सम्प्रेषण का अंग्रेजी शब्द Communication है। यह लैटिन शब्द 'Communico' से बना है। जिसका अर्थ है आपस में बाँटना या वस्तु में साझा करना हिस्सा बाँटना अतः सम्प्रेषण दोतरफा प्रक्रिया है।
मैथ्यूस ने सही कहा है कि "सम्प्रेषण इतना सरल तथा अभिन्न है कि इसे हम साधारण शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते।
व्यावसायिक सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा
सामान्य भाषा में सम्प्रेषण (संचार अथवा सन्देशवाहन) का तात्पर्य उस विचार-विमर्श से है जो किन्हीं दो प्राणियों के मध्य किसी सूचना या जानकारी के लिए होता है जब दो या अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों या तथ्यों का आदान-प्रदान व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है तो संचार का यह रूप ही व्यावसायिक सम्प्रेषण कहलाता है।
सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय का जीवन है। सम्प्रेषण किसी भी व्यक्ति को किसी संगठन में बनाये रख सकता है व बाहर कर सकता है क्योंकि यह किसी भी संगठन की आन्तरिक व बाह्य गतिविधियों की सूचना देता है जो उस संगठन के हिल या अहित में होती हैं। किन्हों भी व्यावसायिक उद्देश्यों को संगठन के सामूहिक प्रयासों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि सम्प्रेषण में व्यक्तियों के बीच तथ्यों, विचारों, अभिमतों या मनोभावों का विनिमय होता है।
आधुनिक विश्व के निरन्तर प्रगतिशील व्यावसायिक परिवेश में सम्प्रेषणको निम्न रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया गया है-
ऑक्सफोर्ड इंगलिश डिक्शनरी के अनुसार- "सम्प्रेषण से आशय विचारों व ज्ञान आदि के विनिमय से है। इसके लिए शब्दों, लेखों या चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
न्यूमर व समर के अनुसार- "सम्प्रेषण के अन्तर्गत एक या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों, विचारों, सभाओं या भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।"
कीथ डेविस के अनुसार- "सम्प्रेषण एक दूसरे के बीच सूचना प्रदान करने व समझने की प्रक्रिया है।"
अमेरिकन प्रबन्ध संगठन के अनुसार- "व्यक्ति के किसी भी व्यवहार का प्रतिफल सूचनाओं के आदान-प्रदान से है।"
थियो हेमैन के अनुसार- "सम्प्रेषण एक दूसरे के मध्य सूचना एवं समझदारी हस्तान्तरित करने की प्रक्रिया है।"
पीटर लिटिल के अनुसार- "सम्प्रेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचनाओं के भेजने से व्यक्तियों या संगठनों के मध्य समझदारी पनप सके।"
एम. डब्ल्यू कमिंग के अनुसार- “सन्देश एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सम्प्रेषण करने की प्रक्रिया का विवेचन करता है सन्देश में तथ्य, विचार, भावनाएँ सलाह आदि सम्मिलित हैं जिससे एक दूसरे के विचारों को आपस में समझ सकें।"
व्यावसायिक सम्प्रेषण सूचना प्रदान करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति, संगठन, उपक्रम तथा प्रबन्ध इत्यादि दूसरे व्यक्ति, संगठन उपक्रम तथा प्रबन्ध को अपने विचार, आदेश, निर्देश, सुझाव तथा शिकायत इत्यादि से अवगत कराता है। यह सूचना प्रदान करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सन्देश प्राप्तकर्ता भी सन्देश को उसी दृष्टिकोण से समझे, जिस दृष्टिकोण से सम्प्रेषक उसे समझाना चाहता है।
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व्यावसायिक सम्प्रेषण की प्रकृति या विशेषताएँ
व्यावसायिक सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय का प्रमुख हिस्सा है। बगैर इसके किसी भी व्यवसाय को उत्कृष्टता पर ले जाना एक कठिन व दुष्कर कार्य है। व्यावसायिक सम्प्रेषण की प्रकृति को निम्नलिखित बिन्दुओं में बतलाया गया है-
1. सम्प्रेषण में कम से कम दो व्यक्ति होते हैं
सम्प्रेषण में कम से कम दो व्यक्ति यथा एक सम्प्रेषक व एक प्राप्तकर्ता होते हैं। सम्प्रेषक को संचारक व प्राप्तकर्ता को सम्प्रेषणग्राही कहते हैं वह व्यक्ति जो बोलता, लिखता या दिशा-निर्देश देता है वह सम्प्रेषक और जो व्यक्ति इन सन्देशों को सुनता है, प्राप्त करता है उसे सम्प्रेषणग्राही कहा जाता है।
