सन् 1857 की क्रान्ति की कारणजन्य परिस्थितियाँ
1857 की क्रान्ति की प्रमुख कारणजन्य परिस्थितियों का विवरण इस प्रकार किया जा सकता है-
(अ) सैनिक कारण (Military Causes)
(i) भारतीय सैनिकों का सेना में आधिक्य (Majority of Indian Soldiers)- ब्रिटिश सेना में भारतीय सैनिकों की संख्या 2,33,000 थी, जबकि अंग्रेजी सैनिकों की संख्या 46,000 थी। इस आधिक्य के कारण ही भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।
(ii) अफवाहों का प्रभाव (Effect of Rumours)- प्रथम अफवाह यह थी कि "कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बी लगी रहती है।" दूसरी अफवाह यह थी कि "जो आटा उनको दिया जाता है उसमें हड्डी का चूर्ण मिला है।" इन दोनों अफवाहों का प्रभाव यह हुआ कि क्रान्ति का विस्फोट किसी से न रुक सका।
(iii) भारतीय सैनिकों के प्रति अपमानजनक व्यवहार (Insulting behaviour towards the Indian Solidiers)- सन् 1857 की क्रान्ति में उन सैनिकों का विशेष योग था जिन्होंने अंग्रेजों का अपमान सहा था उनको नित्य गालियाँ भी दी जाती थीं।
(iv) सेना में अनुशासनहीनता (Indiscipline in the Army)- सन् 1857 ई. में ब्रिटिश सेना में अनुशासनहीनता आ गई थी, क्योंकि सभी सैनिक अफसरों को प्रशासकीय विभाग में स्थानान्तरित कर दिया। यदि कुछ पहले सैनिक सेना में थे भी तो वे काफी वृद्ध हो चुके थे।
(v) अपदस्थ सैनिकों का रोष (Dissatisfaction of dismissed Soliders)- जिन सैनिकों को ब्रिटिश सेना से तथा भारतीय शासकों की सेना से अपदस्थ कर दिया गया था। उनमें रोष उत्पन्न हो गया तथा उन्होंने क्रान्ति को जन्म दिया।
यह भी पढ़ें-1857 के विद्रोह की असफलता के कारण एवं परिणाम
(ब) आर्थिक कारण (Economic Causes)
(i) भारतीय उद्योग-धन्धों का ह्रास (Decline of Cottage Industries)- भारत में ब्रिटिश सत्ता होने के कारण भारतीय उद्योग-धन्धों का हास हो गया क्योंकि भारत में अंग्रेजी माल सस्ता मिलता था और भारतीय माल महँगा था।
(ii) वेतन तथा पेन्शन के रूप में भारतीय धन का शोषण (Exploitation of Indian Money in the form of Pension and Salaries)- अंग्रेज भारतीय धन का शोषण करते थे, क्योंकि जो अंग्रेज सैनिक भारत में नौकरी करते थे वे स्थायी रूप से भारत में नहीं रहते थे और वे अपनी सारी कमाई विदेश ले जाते थे।
(iii) आर्थिक शोषण (Economic Exploitation)- ब्रिटिश कम्पनी के अधिकारी किसानों के मनमाना कर वसूल करते थे तथा उनको यातना देते थे। इससे किसानों की आर्थिक दशा बिगड़ गई और वे क्रान्ति के समर्थक बन गये थे।
(iv) बेरोजगारी की समस्या (Problem of Unemployment)- अंग्रेजों ने भारत में बेरोजगारी की समस्या को जन्म दिया, क्योंकि ब्रिटिश सत्ता ने अपनी सैनिक सेवाओं पर प्रतिबन्ध लगा रखा था कि किसी भी भारतीय की नियुक्ति नहीं की जायेगी।
यह भी पढ़ें-
द्वैध शासन, हर्टाग समिति और वुड-ऐबट रिपोर्ट का वर्णन
(स) सामाजिक कारण (Social Causes)
