शैक्षिक प्रशासन का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति एवं उद्देश्य

शैक्षिक प्रशासन का अभिप्राय शिक्षा के प्रशासन से है। शैक्षिक प्रशासन के सम्प्रत्यय को स्पष्ट रूप से समझने के लिए प्रशासन के अर्थ को जानना अति आवश्यक है। प्रशासन वह क्षमता है जिसके द्वारा सामाजिक शक्तियों एवं विरोधी तत्वों को एकाकी अवयव (Organism) में समन्वित किया जाता है, जिससे वे एक एकता (Unity) के रूप में संचालित हो सकें। प्रशासन एक साधन है, साध्य नहीं। यह एक सतत् प्रक्रिया है जिसका प्रारम्भ संस्था या संगठन की शुरूआत से होता है और जैसे-जैसे संस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति होती जाती है वैसे-वैसे इसकी प्रगति होती जाती है।

प्रशासन अंग्रेजी भाषा के शब्द Administration शब्द का पर्याय है, जिसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के मूल शब्द minister से हुई है। मिनिस्टर का अर्थ है 'Service to others' सेवा कार्य अर्थात् ऐसा कार्य जिससे दूसरों का कल्याण हो। ब्रिटेनिका एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, "The performance of management of affairs" अर्थात् कार्यों का निष्पादन अथवा प्रबन्ध करना।

Also Read-  भारत में शैक्षिक प्रशासन का विकास समझाइए ।

शैक्षिक प्रशासन का अर्थ

शैक्षिक प्रशासन सामान्य प्रशासन के विशाल क्षेत्र का ही एक भाग है। "शैक्षिक प्रशासन" से आशय शिक्षा के क्षेत्र में प्रशासन से है। यह अपने सीमित एवं प्राप्ति साधनों के द्वारा सीखने तथा सिखाने की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने का यथाशक्ति प्रयास करता है।

शिक्षा के महत्व से समाज भली-भाँति परिचित है, चूँकि उस पर ही सम्पूर्ण समाज या राष्ट्र के विकास का दायित्व होता है। मानवीय एवं राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रत्येक समाज स्वीकार करता है चाहे वहाँ की शासनप्रणाली का स्वरूप कैसा ही हो, वह विकसित हो या विकासोन्मुख अथवा वह किन्हीं भी सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व दार्शनिक मूल्यों व विचारधाराओं में विश्वास रखता हो। प्रशासन के द्वारा ही समस्त शैक्षिक संस्थाओं की व्यवस्था, शिक्षा सम्बन्धी नीतियों का निर्धारण, नियोजन, संगठन, दिशा-निर्देशन, समन्वय तथा नियन्त्रण किया जाता है। शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्यों को प्रभावशाली ढंग से प्राप्त करने का आवश्यक साधन है।

Also Read-   शैक्षिक नेतृत्व से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक नेतृत्व के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं का वर्णन कीजिये।

शैक्षिक प्रशासन की परिभाषाएँ

शैक्षिक प्रशासन की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

डॉ. एस. एन. मुकर्जी के शब्दों में, "शैक्षिक प्रशासन वस्तुओं के साथ-साथ मानवीय सम्बन्धों की व्यवस्था से सम्बन्धित है अर्थात् व्यक्तियों के मिल-जुल कर और अच्छा कार्य करने से सम्बन्धित है। वास्तव में इसका सम्बन्ध मानवीय जीवों से अपेक्षाकृत अधिक है तथा अमानवीय वस्तुओं से कम।"

Encyclopaedia of Educational Research के शब्दों में, "शैक्षिक प्रशासन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा सम्बन्धित व्यक्तियों के प्रयास एक एकाकीकरण तथा उचित सामग्री का उपयोग इस प्रकार किया जाता है जिससे मानवीय गुणों का समुचित विकास हो सके।"

