द्वि-प्रविष्टि प्रणाली के आधार पर तैयार किये गये खातों के डेबिट (नामे) तथा क्रेडिट (जमा) पक्ष की राशियों के योग एवं शोध की गणना के पश्चात् उनको अंकगणितीय शुद्धता की जाँच के लिए एक निश्चित तिथि पर तलपट का निर्माण किया जाता है। तलपट लेखांकन चक्र की तीसरी सीढ़ी है इसमें खातों का सारांश तैयार कर सभी खातों के शेषों की जाँच की जाती है। यह एक विवरण अथवा सूची मात्र ही है तथा इसके आधार पर ही व्यापार एवं लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा तैयार किया जाता है।
तलपट का अर्थ एवं परिभाषाएँ
सामान्य शब्दों में, "तलपट खाताबही के समस्त खातों तथा रोकड़ पुस्तक के योग अथवा शेष से एक निश्चित तिथि को बनायी गयी एक सूची है जिसका उद्देश्य लेखा पुस्तकों में गणितीय शुद्धता की जाँच करना है।''
जे. आर. बाटलीबॉय (J. R. Bathiboi ) के अनुसार- "तलपट खाताबही के डेबिट एवं क्रेडिट पक्षों को लेकर बनाया गया एक विवरण है जिसका उद्देश्य बहियों की अंकगणितीय शुद्धता की जाँच करना है।"
आर. एन. कार्टर (R. N. Carter) के अनुसार- "तलपट उन डेबिट एवं क्रेडिट बाकियों की अनुसूची है जो खाताबही के खातों से तैयार की जाती है और इसमें रोकड़ पुस्तक के रोकड़ तथा अधिकोष (बैंक) शेष को भी सम्मिलित किया जाता है।"
डोनाल्ड एच. मेकेन्जी (Donald H. Mackenzic) के अनुसार- "तलपट खाताबही में खातों के शेषों की सूची है"
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तलपट की विशेषताएँ
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर तलपट की निम्नलिखित विशेषताएँ स्पष्ट होती है-
- तलपट खाता नहीं है। यह एक सूची अथवा विवरण मात्र ही है।
- यह खाताबही के खातो तथा रोकड़ पुस्तक की सहायता से तैयार की जाती है।
- यह एक निश्चित तिथि पर तैयार की जाती है।
- इसका निर्माण खातो की अंकगणितीय शुद्धता की जांच के लिए किया जाता है।
- यह अन्तिम खाते अथवा वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए आधार प्रदान करती है।
तलपट के उद्देश्य
तलपट मुख्यतः निम्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तैयार की जाता है-
- एक निश्चित तिथि पर खाताबही में खोले गये समस्त खातों का शेष ज्ञात करना।
- इस तथ्य को स्पष्ट करना कि प्रत्येक सौदे द्वि-प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार दो खातों में लिखकर पूरे कर लिये गये है।
- इस बात का विश्वास दिलाना कि खतौनी एवं अन्य लेखांकन प्रक्रिया बिना किसी गणितीय अशुद्धि के पूरी कर ली गयी है।
- व्यापार, एवं लाभ-हानि खाता तथा आर्थिक विट्ठा तैयार करने में सरलता प्रदान करना।
- खातों के गत अवधि के शेषों से तुलना कर महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकालने में सुविधा प्रदान करना।
तलपट तैयार करने की विधियाँ
तलपट तैयार करने की निम्नलिखित विधियाँ है-
1. योग विधि (Total Method)
इस विधि में रोकड पुस्तक तथा खाताबही के समस्त खाती के डेबिट तथा क्रेडिट पक्ष के योग का उल्लेख तलपट में किया जाता है। तलपट के प्रथम खाने में खातों के नाम, द्वितीय खाने में उन खातों के खाताबही पृष्ठांक तथा तृतीय खाने में उन खातों की डेबिट पक्ष की राशि का योग एवं चतुर्थ खाने में खातों को क्रेडिट पक्ष की राशि का योग लिखा जाता है। अन्त में डेबिट तथा क्रेडिट पक्ष में दर्शायी गयो राशियों का योग कर तलपट बन्द कर दी जाती है।
2. आधिक्य या शेष विधि (Balance Method)
इस विधि में तलपट का निर्माण रोकड पुस्तक एवं खाताबही के खातों के शेष के आधार पर होता है। इसमें तलपट का प्रथम एवं द्वितीय खाने योग विधि की भाँति ही तैयार किये जाते है। तृतीय खाने में डेबिट शेष की राशि तथा चतुर्थ खाने में क्रेडिट शेष की राशि लिखी जातो है। अन्त में दोनों राशि खानों का योग कर लिया जाता है। व्यवहार में प्रायः यह विधि अधिक प्रयुक्त होती है।
3. योग एवं आधिक्य विधि (Total and Balance Method)
यह विधि उपर्युक्त दोनों विधियों का मिश्रण है। इस विधि में रोकड़ पुस्तक एवं खाताबही के खातों के नाम एवं खाताबही पृष्ठांक योग विधि की भाँति ही लिखे जाते हैं किन्तु डेबिट एवं क्रेडिट के राशि खाने दो बार लिखे जाते है। राशि के प्रथम दो खानों में खातों के डेबिट एवं क्रेडिट पक्ष के योग लिखे जाते हैं तथा शेष दो राशि खानों में खातों के डेबिट एवं क्रेडिट शेष को दर्शाया जाता है। प्रायः इस विधि का प्रयोग बहुत कम होता है। इस विधि से तैयार की गयो तलपट का प्रारूप अमानुसार होगा।
4. समान योग वाले खातों को छोड़कर अन्य खातों की योग विधि (Total of Accounts Excluding Accounts of Equal Totals)
यह विधि योग विधि का ही एक संशोधित रूप है। इस विधि के अन्तर्गत उन खातों के नाम तलपट में नहीं लिखे जाते जिनके डेबिट एवं क्रेडिट पक्ष की राशियों का योग समान हो। शेष खातों के योग का उल्लेख योग विधि की भाँति ही किया जाता है।
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