एवं पक्षपात की सम्भावना बनी रहती है। यदि मापदण्ड में थोड़ा-बहुत परिवर्तन है, तो उनके द्वारा निकाले जाने वाले निष्कर्ष भी परिवर्तित हो जाते हैं।
(4) भ्रान्तिपूर्ण प्रदर्शन (Confused Prsentation)- ग्राफ के प्रदर्शन में केवल कुछ अंशों में ही शुद्धता आ पाती है। इनमें गणितीय शुद्धता का अभाव होता है जिसके परिणामस्वरूप बहुधा ये भ्रान्ति उत्पन्न कर देते हैं।
(5) उद्धरण देना असम्भव (Quoting Imopossible)- ग्राफ को किसी कथन अथवा तथ्य की पुष्टि या समर्थन हेतु उद्धरित करना सम्भव नहीं होता है। ग्राफ का वर्णनात्मक पक्ष कुछ भी नहीं होता है। इसलिए विचारों एवं आँकड़ों की भाँति इनको प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
(6) जटिलता (Complexibility)- दो या दो से अधिक विशेषताओं को जब ग्राफ के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है तो वे जटिल हो जाते हैं और उनसे कुछ भी समझना सम्भव नहीं होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)- उपरोक्त विवेचना के आधार पर स्पष्ट है कि बिन्दु रेखाचित्रों का सामाजिक अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत अधिक महत्व होता है। बिन्दुरेखाओं का मुख्य लाभ यह है कि इनके द्वारा सांख्यिकीय तथ्यों को समझना सुलभ हो जाता है।