अनुसूची का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, उद्देश्य, प्रकार एवं गुण दोष

सामाजिक अनुसंधान एवं सर्वेक्षण में अनुसूची-प्रणाली का प्रयोग व्यापक रूप में किया जाता है। अनुसूची प्रविधि साक्षात्कार तथा अवलोकन दोनों पद्धतियों का समन्वय करके अध्ययनकर्ता को दोनों प्रविधियों के लाभ पहुँचाती है। अनुसूची में अध्ययनकर्ता सूचनादाता के समक्ष पहुँचकर उसका अवलोकन तथा साक्षात्कार कर लेता है। अनुसूची भी प्रश्नों की सूची होती है, जिसमें अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्न लिखे रहते हैं।

अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषा

अनुसूची प्रश्नों की एक लिखित सूची है, जिसे अनुसंधानकर्ता अपने अध्ययन विषय की प्रकृति व उद्देश्य को ध्यान में रखकर बनाता है, जिससे कि उन प्रश्नों का उत्तर सम्बन्धित व्यक्तियों से मालूम किया जा सकता है।

(1) गुड़े एवं हॉट (Goode and Hatte) के अनुसार- "अनुसूची उन प्रश्नों के एक समूह का नाम है, जो साक्षात्कारकर्ता द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति से आमने-सामने की स्थिति में पूछे और भरे जाते हैं।"

(2) बोगाईस (Bogardus) ने अनुसूची की व्याख्या करते हुए लिखा है, "अनुसूची उन तथ्यों को प्राप्त करने की एक औपचारिक प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती है, जो वैषयिक रूप में है तथा सरलता से प्रत्यक्ष योग्य है।"

(3) मैक कोर्मिक (Mc Cormic) के शब्दों में- "अनुसूची उन प्रश्नों की एक सूची से अधिक कुछ नहीं है, जिनका उत्तर देना प्राक्कल्पना या प्राक्कल्पनाओं की जाँच के लिए आवश्यक प्रतीत होता है।"

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि अनुसूची सूचनादाताओं से प्रत्यक्षतः व औपचारिक रूप में पूछे जाने वाले उन प्रश्नों की एक आयोजित व व्यवस्थित सूची है, जो कि अध्ययन विषय की वास्तविकताओं को प्रकट करने वाले तथ्यों या सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए आवश्यक समझे जाते हैं। अनुसूची एक प्रपत्र होता है, जिसमें विषय से सम्बन्धित प्रश्नों को एक क्रम से लिख लिया जाता है। इस प्रपत्र को आवश्यक संख्या में छपवा लिया जाता है। इस अनुसूची को लेकर स्वयं अनुसंधानकर्ता सूचनादाताओं के पास जाता है और उनसे पूछ-पूछकर प्रश्नों के उत्तरों को स्वयं लिख लेता है या सूचनादाता को उत्तर लिख देने के लिए अनुरोध करता है।

यह भी पढ़ें- प्रश्नावली का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, महत्व एवं सीमायें

एक अच्छी अनुसूची की विशेषताएँ

अनुसूची की विशेषताओं को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

  1. अनुसूची अध्ययन समस्या से सम्बन्धित शीर्षक एवं प्रश्नों से सम्बन्धित एक व्यवस्थित तथा वर्गीकृत सूची होती है।
  2. इसे एक प्रपत्र के रूप में छपवाया जाता है, जिसमें क्रमबद्ध रूप से प्रश्न लिखे होते हैं।
  3. इसे भरने के लिए अध्ययनकर्ता उत्तरदाता से प्रत्यक्ष, व्यक्तिगत एवं आमने-सामने का सम्पर्क करता है।
  4. इसे अध्ययनकर्ता स्वयं भरता है।
  5. अनुसूची का प्रयोग शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों ही प्रकार के उत्तरदाताओं के लिए किया जाता है।
  6. इसमें साक्षात्कार, अवलोकन एवं प्रश्नावली तीनों विधियों की विशेषताओं का समन्वय पाया जाता है।
  7. अनुसूची का प्रयोग छोटे क्षेत्र के अध्ययन के लिए ही किया जाता है।
  8. अनुसूची में प्रश्नों को एक निश्चित क्रम में रखा जाता है और उसी क्रम में प्रश्न पूछे जाते हैं।

