स्वाट विश्लेषण से आशय
किसी व्यक्ति/संस्था/संगठन / व्यवसाय के लिये महत्वपूर्ण है कि वह अपनी वास्तविकता से परिचित हो। वह स्वयं में निहित कमियों/अच्छाइयों से अवगत रहे ताकि वह अपनी कमियों को दूर करे एवं अपनी अच्छाइयों में और सुधार लाये अर्थात् निरन्तर अपने व्यवहार में सुधार के प्रति सजग रहे।
"एक कम्पनी की शक्तियों, दुर्बलताओं, अवसरों व कठिनाइयों सम्बन्धी सम्पूर्ण मूल्यांकन ही स्वॉट विश्लेषण कहलाता है।"
अर्थात् स्वॉट विश्लेषण किसी भी व्यवसाय के द्वारा स्वयं के आन्तरिक व बाह्य पर्यावरण/वातावरण को जानने या समझने की दृष्टि से किया जाता है। 'स्वॉट (SWOT) निम्न चार शब्दों से मिलकर बना होता है-
- शक्ति,
- दुर्बलता,
- अवसर,
- समस्या।
इस विश्लेषण के अनुसार- "एक प्रभावपूर्ण संगठनात्मक रणनीति वह कहलाती है जिसमें एक व्यवसाय अपनी समस्त शक्तियों का प्रयोग करके अपने अवसरों का अधिकाधिक लाभ उठाता है एवं विद्यमान कमजोरियों के प्रभाव को न्यूनतम करके समस्याओं को प्रभावहीन बना देता है।"
अन्य शब्दों में, "स्वॉट विश्लेषण एक व्यवसाय को प्राप्त अवसरों का अधिकाधिक लाभ लेकर अपनी क्षमताओं का अधिकतम प्रयोग करना सिखाता है।" इस तरह से अक्षमताओं को कम कर समस्त समस्याओं/ कठिनाइयों को व्यवसाय से दूर रखा जाता है।"
स्वॉट विश्लेषण के अंग
स्वॉट विश्लेषण के मुख्य अंग निम्न हैं-
1. बाह्य वातावरण (External Environment),
2. आन्तरिक वातावरण (Internal Environment) |
1. बाह्य वातावरण (External Environment)-
बाह्य वातावरण से अभिप्राय उस वातावरण से है जो व्यवसाय के बाहर स्थित है। यह व्यवसाय को बाहर से प्रभावित करते हैं। बाह्य वातावरण व्यवसाय को अवसर प्रदान करता है एवं व्यवसाय के समक्ष कठिनाइयाँ भी उत्पन्न करता है।
2. आन्तरिक वातावरण (Internal Environment)-
आन्तरिक वातावरण एक व्यवसाय के आन्तरिक तत्वों को मिलाकर बनता है। ये तत्व व्यवसाय को क्षमता प्रदान करते हैं एवं व्यवसाय को दुर्बल/ कमजोर भी करते हैं। अर्थात् जिस पर्यावरण/वातावरण में व्यवसाय क्रियाशील रहता है, उसे हम दो हिस्सों में बाँट सकते हैं-
(I) अवसर व कठिनाइयाँ समस्याएँ जो बाह्य वातावरण में विद्यमान होती हैं।
(II) क्षमताएँ व दुर्बलताएँ/निर्बलताएँ जो आन्तरिक वातावरण में होती हैं।
(I) शक्ति / क्षमताएँ (Strength )
इसका अभिप्राय संगठन में पूर्व से विद्यमान उन समस्त तत्वों से है जिसका प्रयोग कर व्यवसाय अपने प्रतिस्पर्द्धियों पर लाभ अर्जित करता है। जैसे, एक संगठन में अच्छी अनुसन्धान सुविधाएँ व विकास की अधिकाधिक सम्भावनाएँ एक व्यवसाय की क्षमता/शक्ति हैं। इनका प्रयोग नये-नये उत्पादनों के विकास व नये प्रबन्ध के सिद्धान्तों/नियमों की खोज के लिए भी किया जाता है। अर्थात् एक व्यवसाय को स्वयं में विद्यमान सकारात्मक गुणों की सूची बनाना चाहिए जो उनसे प्रत्यक्षः सम्बद्ध होती हैं। सकारात्मक व्यवहार से तात्पर्य कुशलताओं व क्षमताओं से है।
(II) दुर्बलताएँ / निर्बलताएँ (Weaknesses)
इसका अभिप्राय एक संगठन के अन्दर विद्यमान सीमाओं से होता है, ये सीमाएँ ही दुर्बलताएँ हैं। ये व्यवसाय को प्रतिद्वंदियों के साथ दुर्बल बना देती हैं और व्यवसाय अपने प्रतिद्वंदियों से अधिक अच्छा व सुचारु रूप से कार्य करने में सक्षम रहता है। जैसे, एक व्यवसाय का एक भाग उत्पाद श्रृंखला पर निर्भरता ही, उसको दुर्बलता है जो कि अत्यन्त हानिकारक है। यदि एक व्यक्ति अपनी कमियों से अवगत होना चाहता है तो वह स्वयं से यह प्रश्न कर अपनी दुर्बलताओं को जान सकता है, जैसे, क्या वह एक अच्छा सम्प्रेषक है ? क्या वह कम्प्यूटर साक्षर है ? क्या इन बातों के सम्बन्ध में किसी विश्वास में कमी है ?