(i) नवीन शिक्षा (New Education)- भारतीय जनता यह समझती थी कि अंग्रेज हमें ईसाई बनाना चाहते हैं, इसलिए भारतीय जनता ने अंग्रेजी शिक्षा का विरोध किया।
(ii) भारतीय संस्कृति का ह्रास (Loss of Indian culture)- भारत में ब्रिटिश सत्ता आ जाने के कारण भारतीय संस्कृति पर गहरा आघात लगा, क्योंकि अंग्रेज पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार करना चाहते थे।
(iii) भारतीयों की सामाजिक व्यवस्था में हस्तक्षेप (Interference in the Social System of Indians)- विधवा विवाह का प्रचलन तथा सती प्रथा को रोकना आदि कार्यों के करने में अंग्रेजों ने भारतीय व्यवस्था में हस्तक्षेप किया जिसके कारण समस्त हिन्दू जाति अंग्रेजों के विरुद्ध हो गई।
(iv) सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबन्ध (Restriction upo upon Social Custom)- जो लोक कट्टर हिन्दू थे वे अंग्रेजों का विरोध कर रहे थे क्योंकि अंग्रेजों ने सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
(v) उच्च वर्ग के लोगों की प्रतिष्ठा को धक्का (Setback to the Prestige of Higher Class)- अंग्रेजों ने भारतीयों की प्रतिष्ठा को गिराया। उन्होंने भारतीयों के समस्त पद तथा उपाधियाँ समाप्त कर दीं और अब भारतीय निम्न व्यक्ति हो गये।
(द) राजनैतिक कारण (Political Causes)
(i) मुगल बादशाह के साथ दुर्व्यवहार (Mis-behaviour with Mughal Emperor)- मुगल सम्राट बहादुरशाह एक क्रान्तिकारी नेता थे। मुगल बादशाह अंग्रेजों से काफी नाराज हो गया था, क्योंकि अंग्रेजों ने उसे नजर भेंट देना बन्द कर दिया था। अंग्रेजों ने मुगल बादशाह की पेंशन एक लाख से घटाकर मात्र सत्रह हजार रुपये कर दी थी।
(ii) ज्योतिष की भविष्यवाणी (Forecast)- एक भविष्यवाणी ने भी क्रान्तिकारियों का उत्साह बढ़ा दिया था। इस भविष्यवाणी में यह कहा गया था कि सौ वर्ष बाद भारत में अंग्रेजों का राज्य खत्म हो जायेगा। संयोगवश अंग्रेजों को अब पूरे सौ साल हो गये थे।
(iii) निष्कासित सैनिकों की बेकारी (Unemployment among Dismissed Soldiers)- जो देशी राज्यों के सैनिक, सेना से निष्कासित कर दिये गये थे, वे क्रान्तिकारियों से मिल गये थे। क्योंकि देशी राजाओं की सेना को भी समाप्त कर दिया गया था।
(iv) वेलेजली की सहायक सन्धि (Subsidiary Alliances of Wellesley)- देशी राजा भी विद्रोह करने लगे क्योंकि लार्ड वेलेजली ने सहायक सन्धि अपनाकर उनके राज्य ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिये थे।
(v) कर विमुक्त भूमि का अपहरण (Acquisition of Tax-free Land)- किसान भी विद्रोह के लिए तैयार हो गये थे क्योंकि अंग्रेजों ने कर विमुक्त भूमि पर नियन्त्रण करके किसानों के हृदय में विद्रोह की भावना भर दी थी।
उपर्युक्त कारणों में सबसे प्रमुख कारण सैनिक कारण थे अन्य कारणों ने तो केवल क्रान्ति की पृष्ठभूमि तैयार की थी। पी. ई. राबर्ट्स ने समीक्षा करते हुए कहा था कि "इन कारणों ने तो क्रान्ति की होली तैयार की थी तथा सैनिक कारणों ने तो उस पर चिंगारी का कार्य करके अग्नि को प्रज्ज्वलित किया था।"