2. इसमें सन्देश अत्यन्त आवश्यक है
सम्प्रेषण में सन्देश एक महत्वपूर्ण तत्व है; जैसे- भाषण,आदेश, निर्देश या सुझाव आदि। एक सम्प्रेषण अनिवार्यतः कुछ सन्देश देता है,यदि सन्देश नहीं है तो सम्प्रेषण असम्भव है।
3. सम्प्रेषण लिखित / मौखिक / भाव भंगिमा स्वरूप हो सकता है
सम्प्रेषण सामान्यतः बोलने लिखने के रूप में होता है परन्तु इसकेअतिरिक्त इसमें होठों आँखों हाथों का विक्षेप भी महत्वपूर्ण है। अतः सम्प्रेषण मौखिक /लिखित/ अंग विक्षेपी होता है।
4. सम्प्रेषण औपचारिक/अनौपचारिक होता है
एक संगठन की संरचना के आधार पर सम्प्रेषण औपचारिक व अनौपचारिक हो सकता है।
5. सम्प्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है सम्प्रेषण
द्विमागी प्रक्रिया है, क्योंकि इसके अन्तर्गत सूचना प्रेषणकर्ता से सूचना ग्राही तक प्रतिपुष्टि के साथ प्रेषित होती है।
6. सम्प्रेषण सतत् प्रक्रिया है
सम्प्रेषण एक सतत् प्रक्रिया है। इसमें किसी भी दशा में किसी प्रकार का अवरोध नहीं होता। इसमें प्रयासों की एक श्रृंखला की आवश्यकता होती है जिससे आवश्यक प्रतिफल को प्राप्त किया जा सके।
7. सम्प्रेषण अल्प सन्दर्शी प्रक्रिया है
एकल सम्प्रेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूचना ग्राही यदि उतनी ही प्रवणता से सूचना प्राप्त करे और उतनी ही तीव्रता से प्रतिपुष्टि करे तो इस पूरी प्रक्रिया में अल्प समय लगता है।
8. सम्प्रेषण में उचित माध्यम की आवश्यकता
सम्प्रेषण के लिए माध्यम का चयन अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है सम्बन्धित सन्देश के लिए उचित माध्यम का प्रयोग किया जाये, जो सन्देश को विषय-वस्तु से मेल खाता हो, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सन्देश स्पष्ट व शुद्ध होना अनिवार्य है।
9. सम्प्रेषण बौद्ध क्षमता के सेतु की तरह होता है
सम्प्रेषण तथ्यों व अनुभवों के हस्तान्तरण से सम्बन्धित है व एक शोर-रहित सम्प्रेषण सूचनाग्राही व प्रेषणकर्ता के मध्य भ्रम को दूर करता है और सूचनावादी व प्रेषणकर्ता के मध्य बौद्ध क्षमता के सेतु की तरह कार्य करता है।
10. सम्बन्ध विकसित करने का यन्त्र
सम्प्रेषण व्यवसाय के लिए सम्बन्धों को स्थापित विकसित व प्रबल बनाने का एक यन्त्र है।
अतः स्पष्ट है कि सम्प्रेषण एक दूसरे तक सूचना पहुँचाने के साधन के साथ-साथ इनके मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया है जिसमें आदेश, निर्देश, सुझाव, शिकायत व वैचारिक विचार-विमर्श समाहित हैं। साथ ही साथ इस प्रक्रिया में निरन्तरता होने के साथ-साथ प्रतिक्रिया जानने की क्षमता भी होती है।
सम्प्रेषण का महत्व
सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय की जीवन धारा है। कोई भी व्यवसाय सम्प्रेषण के बगैर सम्भव नहीं है कीथ डेविस के शब्दों में, “संगठनों का सम्प्रेषण के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। अतः यह कहना उचित है कि एक व्यवसाय के लिए सम्प्रेषण का उतना ही महत्व है जितना कि व्यक्ति के लिए रक्त संचार का है।"
व्यवसाय में सम्प्रेषण निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है-
1. व्यवसाय के सुचारु व कुशल संचालन हेतु आवश्यक
सम्प्रेषण किसी संगठन की सुचार व कुशल रूप से क्रियाशीलता हेतु आवश्यक है। यह एक व्यवसाय को प्रभावी व गतिशील बनाता है, क्योंकि उपक्रम को विभिन्न विभागों में समन्वय व उत्पादन के सतत् विक्रय को प्रत्येक स्तर पर प्रभावी सम्प्रेषण की आवश्यकता होती है, अतः बिना सम्प्रेषण के व्यवसाय सदैव असफल होगा।
2. प्रभावपूर्ण नेतृत्व हेतु आवश्यक
सम्प्रेषण कुशलता किसी नेतृत्व शक्ति की पूर्व अनिवार्य शर्त है। यह प्रभाव उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया है। एक सम्प्रेषण मैं दक्ष प्रबन्धक अपने कर्मचारियों का असली नेता होता है। एक अच्छे सम्प्रेषण निकाय में व्यक्ति एक-दूसरे के अत्यन्त निकट होता है और उनकी आपसी गलतफहमियाँ दूर हो जाती हैं सम्प्रेषण जितना अधिक प्रभावपूर्ण व शीघ्र होगा नेता उतना ही प्रभावशाली व अच्छे तरीके से अपने निर्णयों, भावनाओं व विचारों तथा सुझावों को अपने कर्मचारियों तक पहुँचाने में सफल होता है।
