उत्पीड़ित महिलाओं पर एक सारगर्भित लेख। [Write a pregnent note on molest women.]

उत्पीड़ित महिलाएँ- (The Molest Women)

किस प्रकार की महिलाएँ विविध प्रकार के अपराधों की शिकार होती हैं ? अपराधी उत्पीड़क पुरुष कौन है ? पुरुषों को महिलाओं के प्रति अपराध के लिए कौन प्रेरित करता है ? यहाँ इस लेखक द्वारा सन् 1983-84 और पुन: 1995 से 1997 में राजस्थान में 'महिलाओं के प्रति अपराधों' पर किए गए अध्ययन का उल्लेख किया जा सकता है। इस अन्वेषण में लेखक ने बलात्कार, अपहरण, दहेज मृत्यु, पत्नी को पीटना तथा हत्या जैसे कुल 327 अपराधिक मामलों का अध्ययन किया था। यहाँ इन पाँच अपराधों के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी जा सकती है।

बलात्कार के मामले 

बलात्कार के विषय में तथ्य निम्न प्रकार हैं-

(1) बलात्कार बिल्कुल अजनबियों के साथ नहीं होते हैं। इनमें से आधे मामलों में पीड़ित महिला अपने हमलावर को पहचानी हुई होती है (जैसे-रिश्तेदार, पड़ोसी, परिवार, मित्र, सहयोगी कर्मचारी, अधिकारी या अध्यापक आदि)

(2) हालांकि बलात्कार आमतौर और स्थितिजन्य कार्य होता है, लेकिन 10 में से 4 मामलों में यह पूर्णरूपेण या आंशिक रूप से नियोजित घटना होती है।

(3) युगल और सामूहिक बलात्कार के मामले सम्पूर्ण बलात्कार के मामलों का लगभग 40% है।

(4) बहुत कम संख्या में बलात्कार महिला द्वारा पहल करने के कारण होते हैं तथा अधिकतर मामलों में पीड़ित महिलाएँ बल प्रयोग की शिकार होती हैं।

(5) यद्यपि बड़ी संख्या में इन मामलों में लालच या मौखिक अवपीड़न के सहारे (पीड़ित) महिला को दबाया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे अवपीड़ित करने के लिए शारीरिक हिंसा का भी सहारा लिया जाता है।

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अपहरण और भगाने के मामले  

अपहरण और भगाने के मामले में निम्न तथ्य पाये गये-

(1) अपहरण व भगाने के मामलों की शिकार विवाहित महिलाओं की अपेक्षा अविवाहित लड़कियाँ अधिक होती हैं।

(2) भागने वाले पुरुषों और भगाई जाने वाली लड़‌कियों की आयु में अन्तर होता है। लगभग 22% 18 वर्ष से कम आयु की, 43% 18 से 21 वर्ष आयु समूह और 35% 22 से 25 वर्ष आयु समूह की होती हैं। दूसरी ओर पुरुष भागने वाले 80% के लगभग 18 से 29 वर्ष आयु समूह के होते हैं।

(3) भागने वाले पुरुष व भगाई जाने वाली लड़कियाँ अधिकांश एक-दूसरे को पहचानते हैं तथा अपरिचित नहीं होती हैं।

(4) दोनों के बीच पारस्परिक सम्पर्क आम जगहों की अपेक्षा अपने घरों-या-पड़ौस में अधिक होता है।

(5) लड़की भागने के मामलों में आर्थिक उद्देश्यों की अपेक्षा यौन सम्बन्ध व विवाह की इच्छा अधिक होती है। 

(6) भागने वाली लड़की तथा उसकी सामाजिक वर्ग सदस्यता में महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध होता है। 

दहेज मृत्यु के मामले 

दहेज मृत्यु के सम्बन्ध में प्रमुख तत्व निम्न पाये गये-

(1) निम्न वर्गीय तथा उच्च वर्गीय महिलाओं की अपेक्षा मध्यम वर्गीय महिलाओं का दहेज सम्बन्धी उत्पीड़न अधिक होता है।

