'एजूकेशनल टेक्नॉलॉजी' (Educational Technology) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- एक 'एजूकेशन' और दूसरा, 'टेक्नॉलॉजी'। सर्वप्रथम हम एजूकेशन या शिक्षा का अर्थ देखेंगे, फिर टेक्नॉलॉजी का, और इसके आधार पर इस विषय को परिभाषित करने का प्रयत्न करेंगे।
शिक्षा क्या है ?
शिक्षा की उत्पत्ति 'शिक्ष' धातु से हुई है। जिसका अर्थ है-विद्या प्राप्त करना। दूसरे शब्दों में. ज्ञानार्जन या विद्या प्राप्ति के माध्यम से संस्कारों एवं व्यवहारों का निर्माण करना ही शिक्षा कहलाता है। शिक्षा, लैटिन भाषा के शब्द 'एडूकेटम' (Educatum) का पर्याय है, जिसका अंग्रेजी में Education पर्याय शब्द है।
इसका अर्थ है-'शिक्षण की कला'। Universal Dictionary of English Language के अनुसार शिक्षा से तात्पर्य है-
(1) शिक्षित करना, प्रशिक्षण देना,
(2) मस्तिष्क तथा चरित्र का विकास करना, तथा
(3) किसी विशेष राज्य की शिक्षा-व्यवस्था। ये सभी शब्द शिक्षा के विभिन्न अभिप्रायों तथा शैक्षणिक क्रिया-प्रक्रियाओं की ओर संकेत करते हैं। शिक्षा बालक को नये-नये अनुभव प्रदान कर उसे इस योग्य बनाती है कि वह अपने वातावरण में समायोजित होकर अपनी शक्तियों तथा निहित योग्यताओं का पूर्ण विकास कर, योग्यतानुसार अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र को किसी विशिष्ट क्षेत्र में योगदान कर सके।
शिक्षा से तात्पर्य बालक के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाना है। शिक्षा से बालक की मूलप्रवृत्तियां परिमार्जित होती है। मूलप्रवृत्तियों के परिमार्जन में मनोविज्ञान, तकनीकी तथा विज्ञान अपना प्रभावपूर्ण योगदान शिक्षा के क्षेत्र में प्रदान करता है।
अतः शिक्षा स्वयं में एक आत्मनिर्भर (Independent) प्रत्यय नहीं है वरन यह तकनीकी विज्ञान से सम्बन्धित है। तकनीकी विज्ञान बालकों के व्यवहार के अध्ययन में शिक्षा की मदद करता है और साथ ही उनमें परिमार्जन तथा संशोधन के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
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तकनीकी क्या है ?
तकनीकी या तकनीकी विज्ञान अंग्रेजी के Technology शब्द का पर्याय है। तकनीकी का अर्थ है- दैनिक जीवन में वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग करने की विधियां प्रो० गालब्रेथ (Golbraith) के अनुसार: तकनीकी (Technology) की दो प्रमुख विशेषताएँ है-
(1) Systematic application of scientific or other organized knowledge to practical tasks.
(2) Forming the division and sub-division of any such task into its component parts.
जैकोटा ब्लूमर महोदय: ने सन् 1973 में तकनीकी की परिभाषा निम्न प्रकार दी- "Technology is the application of scientific theory to practical ends".
अतः यह कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक व्यवस्थाओं तथा प्रविधियों का प्रयोगात्मक रूप ही तकनीकी या तकनीकी विज्ञान है। 'तकनीकी' शब्द को अधिकतर 'मशीन' या मशीन सम्बन्धी प्रत्ययों से साधारणत: लोग जोड़ते हैं। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि 'तकनीकी' में मशीन या मशीनरी का प्रयोग किया ही जाय। इसका तात्पर्य तो किसी भी प्रयोगात्मक कार्य से है, जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान या सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाय।
यह ग्रीक शब्द 'Technikos' से निकला है, जिसका अर्थ है-कला। इसका पर्याय लैटिन भाषा का शब्द 'Texere' है, जिसका अभिप्राय बुनने तथा निर्माण करने (Weave or construct) से होता है।
डॉ० दास के अनुसार- "Any system of interrelated parts which are organized in a scientific manner as to attain some desired objective could be called technology."
