व्यावसायिक सम्प्रेषण का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति, विशेषताएं एवं उद्देश्य-in hindi

 सम्प्रेषण का अंग्रेजी शब्द Communication है। यह लैटिन शब्द 'Communico' से बना है जिसका अर्थ है आपस में बाँटना या वस्तु में साझा करना, हिस्सा बाँटना। अतः सम्प्रेषण दोतरफा प्रक्रिया है।

मानव विकास यात्रा के साथ-साथ सम्प्रेषण का स्वरूप व प्रकार बदलता गया। व्यक्ति की असीमित आवश्यकताओं ने सम्प्रेषण की आवश्यकता को जन्म दिया। प्राचीन सम्प्रेषण माध्यमों-लकड़ी व पत्तों के प्रयोग से लेकर भाषा, लिपि, प्रिन्टिंग प्रेस, रेडियो, फिल्म, दूरभाष, टेलीविजन, सेटेलाइट या उपग्रह, इण्टरनेट, मोबाइल तक का सफर मनुष्य की असीमित आवश्यकता का ही परिणाम है।

 पृथ्वी पर रहने वाला प्रत्येक प्राणी सम्प्रेषण प्रक्रिया का प्रयोग करता है, परन्तु मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अच्छे व प्रभावी ढंग से अपनी किसी भी बात को सम्प्रेषित कर पाने में सक्षम है। 

मैथ्यूस: ने सही कहा है कि "सम्प्रेषण इतना सरल तथा अभिन्न है कि इसे हम साधारण शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते।"

व्यावसायिक सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा

सामान्य भाषा में सम्प्रेषण (संचार अथवा सन्देशवाहन) का तात्पर्य उस विचार-विमर्श से हैं जो किन्हीं दो प्राणियों के मध्य किसी सूचना या जानकारी के लिए होता है। जब दो या अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों या तथ्यों का आदान-प्रदान व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है तो संचार का यह रूप ही व्यावसायिक सम्प्रेषण कहलाता है।

सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय का जीवन है। सम्प्रेषण किसी भी व्यक्ति को किसी संगठन में बनाये रख सकता है व बाहर कर सकता है क्योंकि यह किसी भी संगठन को आन्तरिक व बाह्य गतिविधियों की सूचना देता है जो उस संगठन के हित या अहित में होती है। 

किन्हीं भी व्यावसायिक उद्देश्यों को संगठन के सामूहिक प्रयासों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि सम्प्रेषण में व्यक्तियों के बीच तथ्यों, विचारों, अभिमतों या मनोभावों का विनिमय होता है। आधुनिक विश्व के निरन्तर प्रगतिशील व्यावसायिक परिवेश में सम्प्रेषण को निम्न रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया गया है—-

1. ऑक्सफोर्ड इंगलिश डिक्शनरी के अनुसार- "सम्प्रेषण से आशय विचारों व ज्ञान आदि के विनिमय से है। इसके लिए शब्दों, लेखों या चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। " 

2. न्यूमर व समर के अनुसार- "सम्प्रेषण के अन्तर्गत एक या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों, विचारों, सभाओं या भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।

3. कीथ डेविस के अनुसार- "सम्प्रेषण एक-दूसरे के बीच सूचना प्रदान करने व समझने की प्रक्रिया है।

4. अमेरिकन प्रबन्ध संगठन के अनुसार- “व्यक्ति के किसी भी व्यवहार का प्रतिफल सूचनाओं के आदान-प्रदान से है। "

 5. थियो हेमैन के अनुसार- "सम्प्रेषण एक-दूसरे के मध्य सूचना एवं समझदारी हस्तान्तरित करने की प्रक्रिया है।"

6. पीटर लिटिल के अनुसार- "सम्प्रेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचनाओं के भेजने से व्यक्तियों या संगठनों के मध्य समझदारी पनप सके।"

7. एम. डब्ल्यू, कमिंग के अनुसार- "सन्देश एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सम्प्रेषण करने की प्रक्रिया का विवेचन करता है। सन्देश में तथ्य, विचार, भावनाएँ, सलाह आदि सम्मिलित है। जिससे एक-दूसरे के विचारों को आपस में समझ सकें।

