डीटीपी (D.T.P.) से आप क्या समझते हैं
डेस्कटॉप पब्लिशिंग का परिचय (Introduction to D.T.P.)
हमारे देश में बेरोजगारी एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसका समाधान आजादी के 50 वर्षों के बाद भी नहीं हो सका है। कम्प्यूटर के प्रयोग से लोगों को रोजगार के नवीन अवसर प्राप्त हुए हैं। आज कम्प्यूटर का प्रयोग मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अत्यंत सफलतापूर्वक किया जा रहा है। प्रिंटिंग के क्षेत्र में इसके प्रयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में इसके प्रयोग को डोटीपी (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के नाम से जानते हैं। डीटीपी अर्थात् एक मेज के ऊपर प्रकाशन का समस्त कार्य करना। इस कार्य को करने के लिए हमें कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के शक्तिशाली समन्वय को प्रयोग करना पड़ता है।
जैसा कि सर्वविदित है कि कम्प्यूटर विज्ञान दो भागों में विभाजित है-प्रथम हार्डवेयर तथा द्वितीय सॉफ्टवेयर। प्रारंभ में इन सॉफ्टवेयरों को प्रयोग केवल कैलकुलेशन या डेटा मैनेजमेंट इत्यादि में किया जाता था, परंतु धीरे-धीरे इनका प्रयोग क्षेत्र बढ़ने लगा एवं इनका प्रयोग ऑफसेट प्रिंटिंग के लिए भी किया जाने लगा। डीटीपी के लिए मुख्य रूप से तीन सॉफ्टवयरों का प्रयोग किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर हैं- विंडोज, पेजमेकर और कोरल ड्रा। सन् 1995 तक विंडोज के 3.x संस्करण का प्रयोग किया जाता था, लेकिन सितंबर 1995 में जब विंडोज 95 को सॉफ्टवेयर बाजार में प्रस्तुत किया गया तो इस क्षेत्र में सफलता के नए आयाम जुड़ गए तथा कम्प्यूटर का प्रयोग अत्यंत सरल हो गया। अतः यह कहा जा सकता है, कि विंडोज 95 ने आईबीएम, पीसी को Apple MAC (एपल मैकंटोश) में बदल दिया। यह सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन, सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर का समन्वय है, जिसके कारण इसके द्वारा सिस्टम सॉफ्टवेयर के कमांडों का प्रयोग मैन्यू द्वारा संचालित होने लगा। वर्तमान समय में विंडोज के 98/2000/XP संस्करणों का प्रयोग किया जा रहा है।
एल्ड्स कॉर्पोरेशन ने पेजमेकर नामक सॉफ्टवेयर का विकास आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व किया था, तब से लेकर आज तक इस सॉफ्टवेयर के विभिन्न संस्करण सॉफ्टवेयर बाजार में आ चुके हैं। यह सॉफ्टवेयर एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर हैं, एवं इसके द्वारा हम पेज बनाने का कार्य आसानी से कर सकते हैं। यह कार्य करने के लिए यह सर्वाधिक प्रयोग किया जाने वाला सॉफ्टवेयर है। पेजमेकर के 5.0 संस्करण तक को एल्ड्स कॉर्पोरेशन द्वारा ही प्रस्तुत किया गया था। इसके द्वारा हम माइक्रोसॉफ्ट Equation को प्रयोग करके मैथ का कार्य भी कर सकते हैं। इसके प्रतिद्वंद्वी सॉफ्टवेयरों के रूप में वेंचुरा और क्वार्क एक्सप्रेस जैसे सॉफ्टवेयरों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन पीसी पर सबसे ज्यादा प्रयोग पेजमेकर का ही होता है। कोरल ड्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की डिजाइनों के निर्माण में किया जाता है। इसके द्वारा हम किसी भी प्रकार के श्वेत, श्याम अथवा रंगीन डिजाइन का निर्माण कर सकते हैं। वेक्टर ड्रॉइंग बनाने में यह सॉफ्टवेयर सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। हालांकि अब इसमें इमेज को प्रयोग करने की क्षमता जोड़ दी गई है जिससे हम कोरल ड्रा में ही रहते हुए इमेज का मोड बदल सकते हैं, तथा उस पर विशेष प्रभाव प्रयोग कर सकते हैं। इस समय हमारे देश में इसके ग्यारहवें संस्करण को प्रयोग किया जा रहा है।
