पुस्तपालन की आवश्यकता, महत्व एवं लाभ

पुस्तपालन

पुस्तपालन से व्यापारी वर्ग को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं -

भूलों से बचाव  

व्यापारी कि स्मरण- शक्ति  कितनी ही तीव्र क्यों न हो वह समस्त व्यापारिक लेन-देनों  को याद नही रख सकता | प्रत्येक लेन-देन लिखित में होने से आवश्यकता के समय उनको देखा जा सकता है तथा भविष्य में होने वाली अनेक भूलों से बचा जा सकता है |

छल-कपट व जालसाजी से बचाव 

पुस्तपालन के द्वारा संस्था में कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाले छल -कपट व जालसाजी का पता आसानी से पता लग जाता है | यह कर्मचारियों पर  एक नैतिक अवरोध का कार्य करता है |

व्यवसाय कि सही आर्थिक स्थिति का ज्ञान 

पुस्तपालन के द्वारा व्यापारी को अपने व्यापार की आर्थिक स्थिति का सही - सही ज्ञान प्राप्त हो जाता है | तथा उसे यह भी ज्ञात हो जाता  है कि उसे व्यापर में लाभ हो रहा  है या हानि तथा उसकी देनदारियां और लेनदारियां कितनी है |

तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा योजनाओं के निर्माण में सुविधा 

पुस्तपालन व्यापारी की भावी योजनाओं के निर्माण में बहुत सहयक है | वह गत वर्षों के आंकडे एकत्रित कर उनका तुलनात्मक अध्ययन करके अपनी योजनायें तैयार कर सकता है |

व्ययों पर नियंत्रण 

पुस्तपालन के द्वारा व्यय की विभिन्न मदों की पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है ; अतः व्यापारी अनावश्यक व्ययों को रोककर अपने लाभ की मात्रा में वृद्धि कर सकता है |

विवादों के हल करने में वैधानिक प्रमाण

किसी भी विवाद के समय पुस्तपालन वैधानिक प्रमाण का कार्य करता है | किसी ऋण के विरुद्ध लेखा पुस्तकों के आधार पर वैधानिक कार्य करने में सरलता रहती है |

दिवालिया होने पर शीघ्र निपटारा

यदि कोई व्यापारी न्यायलय द्वारा स्वयं को दिवालिया घोषित करवाने के लिए न्यायलय में प्राथना पत्र देता है , तो न्यायलय उसकी लेखा-पुस्तकों के आधार पर उसे दिवालिया घोषित कर सकता है |

व्यापर के मूल्यांकन सहायक 

यदि कोई व्यापारी अपने व्यापार को विक्रय करना चाहता है तो वह अपने गत दो तीन वर्षों के हिसाब दिखाकर क्रेता को संतुष्ट कर सकता है तथा उसे अपने  व्यापार का उचित मूल्य प्राप्त कर सकता है |

करो का उचित निर्धारण

प्राय: प्रत्येक व्यापारी को  अपनी आय एवं बिक्री पर आयकर एवं व्यापार -कर चुकाना होता है ; अतः व्यापारी के आयकर एवं व्यापार-कर के उचित निर्धारण में पुस्तपालन बहुत सहायक होता है |

ख्याति का मूल्यांकन करने में सहायक 

साझेदारी व्यवसाय की दशा में किसी नए व्यक्ति को साझेदार बनाने की स्थिति में पुराने साझेदार उससे व्यापार की ख्याति के अनुसार कुछ धनराशि वसूल करते है | व्यापार की ख्याति गत कुछ वर्षों में हुये लाभ के आधार पर निकाली जाती है | इसके लिए भी लेखा पुस्तकें बहुत सहायक होति हैं |

उपयोगी आंकड़ों की प्राप्ति 

आजकल वस्तुओं का उत्पादन प्रायः बड़े पैमाने पर किया जाता है | इसके लिए कुछ आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करनी होती है |यह उपयोगी सूचनाएं लेखा पुस्तकों के द्वारा सरलता से प्राप्त की जा सकती हैं |

शीघ्र निर्णय में सहायक 

व्यापारी को दिन प्रतिदिन कुछ समस्याओं पर शीघ्र निर्णय लेने होते हैं |शीघ्र निर्णय उसी दशा में सम्भव है, जबकि व्यापारी द्वारा उचित लेखा पुस्तके रखी जाती हों |

ऋण व साख प्राप्त करने में सुविधा 

जब किसी व्यापारी से उधार माल क्रय करना होता है अथवा किसी व्यक्ति या संस्था से ऋण लेना होता है,तो वह विक्रेता को या ऋणदाता  को अपनी पुस्तकें दिखाकर अपनी आर्थिक स्थिति का ज्ञान करा सकता है |

साझेदारी व्यवसाय में सहायक 

पुस्तपालन साझेदारी व्यवसाय की दशा में विभिन्न अवसरों पर; जैसे -नए साझेदार के प्रवेश ,किसी पुराने साझेदार के अवकाश ग्रहण या मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारियों को अथवा फर्म की समाप्ति के समय साझेदारों के पारस्परिक लेन- देन के सम्बन्ध में ठीक प्रकार से रखा गया हिसाब -किताब काफी सहायक होता है |

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