समग्र सम्प्रेषण
समग्र सम्प्रेषण से अभिप्राय व्यापक, वृहद् व विस्तृत सम्प्रेषण से है। इस प्रकार के सम्प्रेषण में सम्प्रेषण के सम्पूर्ण तत्वों, यथा, सम्प्रेषण की भावनाएँ, मूल्य व विचारों का समावेश होता है (सम्प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम, सन्देश, कूटन व अनुकूटन, सन्दर्भ व प्रतिपुष्टि के अतिरिक्त)।
एक सामान्य सम्प्रेषण प्रक्रिया में सम्प्रेषणग्राही केवल सन्देश के तथ्यों को ही ग्रहीत या प्राप्त करता है। इसमें सम्प्रेषक की शारीरिक भाषा, यथा, मुद्रा, आसन, अभिव्यक्ति, नेत्र-स्पर्श, देह-स्पर्श तथा सम्प्रेषक की भावनाओं, मूल्यों तथा विचारों की उपेक्षा की जाती है। यद्यपि इन विभिन्न तत्वों का सम्प्रेष्ण विभिन्न मार्गो, माध्यमों व स्तरों पर किया जाता है, अतः यह सम्भावना भी होती है कि सम्प्रेषण में भ्रान्तियाँ या अशुद्धियाँ उत्पन्न हो जायें अर्थात् सम्प्रेषक व प्राप्तकर्ता व सन्देश के माध्यमों को व्यक्तिगत विश्वास, मूल्य व सन्दर्भ प्रभावित करते हैं। यह माध्यम निम्न हैं-
माध्यम
1. तथ्य ( Facts)-
तथ्य से अभिप्राय व्यक्ति के स्वयं के अनुभव पर आधारित घटनाएँ हैं जिन्हें सत्य माना जाता है।
2. भावनाएँ (Feelings) -
भावनाओं से अभिप्राय एक विशेष समय, स्थिति, दशा में व्यक्ति की मानसिक क्रिया, प्रतिक्रिया, अभिव्यक्तियाँ हैं।
3. मूल्य (Values)-
मूल्य से अभिप्राय व्यक्ति के परिवर्तनशील विचार हैं जो एक व्यक्ति से सभ्यता, संस्कृति व समाज से सम्बद्ध होते हैं।
4. मत (Opinion )-
मत से अभिप्राय एक व्यक्ति द्वारा एक विशेष समय, दशा, स्थिति में अपनाया गया दृष्टिकोण अर्थात् एक सामान्य सम्प्रेषण प्रक्रिया में सम्मिलित तत्वों के अतिरिक्त उक्त चार महत्वपूर्ण तत्वों का सम्मिलन ही इस समस्या सम्प्रेषण को सम्पूर्ण सम्प्रेषण में परिवर्तित कर देता है।
उदाहरण-
निकिता (Nikita)-- शास. मानकुंवर बाई महाविद्यालय युवा उत्सव, 2002 में पहले स्थान पर है।(तथ्य)
तनिषा (Tanisha ) -- इसने युवा उत्सव की पूरी प्रतियोगिताएँ जीत ली हैं। (तथ्य)
निकिता (Nikita)--मुझे दुःख है कि पूर्व विजेता हमारा शास. होमसाइन्स महाविद्यालय ने युवा उत्सव की सभी प्रतियोगिताएँ धैर्य, संयम व समन्वय के अभाव में हार गया। (राय)
तनिषा (Tanisha)-कोई बात नहीं, द्वितीय स्थान पर मातागुजरी महाविद्यालय, पहला अशासकीय महाविद्यालय है जिनके प्रतियोगियों में असाधारण क्षमता व कठिन परिश्रम करने की अद्वितीय क्षमता है (राय)
इस उदाहरण में—'' मानकुंवर बाई महाविद्यालय युवा उत्सव में पहले स्थान पर है।"
यह एक मत है जिसकी तथ्य के रूप में प्रस्तुति की गयी है। जब एक सन्देश को एक विशेष माध्यम द्वारा प्रेषित किया जाये और वह सन्देश दूसरे अन्य माध्यम से प्राप्त हो तो कई भ्रान्तियाँ व अशुद्धियाँ पैदा हो जाती हैं। इन भ्रान्तियों व अशुद्धियों को दूर करने के लिए इस बात को जानना आवश्यक है कि सन्देश मात्र तथ्य से नहीं बनता, बल्कि इस सन्देश में एक सम्प्रेषण की भावनाएँ या संवेदनाएँ, मूल्य तथा सुझाव या राय भी सम्मिलित होते है। अतः एक प्रभावशाली सम्प्रेषक बनने के लिए इन सभी के अर्थों को समझना अत्यन्त ही आवश्यक होता है। सही व स्पष्ट सन्देश की प्राप्ति के लिए प्रतिक्रिया व प्रभावशील श्रवणता का होना आवश्यक है। जब प्राप्तकर्ता सन्देश को सुनता है तो वह उसकी प्रतिक्रिया के सम्बन्ध में विचार करने में इतना व्यस्त या लीन हो जाता है कि वह सन्देश को प्रभावशील तरीके से सुनने में असमर्थ होता है। इसके लिए प्राप्तकर्ता को अपनी श्रवण प्रक्रिया को प्रभावशील बनाना होगा।
निष्कर्षतः "समग्र सम्प्रेषण प्रक्रिया से अभिप्राय प्राप्तकर्ता समस्त माध्यमों से सम्प्रेषित सन्देश की प्राप्ति मे है।"