शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, और सूक्ष्म शिक्षण में शिक्षण कौशल

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शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, और सूक्ष्म शिक्षण में शिक्षण कौशल

एक अच्छा-शिक्षक प्रशिक्षण सदैव अपने प्रशिक्षार्थियों में विशिष्ट शिक्षण कौशलों में निपुणता प्रदान करता है। अतः एक छात्राध्यापक के लिये आवश्यक हो जाता है कि यह शिक्षण कौशलों का अर्थ समझे, उनकी धारणाओं से परिचित हो और उन पर पूर्ण अधिकार प्राप्त करने में समर्थ हो। तभी वह एक अच्छा निपुण शिक्षक बन सकता है।

शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा

एन० एल० गेज के शब्दों में, ''शिक्षण कौशल वे विशिष्ट अनुदेशात्मक क्रियायें व प्रक्रियाये हैं, जिन्हें शिक्षक कक्षा-कक्ष में अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए उपयोग करता है। ये शिक्षण की विभिन्न अवस्थाओं से सम्बन्धित होती है तथा ये शिक्षक के निरन्तर प्रयोग में आती है।"

डा० बी० के० पासी के अनुसार- "शिक्षण कौशल छात्रों के सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के विचार से सम्पन्न की गयी सम्बन्धित शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारों का समूह है।"

मैकइन्टेयर तथा व्हाइट (Mcintyre & White) ने शिक्षण कौशल की चर्चा करते हुए लिखा है. "शिक्षण कौशल, शिक्षण व्यवहारों से सम्बन्धित वह स्वरूप है जो कक्षा की अन्तःप्रक्रिया द्वारा उन विशिष्ट परिस्थितियों को जन्म देता है जो शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती हैं और छात्रों को सीखने में सुगमता प्रदान करती है।"

(डॉ० कुलश्रेष्ठ 1993) "अतः यह कहा जा सकता है कि शिक्षण कौशल शिक्षक के हाथ में वह शस्त्र है जिसका प्रयोग करके शिक्षक अपने कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली तथा सक्रिय बनाता है तथा कक्षा की अन्तःप्रक्रिया में सुधार लाने का प्रयास करता है।"

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शिक्षण कौशल की विशेषतायें

उपर्युक्त परिभाषाओं के विवेचना के फलस्वरूप शिक्षण कौशल की निम्नांकित विशेषताये दृष्टिगोचर होती है-

  1. शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रियाओं तथा व्यवहारों से सम्बन्धित होते हैं।
  2. शिक्षण कौशल कक्षा शिक्षण व्यवहार की इकाई से सम्बन्धित होते हैं।
  3. शिक्षण कौशल शिक्षा के विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं। 
  4. शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाते हैं।
  5. शिक्षण कौशल के माध्यम से विषय-वस्तु छात्रों को सरलता व सुगमता से सिखा सकते हैं। 
  6. शिक्षण कौशलों से समस्त अन्तक्रिया को सक्रिय बनाया जाता है।

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सूक्ष्म-शिक्षण में शिक्षण कौशल

सूक्ष्म-शिक्षण, शिक्षक कौशल पर आधारित होता है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय तथा कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय ने क्रमश 14 तथा 18 शिक्षण कौशलों की सूची तैयार की है। भारतवर्ष में Centre for Advanced Study in Education (CASE) एम० एस० विश्वविद्यालय बड़ौदा ने 21 शिक्षण कौशलों की सूची तैयार की।

सन 1976 में डॉ० पासी ने 13 शिक्षण कौशल माने जबकि डॉ० जंगीरा ने सन् 1979 में 200 शिक्षण कौशल आवश्यक बताये। डॉ० कुलश्रेष्ठ, डॉ० मिश्रा तथा डॉ० ममगाइन ने सन् 1983 में एक शिक्षक के लिए 15 शिक्षण कौशलों की पहचान की।

प्रो० डी० एलन तथा प्रो० के० रायन ने शिक्षण का विश्लेषण कर निम्नांकित 14 शिक्षण कौशल महत्त्वपूर्ण बताये-

  1. उद्दीपन परिवर्तन (Stimulus Variation);
  2. विन्यास प्रेरणा (Set-Induction),
  3. समापन (Closure),
  4. शिक्षक मौन एवं अशाब्दिक संकेत (Teacher Silences and Non-Verbal Cues).
  5. पुनर्बलन (Reinforcement).
  6. प्रश्न पूछने में गति (Fluency in Asking Questions).
  7. अनुशीलन प्रश्न (Probing Questions) Milt 
  8. विकेन्द्री प्रश्न (Divergent Questions),
  9. व्यवहार की पहचान एवं देखभाल (Recognizing and Attending Behaviour).
  10. दृष्टान्त देना तथा उदाहरणों का प्रयोग करना (Illustrating and Use of Examples)..
  11. व्याख्यान देना (Lecturing), 
  12. उच्च स्तरीय प्रश्न (Higher Order Questions),
  13. नियोजित पुनरावृत्ति (Planned Repetition),
  14. सम्प्रेषण पूर्णता (Completness of Communication) 
इन्दौर विश्वविद्यालय के प्रो० वी० के० पासी ने सूक्ष्म-शिक्षण के अन्तर्गत निम्नांकित 13 शिक्षण कौशलों को महत्त्वपूर्ण बताया- 
  1. अनुदेशन उद्देश्यों को लिखना (Writing Instructional Objectives).
  2. पाठ की प्रस्तावना (Introducting of a Lesson).
  3. प्रश्नों की प्रवाहशीलता (Fluency in Questionning).
  4. अनुशीलन प्रश्न (Probing Questions)
  5. व्याख्या देना (Explaining) 
  6. उदाहरण के साथ दृष्टान्त देना (lifusirating with Examples).
  7. उद्दीपन परिवर्तन (Stimulus Vanation). 
  8. मौन एक अशाब्दिक संकेत (Silence and Non-verval Cues).
  9. पुनर्बलन (Reinforcement);
  10. छात्रों की सहभागिता बढ़ाना (Increasing Student's Participation).
  11. श्यामपट का प्रयोग (Using Blackboard),
  12. समापन की प्राप्ति (Achieving Closure),
  13. व्यवहार की पहचान एवं ध्यान (Recognizing and Auending Behyviour) 
डॉ० एस० पी० कुलश्रेष्ठ, डॉ० बी० के० मिश्रा तथा डॉ० आभा मगाइन ने शिक्षण-प्रक्रिया विश्लेषण कर निम्नांकित शिक्षण कौशलों को ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया-

  1. पाठ प्रस्तावना (Introducing Lesson), 
  2. व्यावहारिक उद्देश्य लिखना (Writing behavioural Objectives),
  3. शिक्षण बिन्दु निकालना (Finding Teaching Points),
  4. प्रश्नों की प्रवाहशीलता (Fluency in Questionning). 
  5. खोजक प्रश्न (Probing Questions),
  6. श्यामपट प्रयोग (Using Chalkboard),
  7. पुनर्बलन (Reinforcement),
  8. व्याख्या करना (Explaining),
  9. उदीपन परिवर्तन (Stimulus Variation). 
  10. सक्रिय शिक्षक कथन देना (Active Teacher Statements).
  11. मूल्यांकन करना (Using Evaluation). 
  12. कक्षा विभिन्नता की अनुरूपता (Caring Class Individual Differences).
  13. प्रभावशाली सम्प्रेषण (Effective Communication).
  14. कक्षा प्रबन्ध (Managing Class).
  15. समापन की प्राप्ति (Achieving Closure)। 

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