स्मरणीय तथ्य जन्म- सन् 1904 ई०, प्रयाग। शिक्षा- एम० ए०, पी-एच० डी०। रचनाएँ- मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकान्त संगीत, सतरंगिणी, हलाहल, बंगाल का काल, मिलन-यामिनी, प्रणय-पत्रिका, बुद्ध और नाचघर (काव्य), क्या भूलूं क्या याद
करूँ, नीड़
का निर्माण फिर (आत्मकथा)। काव्यगत विशेषताएँ वर्ण्य विषय- प्रेम के संयोग-वियोग जन्य भावों का चित्रण, विषाद और निराशा का
चित्रण, विद्रोह
का स्वर, युग
जीवन का व्यापक चित्रण। भाषा- सहज व सरल खड़ीबोली। शैली- गीतात्मक। छन्द- मुक्तक। |
हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय
श्री हरिवंशराय 'बच्चन' का जन्म प्रयाग में सन् 1904 ई0 में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा उर्दू भाषा के माध्यम से हुई थी। आपने सन् 1925 में कायस्थ पाठशाला इलाहाबाद से हाईस्कूल, सन् 1927 में गवर्नमेन्ट इन्टर कालेज से इण्टर तथा सन् 1929 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण आपने विश्वविद्यालय छोड़ दिया। बाद में सन् 1938 3 में उसी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1954 ई0 में आपने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी० एच० डी० की उपाधि प्राप्त की। आरम्भ में आपने प्रयाग विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। कुछ समय तक आपने आकाशवाणी में काम किया। तत्पश्चात् आपकी नियुक्ति भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के पद पर हुई और वहीं से अवकाश ग्रहण किया। आप सन् 1965 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। आजकल आप अपने विश्वविख्यात अभिनेता पुत्र अमिताभ बच्चन के साथ रह रहे हैं।
साहित्य और कविता के प्रति आपकी रुचि बचपन से ही थी। सन् 1923 में आपकी रचना 'मधुशाला' के प्रकाशन ने आपको कीर्ति के शिखर पर पहुँचा दिया। आपकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सन् 1976 में भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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रचनाएँ
बच्चन जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, प्रणय-पत्रिका, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, सतरंगिणी, दो चट्टानें आदि। 'दो चट्टाने काव्य ग्रन्थ के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
काव्यगत विशेषताएँ
बच्चन जी उत्तर छायावादी काल के आस्थावादी कवि हैं। आपकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है। आपकी कविता में प्रेम के संयोग-वियोग जन्य भावपूर्ण चित्र अंकित हैं। प्रेम के अतिरिक्त जीवन के अन्य सन्दर्भों में निराशा की भाषा देखने को मिलती है। विद्रोह का स्वर भी कहीं-कहीं आपकी कविताओं में मिलता है। आपकी पूर्ववर्ती रचनाओं में वैयक्तिकता है तो परवर्ती रचनाओं में जन-जीवन का व्यापक चित्रण है। वैचारिक क्रान्ति, मानवीय संवेदना और व्यंग्य-दंश से पूर्ण आपके काव्य ने हिन्दी कविता को नयी दिशा प्रदान की है।
बच्चन जी की भाषा साहित्यिक होते हुए भी बोलचाल की भाषा के अधिक निकट है। आपकी भाषा सरल व सरस है। आपने लोकगीतों और मुक्तक छन्दों की रचना की है। अपनी गेयता, सरलता, सरसता और खुलेपन के कारण आपके गीत बहुत ही पसन्द किये जाते हैं।
साहित्य में स्थान
निस्सन्देह लोकगीतों की धुन में गीतों की रचना करके बच्चन जी ने अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त की है। हिन्दी साहित्य में हालावाद के संस्थापक के रूप में आपका मान्य स्थान है।