संचालक से आशय एवं परिभाषा लिखो।

संचालक से आशय एवं परिभाषा

संचालक वह व्यक्ति है जो कम्पनी के प्रबन्ध, नीति एवं व्यवस्था के संचालन करने का उत्तरदायित्व लेता है। कम्पनी के समस्त संचालक सामूहिक रूप से संचालक मण्डल या संचालक बोर्ड या शासन समिति या व्यवस्था समिति आदि विभिन्न नामों से जाने जाते हैं।

वेब्स्टर शब्द कोष के अनुसार, "संचालक से आशय ऐसे व्यक्तियों से है, जो कम्पनी का प्रबन्ध करने के लिए नियुक्त किये जाते हैं। चूंकि एक कम्पनी में बहुत से अंशधारी होते हैं और वे सब अंशधारी प्रबन्ध में भाग नहीं ले सकते हैं। अतः कम्पनी का प्रबन्ध कुछ चुने हुए व्यक्तियों के हाथ में दिया जाता है जिन्हें संचालक कहा जाता है। यह व्यक्ति प्रभावशाली, विद्वान्, व्यापारिक कार्यों में कुशल तथा धनवान होते हैं।"

संचालकों की योग्यताएँ

संचालकों के लिए निम्न योग्यताओं का होना आवश्यक है-

(1) योग्यता अंश लेना 

प्रत्येक संचालक को कम-से-कम एक या अन्तर्नियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता अंशों को लेना आवश्यक होता है।

(2) अंशों को हस्तान्तरण द्वारा लेना

योग्यता अंशों को बाजार से भी क्रय किया जा सकता है।

(3) अंशों का मूल्य 5,000 रु. से अधिक न होना

संचालक के योग्यता अंशों का मूल्य 5,000 से अधिक न होना चाहिए। यदि एक अंश का मूल्य ही 5,000 रु. से अधिक है तो एक अंश ही योग्यता अंश माना जायेगा।

(4) अंश रखने की अवधि

यदि संचालक अपनी नियुक्ति से 2 माह के अन्दर योग्यता अंश नहीं लेता या अपने कार्यकाल में उनके स्वामित्व अपने पास नहीं रखता तो उसका पद रिक्त समझा जायेगा। योग्यता अंशों की संख्या में वृद्धि करने पर अधिक अंशों को न लेने से पद रिक्त नहीं हो सकता।

संचालकों के साभान्य अधिकार

संचालकों के सामान्य अधिकारों के अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकार आते हैं-

(1) प्रबन्ध सम्बन्धी समस्त अधिकार

संचालक मण्डल को कम्पनी के प्रबन्ध सम्बन्धी समस्त अधिकारों का प्रयोग करने की छूट दी गयी है जो पार्षद सीमानियम व पार्षद अन्तर्नियम में वर्णित हैं।

(2) पुस्तकों का निरीक्षण करना 

संचालक व्यावसायिक अवधि में कम्पनी की समस्त वैधानिक पुस्तकों एवं अन्य प्रपत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार रखते हैं।

(3) सभाओं की सूचना पाने का अधिकार

संचालकों को कम्पनी की समस्त सभाओं की सूचना पाने का अधिकार है, यह सूचना लिखित में दी जानी चाहिए।

(4) अधिकारियों व कर्मचारियों पर नियन्त्रण

कम्पनी के संचालकों को कम्पनी के सचिव, कोषाध्यक्ष, प्रबन्ध तथा कर्मचारियों पर नियन्त्रण करने का पूर्ण अधिकार होता है, साथ ही संचालक मण्डल इन अधिकारियों को विशेष निर्देश भी दे सकता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post