खुदरा रोकड़ बही से आशय
'खुदरा रोकड़ बही ' वह पुस्तक है, जिनमें व्यापार से सम्बंधित समस्त छोटे-छोटे व्ययों का लेखा किया जाता है; जैसे - स्टेशनरी, डाक व तार व्यय, टिकट व्यय, यात्रा व्यय, मजदूरी व्यय एवं जलपान व्यय आदि |इसके रखे जाने से प्रधान रोकडिया का जो अमूल्य समय और श्रम छोटे-छोटे व्ययों का लेखा करने में लगता है, वह बच जाता है | इस पुस्तक में लेखा करने वाले व्यक्ति को छोटा रोकडिया कहा जाता है |
इस पुस्तक को रकने का तरीका यह है प्रधान रोकडिया छोटे रोकडिया को प्रत्येक माह के प्रारम्भ में एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित रकम देता है | छोटा रोकडिया इस धनराशि से फुटकर व्ययों को चुकाता रहता है | माह के अंत में इस व्यय की हुयी धनराशि को प्रधान रोकडिया से वह पुनः प्राप्त कर लेता है | यह पुस्तक प्रारम्भिक बही तथा खाताबही दोनों के रूप में कार्य करती है | इसमें व्यापार के रोकड़ सम्बन्धी लेन-देनों का तिथिवार लेखा किया जाता है | इसे 'खुदरा रोकड़ बही की अग्रदाय पद्धति ' भी कहा जाता है |
खुदरा रोकड़ बही तैयार करने की विधियां
- साधारण खुदरा रोकड़ बही - यह साधारण रोकड़ बही की भांति होति है | प्रधान रोकडिया से जो रुपया प्राप्त होता है, वह इसमें ऋणी पक्ष में लिखा जाता है तथा जो धनराशि व्यय होति है, वह धनी पक्ष में लिखी जाती है |
- खानेदार खुदरा रोकड़ बही - इसमें धनी पक्ष की ओर प्रत्येक मद के लिए पृथक-पृथक खाना होता है और उस मद से सम्बंधित रकम को उसी खाने में लिखा जाता है | इस बही में उतने ही खाने बनाये जाते हैं,जितने खर्चों से सम्बंधित व्यवहार होतें हैं | जिन व्ययों की संख्या कम होती है, उनका लेखा करने के लिए एक 'विविध या फुटकर ' व्यय का खाना बना दिया जाता है | कुल धनराशि के लिए एक खाना और बना लिया जाता है | इस पुस्तक के प्रयोग से यह आवश्यक नही रह जाता कि खतौनी व्यक्तिगत रूप से की जाय , वरन प्रत्येक व्यय- शीर्षक की कुल राशि से (जो कि सम्बंधित खाता सूचित करे) खतौनी की जाती है |खुदरा रोकड़ बही की बाकी शेष उसी प्रकार से निकाला जाता है; जैसे अन्य खातों का साधारण रोकड़ पुस्तक में निकाला जाता है |
खुदरा रोकड़ बही के प्रयोग से लाभ
इस पुस्तक के रखे जाने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि खातों में खतौनी माह में केवल एक बार ही करनी होती है | प्रत्येक खाने का योग उससे समबन्धित खाते में लिख दिया जाता है | इससे खतौनी का कार्य बहुत सरल हो जाता है | दुसरे, इसमें समय एवं श्रम दोनों की बचत होती है | तीसरे, प्रधान रोकडिया छोटे -छोटे व्ययों का भुगतान करने के बोझ से मुक्त हो जाता है | चौथे, इस पुस्तक के रखे जाने से रोकड़ पुस्तक की विश्वसनीयता बनी रहती है | पांचवें , विभिन्न अवधियों के लिए खुदरा व्ययों की तुलना की जा सकती है और इससे यदि किसी फिजूलखर्ची का पता चले तो उस पर समय रहते नियंत्रण रखा जा सकता है | छठवें, प्रधान रोकड़ पुस्तक भारी नहीं बनने पाती |सातवें, नियमित रूप से हिसाब की जाँच होते रहने से छोटे रोकडिया की त्रुटियों एवं छल-कपटों का शीघ्र ही पता लग जाता है और वह स्वयं भी सतर्क रहता है |