यूपी पीजीटी सिलेबस ,प्रवक्ता वाणिज्य पाठयक्रम - U.P. PGT Commerce Syllabus

खण्ड-अ

एकाउन्ट्स: वित्तीय लेखांकन-

दोहरा लेखा प्रणाली के सिद्धान्त, समायोजन प्रविष्टियों के साथ अन्तिम लेखे तैयार करना, साझेदारी खाते, कम्पनीले अंशों एवं ऋणपत्र का निर्गमन, अंशहरण एवं ऋणपत्रों का शोधन, लागत लेखांकन लागत रेखांकन का अर्थ एवं उद्देश्य, लागत के तत्व, लागत लेखांकन की विधियों इकाई लागत लेखांकन, ठेका लागत, लेखांकन कर लेखांकन महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा कृषि आय करवाता गतवर्ष एवं कर निर्धारण वर्ष निवास स्थान एवं कर दायित्व, प्रबन्धकीय लेखन- अर्थ महत्व क्षेत्र कार्य एवं उद्देश्य, वित्तीय एवं प्रबन्धकीय लेखांकन में अन्तर व्यवसायिक पूर्वानुमान (प्रबन्ध के लिये उपयोगिता आधारभूत आंकड़ों के खत), विश्लेषण एवं स्त्रोत. पूर्वानुमान के यन्त्र, व्यावसायिक पूर्वानुमान के सिद्धान्त, प्रबन्धकीय प्रतिवेदन अनुपात विश्लेषण, सम-विच्छेद विश्लेषण |

खण्ड-ब 

व्यावसायिक संगठन एवं प्रबन्ध-

व्यावसायिक संगठन एवं क्षेत्र, पर्यावरण प्रदूषण एवं उद्योग-धन्नो व्यावसायिक संगठन के स्वरूप देशी एवं विदेशी व्यापार प्रबन्ध-प्रबन्ध की प्रकृति एवं कार्य, प्रबन्ध की विभिन्न विचारधारायें, प्रबन्ध विचार में प्रमुख विचारकों के योगदानों का विश्लेषण एफ. डब्लू टेलर, हेनरी फेयोल एस्टन मेयों, पेशों के रूप में प्रबन्ध, प्रबन्धकीय कार्य नियोजन, स्टाफिंग अभिप्रेरणा, समन्वय एवं नियंत्रण।

खण्ड-स

उच्च आर्थिक सिद्धान्त एवं सांख्यिकीय रीतियाँ उच्च आर्थिक सिद्धान्त-

अर्थशास्त्र स्वरूप एवं क्षेत्र व्यापार एवं अर्थशास्त्र का सम्बन्ध, तदस्यता वक्र विश्लेषण, उत्पत्ति के नियम, उत्पादन, प्रकार्य, जनसंख्या सिद्धान्त, प्रधान एवं पूरक लागत, ओमान और सीमाना लागत, व्यापार चक्र, राष्ट्रीय आय सांख्यिकीय रीतियां आवृत्ति वितरण का विश्लेषण, सह-सम्बन्ध एवं प्रतीगमन, गुणात्मक सम्बन्ध, कालमाला का विश्लेषण, निर्देशांक, व्यापारिक पूर्वानुमान, सैद्धान्तिक बारम्बारता बंटन, बारम्बारता सामान्य बंटन, द्विपद एवं लायसन, भारतीय सांख्यिकी विशेष रूप से जनसंख्या के संदर्भ में, कृषि समक एवं औद्योगिक समक, भारतीय सांख्यिकी की कमियां एवं सुधार के सुझाव।

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