प्रभावी संप्रेषण क्या हैं?अर्थ,परिभाषा एवं महत्व-effective communication

 प्रभावी /प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण आधुनिक व्यवसाय एवं प्रबन्ध की आधारशिला है। इसके अभाव में प्रबन्धकों का सन्देश उन्हीं तक सीमित रह जायेगा तथा कर्मचारियों तक नहीं पहुँच पायेगा। प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति को सम्प्रेषण प्रणाली का पर्याप्त ज्ञान हो तथा प्रत्येक अधिकारी के पास निश्चित सम्प्रेषण प्रणाली उपलब्ध हो।

प्रभावपूर्ण/प्रभावी सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा 

प्रभावपूर्ण / प्रभावी  सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय के लिए जीवन रक्त है क्योंकि एक सम्प्रेषण प्रक्रिया में जब एक सन्देश/ सूचना सम्प्रेषक से प्राप्तकर्ता की ओर प्रवाहित/संचारित होता है तो इसके प्रवाह में सम्प्रेषक के व्यवहार का अंश भी प्रवाहित होता है। एक सम्प्रेषक तभी सफल या प्रभावपूर्ण होगा जब वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल होता है अर्थात् सम्प्रेषक, प्राप्तकर्ता पर अपना प्रभाव अंकित करता है। इसके लिए आवश्यक है कि सम्पूर्ण सम्प्रेषण प्रक्रिया में सम्प्रेषित सन्देश साफ / स्पष्ट/संक्षेप व अर्थ पूर्ण हो अर्थात् उसमें किसी भी प्रकार की अशुद्धता न हो व उसकी अन्तिम क्रिया प्रतिपुष्टि पूर्ण व अनुकूल हो।

अर्थात् "एक प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण से अभिप्राय सन्देश / सूचना को व्यक्तियों/समूह/संगठनों को पहुँचाने/निवेदन करने/ प्रोत्साहित करने / प्रतिष्ठा अर्जन के उद्देश्य से सम्प्रेषित करने से है। प्रभावी सम्प्रेषण में प्रेषित सन्देश / सूचना पूर्ण, स्पष्ट, सही व अर्थपूर्ण होने के साथ-साथ सम्प्रेषक / प्राप्तकर्ता के समय की बचत करने वाली व उनके उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती है।"

 के. ओ. लोकर (K. O. Loker) के अनुसार, "भावपूर्ण सम्प्रेषण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्तियों एवं संगठनों के मध्य में सूचित करने, निवेदन करने या प्रेरित करने या प्रतिष्ठा में वृद्धि करने हेतु सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। यह स्पष्ट पूर्ण एवं सही होती है तथा अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होती है।"

प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण का PRIDE प्रतिमान

 वर्धमान एवं वर्धमान द्वारा प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण का PRIDE प्रतिमान दिया गया जिसका स्वरूप अग्र है-

1. उद्देश्य 

एक सम्प्रेषण प्रक्रिया में सम्प्रेषण का मुख्य उद्देश्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति है। यदि सम्प्रेषक अपेन उद्देश्य के प्रति सजग नहीं है तो सम्प्रेषण स्वतः असफल हो जाता है।

2. प्राप्तकर्ता  

प्राप्तकर्ता से अभिप्राय सन्देश ग्राह्यता का वह स्रोत जिसमें सन्देश के प्रति सम्मति/समझ की क्षमता निहित होती है। एक सम्प्रेषण की सदैव अपने प्राप्तकर्ता की मानसिकता/ योग्यता/ सामर्थता / ग्राह्यता इत्यादि क्षमताओं की जानकारी अत्यन्त आवश्यक है। 

3. प्रभाव

 प्रभाव का अभिप्राय एक सम्प्रेषक द्वारा अपने सन्देश के वास्तविक अर्थ को जिस स्वरूप में वह पहुँचाना चाहता है, प्राप्तकर्ता के मस्तिष्क तक प्रवाहित करना है। इस प्रकार वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल होता है।