ग्राम बैफूलर के शब्दों में, "शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य योग्य छात्रों को योग्य शिक्षकों द्वारा उचित शिक्षा ग्रहण करने के लिए इस प्रकार सक्षम बनाना है जिससे वे सीमित साधनों के अन्तर्गत प्रशिक्षित होकर अधिकाधिक लाभान्वित हो सकें।"

ब्रुक एडम्स के शब्दों में, "शैक्षिक प्रशासन में अनेकों सूत्रों को एक सूत्र में बाँधने की क्षमता होती है। शैक्षिक प्रशासन प्रायः परस्पर विरोधियों तथा सामाजिक शक्तियों को एक ही संगठन में इतनी चतुराई से जोड़ता है कि वे सब मिलकर एक इकाई के समान कार्य करते हैं।"

जी. बी. सीयर्स के शब्दों में, "शिक्षा के क्षेत्र में प्रशासन का आशय 'सरकार' शब्द से ही है। जिनका निकटतम सम्बन्ध विशेष सन्दर्भ में इन शब्दों से होता है जैसे- अधीक्षण, पर्यवेक्षण, योजना, त्रुटि, निर्देशन, संगठन, नियन्त्रण, समायोजन, नियम आदि।"

शैक्षिक प्रशासन की उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत सभी कर्मचारियों को एक साथ सहयोग भावना से कार्य करना होता है। निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सभी व्यक्ति पूर्ण शक्ति का प्रयोग करते हुए एक इकाई से बँधकर कार्य करते हैं। शैक्षिक प्रशासन वास्तव में एक ऐसी सेवा है जो व्यक्ति तथा समाज की उन्नति में सहायक है। शिक्षा के क्षेत्र में अथवा किसी विद्यालय में उन्नति के साधनों का अधिकाधिक प्रयोग करना प्रशासन का उत्तरदायित्व समझा जाता है। 

पर्यवेक्षण निर्देशन, व्यवस्था, मूल्यांकन आदि क्रियाओं द्वारा अत्यन्त सावधानीपूर्वक किसी शिक्षण संस्था के कर्मचारियों को प्रगतिशील बनाने में शैक्षिक प्रशासन का प्रमुख हाथ होता है। जिस प्रकार किसी प्रशासन पर जिले या प्रान्त का उत्तरदायित्व होता है और वह अपनी अद्भुत सूझ-बूझ व कार्यक्षमता से अपने क्षेत्र को प्रभावशाली बनाता है। उसी प्रकार शैक्षिक प्रशासक भी शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न कार्य प्रणालियों द्वारा शिक्षा जगत को उत्तरोत्तर उन्नति प्रदान करता है।

शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति

शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति अत्यन्त गहन तथा व्यापक है। इसके द्वारा शिक्षा संस्था की सम्पूर्ण क्रियाओं में सुधार होता है। शैक्षिक प्रशासन वास्तव में बाल-केन्द्रित होता है। बालकों की अन्तर्निहित शक्तियों को निरन्तर जागृत करने तथा उन्हें सदैव प्रगतिपूर्ण बनाने में शैक्षिक प्रशासन महत्वपूर्ण कार्य करता है। शैक्षिक प्रशासन का स्वरूप लचीला होता है, यह मानवीय एवं भौतिक साधनों का सदुपयोग करने में सहायक होता है। शिक्षा के उद्देश्यों को मूर्तरूप प्रदान करने में शैक्षिक प्रशासन का योगदान सर्वाधिक होता है।

शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति को निम्नांकित तथ्यों द्वारा विवेचित किया जा सकता है-

(1) शैक्षिक प्रशासन साधन है साध्य नहीं  

शैक्षिक प्रशासन शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु साधन रूप में होता है। इसकी प्रत्येक क्रिया तथा इसमें कार्यरत प्रत्येक व्यक्ति का यही ध्येय होता है कि शिक्षा के उद्देश्यों की अधिकतम प्राप्ति की जाए। विद्यालय प्रशासन भी इन्हीं लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।