"व्यावसायिक सम्प्रेषण सूचना प्रदान करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति, संगठन, उपक्रम तथा प्रबन्ध इत्यादि दूसरे व्यक्ति, संगठन उपक्रम तथा प्रबन्ध को अपने विचार, आदेश, निर्देश, सुझाव तथा शिकायत इत्यादि से अवगत कराता है। यह सूचना प्रदान करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सन्देश प्राप्तकर्ता भी सन्देश को उसी दृष्टिकोण से समझे, जिस दृष्टिकोण से सम्प्रेषक उसे समझाना चाहता है।"

व्यावसायिक सम्प्रेषण की प्रकृति या विशेषताएँ 

व्यावसायिक सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय का प्रमुख हिस्सा है। बगैर इसके किसी भी व्यवसाय को उत्कृष्टता पर ले जाना एक कठिन व दुष्कर कार्य है। व्यावसायिक सम्प्रेषण की प्रकृति को निम्नलिखित बिन्दुओं में बतलाया गया है-

1. सम्प्रेषण में कम-से-कम दो व्यक्ति होते हैं

सम्प्रेषण में कम-से-कम दो व्यक्ति यथा एक सम्प्रेषक व एक प्राप्तकर्ता होते हैं। सम्प्रेषक को संचारक व प्राप्तकर्ता को सम्प्रेषणग्राही कहते हैं। वह व्यक्ति जो बोलता, लिखता या दिशा-निर्देश देता है वह सम्प्रेषक और जो व्यक्ति इन सन्देशों को सुनता है, प्राप्त करता है उसे सम्प्रेषणग्राही कहा जाता है।

2. इसमें सन्देश अत्यन्त आवश्यक है

सम्प्रेषण में सन्देश एक महत्वपूर्ण तत्व है; जैसे- भाषण, आदेश, निर्देश या सुझाव आदि। एक सम्प्रेषण अनिवार्यतः कुछ सन्देश देता है, यदि सन्देश नहीं है तो सम्प्रेषण असम्भव है।

3. सम्प्रेषण लिखित/ मौखिक / भाव भंगिमा स्वरूप हो सकता है 

सम्प्रेषण सामान्यतः बोलने / लिखने के रूप में होता है परन्तु इसके अतिरिक्त इसमें होठों / आँखों हाथों का विक्षेप भी महत्वपूर्ण है। अतः सम्प्रेषण मौखिक /लिखित/ अंगविक्षेपी होता है।

4. सम्प्रेषण औपचारिक/अनौपचारिक होता है 

एक संगठन की संरचना के आधार पर सम्प्रेषण औपचारिक व अनौपचारिक हो सकता है।

5. सम्प्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है

 सम्प्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है, क्योंकि इसके अन्तर्गत सूचना प्रेषणकर्ता से सूचनाग्राही तक प्रतिपुष्टि के साथ प्रेषित होती है।

6. सम्प्रेषण सतत् प्रक्रिया है 

सम्प्रेषण एक सतत् प्रक्रिया है। इसमें किसी भी दशा में किसी प्रकार का अवरोध नहीं होता। इसमें प्रयासों की एक श्रृंखला की आवश्यकता होती है जिससे आवश्यक प्रतिफल को प्राप्त किया जा सके।

7. सम्प्रेषण अल्प सन्दर्शी प्रक्रिया है

 एकल सम्प्रेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूचनाग्राही यदि उतनी ही प्रवणता से सूचना प्राप्त करे और उतनी ही तीव्रता से प्रतिपुष्टि करे तो इस पूरी प्रक्रिया में अल्प समय लगता है।

8. सम्प्रेषण में उचित माध्यम की आवश्यकता 

सम्प्रेषण के लिए माध्यम का चयन अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। सम्बन्धित सन्देश के लिए उचित माध्यम का प्रयोग किया जाये, जो सन्देश की विषय-वस्तु से मेल खाता हो, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सन्देश स्पष्ट व शुद्ध होना अनिवार्य है।

9. सम्प्रेषण बौद्ध क्षमता के सेतु की तरह होता है

 सम्प्रेषण तथ्यों व अनुभव के हस्तान्तरण से सम्बन्धित है व एक शोर-रहित सम्प्रेषण सूचनाग्राही व प्रेषणकर्ता के मध्य भ्रम को दूर करता है और सूचनाग्राही व प्रेषणकर्ता के मध्य बौद्ध क्षमता के सेतु की तरह कार्य करता है।