(2) दहेज के मामले में मारी जाने वाली लड़कियों में अधिकांश 21 से 24 आयु समूह की होती हैं। इसमें उन्हें न केवल शारीरिक रूप से बल्कि सामाजिक और भावात्मक रूप से परिपक्व समझा जाता है।

(3) जिन घरों में सासों का प्रभुत्व होता है तथा पति समझौता नहीं करता है उनमें शोषण की दर अधिक होती है।

(4) वास्तविक हत्या से पूर्व युवा दुलहनों का अपमान व उन पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं जो यह दर्शाता है कि जनन परिवार के सदस्यों का सामाजिक अनुकूलन कितना दोषपूर्ण होता है। 

(5) दहेज मृत्यु के मामले में हत्यारे निर्दयी एवं शक्तिशाली होते हैं। महिला की हत्या हत्यारे व असामान्य एवं असन्तुलित व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति मात्र है। 

पत्नी के साथ मारपीट के मामले 

पत्नी के साथ मारपीट सम्बन्धी मामलों के लक्षण निम्न प्रकार हैं-

(1) 25 वर्ष की आयु से कम विवाहिताओं के शोषण की दर अधेड़ उम्र की महिलाओं से अधिक है।

(2) यद्यपि अशिक्षित महिलाएँ शिक्षित महिलाओं की अपेक्षा पति द्वारा पिटाई की शिकार अधिक होती हैं, फिर भी पीटे जाने तथा शोषित-महिला के शिक्षा स्तर में कोई खास सम्बन्ध नहीं।

(3) निम्न आयु वर्ग के परिवारों की महिलाएँ (1000 रुपये से कम मासिक आय) अधिक सताई होती हैं, यद्यपि पारिवारिक आय तथा महिला शोषण में सम्बन्ध दर्शाना उचित नहीं है।

(4) अधिकतर पति अपनी पत्नियों को शराब के नशे में नहीं पीटने की दर परिवार में तनाव की स्थिति से सीधे सम्बन्धित हैं। 

तनाव की स्थिति

तनाव की स्थिति कई कारणों से हो सकती है; अन्त में स्त्री-हत्या के अपराध में मुख्य लक्षण निम्न मिले-

(1) हत्यारे व हत्या की शिकार महिलाएँ अधिकतर एक ही परिवार के होते हैं तथा बड़ी संख्या में पुरुषों द्वारा अपनी पत्नी की हत्या की जाती है।

(2) हत्या की गई लगभग आधी महिलाएँ वे होती हैं जिनके सम्बन्ध हत्यारे पुरुषों से काफी लम्बे होते हैं।

(3) स्त्री हत्या विद्वेषपूर्ण व निश्चित इरादे से की गई हो या आवेग में या अचानक हो गई हो, दोनों का अनुपात 4 : 6 है। 

(4) स्त्री-हत्या में पारिवारिक असामंजस्य सामान्य रूप से तथा वैवाहिक सम्बन्ध विशेष रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं। हत्यापरक वादविवाद का सम्बन्ध, धन, ससुराल वालों का व्यवहार, बच्चों की देखभाल और अवैध सम्बन्धों से होता है।

(5) पाँच में से एक हत्या मृत स्त्री की पहल के कारण होती है।

उक्त पाँचों प्रकार के अपराधों का एक साथ विश्लेषण करने का पता चलता है कि आमतौर पर हिंसा की शिकार वे महिलाएँ होती हैं-

(1) जो असहाय या हीन भावनाओं से पीड़ित होती हैं, जिनसे स्व अवमूल्यन व स्व निन्दा पाया जाता है, या जिनका हिंसा के अपराधियों व कानून का उल्लंघन करने वालों द्वारा संवेगात्मक भयादोहन होता है, या जो शक्तिहीन परहित चिन्तन से पीड़ित रहती है।

(2) जो तनावपूर्ण पारिवारिक पर्यावरण में रहती है।

(3) जो आर्थिक रूप में दूसरों पर निर्भर रहती हैं।

(4) जिनमें सामाजिक अन्तर-वैयक्तिक कुशलता का अभाव होता है, जिसके कारण व्यवहार सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

(5) जिनके पति या ससुराल वाले विकृत व्यक्तित्व वाले होते हैं।

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