(III) अवसर/मौके (Opportunities)
एक व्यवसाय के पर्यावरण/वातावरण में स्थित समस्त अनुकूल परिस्थितियाँ हो अवसर/मौके कहलाती हैं। ये परिस्थितियाँ ही व्यवसाय को अपने प्रतिद्वंदियों का सामना करने व स्वयं को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है। यहाँ एक व्यक्ति या व्यवसाय को यह जानना चाहिए कि क्या वह किसी अवसर का लाभ उठाने में सक्षम है ? क्या वह अपने व्यवसाय को उत्कृष्टता प्रदान करने की क्षमता रखता है |
(IV) समस्याएँ/कठिनाइयाँ (Threats)
एक व्यावसायिक संगठन में विद्यमान प्रतिकूल परिस्थितियाँ ही व्यवसाय के लिए कठिनाइयों/समस्याओं के रूप में सामने आती हैं। ये संगठन के लिए अत्यन्त ही हानिकारक होती हैं। यदि एक व्यक्ति के सन्दर्भ में चर्चा करें तो उसे यह जानना आवश्यक है कि क्या उसके कैरियर सम्बन्धों व प्रमोशन के सन्दर्भ में कोई कठिनाई है, इस अवस्था में उसे स्वयं की अन्य से कमजोर नहीं समझना चाहिए।
एक व्यक्ति/संस्था/संगठन/ व्यवसाय को स्वाट विश्लेषण के द्वारा अपनी कमजोरियों / कठिनाइयों को विश्लेषितः करके उसके सम्बन्ध में ऐसी योजना/रणनीति का निर्माण करना चाहिए कि वह कमजोरियाँ, उनकी शक्तियों में रूपान्तरित हो जायें एवं कठिनाइयाँ, अवसरों में बदल जायें।
कभी भी पूर्ण सन्तुष्टि की मनोवृत्ति नहीं अपनानी चाहिए। सदैव उत्कृष्ट ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए ऊंचे उद्देश्यों व लक्ष्यों को अपने समक्ष रखना चाहिए। किसी भी स्थिति में असन्तुष्ट व निराश नहीं होना चाहिए। कभी भी उन ऊँचाइयों को अपने या संस्था/ संगठन व्यवसाय का उद्देश्य या लक्ष्य न बनायें जिन्हें प्राप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह प्रवृत्ति नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसका यह तात्पर्य बिल्कुल नहीं कि ऊँचे आदर्श विचारों को त्याग दिया जाये।
स्वॉट विश्लेषण एक व्यक्ति/संस्था/संगठन/व्यवसाय के वातावरण को समझने, नीतिगत निर्णय लेने में सहायक होता है। बाह्य व आन्तरिक वातावरण की कठिनाइयों को दूर कर या निरन्तर व्यवसाय की उन्नति के लिए यह आवश्यक है। यद्यपि उचित रणनीति बनाना व उनका उचित क्रियान्वयन/अनुपालन विशेष रूप से किसी व्यावसायिक संगठन के बाह्य/आन्तरिक पर्यावरण के विश्लेषण पर निर्भर करता है।
स्वॉट विश्लेषण का महत्व
'किसी व्यवसाय/संगठन/संस्था/व्यक्ति द्वारा निर्मित योजना की सफलता के लिए उसके मौलिक वास्तविक धरातल का होना नितान्त आवश्यक है, क्योंकि सम्पूर्ण योजना प्रक्रिया का प्रभावी संचालन का मूलाधार उसका अपना मौलिक वास्तविक धरातल होता है। यह सर्वविदित है कि किसी संस्था/व्यवसाय के नीति व निर्णय ही उसके वास्तविक धरातल का आधार होते हैं अतएव स्वॉट विश्लेषण ही एक ऐसी महत्वपूर्ण व्यूहरचना (Strategy) है जो मौलिक वास्तविक धरातल पर आधारित हैं अतः यह विश्लेषण की महत्ता निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट है-
