पैकेजिंग का अर्थ एवं परिभाषाएँ
पैकेजिंग वह कला है जिसके द्वारा वस्तु को सुरक्षा प्रदान की जाती है, अपनी वस्तु को अपने उत्पादकों की वस्तु से भिन्नता प्रदान की जाती है तथा ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है। पैकेजिंग वस्तु को सुरक्षा प्रदान कर विक्रय संवर्धन में सहायक होता है। पैकेजिंग की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
विलियम जे. स्टेन्टन के अनुसार-"पैकेजिंग को उत्पादन नियोजन की उन सामान्य क्रियाओं के समूह की तरह परिभाषित किया जा सकता है जिसमें किसी वस्तु के लिये लपेटने या खोल का डिजाइन बनाने एवं उसके उत्पादन से सम्बन्धित हैं।"
आर. एस. डावर के अनुसार-"पैकेजिंग वह कला या विज्ञान है जो किसी 'खोल' में बन्द करने या खोल को उत्पाद के पैकेजिंग के उपयुक्त बनाने हेतु सामग्रियों, ढंगों और साज-सज्जा के विकास एवं प्रयोग से सम्बन्धित है, जिससे उत्पाद वितरण की विभिन्न अवस्थाओं में गुजरते समय पूर्णतः सुरक्षित रह सके।"
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पैकेजिंग का महत्व
निःसन्देह आधुनिक समय में पैकेजिंग का महत्व निरन्तर बढ़ रहा है। भारत में पैकेजिंग का आज जितना महत्व है, उतना पहले कभी नहीं रहा। औद्योगिक पैकेजिंग और उपभोक्ता पैकेजिंग दोनों ही क्षेत्रों में यह प्रवृत्ति दृष्टिगोचर होती है। एक अनुमान के अनुसार आधुनिक विकसित पैकेजिंग व्यवस्था में 50% गत 15 वर्षों की देन है। साथ ही, आगामी वर्षों में इसके और अधिक विकास की पूरी सम्भावनाएँ हैं।
अतः यदि हम कुछ वर्ष पूर्व की स्थिति पर नजर डालें तो हमें ज्ञात होगा कि वस्तुएँ यातायात के विभिन्न साधनों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजी जाती थीं, उनको बड़े ही सरल और भद्दे पैकेज में रखकर भेजा जाता था। पैकेजिंग पर आज की तरह ध्यान नहीं दिया जाता था। अब पैकेजिंग केवल उत्पाद सुरक्षा एवं सुविधा की दृष्टि से ही आवश्यक नहीं है बल्कि इसके विपणन और विक्रय मूल्य को भी स्वीकार किया जाने लगा है।
दूसरे शब्दों में, "पैकेजिंग विचारधारा उत्पाद-अभिमुखी न होकर विपणन-अभिमुखी बनाता है बल्कि विक्रय वृद्धि में भी सहायक होता है। यह ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा कर उनको सन्तुष्टि में वृद्धि करता है।"
ब्राण्ड के अधिकाधिक प्रयोग और जनता के स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं आय स्तरों में वृद्धि के कारण पैकेजिंग के महत्व है वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त बाजारों को प्राप्त करने की प्रतिस्पद्धां में पैकेजिंग एक प्रतिस्पर्द्धा शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया है। पैकेजिंग एक प्रमुख व्यावसायिक क्रिया बन गई है। अमेरिका में वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च की जाने वाली प्रत्येक डॉलर की राशि में 4 सेण्ट का भाग पैकेजिंग का है। अमेरिका की जनरल इलैक्ट्रिक कम्पनी के अनुसार कम्पनी द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं में पैकेजिंग सामग्री का स्थान तीसरा है। इस प्रकार वर्तमान समय में कुल लागत का एक प्रमुख भाग पैकेजिंग पर खर्च किया जा रहा है।
हम पैकेजिंग के महत्व को निम्न शीर्षकों के द्वारा स्पष्ट कर सकते है-
(1) उत्पाद के आकर्षण में वृद्धि,
(2) उत्पादकों की सुरक्षा सम्भव,
(3) विपणन क्रियाओं में सुविधा,
(4) उपयोगी सूचनाओं की प्राप्ति,
(5) वस्तुओं के संग्रहण में सुविधा,
(6) उत्पाद की पहचान सम्भव,
(7) विक्रय में वृद्धि सम्भव,
(8) मिलावट में कमी।
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पैकेजिंग के कार्य