 4. रूपरेखा 

 रूपरेखा से अभिप्राय एक सम्प्रेषक द्वारा अपने सन्देश के वास्तविक स्वरूप/प्रभाव को अंकित करने के लिये अपनाई गई रूपरेखा / योजना से है।

 5. निष्पादन 

 निष्पादन से अभिप्राय एक सम्प्रेषक द्वारा सन्देश के सफल प्रवाह के लिए तैयार की गई योजना के वांछित निष्पादन/क्रियान्वयन से है। 

उपर्युक्त प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण का PRIDE प्रतिमान इस बात को स्पष्ट करता है कि एक प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण के लिए पूर्व निर्धारित योजना या रूपरेखा का सफल क्रियान्वयन/निष्पादन अत्यन्त आवश्यक है जिसमें सन्देश की सम्पूर्णता, सन्देश का समय पर संचारण हो सम्प्रेषण के वांछित लक्ष्य की प्राप्ति कर प्राप्तकर्ता पर अनुकूल प्रभाव को अंकित करता है। यद्यपि एक संगठन में सम्प्रेषण सदैव संगठन के उद्देश्यों / नीतियों के अन्तर्गत क्रियाशील होता है।

प्रभावपूर्ण/ प्रभावी सम्प्रेषण का महत्व 

एक व्यवसाय या संगठन के लिए प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण के महत्व को निम्न बिन्दुओं में दर्शाया जा सकता है— 

1. यह किसी भी व्यवसाय का जीवन रक्त होता है 

 जिस प्रकार मानव शरीर के सुचारू संचालन के लिए रक्त अनिवार्य होता है, ठीक उसी प्रकार सम्प्रेषण किसी भी व्यवसाय के लिए आवश्यक होता है। प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण के द्वारा ही समस्त प्रबन्धकीय कार्यों का सफल सम्पादन होता है। इसके द्वारा ही हम व्यवसाय में सम्पन्न हो रहे कार्यों की व्याख्या या भविष्य में बदलाव / परिवर्तन को अपेक्षा कर सकते हैं। प्रभावी सम्प्रेषण के द्वारा ही एक संगठन में कार्यरत कर्मचारियों में सम्मान की भावना जाग्रत कर एकता व एकरूपता की स्थापना सम्भव हो सकती है।

2. मानवीय सम्बन्धों का विकास 

एक व्यवसाय के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए यह आवश्यक है कि व्यवसाय में कार्यरत मानव कार्यों को एकत्रित किया जाये। जब तक एक प्रबन्धक द्वारा अपने श्रमिकों/कर्मचारियों से मानवीय / आत्मीय व्यवहार नहीं किया जाता, तब तक प्रबन्धक उससे कार्य करा पाने में असफल रहता है। आज के व्यावसायिक पर्यावरण ने एक संगठन के नौकर-मालिक सम्बन्धों को एक नया आयाम जिसे साझेदारी कहा जाता है, दिया है। स्पष्ट है कि प्रभावी सम्प्रेषण एक संगठन में प्रबन्धकों, अधीनस्थ कर्मचारियों के विचारों को बदलने में प्रभावी नैतिकशास्त्र को वृद्धि में सहायक है जिससे एक संगठन सुगम रूप में क्रियाशील होता है।

3. संगठनात्मक छवि में सुधार का आधार 

आज सामाजिक उत्तरदायित्व प्रत्येक व्यवसाय की आवश्यकता है क्योंकि समाज को प्रत्येक व्यक्ति सरकार/ग्राहक/जनता/व्यवसायी के रूप में एक-दूसरे के सम्पर्क में बना रहता है। इसलिए एक प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण तन्त्र की स्थापना अत्यन्त आवश्यक हो जाती है। यद्यपि एक संगठन /व्यवसाय अपनी अच्छी छवि का प्रवाह एक प्रभावी सम्प्रेषण तन्त्र के द्वारा ही कर सकता है, अतः प्रभावी सम्प्रेषण तन्त्र के जरिये संगठन का प्रबन्धक समाज के साथ निरन्तर सम्वादरत् रहता है। स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया के जरिये एक संगठन / व्यवसाय अपनी अच्छी छवि का प्रसार/प्रवाह कर सकने में सक्षम होता है। इस तरह एक व्यवसाय को सुदृढ़ आधार प्राप्त होता है।

