बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय : [Biography of Balkrishna Sharma Naveen]

बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय- Biography of Balkrishna Sharma Naveen



स्मरणीय तथ्य

जन्म- सन् 1898 ई०, उज्जैन के निकट भुजालपुर।

मृत्यु- सन् 1960 ई० ।

पिता- जमुनादास शर्मा ।

शिक्षा- उज्जैन से हाईस्कूल बाद में क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर से बी० ए० ।

रचनाएँ- 'रश्मिरेखा', 'क्वासि', विनोबा-स्तवन', 'हम विषपायी जनम के', 'प्राणार्पण', 'उर्मिला'

काव्यगत विशेषताएँ

वर्ण्य विषय- 'राष्ट्र प्रेम', 'भारतीय संस्कृति', 'रहस्यवाद एवं प्रगतिवाद' । भाषा संस्कृत के शब्दों की अधिकता के कारण कहीं-कहीं दुरुहता परन्तु स्वाभाविकता का प्रवाह, शैली में विविधता ।

अलंकार- प्रायः सभी आधुनिक अलंकार ।

 बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' का जीवन परिचय 

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' का जन्म संo 1954 (सन् 1898 ई0) में उज्जैन के निकट भुजावलपुर नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता पं० यमुनादास साधारण स्थिति के ब्राह्मण थे। इन्होंने माधव कॉलेज, उज्जैन से हाईस्कूल परीक्षा पास करने के बाद क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर में बी०ए० तक शिक्षा प्राप्त की। यहीं ये गणेशशंकर विद्यार्थी के सम्पर्क में आये और प्रताप के सहकारी संपादक के रूप में कार्य करने लगे। यहीं से इनके राजनीतिक जीवन का आरम्भ हुआ और ये कई बार जेल भी गये। इन्होंने कई वर्षों तक 'प्रभा' का सम्पादन किया।

नवीन जी सरल प्रवृत्ति के साथ बड़े भावुक और अध्यवसायी व्यक्ति थे इनके हृदय में राष्ट्र और राष्ट्रभाष के लिए अपार प्रेम था। ये सहृदय और सहिष्णु होने के साथ अन्याय-अत्याचार के विरोधी थे। ये भाषा कला में पटु और मधुर गायक भी थे। राजनीति में सक्रिय भाग लेने के साथ ये साहित्य सेवा में भी रमे और आजीवन इसका निर्वाह किया। इनकी मृत्यु सन् 1960 ई0 में हुई।

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रचनाएँ

नवीन जी की प्रमुख कृतियाँ हैं उर्मिला (महाकाव्य), प्राणार्पण (खण्ड-काव्य), कुंकुम, अपलक क्वासि रश्मि रेखा, विनोबा-स्तवन हम विषपायी जनम के (सभी कविता-संग्रह) । 

काव्यगत विशेषताएँ 

भावपक्ष

नवीन जी की कविता में राष्ट्रीयता, देश-प्रेम और मानव-सौन्दर्य के भावना की प्रधानता है। इसीलिए भारत के पूर्व-पुरुषों, हिमालय, हिन्दुस्तान के निवासियों को उन्होंने अपने कविता का विषय बनाया है। इनकी रचनाओं में जहाँ-तहाँ रहस्यवाद और प्रकृतिवाद का चित्रण भी मिलता है।

देश-प्रेम- नवीन जी राष्ट्रीय चेतना के युग में पैदा हुए थे। अतः इनकी अधिकांश रचनाओं में राष्ट्रीय आन्दोलन और देश-भक्ति से प्रभावित विविध सामाजिक भावनाएं हैं। 'कुकुम' में संग्रहीत राष्ट्रीय आन्दोलन गांधीवाद और प्रगतिवाद से प्रभावित गीतों में उनका व्यक्तिवाद विश्वासपूर्ण स्वर से लेकर प्रकट हुआ।

मानवतावादी विचार- नवीन जी की भावना मानव के प्रति बड़ी ही उदार थी। इसीलिए देश में तीव्र होते वर्ग संघर्ष, मजदूर आन्दोलन और प्रगतिवादी विचारधारा के प्रभाव से उनका हृदय मर्माहत हो उठा और हुए उन्होंने प्रगतिशील कवियों की भाँति क्रान्ति की मांग की, लेकिन इस प्रवृत्ति को वे आगे नहीं ले जा सके। 

रहस्यवाद की भावना- 'अपलक' और 'क्वासि' की कविताओं में नवीन जी हमें प्रेम की भाव-भूमि का दार्शनिक शृंगार करते हुए दिखायी देते हैं। ऐसे स्थलों पर उनकी भावना रहस्यमयी हो गयी है-

हैं अनेकों दीप, मैं हूँ एक चिन्तित, अमित अक्षम ! 

चलन कलन हिसाब मुझसे तो न जायेगा सम्हाला!

अगणिता तब दीपमाला !

वस्तुतः नवीन जी ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता के साथ भावुकता और मस्ती की प्रचुरता सर्वत्र लक्षित होती है।

कला पक्ष

भाषा- नवीन जी की भाषा शुद्ध खड़ीबोली है। वह भावानुकूल सरल और क्लिष्ट होती है। उनकी भाषा में तत्सम शब्दों की प्रधानता है फिर भी कहीं-कहीं उर्दू एवं ग्रामीण भाषा के बोलचाल के शब्द पाये जाते हैं। उनकी सरल भाषा अत्यन्त ललित एवं मनोहर होती है। 

शैली- नवीन जी की अधिकांश रचनाएँ ओजपूर्ण शैली में हैं, किन्तु जहाँ उन्होंने अपने कोमल प्रेम-पूर्ण भावों को आध्यात्मिक रूप देने का सफल प्रयास किया है, वहाँ वह अत्यन्त कोमल हो गयी है।

रस- नवीन जी की रचनाओं में 'वीर' और 'श्रृंगार रस' का कौतूहलपूर्ण मिश्रण दिखायी देता है। वहीं-कही करुण रस भी लक्षित होता है।

अलंकार- नवीन जी मस्ती के गायक और भावुक कवि हैं; अतः उन्होंने अलंकारों के प्रयोग का प्रयास नहीं किया है। फिर भी अनुप्रास, उपमा, रूपक, मानवीकरण आदि अलंकारों का समावेश उनकी रचनाओं में स्वतः हो गया है। उन्होंने नवीन छन्दों का प्रयोग किया है। साहित्य में स्थान आधुनिक युग के कवियों में नवीन जी अपने राष्ट्रीय भावनाओं और भावुकतापूर्ण ओजस्वी स्वर के कारण हिन्दी साहित्य में सदा अमर रहेंगे।

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