शैक्षिक तकनीकी की परिभाषाएँ तथा प्रकृति
(A) एकांगी परिभाषाएँ
शैक्षिक तकनीकी की विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न प्रकार से परिभाषायें दी है। कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ नीचे वर्णित की जा रही है। ये परिभाषाएँ शैक्षिक तकनीकी के अर्थ एवं स्वरूप को समझने में सहायता प्रदान करती है।
(1) जैकोटा ब्लूमर (Jacquetta Bloomer, 1973)- 'शैक्षिक तकनीकी को व्यावहारिक अधिगम की परिस्थितियों में वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान का विनियोग कहा जाता है।"
(2) रिचमण्ड (Richmnand. 1970)- "शैक्षिक तकनीकी सीखने की उन परिस्थितियों की समुचित व्यवस्था को प्रस्तुत करने से सम्बन्धित है जो शिक्षण एवं परीक्षण के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अनुदेशन को सीखने का उत्तम साधन बनाती है।"
(3) रॉबर्ट ए० कॉक्स (Robert A. Cox, 1970)- मानव की सीखने की परिस्थितियों में वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।"
(4) डीसीको (Dececco)- ''सीखने के मनोविज्ञान का व्यावहारिक शैक्षिक समस्याओं पर गहन विनियोग शैक्षिक तकनीकी है।"
(5) रॉबर्ट एम० गेने (Robert M. Gagne)- "शैक्षिक तकनीकी से तात्पर्य है कि व्यावहारिक ज्ञान की सहायता से सुनियोजित प्रविधियों का विकास करना, जिससे विद्यालयों की शैक्षिक प्रणाली के परीक्षण तथा शिक्षा कार्य की व्यवस्था की जा सके।"
(6) एस० एस० कुलकर्णी (S.S. Kulkarni, 1966)- "तकनीकी तथा विज्ञान के आविष्कारों तथा नियमों का शिक्षा की प्रक्रिया में प्रयोग को ही शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।"
उपर्युक्त सभी परिभाषाओं की विवेचना करने पर स्पष्ट होता है कि ये सभी परिभाषायें एकांगी है। कोई परिभाषा शैक्षिक तकनीकी के किसी पहलू पर प्रकाश डालती है और कोई परिभाषा किसी दूसरे पहलू को उजागर करती है। अतः इन परिभाषाओं में व्यापकता (Comprehensiveness) के गुण काअभाव है।
(B) शैक्षिक तकनीकी की ग्राह्य परिभाषाएँ
इस श्रेणी में लीथ, साकामातो तथा शिव के० मित्रा की परिभाषाएँ वर्गीकृत की जा सकती है-
(1) जी० ओ० एम० लीथ (G.O.M. Leith)- "शैक्षिक तकनीकी सीखने और सिखाने की दिशाओं में वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग है, जिसके द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण की प्रक्रिया की प्रभावपूर्णता एवं दक्षता का विकास कर उसमें सुधार लाया जाता है।"
(2) तक्शी साकामाटो (Takshi Sakamato, 1971)- "शैक्षिक तकनीकी वह व्यावहारिक या प्रयोगात्मक अध्ययन है जिसका उद्देश्य कुछ आवश्यक तत्वों, जैसे- शैक्षिक उद्देश्य, पाठ्य वस्तु, शिक्षण सामग्री, शिक्षण विधि, वातावरण, विद्यार्थियों व निर्देशकों का व्यवहार तथा उनके मध्य होने वाली अन्तः प्रक्रिया को नियन्त्रित करके अधिकतम शैक्षिक प्रभाव उत्पन्न करना है।"
(3) शिव के. मित्रा (Shiv K. Mitra)- "शैक्षिक तकनीकी को उन पद्धतियों तथा प्रविधियों का विज्ञान माना जा सकता है जिनके द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।"
(C) शैक्षिक तकनीकी की कार्यात्मक परिभाषा
हेडान (E.E. Hadden) की परिभाषा कार्यात्मक परिभाषा कही जाती है। इसमें शैक्षिक तकनीकी के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों ही पक्षों को समावेशित किया गया है।
हेडान के अनुसार- शैक्षिक तकनीकी, शैक्षिक सिद्धान्त एवं व्यवहार की वह शाखा है जो मुख्यतः सूचनाओं के उपयोग एवं योजनाओं से सम्बन्धित होती है और सीखने की प्रक्रिया पर नियन्त्रण रखती है।
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम निम्नांकित निष्कर्षो पर पहुँचते है-
(1) विज्ञान, शैक्षिक तकनीकी का आधारभूत विषय है।
(2) शैक्षिक तकनीकी शिक्षा पर विज्ञान तथा तकनीकी के प्रभाव का अध्ययन करती है।
(3) शैक्षिक तकनीकी में व्यावहारिक पक्ष को महत्व दिया जाता है।
(4) शैक्षिक तकनीकी निरन्तर विकासशील विषय है।
(5) इसका उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया में विकास करना है।
(6) यह मनोविज्ञान, इन्जीनियरिंग आदि विज्ञानों से सहायता लेती है।
(7) इसमें क्रमबद्ध उपागम (Systematic Approach) को प्रधानता दी जाती है।