1. किसी व्यवसाय के बाह्य व आन्तरिक पर्यावरण के विश्लेषण में सहायक
किसी व्यवसाय की योजना प्रक्रिया के बाह्य व आन्तरिक पर्यावरण में क्या घटता है अर्थात् अवसादों, कठिनाइयों तथा शक्तियों व दुर्बलताओं का मूल्यांकन इस स्वॉट विश्लेषण से ही सम्भव है अतः स्वॉट विश्लेषण हो किसी व्यवसाय की कमजोरियों/ कठिनाइयों को शक्तियों / अवसरों में परिवर्तित व उनमें निरन्तर सुधार की एकमात्र विधि है।
2. किसी व्यवसाय के लक्ष्य व उद्देश्य प्राप्ति का एकमात्र उपकरण
स्वॉट विश्लेषण किसी व्यवसाय के लक्ष्य व उद्देश्य प्राप्ति का एकमात्र उपकरण है अर्थात् स्वॉट विधि किसी व्यवसाय के बाह्य व आन्तरिक विश्लेषण के उद्देश्यों व लक्ष्यों को हासिल करने का साध्य व साधन दोनों ही हैं।
3. स्वॉट विश्लेषण एक सतत् सृजनात्मक प्रक्रिया है
स्वॉट विश्लेषण एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि किसी व्यवसाय / संगठन व्यक्ति में कमजोरियों / कठिनाइयों व शक्तियों व अवसरों का क्रम निरन्तर क्रियाशील रहता है नित नई चुनौतियाँ निरन्तर सम्मुख आती हैं और व्यवसाय / संगठन /संस्था/व्यक्ति उनके अनुसार खोज में लगा रहता है साथ ही साथ व्यवसाय कमजोरियों/कठिनाइयों को शक्तियों/अवसरों में परिवर्तित करने में क्रियाशील रहता है अतः वह उसका सृजनात्मक पहलू है।
4. स्वॉट विश्लेषण किसी व्यवसाय की कार्य संस्कृति के विकास में सहायक
चूँकि स्वॉट विश्लेषण किसी व्यवसाय/संस्था/व्यक्ति में निहित मान्यताओं का एक सतही विश्लेषण है एवं व्यवसाय के लक्ष्यों, उद्देश्यों की प्रभावी व्यूहरचना के निर्माण में भी सहायक है अतः इसके द्वारा किसी व्यवसाय/संगठन/संस्था/ व्यक्ति में कार्य संस्कृति के विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
स्वॉट विश्लेषण की सीमाएँ
स्वॉट विश्लेषण की निम्न सीमाएँ हैं-
1. स्वॉट विश्लेषण तत्कालीन परिस्थितियों पर आधारित एक अध्ययन है, जबकि परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है इसलिए परिस्थितियों में परिवर्तन हो जाने के कारण सम्पूर्ण स्वॉट विश्लेषण अविश्वसनीय व निरर्थक हो जाता है।
2. किसी भी व्यावसायिक संगठन में प्रबन्धन के स्तर पर मतभेद एक स्वाभाविक क्रिया है यद्यपि स्वॉट विश्लेषण विचारों व निश्चित तथ्यों पर आधारित एक अध्ययन है एवं किसी भी व्यवसायिक संगठन में शक्तियों / कमजोरियों व अवसरों / कठिनाइयों के सम्बन्ध में मतभेद रहते हैं इस कारण से स्वॉट विश्लेषण की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लग जाता है।
निष्कर्षत: स्वॉट विश्लेषण के सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि यह विश्लेषण किसी संगठन में अवसरों / कठिनाइयों के सम्बन्ध में उत्सुकता व इसके विश्लेषण की ओर उन्मुख करता है और संगठनों/प्रबन्धकों के कौशल/क्षमता को विकसित करने के प्रति जागरूकता प्रदान करता है।