3. समन्वय क्षमता का विकास
सम्प्रेषण व्यक्तियों में सहयोग व समन्वय क्षमता का विकास करता है, आपस में सूचनाओं व विचारों का आदान-प्रदान करता है व उनकी एकता व क्रियाशीलता को बढ़ाता है, क्योंकि एक उपक्रम में विभिन्न विभाग होते हैं जो अपनी-अपनी विशिष्ट क्रियाएँ अपने विभाग में संचालित करते हैं। प्रत्येक विभाग अपने सभी विभागीय कार्य के लिए स्वतन्त्र होता है व उच्च प्रबन्ध के निर्देश में समस्त विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करता है। सम्प्रेषण के बिना एकता व क्रियाशीलता का होना असम्भव है।
4. प्रबन्धन क्षमता बढ़ाने में सहायक
सम्प्रेषण त्वरित व व्यक्तिगत निष्पादन प्रबन्धक के लिए अनिवार्य है, क्योंकि सम्प्रेषण के द्वारा ही प्रबन्धन अपने लक्ष्य, उद्देश्यों व दिशा-निर्देशों, रोजगार व जिम्मेदारियों के निर्वहन को व्यवस्था के साथ अपने कर्मचारियों के व्यवहार का निरीक्षण व मूल्यांकन करता है। आज सम्प्रेषण एक सफल प्रबन्धन का आवश्यक तत्व बन गया है।
6. योजना में सहायक
एक प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण सदैव एक संगठन की योजना व क्रियाशीलता में सहायक होता है। किसी योजना को क्रियाशील करने व योजना के निर्धारित लक्ष्यों व उद्देश्यों को प्राप्त करने में सम्प्रेषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
6. जनसम्पर्क में सहायक
आज प्रत्येक व्यावसायिक संगठन के लिए यह आवश्यक है कि वह समाज में अपना स्थान बनाये। समय के बदलाव के साथ- साथ जनसम्पर्क के अर्थों में भी बदलाव आया है निगम, अर्द्धशासी संस्थान या उपक्रम, उद्योग में जनसम्पर्क के महत्व को समझा जा रहा है। आज जनसम्पर्क कार्यकर्ता प्रत्येक विभागों में देखे जा सकते हैं। स्पष्ट है सम्प्रेषण इस हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
7. प्रतियोगी सूचना प्राप्ति में सहायक
आधुनिक व्यवसाय प्रकृति से प्रतिस्पद्धी है। प्रतिस्पद्धों की चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक-से-अधिक सूचनाओं की प्राप्ति अनिवार्य है। अतः आवश्यक है कि उपयोगी सूचनाओं को प्राप्त कर न केवल सम्बन्धित व्यक्ति तक पहुँचाया ही जाये, बल्कि प्रतिस्पर्द्धा की चुनौतियों से निपटने के लिए सही कदम उठाया जाये।
8. व्यवसाय सन्तुष्टि द्वारा उच्च उत्पादकता की प्राप्ति
सम्प्रेषण के माध्यम से व्यवसाय सन्तुष्टि की भावना विकसित होती है जिसका परिणाम संगठन के कर्मियों द्वारा उच्च उत्पादकता के परिणाम के रूप में परिलक्षित होता है,क्योंकि सम्प्रेषण के माध्यम से ही व्यक्ति अपने व्यवसाय भूमिका और प्रवणता व सम्भावनाओं के बारे में बता सकते हैं। यदि सम्प्रेषण असफल होता है तो एक संगठन कर्मियों की सन्तुष्टि का स्तर गिरता है. जिससे उनकी उत्पादकता प्रभावित होती है।
9. भारार्पण व विकेन्द्रीकरण
बृहद् व्यापक संगठन में उच्च प्रबन्धक समस्त कार्यों को स्वयं नहीं कर सकते इसलिये उन्हें भारार्पण व विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है तथा प्रभावी सम्प्रेषण की सहायता से ही भारार्पण व विकेन्द्रीकरण सफल हो सकता है।
10. प्रजातान्त्रिक प्रबन्ध व्यवस्था
किसी व्यवसाय मैं कार्यरत प्रत्येक व्यक्ति प्रबन्ध में भागीदारी चाहता है व एक कुशल प्रबन्धक ही अपने अधीनस्थों के लिये इस प्रकार का वातावरण निर्मित करता है जिससे वे अधिकाधिक रूप से प्रबन्धकीय निर्णयों में भागीदार हो। इसमें प्रभावी सम्प्रेषण की अहम् भूमिका होती है जिससे कर्मचारी व प्रबन्धक के मध्य निरन्तर सम्पर्क बना रहता है।
अतः स्पष्ट है कि "सम्प्रेषण को परिवर्तन प्रक्रिया में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि संगठन के कर्मचारी अनुकूल वास्तविक सूचनाओं से परिपूर्ण होते हैं तो उनमें आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न होती है। अतः अनुकूल सम्प्रेषण और कर्मियों का अनुकूल व्यवहार एक संगठन को सफलता का एकमात्र यन्त्र है। अतः उचित व प्रभावी सम्प्रेषण की प्राप्ति संगठन की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।"