(8) इसमें शिक्षक, छात्र तथा तकनीकी प्रक्रियायें एक साथ समावेशित रहती है।
(9) शैक्षिक तकनीकी के विकास के फलस्वरूप शिक्षण में नवीन शिक्षण विधियों तथा नव शिक्षण- तकनीकियों का प्रवेश हो रहा है।
(10) यह शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अधिगम परिस्थितियों में आवश्यक परिवर्तन लाने में समर्थ
(11) शैक्षिक-तकनीकी, शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक तथा तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप उपकरणों के निर्माण में सहायता प्रदान करती है।
उपर्युक्त परिभाषाओं तथा विशेषताओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि शैक्षिक तकनीकी अति विस्तृत शब्द है। इसका तात्पर्य सम्पूर्ण शैक्षिक प्रक्रिया को योजनाबद्ध कर, कार्यान्वित करने में वैज्ञानिक सिद्धान्तों को प्रयोग में लाना है। डॉ० आनन्द (1996) के शब्दों में इसमें वह बात शामिल है। जिसकी सहायता से शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार लाने का प्रयास किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी, शिक्षण, प्रशिक्षण तथा शिक्षा की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण क्रियाओं से सम्बन्धित है-जैसे अनुदेशात्मक उद्देश्यों को निर्धारित करना, अधिगम सम्बन्धी वातावरण की योजना बनाना, शिक्षण एवं अधिगम सामग्री को तैयार करना, शिक्षण हेतु उपयुक्त युक्तियों तथा अधिगम के माध्यमों का चयन करना एवं शिक्षण तथा अधिगम प्रणालियों का मूल्यांकन करना इत्यादि ।
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शैक्षिक तकनीकी की मान्यतायें
शैक्षिक तकनीकी निम्नांकित मान्यताओं पर आधारित है-
(1) प्रत्येक मानव, मशीन की नीति कार्य करता है अतः शिक्षा के क्षेत्र में मानव व्यवहार में परिमार्जन तथा परिष्करण हेतु इसके वैज्ञानिक सिद्धान्तों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है।
(2) शिक्षण कला तथा विज्ञान दोनों ही है। अतः शिक्षण का विश्लेषण किया जा सकता है तथा शिक्षण को इसके छोटे-छोटे तथ्यों, तत्वों एवं अवयवों में विभाजित किया जा सकता है। फिर बाद में इन तथ्यों, तत्वों एवं अवयवों का भी गहन प्रेक्षण, निरीक्षण तथा अध्ययन सम्भव है। अतः शैक्षिक तकनीकी, वैज्ञानिक उपागमों पर आधारित है।
शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग को प्रभावित करने वाले कारक
शैक्षिक तकनीकी के उपयोगों को प्रभावित करने वाले अनेक महत्त्वपूर्ण कारक हैं, जिनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण कारक निम्न चित्र द्वारा प्रदर्शित किये जा रहे हैं-
राजनैतिक कारक
किसी भी राष्ट्र में शैक्षिक तकनीकी का विकास अनेक कारकों पर निर्भर रहता है। इन कारकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-राजनैतिक कारक । राजनैतिक कारकों से तात्पर्य है वे कारक जो राष्ट्र की राजनीतिक परिस्थितियों, राजनीतिक नीतियों तथा वैज्ञानिक अन्वेषणों एवं राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति से सम्बन्धित होते है। देश में जो भी सरकार है उसकी नीति शैक्षिक तकनीकी के विकास के क्षेत्र में कैसी है। यदि शासन करने वाली पार्टी को लगता है कि किन्हीं तकनीकी विशेष के प्रयोग से उन्हें ज्यादा लाभ सम्भव है तो वह उनके विकास के लिये भरपूर प्रयास करेगी।
अतः कहा जा सकता है कि शैक्षिक तकनीकी पर राजनीतिक कारकों का पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। टेलीविजन तथा दूरसंचार के क्षेत्र में छुपे अभिनव प्रयोगों में तथा उनके प्रचार-प्रसार में राजनीतिक कारकों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण हाथ रहा है।
मनोवैज्ञानिक कारक
मनोवैज्ञानिक कारकों के अन्तर्गत शिक्षकों. छात्रों तथा शिक्षालयों की रुचि, स्तर, प्रवृत्तियों आदि का समावेशन होता है। शिक्षकों की अभिप्रेरणा, सीखने-सिखाने की इच्छा-शक्ति, ध्यान एवं रुचि आदि का प्रभाव मनोवैज्ञानिक कारकों के अन्तर्गत समावेशित होते हैं।
