सेल्युलर शब्द अंग्रेजी के 'सेल' शब्द से बना है। इसे कोशिका कहा जाता है। इन्हीं सैल कोशिकाओं के माध्यम से सेल्युलर फोन्स कार्य करते हैं। इसे मोबाइल (Mobile) भी कहा जाता है क्योंकि यह एक छोटा-सा यन्त्र है जिसे आसानी से जेब में रखा जा सकता है और प्रयोगकर्ता आसानी से कहीं भी ले जा सकता है। सेल्युलर फोन हैंडसेट के अन्दर एक एफ. एम. ट्रॉन्समीटर होता है जो शब्द की आवृत्ति को घटा-बढ़ाकर संकेत में बदलकर प्रसारित करता है।
यद्यपि सेल्युलर फोन पद्धति मुख्यतः मौखिक सम्प्रेषण का एक प्रारूप है। इसका प्रयोग बड़ी आसानी से कार (वाहनों) व देश के किसी भी हिस्से में जहाँ इस संचार प्रणाली की सुविधा है, आसानी से किया जा सकता है। यह 'समय प्रबन्धन' (Time Management) का एक प्रमुख यन्त्र है क्योंकि इसके माध्यम से एक व्यवसायी अपने कीमती समय को अधिक उत्पादक बना सकता है।
जब संचार की सामान्य सम्प्रेषण प्रणालियाँ खराब हो जाती हैं, विशेष तौर पर प्राकृतिक आपदा (बाढ़, भूकम्प के समय) की स्थिति में सेल्युलर फोन पद्धति एक वरदान है। सेल्युलर फोन पद्धति उन व्यवसायियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है जो अपने व्यवसाय को निरन्तर गति देने के लिए यात्रा करते हैं। यह उस स्थिति में भी उपयोगी है जब किसी कारणवश हमारे टेलीफोन खराब हो जाते हैं और हम अपने को असहाय समझते हैं।
सेल्युलर फोन के लाभ (Advantages of Cellular Phones)
सेल्युलर फोन के निम्नलिखित लाभ हैं-
1. सेल्युलर फोन का प्रयोग वाहन अथवा यात्रा करते समय या सुदूर क्षेत्रों में सेल्युलर फोनधारक द्वारा आसानी से किया जा सकता है।
2. सेल्युलर फोन प्राकृतिक आपदा की स्थिति में जब भूकम्प या बाढ़ के कारण हमारी तारों पर आधारित सामान्य संचार प्रणाली खराब हो जाती है, तब अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है।
3. सेल्युलर फोन का प्रयोग दूसरे सेल्युलर फोन अथवा परम्परागत तारों पर आधारित टेलीफोन पर वार्ता सम्भव होती है।
4. सेल्युलर फोन किसी देश के गाँवों के क्षेत्रीय विस्तार के कारण अधिक महत्वपूर्ण है।
5. सेल्युलर फोन 'समय प्रबन्धन' हेतु महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा समय प्रबन्धन कर अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकता है।
सेल्युलर फोन से हानि / सीमाएँ (Limitations / Disadvantages of Cellular Phones)
सेल्युलर फोन की निम्नलिखित हानियाँ हैं-
1. सेल्युलर फोन पर सम्प्रेषक व सम्प्रेषणग्राही दोनों को ही शुल्क देना होता है। इस कारण यह एक महँगा यन्त्र है।
2. सेल्युलर फोन के नम्बर अत्यधिक लम्बे होते हैं विशेषकर भारतीय परिप्रेक्ष्य में सेल्युलर फोन का नम्बर कम से कम 10 अंकों का होता है, अत: इसे याद रखने/लिखने में असुविधा महसूस होती है।
3. सेल्युलर फोन अत्यन्त छोटा होता है और इसे कहीं भी आसानी से जेब में रखकर ले जाया जा सकता है। अतः इस कारण से इसके खो जाने का भय सदैव बना रहता है।
4. सेल्युलर फोन्स का गलत प्रयोग (विशेष रूप से वाहन चलाते समय) अन्य को असुविधा व किसी बड़ी दुर्घटना को जन्म देता है।