अनुसूची के उद्देश्य

एम. एच. गोपाल (M. H. Gopal) ने अनुसूची के उद्देश्यों को बताते हुए लिखा है, "इसका प्रयोग सूचना स्रोतों से प्रत्यक्ष रूप में निश्चित परिमाणात्मक तथा वैषयिक सूचना प्राप्त करने में होता है।" अनुसूची के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. अनुसूची का प्रमुख उद्देश्य प्रामाणिक, विश्वसनीय एवं यथार्थ सूचनाएँ संकलित करना है।
  2. इसका उद्देश्य गुणात्मक तथ्यों को संख्यात्मक तथ्यों में प्रकट कर उन्हें अनुमापन योग्य बनाना है।
  3. स्थानीय एवं क्षेत्रीय अध्ययन करना।
  4. अध्ययन समस्या के बारे में वैषयिक सूचना संकलित करना है
  5. तथ्यों का एक व्यवस्थित क्रम में संकलन करना है।
  6. इसमें अनावश्यक तथ्यों के संकलन से बचा जाता है।

अनुसूची के प्रकार

अनुसूची के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) अवलोकन अनुसूची- इस प्रकार की अनुसूची का प्रयोग अध्ययनकर्ता अपने अवलोकन को लिखने के लिए करता है। अवलोकन अनुसूची में सामाजिक व्यवहार, प्रक्रिया या घटना से सम्बन्धित प्रश्न लिखे जाते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर सूचनादाता से अध्ययनकर्ता पूछकर नहीं लिखता है, वरन् वह जो कुछ देखता है उसी के आधार पर अनुसूची की रिक्तियों को भर लेता है। कहा जा सकता है कि यह अवलोकन पथ-प्रदर्शिका (Observation Guide) होती है। यह अनुसंधानकर्ता पर नियन्त्रण रखती है और उसे किस प्रकार की सूचनाएँ संकलित करनी हैं इसका मार्गदर्शन भी करती है। यह अनुसूची अनुसंधानकर्ता को पुनः स्मरण की भी शक्ति प्रदान करती है।

(2) साक्षात्कार अनुसूची- साक्षात्कार द्वारा प्राप्त सूचनाएँ व्यवस्थित क्रम में संकलित करने के लिए इन अनुसूचियों का प्रयोग किया जाता है। इन अनुसूचियों में अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्न लिखे होते हैं। साक्षात्कारकर्ता अध्ययन क्षेत्र में जाकर सूचनादाता से वही प्रश्न करता है तथा प्रश्नों के उत्तरों को अनुसूचियों में लिखता जाता है। इसके द्वारा साक्षात्कार को व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध किया जाता है। साक्षात्कार अनुसूची के द्वारा विश्वसनीय एवं प्रामाणिक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। इस प्रकार की अनुसूची द्वारा प्राप्त सूचनाओं का सत्यापन किया जा सकता है। इस अनुसूची में अवलोकन द्वारा घटनाओं का सत्यापन भी हो जाता है। इस अनुसूची में अध्ययनकर्ता की स्मरण शक्ति पर भरोसा करने की आवश्यकता नहीं होती है।

(3) मूल्यांकन अनुसूची- इस अनुसूचियों में किसी विशिष्ट घटना अथवा विषय के सम्बन्ध में व्यक्तियों की रुचि, मनोवृत्ति आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है। समाजशास्त्र के अन्तर्गत इन अनुसूचियों का प्रयोग अभिवृत्ति पैमानों की तरह किया जाता है। सामाजिक समस्याओं एवं घटनाओं के मूल्यांकन, गुण निर्धारण तथा तुलनात्मक क्षमता जाँचने के लिए भी इस प्रकार की अनुसूचियों का प्रयोग किया जाता है। समाजमिति अध्ययनों, समाजशास्त्र एवं मनोविज्ञान में भी इस प्रकार की अनुसूचियों का प्रयोग किया जाता है। इन अनुसूचियों के माध्यम से सूचनादाता के पक्ष एवं विपक्ष को जाना जा सकता है।