शिक्षकों एवं छात्रों की शैक्षिक तकनीकी में व्यक्तिगत रुचि, अभिरुचि अभिवृत्ति एवं प्रयासों पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यदि शिक्षा के ये दोनों अंग शैक्षिक तकनीकी का नवीनतम ज्ञान एवं सूचनायें रखते हैं, उन्हें प्रयोग करने के लिये उचित प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, उनके उपयोग के लिये विभिन्न स्थानीय एवं अन्य स्रोतों का भरपूर लाभ उठा सकते हैं तथा अपने विद्यालयों के परिवेश में सही प्रकार से उपयोग करने के लिये सहज स्थिति पाते है तो शैक्षिक तकनीकी शिक्षा के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
शैक्षिक कारक
ये कारक मनोवैज्ञानिक कारकों के साथ काफी प्रभावशाली सिद्ध होते हैं। शैक्षिक कारकों में शिक्षकों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण मुख्य कारक है। यदि शिक्षकों को शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्र में उचित स्तर का सुनियोजित प्रशिक्षण प्रदान किया जाये तो ये शिक्षक शैक्षिक तकनीकी के विकास में मील के पत्थर सिद्ध हो सकते हैं। ये शिक्षक शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न उपागमों का प्रयोग करने के लिये प्रयोगशाला का कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं। ये नवीन प्रयोग, परिष्करण तथा अन्वेषण का कार्य प्रभावशाली ढंग से कर नवीन खोजों एवं नवीन आयामों को प्रभावशाली नेतृत्व एवं स्वस्थ दिशा देने में समर्थ हो सकती है।
आर्थिक कारक
शैक्षिक तकनीकी के विकास में आर्थिक कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। किसी भी प्रयोग, अन्वेषण तथा खोज की रीढ़ 'धन' होता है। बिना समुचित धन के किसी भी तकनीकी का विकास, प्रसार तथा प्रशिक्षण सम्भव नहीं।
शैक्षिक तकनीकी में श्रव्य दृश्य साधनों तथा अन्य उपकरणों के लिये तथा शैक्षिक तकनीकी की प्रयोगशाला निर्माण करने के लिये भी आर्थिक अनुदान चाहिये। बिना अर्थ के न तो उपकरण खरीदे जा सकते हैं और न ही प्रयोग हो सकते हैं और न ही किसी प्रकार के परिष्करण व अन्वेषण का कार्य सम्भव है।
सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक
समाज एवं संस्कृति शिक्षा का दर्पण है। जैसा समाज होगा, जैसी संस्कृति होगी वैसी ही वहाँ की शिक्षा होगी। यदि समाज में शैक्षिक तकनीकी के प्रति जागरुकता है, वांछित नेतृत्व का बोलबाला है तथा संस्कृति की नस-नस में तकनीकी का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है तो निःसंदेह शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्र में भी भविष्य उज्ज्वल रहेगा। तभी विद्यालय परिवेश को तकनीकी जामा पहनाने के लिये समाज के लोगों का अभिभावकों का, तथा शिक्षा-विशेषज्ञों का दबाव पड़ेगा। फलस्वरूप शिक्षा के मन्दिर में शैक्षिक तकनीकी अपनी प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगी।
समाज एवं संस्कृति में वैज्ञानिक अवधारणा यदि व्याप्त है तो शैक्षिक मन्दिरों में भी छात्र, शिक्षक, अभिभावक, वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षेत्र में सफलता के कदम चूम सकेंगे तभी शैक्षिक तकनीकी अपने शिखरीय स्थान पर पहुँच सकेगी।
तकनीकी कारक
तकनीकी के क्षेत्र में जो भी नवीनतम खोजें, अन्वेषण तथा आविष्कार हो रहे है-उनका प्रयोग शिक्षा व शिक्षण के क्षेत्र में किया जा रहा है तकनीकी के क्षेत्र में जितनी अधिक प्रगति हो रही है उतना ही शैक्षिक तकनीकी का विज्ञान उन्नत और समृद्ध हो रहा है। तकनीकी क्षेत्र में किये गये प्रयोग, आज शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के लिये अत्यन्त उत्सुकता एवं जिज्ञासा के साधन बनते जा रहे हैं। इन प्रयोगों एवं परीक्षणों का मूल्यांकन कर उनमें वांछित परिवर्तन संशोधन तथा परिमार्जन कर उन्हें शिक्षण के क्षेत्र के उपयुक्त बनाने के लिये शैक्षिक तकनीशीयन अनवरत प्रयास कर रहे हैं। जैसे-जैसे तकनीकी के क्षेत्र में क्रान्ति आ रही है. वैसे-वैसे ही शैक्षिक तकनीकी में परिवर्तन आ रहे हैं।
अतः कहा जा सकता है कि शैक्षिक तकनीकी की प्रगति को प्रभावित करने में राष्ट्र की राजनैतिक स्थिति, आर्थिक स्तर, वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण तथा शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक कारक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।