10. सम्बन्ध विकसित करने का यन्त्र

 सम्प्रेषण व्यवसाय के लिए सम्बन्धों को स्थापित, विकसित व प्रबल बनाने का एक यन्त्र है।

अतः स्पष्ट है कि सम्प्रेषण एक-दूसरे तक सूचना पहुँचाने के साधन के साथ-साथ इनके मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया है जिसमें आदेश, निर्देश, सुझाव, शिकायत व वैचारिक विचार-विमर्श समाहित हैं। साथ ही साथ इस प्रक्रिया में निरन्तरता होने के साथ-साथ प्रतिक्रिया जानने की क्षमता भी होती है।

व्यावसायिक सम्प्रेषण के उद्देश्य

व्यावसायिक सम्प्रेषण का मुख्य उद्देश्य उचित व्यक्ति को, उचित तरीके से, उचित समय, उचित जगह पर उचित सूचना पहुँचाना होता है तथा एक संगठन का प्रत्येक प्रयास सुगमता से क्रियाशील होना चाहिए व उनकी व्यवसाय प्रक्रिया को संचालित करने में किसी प्रकार का अवरोध नहीं होना चाहिए। सम्प्रेषण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

1. उचित सन्देश देना 

यह सम्प्रेषण का मुख्य उद्देश्य है। इसमें उचित सूचना उचित समय में उचित व्यक्ति को सम्प्रेषित करनी होती है जो सूचना प्रेषणकर्ता द्वारा सूचनाग्राही को प्रेषित की जा रही है, उसको सूचनाग्राही सही अर्थों में प्राप्त करे। इस हेतु सूचना प्रेषणकर्ता को उचित माध्यम का प्रयोग करना आवश्यक होता है, ताकि सूचनाग्राही को सूचना प्रेषणकर्ता द्वारा दी जाने वाली सूचना उचित अर्थ सहित पहुँचे।

2. क्रियाओं में समन्वय 

सम्प्रेषण व्यवसाय को संचालित व नियन्त्रित करने वालों के लिए व्यवसाय की क्रियाओं में समन्वय स्थापित करने का एक यन्त्र है। समन्वय के लिए सम्प्रेषण एक पूर्व आवश्यक शर्त है।

3. प्रबन्धन कुशलता को बढ़ाना 

 सम्प्रेषण के माध्यम से एक मानवीय व्यवसाय को अच्छी तरह समझा जा सकता है। सम्प्रेषण द्वारा एक संगठन में घटित होने वाली घटनाओं, विचारों, शिकायतों, सुझावों को एक निम्न स्तरीय प्रबन्धन से अपने अधिकारी को अवगत कराना सम्भव होता है जिससे एक संगठन में होने वाली उक्त घटना प्रबन्धक के लिए मार्गदर्शक होती है जोकि सीखने के प्रक्रिया के अन्तर्गत समाहित है।

4. नीतियों को लागू कराना 

 सम्प्रेषण एक संगठन द्वारा तैयार की गई नीतियों व कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने में मार्गदर्शन प्रदान करता है। यदि प्रभावी सम्प्रेषण संगठन में मौजूद है तो संगठन की नीतियों व कार्यक्रमों को लागू करने में व उनकी सफलता में कोई अवरोध नहीं आता। अत: एक संगठन के उद्देश्यों, लक्ष्यों को स्थापित करने व उनके द्वारा तैयार योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन तथा मानव व अन्य स्रोतों को अत्यन्त प्रभावी ढंग से संगठित करना व नियन्त्रित करना सम्प्रेषण के मुख्य उद्देश्यों के अन्तर्गत आते हैं।

5. अनुकूल औद्योगिक सम्बन्धों की स्थापना 

सम्प्रेषण एक संगठन में प्रबन्धकों को कार्यरत कर्मियों के व्यवहार/ मनोवृत्ति को समझने में सहायक होता है, जैसे, सम्प्रेषण की यथार्थता/विचार/मत/सूचनाएँ/अभिव्यक्तियाँ आदि। अतः यह प्रबन्धकों के ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक है। स्पष्ट है सम्प्रेषण सीखने की एक प्रक्रिया है।


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