यह भी पढ़ें- वर्गीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, गुण एवं आधार

(4) संस्था सर्वेक्षण अनुसूची- इस सम्बन्ध में पी. वी. यंग ने लिखा है, "किसी विशिष्ट संस्था के सामने उत्पन्न होने वाली अथवा उसमें उपस्थित समस्याओं का अवलोकन करने के लिए इन अनुसूचियों का प्रयोग करते हैं।" जिन अनुसूचियों द्वारा किसी संस्था विशेष अथवा उसके विशिष्ट पहलू का अध्ययन किया जाता है, उसे संस्था सर्वेक्षण अनुसूची कहते हैं। इस प्रकार की अनुसूची के द्वारा किसी संस्था के विशेष पक्ष, उसकी आन्तरिक एवं बाह्य समस्याओं एवं कार्य-कलापों का अध्ययन किया जाता है। जनगणना के लिए इस प्रकार की अनुसूची का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की अनुसूचियों से पंचायतों, सहकारी समितियों, शिक्षण संस्थाओं, जेलों आदि की कार्य प्रणाली का अध्ययन सरलता से किया जा सकता है।

(5) प्रलेख अनुसूची- श्रीमती पी. वी. यंग (P.V. Young) के अनुसार, "संस्था के समक्ष उत्पन्न करने वाली अथवा उसमें विद्यमान समस्याओं का निरीक्षण करने के लिए इस प्रकार की अनुसूचियों का प्रयोग किया जाता है।" इसके द्वारा किसी संस्था के किसी विशेष पक्ष, उसकी आन्तरिक या बाहरी समस्याओं तथा कार्यकलापों का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार की अनुसूची का प्रयोग जनगणना के लिए किया जाता है। इस प्रकार की अनुसूचियों से पंचायतों, सहकारी समितियों, शिक्षण संस्थाओं आदि की कार्य प्रणाली का अध्ययन सरलता से किया जा सकता है। इस प्रकार की अनुसूची का अनुसंधान विषय से सम्बन्धित सभी सूचनाएँ लिखित पुस्तकों, समाचार पत्रों, सरकारी एवं गैर सरकारी रिकार्डों आदि से क्रमबद्ध रूप में एकत्र करने के लिए प्रयोग करते हैं।

अनुसूची के गुण एवं दोष

सामाजिक सर्वेक्षण तथा अनुसंधान में अनुसूची एक उपयोगी यन्त्र है। अनुसूची का प्रयोग शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों प्रकार के उत्तरदाताओं के लिए किया जाता है। इसके द्वारा जो सूचनाएँ प्राप्त की जाती है, वे अन्य प्रविधियों के द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती हैं। इसमें अध्ययनकर्ता सूचनादाता से मौखिक प्रश्न पूछता है। सूचनादाता के शैक्षिक उत्तरों को अध्ययनकर्ता प्रश्नों के प्रपत्र पर भरता जाता है। इसी कारण इसे शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों प्रकार के उत्तरदाता पर लागू किया जा सकता है।

अनुसूची के गुण

अनुसूची प्रणाली के गुण के गुण निम्नलिखित प्रकार से हैं-

(1) प्रामाणिक एवं विश्वसनीय सूचनाएँ- इस प्रविधि में अध्ययनकर्ता स्वयं ही प्रश्न पूछकर उत्तरों को भरता है। इस प्रकार से अवलोकन के आधार पर विश्वसनीय एवं प्रामाणिक सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं। अध्ययनकर्ता उत्तरदाता को प्रश्न का आशय भी समझा देता है। इस प्रकार से उत्तरदाता को प्रश्न समझने में आसानी होती है।

(2) व्यक्तिगत सम्पर्क- अनुसूची को भरने के लिए अनुसंधानकर्ता सूचनादाता से व्यक्तिगत व आमने-सामने के सम्पर्क में आता है। इससे सूचनादाता के मन में अपनेपन की भावना का विकास होता है। उत्तरदाता के मन में व्याप्त सन्देह भी समाप्त हो जाता है।