4. प्रबंधन क्षमता में वृद्धि का आधार 

 सम्प्रेषण, एक संगठन में कार्यरत प्रबन्धक वर्ग के तीव्र व व्यवस्थित कार्य सम्पादन का आधार होता है। सम्प्रेषण के द्वारा ही प्रबन्धक, व्यवसाय या संगठन के उद्देश्यों के सम्बन्ध में अपने अधीनस्थ कार्यरत् कर्मियों को बता सकने, निर्देशित करने व कार्य विभाजन तथा अर्थ नियन्त्रण में सक्षम होता है। संचार प्रक्रिया की उपस्थिति ही एक प्रबन्धक को प्रभावशाली बनाती है।

5. समन्वय स्थापना का आधार 

किसी भी संगठन/ व्यवसाय के विस्तार के साथ-साथ सम्प्रेषण का महत्व भी बढ़ता जाता है। वृहद् औद्योगिक इकाइयों में संगठन के प्रकार का निर्धारण का आधार कार्य विभाजन व विशिष्टीकरण होता है। संगठन / व्यवसाय में इन आधारों पर कार्य का सम्पादन केवल समन्वय के द्वारा हो सम्भव है। इस हेतु संगठन में कार्यरत कर्मचारियों को संगठन के उद्देश्यों व उनकी प्राप्ति के सम्बन्ध में जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। प्रभावी सम्प्रेषण एकमात्र ऐसा साधन है जोकि व्यवसाय में कार्यरत कर्मियों के कार्यों के मध्य परस्पर समन्वय स्थापित कर संगठन / व्यवसाय के सुचारु सफल संचालन में सहायक होता है।

6. प्रभावशाली नियन्त्रण का आधार 

 आज व्यावसायिक संगठनों का स्वरूप बदल चुका है। वर्तमान में व्यावसायिक संगठनों का आकार अत्यन्त विशाल है जिनकी केवल एकमात्र इकाई में हजारों / लाखों लोग कार्यरत होते हैं। अतः अत्यन्त विशाल संगठनों का सफल संचालन अपने आप में एक अत्यन्त कठिन व दुष्कर कार्य है। इस स्थिति में प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण का महत्व बढ़ जाता है। इसके द्वारा एक प्रबन्धक अपने कर्मचारियों द्वारा किये गये कार्य की सूचना प्राप्त कर यदि सुधार की आवश्यकता हो तो उसमें सुधार करता है। प्राप्त सूचना के आधार पर भविष्य सम्बन्धी फैसले लेता है।

7. प्रभावी नेतृत्व की स्थापना का आधार 

किसी भी संगठन के प्रभावी नेतृत्व का आधार प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण प्रक्रिया होती है क्योंकि एक सफल नेतृत्व के लिए सम्बन्धित व्यवसाय के प्रबन्धक में सम्प्रेषण कला में दक्षता व योग्य होना पूर्व अनिवार्य शर्त है। एक प्रबन्धक सफल नेतृत्व करने में तभी सफल होगा जब वह प्रभावी सम्प्रेषण प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानकारी रखता हो।

8. निर्णयन का आधार 

 प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण के अभाव में एक प्रबन्धन के लिये निर्णय लेना कठिन होता है क्योंकि किसी भी निर्णय लेने के पूर्व तत्सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी का अर्जित करना अनिवार्य होता है और समस्त जानकारी का संग्रहण केवल प्रभावी सम्प्रेषण प्रक्रिया के द्वारा ही सम्भव है। यह प्रभावी सम्प्रेषण तन्त्र केवल सूचना के एकत्रीकरण में ही सहायक नहीं होता बल्कि इसके सफल क्रियान्वयन में भी सहायक होता है।

