पुस्तपालन (बहीखाता ) से आशय
पुस्पालन (Book -Keeping ) दो शब्दों से मिलकर बना है - पुस्त +पालन जिसका शाब्दिक अर्थ "पुस्तको को रखना |" यंहा 'पुस्तकों ' का तात्पर्य उन लेखा पुस्तकों से है , जिनमें व्यापार सम्बन्धी लेन -देन तथा क्रय - विक्रय आदि का विवरण लिखा गया हो और 'रखना ' का अर्थ है , व्यापारिक लेन-देनों का लेखा नियमानुसार शुद्ध एवं स्पष्ट रूप से करना , जिससे इन बहियों द्वारा व्यापार की आर्थिक स्थिति का किसी भी समय सरलता और शीघ्रता से पता लगया जा सके | इस प्रकार व्यापारिक व्यवहारों को वैज्ञानिक ढंग से उचित पुस्तकों में लिखने को ही 'पुस्तपालन ' 'बहीखाता ' य 'बुक-कीपिंग ' कहते हैं |
पुस्तपालन (बहीखाता) की परिभाषाएं
पुस्तपालन की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित है -
जे. आर. बाटलीबाय के अनुसार - "व्यापारिक लेन देनों का उचित या निर्धारित पुस्तकों में लेखा करने कि कला का नाम ही पुस्तपालन है | "
नार्थकाट के अनुसार - " पुस्तपालन वाणिज्यक य वित्तीय लेन-देनों के मौद्रिक पहलु को हिसाब कि पुस्तकों में लिखने कि कला है |
ए.आर . फावेल के अनुसार - "पुस्तपालन व्यापार सम्बन्धी वित्तीय व्यवहारों को नियमबद्ध ढंग से लिखने की एक क्रिया है , जिससे की व्यापार सम्बन्धी सूचनाएं सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त हो सके |
आर्थर फील्डहाउस के अनुसार - " पुस्तपालन वह कला एवं विज्ञान है , जिसके अंतर्गत वित्तीय सौदों को पुस्तकों में इतना सही-सही लिखा जाता है कि किसी भी समय यह ज्ञात हो सकता है कि किसी निश्चित अवधि में कितना लाभ या हानि हुई तथा इस अवधि के बाद क्या वित्तीय स्थिति हुयी |"
आदर्श या उचित परिभाषा - "पुस्तपालन वह विज्ञानं एवं कला है ,जिसके द्वारा समस्त व्यावसायिक लेन-देनों का कोई व्यावसायिक संस्था कुछ निश्चित पुस्तकों में किसी निश्चित पद्धति के अनुसार विधिवत एवं नियमियत रूप से लेखा करती है |"
लेखाकर्म से आशय
साधारण शब्दों में ,लेखाकर्म का आशय वित्तीय स्वाभाव वाले लेन-देनों एवं घटनाओं के मौद्रिक स्वरुप का लेखा करने ,वर्गीकरण करने तथा सूक्ष्म विवरण तैयार करने से है , जिससे एक निश्चित अवधि के उपरान्त लाभ-हानि का निर्धारण हो सके एवं एक अवधि विशेष के अंत में व्यवसाय कि वित्तीय स्थिति का पता लग सके तथा इनके परिणामों से उचित निष्कर्ष निकले जा सकें | इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि जंहा पुस्तपालन का कार्य समाप्त होता है , वंही से लेखाकर्म का कार्य प्रारम्भ हो जाता है |
अमेरिका कि सर्टिफाईड पब्लिक एकाउंटेंटस की शब्दावली समिति के अनुसार - "लेखाकर्म से आशय सौदों एवं घटनाओं को ,जो कम से कम आंशिक रूप से वित्तीय प्रव्रत्ति की हैं ,प्रभावपूर्ण विधि और मौद्रिक रूप में लिखने , वर्गीकृत करने और सारांस बनाने तथा उनके परिणामों के निर्वचन करने कि कला है |"
अतः इस प्रकार लेखाकर्म वह विज्ञानं एवं कला है जिसके द्वारा किसी व्यापारिक संस्था के व्यवहारों का स्थयी लेखा विधिवत ,शुद्ध तथा स्पष्ट रूप से बहियों में इस प्रकार रखा जाता है कि उनसे सम्बंधित विवरण ,उनका आर्थिक प्रभाव तथा एक विशेष अवधि के अंत में लाभ-हानि तथा आर्थिक स्थिति का ठीक-ठीक पता चल सके |
लेखाकर्म के अंतर्गत प्रायः निम्नलिखित कार्यों का समावेश किया जाता है -
- पुस्तपालन कि प्रविष्टयों कि जांच करना ,
- तलपट तैयार करना
- व्यापार खाता ,उत्पादन खाता या माल खाता बनाना ,
- लाभ-हानि खाता तथा आर्थिक चिट्ठा बनाना ,
- समायोजन के लेखे करना ,
- अशुद्धियों के सुधार के लेखे करना एवं
- परिणामों से निष्कर्ष निकालना तथा व्यापार के लिए नीति -निर्धारण में सहायता देना आदि |