(3) अवलोकन की सुविधा- इस प्रविधि में अवलोकन की सुविधा होने के कारण सही उत्तर प्राप्त हो जाते हैं। अध्ययनकर्ता घटनाओं को समझकर कार्य करता है। इससे अधिक और सही सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। अवलोकन के कारण प्रश्नों को और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है।

(4) स्पष्टीकरण सम्भव- अनुसूची में अध्ययनकर्ता का सूचनादाता से प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है। अतः वह प्रश्नों की भाषा में आने वाली कठिनाई को स्पष्ट कर देता है और उत्तरदाता प्रश्न का आशय समझ जाता है।

(5) साक्षात्कार एवं अवलोकन का लाभ- इस प्रविधि में साक्षात्कार एवं अवलोकन दोनों विधियों का प्रयोग होने से इसमें दोनों प्रविधियों के गुण आ जाते हैं और दोनों ही प्रविधियों का लाभ प्राप्त होता है।

(6) सांख्यिकीय विश्लेषण सरल- अनुसूची विधि में प्रश्नों की क्रमबद्धता एवं सारणियाँ होने के कारण प्राप्त सूचनाओं का सांख्यिकी विश्लेषण सरलता से किया जा सकता है।

(7) निदर्शन सम्बन्धी दोषों का निवारण- जहाँ प्रश्नावली प्रणाली में केवल शिक्षित वर्ग को चुना जाता है, वहाँ समग्र का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता है। परन्तु अनुसूची प्रणाली में शिक्षित और अशिक्षित दोनों प्रकार के वर्गों को चुना जाता है। स्पष्ट है कि इस प्रकार से निदर्शन सम्बन्धी दोषों का निवारण हो जाता है।

(8) अधिकतम प्रत्युतर- इस प्रविधि में अध्ययनकर्ता क्योंकि स्वयं उपस्थित होता है इस कारण उत्तरदाता से अधिक उत्तर प्राप्त हो जाते हैं।

(9) गहन अध्ययन- अनुसूची विधि से अध्ययन करने में गहन अध्ययन सम्भव होता है क्योंकि सूचनादाता और अध्ययनकर्ता आमने-सामने की स्थिति में होते हैं और सभी प्रश्नों के उत्तर सही प्रकार से प्राप्त हो जाते हैं।

(10) सभी वर्गों के लिए उपयोगी- अनुसूची का प्रयोग शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों प्रकार के वर्गों के लोगों के लिए किया जाता है। इसलिए प्रश्नावली की तुलना में यह अधिक उपयोगी है।

(11) सूचनाएँ लिखने में सुविधा- अनुसूची द्वारा तथ्य हमारे पास लिखित रूप में उपलब्ध रहते हैं। इस कारण किसी भी तथ्य के छूटने की सम्भावना नहीं रहती है।

(12) मानवीय तत्व की प्रधानता- अनुसूची में मानव तत्व की प्रधानता रहती है। अतः सूचना संकलन की प्रक्रिया रोचक एवं सरल रहती है। उत्तरदाता एवं अध्ययनकर्ता एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं और एक-दूसरे से कुछ ग्रहण करते हैं और अनुसंधान मानवीय अनुसंधान बन जाता है।

अनुसूची के दोष (सीमाएँ)

यद्यपि अनुसूची प्रणाली में कई गुण हैं फिर भी इसमें कुछ कमियाँ पायी जाती हैं। अनुसूची प्रणाली के दोष निम्नलिखित हैं-

(1) सार्वभौमिक प्रश्नों का अभाव- अनुसूची में ऐसे प्रश्नों का निर्माण कठिन है, जिन्हें सभी उत्तरदाता समान रूप से समझें और उत्तर दें सकें। प्रश्नों की रचना करते समय पर्याप्त सावधानी रखने के बावजूद भी ऐसे प्रश्नों का निर्माण सरल नहीं है, जो सभी स्तर के व्यक्तियों के लिए समान रूप में प्रयुक्त हो सकें।