9. नियोजन का आधार

 किसी भी संगठन / व्यवसाय के वांछित नियोजन का आधार प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण होता है क्योंकि किसी भी व्यवसाय की उत्तरोत्तर उन्नति प्रगति प्रमुखतः व्यवसाय में कार्यरत कर्मचारियों के बीच अधिकाधिक संवाद के द्वारा ही सम्भव है, ताकि नियोजित कार्यक्रमों को सफल क्रियान्वयन निष्पादन व सम्बद्ध कर्मियों की गतिविधियों पर नियन्त्रण किया जा सके। अतः एक प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण ही नियोजन के समस्त उद्देश्यों/ लक्ष्यों की पूर्ति का आधार है।

10. औद्योगिक शान्ति को बढ़ावा

 एक संगठन व्यवसाय के प्रबन्धकों व कर्मियों के मध्य मधुर सम्बन्ध का अभिप्रायः औद्योगिक शान्ति से है। यद्यपि प्रत्येक व्यवसायी का मुख्य उद्देश्य कम से कम लागत पर अधिकाधिक उत्पादन कर लाभ अधिक करना होता है। यह प्रबन्धन व कर्मियों के मध्य सहयोगी वातावरण का निर्माण केवल प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण के माध्यम से ही सम्भव है चाहे सम्प्रेषण का स्वरूप आरोही हो या अवरोही। इसके फलस्वरूप दोनों ही वर्गों के अपने विचारों/ भावनाओं / संवेदनाओं / कठिनाइयों को बाँटने का अवसर मिल जाता है जिससे औद्योगिक शान्ति स्थापित होती है। निरन्तर प्रभावी सम्प्रेषण का प्रयोग संगठन में औद्योगिक शान्ति को बढ़ाता है।

11. एक व्यावसायिक फर्म की निर्बाध कार्य विधि का आधार

 एक उपक्रम को सफल/निर्वाध कार्य करने के लिए सम्प्रेषण महत्वपूर्ण है। प्रत्येक संगठन में संवादवाहन सम्प्रेषण पर निर्भर करता है। एक संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबन्धक व्यक्तियों व सम्बन्धित भौतिक तत्वों में समन्वय स्थापित करता है। सम्प्रेषण के माध्यम से ही किसी संगठन में क्रय-विक्रय, उत्पादन, वित्त सम्बन्धी क्रियाएँ सम्भव हो पाती है। एक संगठन में बाह्य व अतिरिक्त सम्प्रेषण प्रक्रिया द्वारा ही विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सम्बद्ध गतिविधियों को सम्पन्न करने सम्बन्धी निर्णय लिये जाते हैं। अतः सम्प्रेषक किसी संगठन के प्रारम्भिक नाम से ही उसके अस्तित्व का आधार होता है। यदि सम्प्रेषण में किसी प्रकार की रुकावट आती है तो समस्त गतिविधियाँ उप्प हो जाती हैं।

12. निम्न लागत पर अधिकतम उत्पादन का आधार

प्रत्येक संगठन का प्रमुख उद्देश्य निम्न लागत पर अधिकतम उत्पादन करना होता है। इसकी प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि उसके पास एक सशक्त प्रभावपूर्ण आन्तरिक और बाह्य सम्प्रेषण तन्त्र हो क्योंकि इस तन्त्र के माध्यम से ही उसे जनता के विचार/सरकारी नीतियों/वर्तमान बाजार को गतिविधियों से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त होती है जिसके माध्यम से वह अपने प्राथमिक उद्देश्यों की प्राप्ति करता है। उसी सम्प्रेषण तन्त्र के माध्यम से वह अपने कर्मियों में सहकारिता की भावना को जाग्रत कर संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकने में सक्षम हो पाता है।

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