(2) शैक्षिक प्रशासन एक विषय के रूप में

शैक्षिक प्रशासन एक स्वतन्त्र विषय के रूप में विकसित हो रहा है प्रत्येक विषय के समान शैक्षिक प्रशासन की भी अपनी विषय-वस्तु, सिद्धान्त व नियम हैं। शैक्षिक प्रशासन द्वारा अन्तर्विषयी उपागम को अपनाकर विषय-सामग्री को समृद्ध किया जा रहा है तथा साथ ही शैक्षिक परिस्थितियों में उस उपागम का उपयोग करके प्रशासन सिद्धान्त व नियम विकसित करने का प्रयास भी किया जा रहा है। 'मोहिल्मैन' के अनुसार, "शैक्षिक-प्रशासन निश्चिततः एक सेवा कार्य है, यह एक साधन या अभिकर्ता है जिसके द्वारा शैक्षिक कार्यक्रमों के मूल उद्देश्यों को अधिक पूर्णता तथा प्रभावशीलता के साथ प्राप्त किया जा सकता है।"

(3) शैक्षिक प्रशासन एक सामाजिक एवं मानवीय प्रक्रिया  

शैक्षिक प्रशासन एक मानवीय प्रक्रिया है जो दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, राजनैतिक आदि परिस्थितियों से प्रभावित होता है। 'फेयल' के अनुसार प्रशासन एक प्रक्रिया है, परन्तु शैक्षिक प्रशासन की प्रक्रिया जीवित प्राणियों, से सम्बन्धित है। शाटू को प्रतिभाशाली नागरिक प्रदान करना ही इसका प्रमुख उत्तरदायित्व है। व्यक्ति तथा समाज दोनों के ही विकास पर यह ध्यान देता है, यह प्रक्रिया एक सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही सम्पन्न की जाती है। शासन प्रणाली, समाजिक, सांस्कृतिक एवं दार्शनिक मूल्य एवं विचारधाराओं के अनुसार इसकी प्रकृति में विभिन्नता दिखायी देती है। सामाजिक-आर्थिक दशाएँ भी इसे प्रभावित करती हैं।

(4) शैक्षिक प्रशासन उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया  

शैक्षिक प्रशासन का कार्य विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति करना है। यह विद्यालय को गम्भरी व भयावह नही बनाता अपितु यह तो स्वतन्त्रता की भावना का अधिक आदर करता है। प्रशासन के प्रत्येक पद पर प्रत्येक क्रिया इस तथ्य को ध्यान में रखकर ही सम्पन्न को जाती है कि उसके द्वारा शिक्षा प्रशासन के उद्देश्यों व लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके। अतः प्रशासन में संलग्न सभी व्यक्ति इन्हीं सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं।

(5) प्रजातान्त्रिक शैक्षिक प्रशासन

प्रजातान्त्रिक शैक्षिक प्रशासन सहानुभूति, सद्भाव व सहयोग पर आधारित है यह ऐसी परिस्थितियों एवं वातावरण का निर्माण करता है जिसमें कार्यकर्ता अधिक सन्तोष अनुभव करते हैं तथा उपलब्धियाँ भी अधिक होती हैं। प्रजातान्त्रिक शैक्षिक प्रशासन में नेतृत्व अथवा सत्ता बलपूर्वक नहीं थोपी जाती है। यह सामूहिक स्वीकृति पर आधारित होती है। एकतान्त्रिक प्रशासन में इसके विरोधी लक्षण दिखायी देते हैं।

(6) शैक्षिक प्रशासन का स्वरूप 

शैक्षिक प्रशासन केन्द्रीकरण तथा विकेन्द्रीकरण दोनों ही स्वरूपों को अपनाता है। जनतान्त्रिक समाज में विकेन्द्रीकरण तथा एकतान्त्रिक में केन्द्रीकरण की प्रकृति दिखायी देती है तथा दोनों के मिले-जुले रूप को ही अच्छा माना जाता है।