(2) अधिक समय और धन की आवश्यकता- अनुसूची के माध्यम से अध्ययन करने में अध्ययनकर्ता को सूचनादाताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क करना पड़ता है। इससे अधिक समय और धन की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार अनुसूची से अध्ययन करने में कठिनाई होती है।

(3) सम्पर्क की समस्या- अनुसूची भरते समय स्थान-स्थान पर व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करना पड़ता है। इसमें सूचनादाता के घर का पता लगाना कठिन हो जाता है। अनेक व्यक्तियों को समय के अभाव के कारण उत्तर देना असम्भव हो जाता है।

(4) सूचनादाताओं का पक्षपातपूर्ण व्यवहार- अनुसूची में अनुसंधानकर्ता सूचनाएँ देने के लिए सूचनादाता को प्रेरित करता है। ऐसी स्थिति में उत्तरदाता कई बार वही उत्तर दे देता है, जो अनुसंधानकर्ता को पसन्द होता है। कई बार अध्ययनकर्ता भी अपना प्रभाव उत्तरदाता के ऊपर डालने का प्रयास करता है।

(5) सीमित क्षेत्र में उपयोग- अनुसची के द्वारा सीमित क्षेत्र का ही अध्ययन सम्भव है। इसमें अनुसंधानकर्ता को स्वयं ही क्षेत्र में जाना पड़ता है। एक विस्तृत क्षेत्र में इस प्रणाली के द्वारा अध्ययन सम्भव नहीं होता है। इसमें अधिक कार्यकर्ताओं की भी आवश्यकता पड़ती है। कारण बड़े क्षेत्रों के लिए यह विधि अनुपयोगी है।

(6) एक जोखिम भरी प्रविधि- इस विधि से अध्ययन करना कई बार जोखिमपूर्ण हो जाता है क्योंकि उत्तरदाता में व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित प्रश्नों के सम्बन्ध में आक्रोश की भावना रहती है और सही उत्तर प्राप्त नहीं हो पाते हैं।

(7) पक्षपात की सम्भावना- अनुसूची में सूचनादाता के पास अनुसंधानकर्ता उपस्थित रहता है। उसके विचारों से उत्तरदाता प्रभावित हो जाता है और अध्ययन में पक्षपात की सम्भावना बनी रहती है। पक्षपातपूर्ण अध्ययन को वैज्ञानिक नहीं कहा जा सकता है।

(8) संगठनात्मक समस्याएँ- यदि विस्तृत पैमाने पर अध्ययन करना होता है, तो अनेक कार्यकर्ताओं की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में अनुसंधानकर्ताओं को प्रशिक्षित एवं संगठित करना अपने आप में एक समस्या बन जाती है। इन सभी का संचालन करने में प्रशासनिक असुविधाएँ आती हैं।

(9) अनुसंधानकर्ताओं की लापरवाही- प्रायः यह देखा जाता है कि अध्ययनकर्ता एवं कार्यकर्ता अध्ययन के प्रति लापरवाही बरतते हैं। उनकी नियुक्ति अस्थायी तौर पर होती है। इसीलिए वे अनुसंधान कार्य में रुचि नहीं लेते हैं। कई बार वे फर्जी तौर पर भी अनुसूचियों को भर देते हैं। इस कारण अनुसंधान में कमियाँ आ जाती हैं।

निष्कर्ष (Conclustion)- अनुसूची प्रविधि में यद्यपि अनेक दोष हैं, परन्तु इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि प्रामाणिक एवं विश्वसनीय सूचनाएँ प्राप्त करने में अनुसूची प्रणाली अत्यन्त सहायक होती है। वर्तमान समय में अनेक सरकारी तथा गैर सरकारी अध्ययनों में इसका प्रयोग किया जा रहा है। अनुसूची के माध्यम से वैषयिक तथ्यों के संकलन में सहायता प्राप्त होती है।

अतः स्पष्ट है कि अनुसूची एक प्रकार का अध्ययन यन्त्र है, जिसकी सहायता से सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post