पैकेजिंग के निम्न कार्य होते हैं-
(1) सुरक्षा- पैकेजिंग का प्रमुख कार्य उत्पादित वस्तु को टूटने-फूटने, गलने-सड़ने, कीड़े-मकोड़ों आदि से बचाना है।
(2) सुविधा- पैकेजिंग उत्पाद को इस योग्य बनाता है ताकि उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर मध्यस्थों तथा उपभोक्ताओं तक सुविधा से पहुँचाया जा सके।
(3) परिचय- जब विभिन्न निर्माताओं द्वारा एक ही वस्तु का निर्माण किया जाता है तो अपनी वस्तु की अलग पहचान के लिये भी पैकेजिंग विशेष रूप से सहायक होता है। पैकेजिंग अपने अलग रंग, रूप, आकार आदि के द्वारा अपना परिचय देता है।
(4) अधिक लाभ- यदि पैकेजिंग मजबूत तथा आकर्षक हो तो ग्राहकों से उत्पाद की ऊँची-कीमतें प्राप्त करके लाभों में वृद्धि की जा सकती है।
(5) भण्डार- वस्तुओं का उचित रूप से भण्डार करने के लिये भी पैकेजिंग किया जाता है ताकि स्टोर में रखने में सुविधा तथा सुरक्षा दोनों ही प्राप्त हो सकें और जगह भी कम ही प्रयोग हो।
पैकेजिंग की आवश्यकता
वर्तमान प्रतिस्पर्धी युग में वस्तु को आकर्षित बनाने के लिये विभिन्न प्रयास किये जाते हैं ताकि अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। इन प्रयासों में ग्राहकों को वस्तु की ओर खींचकर लाने में पैकेजिंग का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। ग्राहक वस्तु की ओर आकर्षित होकर उसे खरीदने के लिये लालायित हों, यह बात वस्तु के पैकेजिंग पर भी निर्भर करती है।
आजकल पैकेजिंग की जरूरत सिर्फ इसलिए ही नहीं है कि उससे वस्तुओं को सुरक्षा मिलती है, बल्कि इसलिए भी है कि पैकिंग के फलस्वरूप वस्तु का मूल्य एवं विक्रय की मात्रा में वृद्धि की जा सकती है। साथ ही पैकेजिंग केवल ग्राहकों की जरूरतों को ही पूरा नहीं करता, अपितु उनको सन्तुष्टि भी प्रदान करता है। पैकेजिंग की आवश्यकता को निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है-
(1) उत्पाद को सुरक्षित रखने के लिए।
(2) परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए।
(3) विक्रय में वृद्धि करने के लिए।
(4) प्रतिस्पर्द्धा का सामना करने के लिए।
(5) ग्राहकों को सन्तुष्टि प्रदान करने के लिए।
(6) बाजार का विस्तार करने के लिए।
(7) वस्तु क्रय करने की इच्छा जाग्रत करने के लिए।
(8) वितरण व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए।
एक अच्छे पैकेजिंग की विशेषताएँ
एक अच्छे पैकेजिंग की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं-
(1) ध्यानाकर्षण- पैकेज ऐसा हो जो लोगों का ध्यान आकर्षित करे। आधुनिक प्रतिस्पर्द्धात्मक समय में पैकेज की यह विशेषता विशेष महत्वपूर्ण है। एक ग्राहक प्रारम्भ में ही वस्तु को नहीं देखता। वह पैकेज से प्रभावित होकर ही वस्तु को देखने की इच्छा प्रकट करता है।
(2) पहचान- पैकेज ऐसा हो जिसे आसानी से पहचाना जा सके अर्थात् एक बार देखने के पश्चात् ग्राहक उसे तत्काल पहचान सके।
(3) रुचि उत्पन्न करना- जो ग्राहक के मन में उत्पाद के प्रति रुचि पैदा कर सके और उसे बनाये रखे।
(4) इच्छा जाग्रत करना- पैकेज ऐसा हो जिसे देखकर ग्राहक के मन में उत्पाद को प्राप्त करने की इच्छा जाग्रत हो।
(5) क्रय बाध्यता- ग्राहक को उत्पाद क्रय करने के लिए बाध्य करे।
(6) उपयोगी- उत्पाद के उपयोग के पश्चात् भी उपयोगी सिद्ध हो, जैसे-'डालडा' या 'रथ' घी के डिब्बे उपयोग के पश्चात् अन्य घरेलू वस्तुओं को रखने में काम में लाये जा सकते हैं।
(7) स्मरण कराते रहना- पैकेज ऐसा हो जो उत्पाद विक्रय के उपरान्त भी स्मरण कराता रहे, ताकि पुनः विक्रय किया जा सके।
(8) सुविधा- पैकेज ऐसा हो जिससे उत्पाद को लाने-ले जाने में सुविधा हो।