(7) शैक्षिक प्रशासन के विकास के आधार

शैक्षिक प्रशासन का विकास प्रयोग तथा शोध कार्यों पर आधारित होता है। अतएव उसमें सुनिश्चितता तथा उपयोगिता अधिक होती है।

(8) शैक्षिक प्रशासन की परम्परागत रूढ़ियाँ

शैक्षिक प्रशासन का आधुनिकतम स्वरूप परम्परागत रूढ़ियों में विश्वास नहीं रखता। उसका ध्येय निरर्थक वार्तालाप द्वारा बालकों के समय का अपव्यय करना नहीं होता वह तो बालकों के विश्वास को उचित निर्देशन द्वारा सही दिशा में प्रोत्साहित करता है।

(9) लचीला शैक्षिक प्रशासन

शैक्षिक प्रशासन लचीला एवं नम्र अवश्य होता है किन्तु इसका आधार ठोस व नियन्त्रित होता है। यह सहानुभूति सहयोग तथा सद्भाव को बढ़ावा देता है।

(10) शैक्षिक प्रशासन की प्रक्रिया

शैक्षिक प्रशासन की प्रक्रिया बालक के सम्पूर्ण जीवन से सम्बन्धित होती है। बालक के सर्वांगीण विकास पर यह प्रक्रिया अत्यधिक ध्यान देती है। 

(11) शैक्षिक प्रशासन का भिन्न रूप

शैक्षिक प्रशासन अन्य सभी प्रकार के प्रशासनों से भिन्न होता है क्योंकि इसका उद्देश्य मानवीय व्यक्तित्व को आदर्श शैक्षिक विकास की ओर मोड़ने के साथ-साथ अन्तर्दृष्टि का भी विकास करना है, इसकी श्रेष्ठता पर शिक्षा, राष्ट्र तथा व्यक्ति विशेष की प्रगति आश्रित होती है।

(12) शैक्षिक प्रशासन की उत्तमता

शैक्षिक प्रशासन की उत्तमता शिक्षकों को प्रशासन में भाग लेने तथा मानवीय व्यक्तित्व को आदर्श शैक्षिक विकास की ओर मोड़ने की प्रेरणा देती है।

शैक्षिक प्रशासन के मुख्य उद्देश्य 

सामान्यतया किसी कार्य को अन्तिम परिणति को उद्देश्य कहा जाता है अतएव शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य भी वह होते हैं। जिन कार्यों की अपेक्षा हम स्वतन्त्र भारत में अपनी शिक्षा पद्धति से करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तियों को उत्तरदायित्वों का ज्ञान कराना बालकों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना प्रत्येक व्यक्ति को उसको क्षमताओं के अनुरूप कार्य करने के अवसर प्रदान करना आदि शिक्षा के ऐसे उद्देश्य हैं जिनकी पूर्ति में शैक्षिक प्रशासन का सहयोग अनिवार्य है। शिक्षा को सुनियोजित रूप प्रदान करने के लिए ही शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता होती है।

आर्थर बी, कोहिल्या के शब्दों में- "शिक्षा का कार्य निश्चित संगठन अथवा सुनिश्चित योजना, विधियाँ, व्यक्तियों तथा आर्थिक साधनों के माध्यम से चलना चाहिए।" 

शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य के सम्बन्ध में कैण्डल (Kandel) का मत है- "मूलतः शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य यही है कि अध्यापकों तथा छात्रों को ऐसी परिस्थितियों में एक साथ लाया जाए जिससे कि शिक्षा के उद्देश्य अधिक सफलतापूर्वक प्राप्त हो सके।"

सर ग्रेह्म बेलफोर (Sir Graham Balfour) ने शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्यों के सम्बन्ध में कहा है कि- "शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य सही बालकों को सही शिक्षकों द्वारा राज्य सीमित साधनों के अन्तर्गत उपलब्ध व्यय से सही शिक्षा लेने योग्य बनाना है जिससे वे बालक शिक्षा प्राप्त करके लाभान्वित हो सकें।"