कम्प्यूटर ग्राफिक्स के क्षेत्र में वर्तमान समय में सबसे ज्यादा प्रयोग फोटोशॉप नामक सॉफ्टवेयर का होता है। इस समय इसके सातवें और CS संस्करण को प्रयोग किया जा रहा है। इन प्रमुख सॉफ्टवेयरों के अतिरिक्त हम एटीएम अर्थात् एडॉब टाइप मैनेजर, क्वार्क एक्सप्रेस और पीडीएफ फाइलों को बनाने में प्रयोग किये जाने वाले सॉफ्टवेयरों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे हमें इस क्षेत्र में कार्य करते समय कोई परेशानी न हो। इन दिनों रंगीन डीटीपी का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है।
आफसेट प्रिंटिंग में डीटीपी (D.T.P.) का उपयोग
ऑफसेट प्रिंटिंग (Offset Printing)
छपाई (Printing) एक कलात्मक कार्य है, जिसे करने हेतु विभिन्न प्रकार की विधियों का उपयोग किया जाता है। जैसे क्रेडिल मशीन, ऑफसेट तथा स्क्रीन प्रिंटिंग। स्क्रीन प्रिंटिंग का उपयोग छोटे-मोटे कार्यों में किया जाता है। जबकि क्रेडिल मशीन का ज्यादा मात्रा में सम्पन किए जाने वाले कार्य को करने में होता है। परंतु इस प्रिंटिंग में कई तरह की कमियाँ देखी जा सकती हैं, जैसे समय का ज्यादा लगना, छपाई में आकर्षण की कमी होना, पाठ्य सामग्री की त्रुटि को दूर करना आदि।
इन सभी कमियों पर सफलता प्राप्त करने हेतु ऑफसेट बाजार में आया। प्रकाशन के कार्य में शामिल होकर प्रकाशन को नयी दिशा दी। इसकी सहायता से बहुत ज्यादा मात्रा के कार्य को बहुत जल्द आसानी से सम्पन्न किया जा सकता है, क्योंकि ऑफसेट मशीन न सिर्फ जल्दी, वरन् बहुत शुद्धता से गुणवत्तापूर्ण प्रिंटिंग प्रदान करता है। विभिन्न आकार के ऑफसेट आते हैं, जिनसे विभिन्न साइज के पोस्टर, पेंपलेट और Books छापी जा सकती हैं। ऑफसेट मशीन द्वारा Single Colour और Multi Colour प्रिंटिंग कार्य किया जा सकता है।
कार्य विधि
कम्प्यूटर में डीटीपी सॉफ्टवेयर के द्वारा पाठ्य सामग्री तैयार करने के बाद तथा उसमें उपस्थित त्रुटियों को दूर करने के बाद प्रिंटिंग कार्य के द्वितीय चरण हेतु पाठ्य सामग्री का Master Paper पर प्रिंटआउट लेजर प्रिंटर की मदद से प्राप्त करते हैं, और उस मास्टर पेपर को एक Darker मशीन में डालते हैं, अगर मास्टर पेपर पर छपे Text या Graphics Clear नहीं होते हैं तो।
इसके बाद मास्टर पेपर को ऑफसेट मशीन के सिलेंडर में फँसा कर कस देते हैं। क्योंकि मास्टर Positive होता है, इसलिये यह ध्यान रख जाता है कि मास्टर पेपर ऊपरी Cylinder पर इस तरह कसा जाये कि उसकी Negative Image बीच वाले Cylinder पर प्राप्त हो तथा उस Negative Image का Positive Paper पर प्रिंट हो। कभी-कभी पाठ्य सामग्री की साइज ज्यादा हो जाती है, तथा उस साइज का Master अगर उपलब्ध नहीं है, तो DTP कार्यकर्ता संपूर्ण एवं सभी टुकड़ों की मदद से एक निगेटिव स्लाइड तैयार करते हैं और उसे ऑफसेट मशीन में इस तरह रखते हैं कि उसको Positive Image Paper पर प्रिंट हो। इस तरह Slide या Master की मदद से ऑफसेट प्रिंटिंग की जा सकती है। ऑफसेट मशीन में सभी प्रिंटिंग कार्य Cylinder के द्वारा होते हैं। Cylinder घूमते हैं, जिसके द्वारा पेज आगे बढ़ता है, इमेज बनता है, एवं पेपर पर प्रिंटिंग होता है। ऑफसेट मशीन दो एवं तीन Cylinder वाले हो सकते हैं।