उत्पाद मिश्रण से आप क्या समझते हैं | utpaad mishran se aap kya samajhate hain

उत्पाद मिश्रण का अर्थ

वस्तु मिश्रण से आशय वस्तुओं के एक ऐसे समूह से होता है, जोकि औद्योगिक इकाई द्वारा बाजार में विक्रय के लिए प्रस्तुत की जाती है। वस्तु मिश्रण की गहराई, विस्तार तथा संगतता-ये तीन तत्व बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। वस्तु मिश्रण के विस्तार से आशय होता है कि कितने प्रकार की वस्तु श्रृंखलाएँ कम्पनी द्वारा निर्मित की जाती हैं। वस्तु मिश्रण की गहराई इस बात की ओर संकेत करती है कि एक ही वस्तु श्रेणी में कितनी वस्तुएँ बनायी जाती हैं। संगतता का आशय यह है कि विभिन्न वस्तु श्रेणियों में प्रयोग उत्पादन, वितरण अथवा अन्य विशेषताओं के आधार पर कितनी विशेषताएँ हैं। एक वस्तु मिश्रण के उपरोक्त तीनों पहलू विपणन प्रक्रिया के विवेकीकरण का सन्तोषजनक आधार प्रस्तुत करते हैं। वस्तु मिश्रण के गहराई तथा विस्तार तत्व विस्तृत क्षेत्र में फैले अधिक से अधिक क्रेताओं की सेवा करने में कम्पनी को योग्य बनाते हैं, जबकि वस्तु मिश्रण में संगता का तत्व निर्माणी लागतों तथा वितरण लागतों में मितव्ययिता लाता है।

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वस्तु मिश्रण को प्रभावित करने वाले घटक

एक विपणन प्रबन्धक उत्पाद मिश्रण का एक प्रतिस्पर्दी शक्ति तथा रीति-नीति के रूप में प्रयोग कर सकता है। इसके लिए उसे उत्पाद पंक्ति के विस्तार या संकुचन सम्बन्धी निर्णय लेते समय कुछ घटकों को ध्यान में रखना आवश्यक है। औद्योगिक उत्पाद तथा उपभोक्ता उत्पाद दोनों के सम्बन्ध से निर्माता के वस्तु मिश्रण को निम्नलिखित घटक प्रभावित करते हैं-

(1) बाजार माँग में परिवर्तन-

उपभोक्ता, जनसंख्या, क्रय-शक्ति व्यवहार आदि में परिवर्तन के कारण एक उत्पाद की बाजार माँग प्रभावित होती है। उपभोक्ता जनसंख्या संरचना मैं परिवर्तन होते रहते हैं। उपभोक्ता की क्रय-शक्ति में परिवर्तन होता रहता है, उसके व्यवहार में परिवर्तन होता रहता है। इसी प्रकार उपभोक्ता की आदतें प्राथमिकताएँ, अभिप्रेरणाएँ, प्रवृत्ति आदि में परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों के अनुरूप उत्पाद को भी वस्तु मिश्रण में भी पर्याप्त परिवर्तन करने पड़ते हैं। अतः स्पष्ट है कि बाजार में उपभोक्ता की माँग तथा व्यवहार वस्तु मिश्रण को प्रभावित करते हैं।

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(2) प्रतिस्पर्द्धा क्रियाएँ और प्रतिक्रियाएँ- 