वस्तुतः शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य शिक्षा सम्बन्धी समस्त समस्याओं के समाधान का हल ढूँढ़ना तथा शिक्षा की नीतियों को उत्तरोत्तर विकसित करना है। शिक्षा को उत्पादन का साधन बनाने में शैक्षिक प्रशासन होता है। किसी भी शिक्षण संस्था का उत्पादन छात्रों की संख्या में वृद्धि हो जाना ही नहीं अपितु उस संस्था के छात्रों की योग्यता एवं गुणात्मकता, जो परीक्षा परिणामों से भी प्रकट होती है, वास्तविक उत्पादन समझी जाती है। 

इस गुणात्मकता की वृद्धि करने में शैक्षिक प्रशासन की क्षमता निहित होती है, इसके अतिरिक्त शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य छात्रों को योग्य नागरिक बनने तथा देश के लिए व्यक्ति बनने में सहायता करना है। शैक्षिक प्रशासन का यह आवश्यक कर्तव्य है कि यह प्रशासन में लगे हुए सभी व्यक्तियों को निरन्तर प्रेरित करते रहे। वही प्रशासन उत्तम होता है जिसके अन्तर्गत सभी शिक्षक भय एवं आशंका मुक्त होकर कक्षा भवनों में छात्रों को ज्ञान प्रदान कराते हैं और निरुत्साहित होने पर प्रशासक की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। समाज के अनुरूप शिंक्षा प्रदान करना भी शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य होता है।

शैक्षिक प्रशासन का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। अतएव इसके उद्देश्य भी अनेक हो सकते हैं।अतः कुछ प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है-

सियर्स के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य

सीयर्स ने शैक्षिक प्रशासन के तीन प्रमुख उद्देश्य बताए हैं जो निम्न प्रकार हैं-

1. उचित अनुचित कार्यों के प्रति उपयुक्त दृष्टिकोण रखना- शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य उचित कार्यों को प्रोत्साहित करना तथा अनुचित एवं अशोभनीय कार्यों को रोकना है। प्रशासन की सुव्यवस्था का उद्देश्य यही है कि श्रेष्ठ तथा प्रगति में योग्य व्यक्तियों को प्रशंसा मिले। ऐसे कुशल कार्यकर्ताओं के द्वारा ही शिक्षण संस्था की उन्नति हो सकती है। प्रशासन की नीति सदैव उचित कार्यों को प्रोत्साहित करने की होनी चाहिए। त्रुटिपूर्ण कार्यों को रोकना तथा उचित व उपयोगी कार्यों को बढ़ावा देना शैक्षिक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य है।

2. शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप निर्णय लेना तथा कार्य करना- प्रशासन शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप हो अपना कार्य क्षेत्र निर्धारित करता है। शिक्षा को भी समाज के रूप में चलना पड़ता है। शिक्षा की उन्नति के लिए सांस्कृतिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक व सामुदायिक आदि जिन परिस्थितियों तथा कार्य-कलापों की आवश्यकता होती है, उनकी प्राप्ति के लिए शैक्षिक प्रशासन उचित निर्णय लेकर प्रयास करता है अतएव शैक्षिक प्रशासन का शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप निर्णय लेने तथा अनुकरण करने का उद्देश्य उपयुक्त एवं परमोपयोगी है।

3. शैक्षिक उपलब्धियों के लिए शैक्षिक प्रशासन को साधन बनाना- शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालकों को सर्वांगीण विकास करना समझा जाता है। योग्य एवं कुशल नागरिकों का निर्माण, कर्त्तव्य एवं उत्तरदायित्व निर्वाह, विज्ञान, तकनीक आदि का ज्ञान, साहित्य, कला, कृषि उद्योग आदि उन्नति करना शिक्षा के सुपरिणाम हैं। इन उपलब्धियों को शान्तिपूर्ण तथा सुव्यवस्थित वातावरण ही प्राप्त किया जा सकता है। शैक्षिक प्रशासन ही विभिन्न शिक्षण तथा प्रशिक्षण संस्थाओं को ऐसी सुव्यवस्था करता है जिसमें शिक्षार्थियों को ज्ञान प्राप्त करने में सुविधा होती है। सरकार की शिक्षा-नीतियों का परिपालन भी प्रशासन के माध्यम से होता है।

सीयर्स के उपर्युक्त उद्देश्यों के अतिरिक्त शैक्षिक प्रशासन के अन्य मुख्य उद्देश्यों को संक्षेप में निम्नांकित रूप में व्यक्त किया जा सकता है-

  • शिक्षा के क्षेत्र में बहुमुखी कार्यकलापों तथा प्रगतिशील योजनाओं का संचालन करना।
  • शिक्षा के क्षेत्र में सम्बन्धित छात्रों, अध्यापकों, संरक्षकों तथा अन्य अधिकारियों में अभय अटूट विश्वास की भावना को उत्पन्न करना।
  • शिक्षा जगत में नवीन विधियों तथा नये उपागमों की व्यवस्था करना।
  • विकेन्द्रीकरण तथा श्रम विभाजन द्वारा शैक्षिक ढाँचे को अधिक प्रभावशाली बनाना।
  • शैक्षिक क्षेत्र को प्रगतिपूर्ण तथा अद्यतन बनाने के लिए कार्य प्रणाली की क्षमता में वृद्धि करना।
  • शैक्षिक क्षेत्र की उन्नति हेतु उचित निर्णय लेकर उत्तम व्यवस्था करना। 
  • विभिन्न प्रकार की गतिविधियों तथा योजनाओं में समन्वय स्थापित करना।
  • शिक्षा-क्षेत्र में रिक्त पदों के लिए योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति करना।
  • शिक्षण संस्थाओं में लगे हुए व्यक्तियों की सेवा, सुरक्षा का प्रबन्ध करना।
  • राज्य व सरकार की शैक्षिक नीतियों के कार्यान्वयन में सहायता करना।
  • शैक्षिक क्षेत्र के प्रत्येक कर्मचारी को उसके अधिकार तथा उत्तरदायित्वों का ज्ञान कराना।
  • शिक्षा संस्थाओं को बाह्य समुदायों की सहायता प्रदान कराने के लिए प्रयत्न करना।
  • शैक्षिक संस्थाओं की उन्नति हेतु भौतिक तथा मानवीय स्रोतों को जुटाने की योजना बनाना।
  • शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत कार्य करने वाले सभी स्तरों के कर्मचारियों में पारस्परिक सौहार्द तथा भ्रातृ भावना को उत्पन्न करना।
  • शिक्षा के क्षेत्र में हो रही समस्त गतिविधियों का मूल्यांकन करने की योजना बनाना। 
  • शिक्षा की नवीन आवश्यकताओं, नीतियों तथा उद्देश्यों के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप में वांछित परिवर्तन करना।
  • शिक्षण संस्थाओं तथा शैक्षिक कार्यालयों में लगे हुए विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों का उचित रूप में निरीक्षण करना।
  • कुशल नेतृत्व द्वारा शिक्षा में संलग्न व्यक्तियों को प्रेरित करना।
  • किसी क्षेत्र में होने वाले अपव्यय को दूर करते समय शक्ति एवं धन का सदुपयोग करने की योजना बनाना।
  • शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन-अध्यापन तथा पाठ्यातिरिक्त क्रियाओं की अधिकतम उपलब्धि हेतु प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करना।

पी.सी. रेन के अनुसार विद्यालय प्रशासन के उद्देश्य

विद्यालय प्रशासन का कार्य केवल समय विभाग चक्र आदि का निर्माण करना ही नहीं है अपितु उसका मुख्य उद्देश्य छात्रों की अभिवृत्तियों तथा रुचियों में आवश्यक परिवर्तन करना भी है।