प्रतिस्पर्द्धा का प्रभावशाली ढंग से सामना करने के लिए एक कम्पनी अपनी उत्पाद पंक्ति में अन्य कम्पनियों से भिन्नता रख सकती है, ताकि कीमत अन्तर सम्भव न रहे। अन्य शब्दों में कहा जाये तो वह विभेदीकरण का सहारा लेकर प्रतिस्पर्द्धा से छुटकारा प्राप्त कर सकती है। जो कम्पनियाँ अनुकरण नीति अपनाती हैं, उन्हें अपने उत्पाद में उसी प्रकार परिवर्तन करने पड़ते हैं जो कि उद्योग प्रमुख द्वारा किये जा रहे हों, उदाहरण के लिए-यदि उद्योग का प्रमुख उत्पाद का संशोधित रूप बाजार में प्रस्तुत करते हैं, तो अनुकरण करने वाली कम्पनी भी नवीन संशोधित उत्पाद अपने उत्पाद मिश्रण में शामिल कर लेती हैं। इस प्रकार प्रतिस्पर्दी क्रियाएँ तथा प्रतिक्रियाएँ भी वस्तु मिश्रण को प्रभावित करती हैं।

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(3) विपणन प्रभाव-

वस्तु मिश्रण में नये उत्पाद को सम्मिलित करने के दो मुख्य कारण हैं-प्रथम, तो नये बाजार की खोज या वर्तमान बाजार में वृद्धि करके वस्तु की बिक्री में परिवर्तन करना। द्वितीय, विक्रेताओं, शाखा कार्यालयों आदि का अच्छा प्रयोग करके फर्म की विपणन क्षमता का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करना है। कुछ दशाओं में उत्पाद पंक्ति में सरलीकरण के द्वारा भी विपणन प्रभावशीलता में वृद्धि की जा सकती है। बीमार और अप्रचलित उत्पादों का परित्याग करके फर्म के जो शेष उत्पादन बचे हैं, उनकी ओर अधिक ध्यान दे सकती हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विपणन साधनों का समुचित प्रयोग करने हेतु वस्तु के मिश्रण में परिवर्तन करना होता है अर्थात् इससे उत्पाद मिश्रण प्रभावित होता है।

(4) उत्पाद प्रभाव-

एक कम्पनी के वस्तु मिश्रण को उत्पादन भी प्रभावित करता है। एक निर्माता अपनी उत्पादन क्षमता का अधिक से अधिक प्रयोग करके तथा वास्तविक उत्पाद लागत से कम करके वस्तु मिश्रण को परिवर्तित करने का निर्णय ले सकता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन करने से प्रति इकाई लागत कम आती है। अतः कम लागतों का लाभ प्राप्त करने के लिए वस्तु मिश्रण में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते हैं।

(5) वित्तीय प्रभाव- 

अनेक वित्तीय कारण भी उत्पाद मिश्रण को प्रभावित करते हैं। एक उत्पादक इकाई अपने साधनों का अधिक से अधिक एवं अच्छा प्रयोग करने हेतु सामान्यतः विविधीकरण का सहारा लेती है। नवीन प्रतिस्पर्धी उत्पाद, माँग में परिवर्तन आदि ऐसे कारण हैं जो किसी वस्तु को अप्रचलन की ओर ले जाते हैं। अतः वित्तीय दृष्टि से भी यह अच्छा है कि जोखिम की अनेक उत्पादों में फैला दिया जाये। इसी प्रकार यदि फर्म लगातार हानि पर चल रही है तो भी उत्पाद मिश्रण में परिवर्तन किया जा सकता है, जैसे-नये उत्पादों को सम्मिलित करना तथा पुराने को त्याग देना। तथा कभी-कभी फर्म वित्तीय कारण से भी सरलीकरण का निर्णय लेती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वित्तीय कारण भी उत्पाद मिश्रण को प्रभावित करते हैं।

(6) कम्पनी की छवि में परिवर्तन की इच्छा- 

कम्पनी की छवि में परिवर्तन के प्रयत्न में वस्तु मिश्रण को बदलना अर्धमुखी एवं अधोमुखी व्यापार की रीति से सम्बन्धित है। आजकल अनेक निर्माताओं ने अपने वस्तु मिश्रण में श्रेष्ठ किस्म तथा कीमत के उत्पादों को जोड़कर कम्पनी की छवि को ऊँचा उठाने का प्रयास किया है।

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