पी.सी. रेन के अनुसार- विद्यालय प्रशासन के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य हैं-

  • छात्रों के दृष्टिकोण को व्यापक बनाना।
  • छात्रों का मानसिक विकास करना।
  • छात्रों का चारित्रिक विकास करना।
  • छात्रों का सौन्दर्यानुभूति का विकास करना।
  • छात्रों की शारीरिक शक्ति का विकास करना।
  • छात्रों को स्वास्थ्य एवं शक्ति प्रदान करना।
  • छात्रों को स्वयं के प्रति समुदाय तथा राज्य के प्रति कर्त्तव्य परायण बनाना।
  • छात्रों के लाभार्थ विद्यालय का निर्माण करना।
  • छात्रों की अन्तर्निहित क्षमताओं को प्रशिक्षित करना।

शैक्षिक प्रशासन के जनतन्त्रात्मक उद्देश्य

  • छात्रों में जनतान्त्रिक गुणों का विकास करना।
  • छात्रों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना।
  • शिक्षण विधियों, पाठ्य पुस्तकों तथा अन्य क्रिया-कलापों की जनतान्त्रिक नीतियों के अनुसार व्यवस्था करना।
  • प्रशासन के अन्तर्गत कार्य करने वाले व्यक्तियों को भयमुक्त होकर कर्त्तव्यपरायण बनने का प्रशिक्षण देना।
  • प्रशासन के अन्तर्गत कार्य करने वाले व्यक्तियों में पारस्परिक सहयोग की भावना का विकास करना।
  • छात्रों तथा शिक्षकों में धर्म निरपेक्षता एवं समानता की भावना का विकास करना।
  • छात्रों को स्वशासन करने के लिए प्रशिक्षण देना।
  • छात्रों में समाजिक तथा व्यावसायिक कुशलता को उत्पन्न करना।
  • छात्रों को जन्मजात प्रवृत्तियों का विकास करना।
  • छात्रों में श्रेष्ठ नागरिकता का विकास करना।

अतः शैक्षिक प्रशासन जैसे लोक कल्याणकारी सेवा कार्य, जिसे व्यापक स्तर पर सामूहिक प्रयासों के द्वारा सम्पन्न किया जाना है, के उद्देश्यों का निर्धारण करना तो अनिवार्य है तथा यह कार्य भी गहन चिन्तन-मनन तथा विचार-विमर्श के पश्चात् ही किया जाना चाहिए और इन उद्देश्यों ब लक्ष्यों को सभी के सम्मुख स्पष्ट किया जाना चाहिए। विशेषकर उन लोगों के सम्मुख तो ये उद्देश्य व लक्ष्य पूर्णतः स्पष्ट होने ही चाहिए जो शैक्षिक प्रशासन से किसी भी रूप में जुड़े हुए हों।

शिक्षा को सार्वभौमिक तथा व्यक्ति, समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाने के लिए, शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्यों की रचना आवश्यक है। शैक्षिक प्रशासन, शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति को सुनिश्चित बनाने का दायित्व वहन करना है। अतः शैक्षिक प्रशासन के सम्बन्ध में उठाया जाने वाला प्रत्येक कदम व्यक्ति व राष्ट्र की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायक व उपयोगी होना चाहिए।

राष्ट्र के भौतिक व मानवीय संसाधनों के समुचित उपयोग व विकास की दृष्टि से तथा राष्ट्र के प्रजातान्त्रिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं विकासोन्मुख स्वरूप को स्पष्ट करने की दृष्टि से भी प्रशासन के उद्देश्यों को निर्धारित करने से शैक्षिक गतिविधियों की दिशा निर्धारित करने, उन्हें प्रभावी ढंग से संचालित करने तथा उपलब्धियों का मूल्यांकन करने में भी सहायता मिलेगी और समय, श्रम व धन के अपव्यय पर नियन्त्रण प्राप्त होगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post